पिछले दशक में संभवतः ही कोई ऐसा दिन रहा हो जिस दिन केजरीवाल या कोई AAP नेता समाचार चैनलों पर नहीं आया हो। ऐसा नहीं कि कुछ अच्छा करने के कारण आते रहे अपितु इसलिये आते रहे कि कुछ नहीं किया और किया तो हंगामा किया, भ्रष्टाचार किया, गाली-गलौज (अभद्रता) किया।
नाम का मुख्यमंत्री मेयर के बराबर लेकिन प्रधानमंत्री के समकक्ष होने का अहंकार जिसे कहते हैं केजरीवाल
केजरीवाल के पप्पू की तरह बुद्धिहीन है यह कोई नहीं कह सकता, ये भले कहा जा सकता कि केजरीवाल को संस्कार नहीं मिला और जो कुसंस्कार मिला वो ये कि स्वार्थ के लिये पिता के पत्नी की जगह बहन का नाम लिखकर संपत्ति हड़पने अर्थात घनघोर स्वार्थ का जिसके कारण केजरीवाल कट्टर स्वार्थी हो गये। स्वार्थ वो दुर्गुण है जो अकेला नहीं आता अपने साथ कई अन्य दुर्गुणों को भी लाता है। दुर्गुणों से संरक्षण हेतु संस्कार अनिवार्य होता है। गुणावगुण वंशानुगत भी प्रवाहित होते हैं, कभी-कभी होने वाले कुछ अपवादों को छोड़कर।
कट्टर स्वार्थी – Extremely selfish
ये सामान्य नियम है कि स्वार्थ और राष्ट्रसेवा दोनों एक साथ नहीं साधा जा सकता। धर्म हो राष्ट्रसेवा हो या कोई भी सार्वजनिक कार्य हो उसके लिये परमार्थी होना प्रथम शर्त्त है और केजरीवाल को परमार्थ का “प” भी नहीं सिखाया गया।
कट्टर स्वार्थी होने की बात को न्यायपालिका भी मान चुकी है, अर्थात केजरीवाल न्यायपालिका से भी सत्यापित कट्टर स्वार्थी व्यक्ति है। लेकिन इस संदर्भ में केजरीवाल को दोषी कैसे माना जा सकता है ? संस्कारी बनाना तो माता-पिता का दायित्व होता है और यदि केजरीवाल में कुसंस्कार ही कुसंस्कार हैं तो उसके लिये माता-पिता को ही उत्तरदायी कहा जायेगा। केजरीवाल ने एक बार कहा भी था कि उनकी नानी ने उन्हें राम मंदिर नहीं जाने की शिक्षा दी थी।
एक स्वार्थी व्यक्ति का दुनियां में कोई अपना नहीं होता, कोई सम्बन्धी, कोई मित्र नहीं होता – “अर्थातुरानां न सुहृन्न बंधुः”, यहाँ अर्थातुर का तात्पर्य स्वार्थी (धन-पद-शक्ति) ग्रहण करना चाहये और यह केजरीवाल ने सिद्ध भी किया है।
एक फिल्म थी जिसकी बहुत सराहना की गयी थी जिसका नाम “नायक” था। केजरीवाल ने स्वयं को नायक फिल्म के हीरो वाले रंग में रंगा सियार बनने का भरपूर प्रयास किया था। लेकिन देश और केजरीवाल का दुर्भाग्य ये है कि केजरीवाल जो बोलते हैं वही सही हो जाता है। एक बार केजरीवाल ने कहा था कि दोष कुर्सी में ही है कुर्सी पर जो भी बैठता है वह भ्रष्टाचारी बन जाता है।
बेचारे केजरीवाल नायक बनते-बनते अभिशप्त कुर्सी के चक्कर में फंसकर खलनायक बन गये।
उन सभी प्रमुख व्यक्तियों को जिन्हें AAP का संस्थापक सदस्य, केजरीवाल का निकटतम मित्र आदि कहा जाता था उन सभी को क्रमशः AAP से बाहर कर दिया। स्वयं बचा रहे इसलिये किसी भी कार्य को अपने अधीन नहीं रखा, अभी तक यही स्पष्ट हुआ है की प्रत्येक कार्य अन्य मंत्रियों के हस्ताक्षर से ही होते थे। इसी कारण सभी कार्यों में कई व्यक्ति जिसे मंत्री बनाया था वो कारावासी बनते गये।
सबके कारावासी होने के पीछे भी लोग केजरीवाल को ही जोड़ते रहे हैं ये अलग बात है कि केजरीवाल मोदी-मोदी जपते रहते हैं। सबके कारावासी होने की भविष्यवाणी केजरीवाल ने किया था और केजरीवाल के भविष्यवाणी के बाद सभी कारागार गये इससे एक बार ऐसा भी लगता है कि केजरीवाल ने ही तो कहीं जानबूझ कर सबको …… इसके संबंध में स्वाती मालीवाल प्रकरण को भी लिया जा सकता है।
कट्टर झूठा – Chronic liar
रामचरित मानस के उत्तरकाण्ड में गोस्वामी तुलसीदास की एक चौपाई है जिसका आधा भाग है “झूठइ लेना झूठइ देना। झूठइ भोजन झूठ चबेना” जो केजरीवाल सटीक बैठता है। केजरीवाल वो व्यक्ति है जिसने स्वार्थ के लिये झूठ बोलने की सभी सीमाओं को पार करते हुये अपने बच्चे की झूठी सौगंध तक भी खायी।
बच्चों की कसम खाने वाले केजरीवाल की तीसरी कसम तो विशेष प्रसिद्ध हुई थी। यहाँ कसम के सम्बन्ध में केजरीवाल का विडियो सबसे बड़ा प्रमाण है उसे उसके शब्दों में ही सुनना-समझना चाहिये।
षडयंत्री केजरीवाल
चुनाव प्रचार के लिये सर्वोच्च न्यायालय की असीम कृपा का पात्र बनने के बाद कारागार से बाहर आनेवाला केजरीवाल कैसा षडयंत्री है वर्त्तमान में यह भी उजागर हो रहा है। केजरीवाल ने कई चुनावी सभाओं में यह कहा कि यदि मतदाता उन्हें वोट देंगे तो वह जेल नहीं जायेंगे। वास्तव में यह षड्यंत्र किया जा रहा था जिसका भेद बाद में खुला।
केजरीवाल ने जेल नहीं जाने के लिये भी षड्यंत्र रचा था जिसमें असफल होता दिखाई दे रहा है। केजरीवाल ने पहले तो यह सोचा कि 2 जून को रविवार है इस कारण जेल नहीं जाना पड़ेगा। जब इसमें असफलता दिखने लगी तो किसी भी प्रकार से पहले एक बार स्वास्थ्य जांच के नाम अंतरिम बंधन सुरक्षा बढ़ाने का प्रयास करने लगे और षड्यंत्र यह था कि यदि एक बार न्यायालय को स्वास्थ्य के संबंध में भ्रमित कर दिया जाय तो फिर आगे बारम्बार करते रहेंगे।
फिर जब यह योजना असफल होने लगी तो कह रहे हैं कि जेल जायेंगे। क्या जनता ने वोट नहीं दिया ? वैसे यह पूर्ण सत्य है कि केजरीवाल यदि जेल जाता है तो देश बचेगा और यह स्वयं केजरीवाल ही कह रहे हैं।
मुझे परसों सरेंडर करना है। माननीय सुप्रीम कोर्ट का बहुत-बहुत शुक्रिया। https://t.co/1uaCMKWFhV
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 31, 2024
धड़ना-प्रदर्शन से जन्म लेने वाले केजरीवाल ने माना कि धड़ना-प्रदर्शन समाधान नहीं होता
आज दिल्ली जलसंकट प्रकरण में केजरीवाल ने जिसका जन्म ही धड़ना-प्रदर्शन से हुआ है उसने माना कि धड़ना-प्रदर्शन समाधान नहीं होता और “X” पर लिखा : “मैं देख रहा हूँ कि बीजेपी के साथी हमारे ख़िलाफ़ धरने प्रदर्शन कर रहे हैं। इस से समस्या का समाधान नहीं निकलेगा।”
जिस केजरीवाल ने आजीवन धड़ना-प्रदर्शन से सभी प्रकार के समाधान पाने की चेष्टा किया है आज कह रहा है कि धड़ना-प्रदर्शन से समाधान नहीं होता कितना हास्यास्पद है!
इस बार पूरे देश में अभूतपूर्व गर्मी पड़ रही है जिसकी वजह से देश भर में पानी और बिजली का संकट हो गया है। पिछले वर्ष, दिल्ली में बिजली की पीक डिमांड 7438 MW थी। इसके मुक़ाबले इस साल पीक डिमांड 8302 MW तक पहुँच गयी है। पर इसके बावजूद दिल्ली में बिजली की स्थिति नियंत्रण में है, अन्य…
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 31, 2024
जलसंकट के विषय में पहले तो केजरीवाल सरकार ने कुछ किया नहीं। फिर जब जलसंकट उत्पन्न हो गया तो पुराना राग अलापते हुये हरियाणा पर कम पानी देने का आरोप मढ़ा। जब हरियाणा ने कहा कि कोटे से अधिक पानी दिया जा रहा है तो नाच-कूद करने लगे। अंततः समझ में आ गया कि हम “धड़ना-प्रदर्शन और हंगामा” छोड़कर कुछ करने के लिये नहीं बने हैं, यदि कुछ करना है तो वो मोदी सरकार को करना करे।
लिखते हैं : “यदि बीजेपी हरियाणा और UP की अपनी सरकारों से बात करके एक महीने के लिए दिल्ली को कुछ पानी दिलवा दें तो दिल्ली वाले बीजेपी के इस कदम की खूब सराहना करेंगे”, अरे सब कुछ केंद्र और BJP सरकार ही करती है और उसी को करना है तो तुम शानदार, वर्ल्डक्लास का सिर्फ गीत गाते रहोगे ?
वैसे हमारी तरफ से मोदी सरकार को पहले ही सुझाव दिया जा चुका है कि कोरोना काल के ऑक्सीजन की तरह ही अभी जलसंकट में भी जो भी करना है केंद्र सरकार को ही करना होगा, AAP की केजरीवाल सरकार से कुछ नहीं होने वाला, कोई काम करना कभी इन लोगों ने सीखा ही नहीं है।
एक केंद्रशासित राज्य के नाम का मुख्यमंत्री जो कि एक बड़े मेयर के बराबर या उससे भी कम ही हैं लेकिन दम्भ ऐसा कि मोदी-मोदी करके स्वयं को मोदी का समकक्ष सिद्ध करने का प्रयास करते रहे हैं। वैसे अब देश को केजरीवाल से छुटकारा मिलने की संभावना दिखने लगी है।
इस केजरीवाल से छुटकारा मिलने के बाद भी देश को इसने जो सबक दिया उस अनुभव से दूसरा कोई केजरीवाल उत्पन्न न हो इस विषय में भी विचार करने और आवश्यक प्रयास करने की अपेक्षा है।