बेल का खेल हो गया फेल, चढ़ गये केजरी लालू की रेल
केजरीवाल ने अभी तक दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ा है। सामान्य रूप से देखा यही जाता है कि यदि कोई गंभीर बीमार हो जाये तो सबसे पहले काम छोड़ता है, छुट्टी लेता है, आराम करता है।
केजरीवाल ने अभी तक दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ा है। सामान्य रूप से देखा यही जाता है कि यदि कोई गंभीर बीमार हो जाये तो सबसे पहले काम छोड़ता है, छुट्टी लेता है, आराम करता है।
मुख्यमंत्री पद की होड़ में आतिशी बहुत आगे निकलते दिख रही है और इसी होड़ पर आगे बढ़ने के लिये कि दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री आतिशी बन सके पानी सत्याग्रह कर रही हो।
मानसून आने तो दीजिये फिर ये लोग छाती ठोककर कहेंगे हमने जलसंकट को हरा दिया जी, अब दिल्ली में पानी ही पानी होगा। कितना पानी चाहिये सड़कों पर पानी होगा, गलियों में पानी होगा, तब भी मन न भरे तो घर-घर में पानी होगा। आप उस पानी को जमा करके रख लेना क्योंकि फिर अगले साल भी यही हाल होगा। दिल्ली के मालिक कुछ नहीं करेंगे जी।
यह सही कारण प्रतीत नहीं होता कि विज्ञापन बंद होने के कारण ही मीडिया जल संकट को लेकर बरसने लगी है। और न ही ऐसा कुछ है कि मीडिया को पापबोध हो गया है और प्रायश्चित्त कर रही है। वास्तव में मीडिया कुछ न कुछ बड़े तथ्य को छुपा रही है और लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है।
एक केंद्रशासित राज्य के नाम का मुख्यमंत्री जो कि एक बड़े मेयर के बराबर या उससे भी कम ही हैं लेकिन दम्भ ऐसा कि मोदी-मोदी करके स्वयं को मोदी का समकक्ष सिद्ध करने का प्रयास करते रहे हैं। वैसे अब देश को केजरीवाल से छुटकारा मिलने की संभावना दिखने लगी है।
महापुरुष कट्टर ईमानदार अरविन्द केजरीवाल हैं जो राजनेताओं का लक्षण दिखा रहे हैं “जो वचन का पक्का हो जाये वो राजनेता कैसा” और टक्कर उस मोदी से लेते हैं जिसके वचन का महत्व है।