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आते आते आते केजरीवाल ना आये, बेल के खेल में हैं मात वो खाये

आते आते आते केजरीवाल ना आये, बेल के खेल में हैं मात वो खाये

आते आते आते केजरीवाल ना आये

जब से केजरीवाल राजनीति में आये हैं अजब-गजब कारनामे, नई-नई नौटंकी आदि कुछ भी करके टीवी पर दिखते ही रहे हैं। टीविया नामक रोग के भयंकर पीड़ित हैं और इनके जो सहयोगी और AAP नेता हैं वो सभी भी टीविया के शिकार बन गये हैं। एक समय मीडिया कमाई के लिये ऐसा दिखाती रही जैसे देश में एक ही मुख्यमंत्री हो और उसका नाम केजरीवाल था, आज भी न चाहते हुये भी मीडिया को केजरीवाल के समाचार में उलझना ही पड़ता है।

आते आते आते केजरीवाल ना आये, बेल के खेल में हैं मात वो खाये

जो लोग हमेशा मीडिया में केजरीवाल को लेकर प्रश्नचिह्न लगाते रहते थे, यह बताते थे कि केजरीवाल एक ऐसा मुख्यमंत्री है जो एक जिले के मेयर के बराबर है, इससे बहुत बड़े पदधारी अनेकों मुख्यमंत्री हैं और भले ही कहने के लिये केजरीवाल को भी मुख्यमंत्री कहा जाय किन्तु वो अधिकार और शक्तियों में कहीं नहीं टिकते। लोगों को ये शिकायत भी रही की मीडिया देश की है या केजरीवाल की ? लेकिन समय बदल गया जो लोग केजरीवाल का समाचार सुनना नहीं चाहते थे, घृणा करने लगे थे वो भी अब केजरीवाल की चर्चा करने लगे हैं।

दिल्ली जल संकट का समाधान करने में असफल रहने के बाद अंततः दिल्ली सरकार ने हाथ खड़े कर दिये और देश को यह बता दिया कि AAP को यदि कुछ करना आता है तो वो है टीवी में बोलना, आरोप लगाना, धरना देना। इसके अतिरिक्त यदि कुछ काम करने की बात हो तो वो तनिक भी नहीं आता और इसी कड़ी में आतिशी मार्लिना कल अनशन करने चली गई।

अरे करना ही था तो जलशन करती थोड़ा जल बच जाता लेकिन जल पीती रहेगी क्योंकि जल की कोई चिंता नहीं है। नेताओं का अनशन भी अजीब प्रकार का होता है, ये अनशन भी बस उतने काल के लिये होता है जीतनी देर प्रदर्शन करने वाली जगह पर बैठें। वहां से उठने के बाद कोई अनशन नहीं होता। जो भी हो आतिशी अनशन करके पछता रही होगी क्योंकि मोदी मांग माने या न मानें इंद्रदेव स्वयं मान गये। साथ ही साथ अन्य कई ऐसे समाचार आने लगे कि आतिशी को टीवी में जगह मिलना भी कठिन हो गया।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, NEET प्रकरण, कांग्रेस का विरोध आदि के साथ ही केजरीवाल को राउस एवेन्यू कोर्ट से मिली बेल और ED द्वारा उसका विरोध भी बड़ा समाचार बना रहा। एक बार को ऐसा लगता है कि सबकुछ रणनीतिक रूप से किया गया था, केजरीवाल 21 जून को जेल के बाहर होंगे और आतिशी स्वागत में अनशन के लिये बैठी रहेगी, मीडिया में बस एक छवि दिखता रहेगा आतिशी का और उसी समय केजरीवाल प्रकट हो जायेंगे व मीडिया में छा जायेंगे। सभी महत्वपूर्ण चर्चा समाप्त हो जायेगी, दिल्ली जल संकट हो या NEET प्रकरण सब कुछ केजरीवाल लेकर उड़ जायेंगे।

केजरीवाल को बेल

केजरीवाल को मिली बेल पर ED ने दिल्ली उच्च न्यायालय में भी बहुत कुछ रहस्योद्घाटन किया, सोशल मीडिया पर बेल देने वाली न्यायाधीश पर भी अनेकों प्रतिक्रिया आने लगी लेकिन हम उन विषयों की चर्चा करना नहीं चाहते तथापि संबंधित होने के कारण संदर्भ तो बनाना ही पड़ेगा।

सोशल मीडिया पर केजरीवाल को बेल देने वाली न्यायाधीश के प्रति कई प्रकार के प्रश्न उठाये जा रहे हैं लेकिन जो मुख्य प्रश्न है वो नहीं उठाया जा रहा है। वास्तव में केजरीवाल बहुत बड़े अंतर्राष्ट्रीय समूह का हिस्सा है जो चुनाव तक को भी प्रभावित करते हैं। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि वो अंतर्राष्ट्रीय समूह ही जिसका कभी टूलकिट भी उजागर हुआ था और जिसके द्वारा देश में अशांति उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है वही समूह रणनीतिक रूप से सब कुछ योजना रच रहा हो ?

ऐसा भी कहा जाता है कि कई विषयों पर न्यायाधीश घर से ही निर्णय करके निकलते हैं कि आज इसी प्रकार से निर्णय देना है। लेकिन इसके पीछे भी तो कुछ कारण होते हैं, घर से ही निर्णय लेकर ऐसे-कैसे निकला जा सकता है। बेल देने की जो रिपोर्ट है उसमें भी ऐसा ही संकेत है कि ED के दस्तावेजों का अवलोकन ही नहीं किया गया जो कि ED ने स्वयं दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा भी और मीडिया में भी ऐसा समाचार बताया जा रहा है।

ऐसा किया गया यह महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण ये है कि ऐसा क्यों किया गया ?

लेकिन इस दिशा में कोई विमर्श ही नहीं किया जा रहा है। हां AAP ने सबके पीछे मोदी को ठहराने का प्रयास अवश्य किया। उच्च न्यायालय पर भी प्रश्नचिह्न लगाया। मोदी पर तानाशाही से गुंडागर्दी करने का आरोप लगाया। ये दर्द कुछ और ही था, जब यह दिखने लगा कि केजरीवाल बाहर नहीं आ पायेंगे तो उच्च न्यायालय पर भी प्रश्नचिह्न लगाया गया कि लिखित आदेश आने से पहले क्या सुना जा रहा है ?

ये लोग ED के उच्च न्यायालय पहुंचने और उच्च न्यायालय तक को लपेटने का प्रयास करने लगे।

ये लोग चाहते हैं कि ED काम ही न करे। चाकचौबंद वाली जो बात उठायी गयी है उसका तो विपरीत अर्थ भी निकल सकता है कि केजरीवाल को बाहर निकालने की चाकचौबंद व्यवस्था की गयी थी और ED फिर भी व्यवधान उत्पन्न करने लगी तो ED पर ही बरसने लगे। केजरीवाल को बाहर निकालने के लिये जो चाकचौबंद व्यवस्था की गयी थी उसपर ED ने अंततः पानी फेर दिया।

केजरीवाल बाहर नहीं आ पाये तो मोदी की गुंडागर्दी तक बताने का प्रयास किया गया। क्या इसका विपरीत अर्थ नहीं हो सकता कि गुंडागर्दी करके केजरीवाल को बाहर निकालने का प्रयास किया गया ? यदि केजरीवाल बाहर न आयें तो ये मोदी की गुंडागर्दी हो सकता है तो केजरीवाल बाहर आ जायें ये केजरीवाल की गुंडागर्दी क्यों नहीं हो सकता ? केजरीवाल की गुंडागर्दी तो विधानसभा तक देखी गई जहां उपराज्यपाल के ऊपर न जाने क्या-क्या बोला गया।

एक और तथ्य ये भी है कि केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को आगे करना चाहते हैं किन्तु संभवतः आतंरिक प्रतिकूलता के कारण नहीं कर पा रहे हैं और इसी कारण पदत्याग भी नहीं कर रहे हैं। यदि सुनीता केजरीवाल को AAP मुख्यमंत्री बनाने के लिये तैयार हो जाये तो संभवतः अरविन्द केजरीवाल पदत्याग कर दें। लेकिन मुख्यमंत्री पद की होड़ में आतिशी बहुत आगे निकलते दिख रही है और इसी होड़ पर आगे बढ़ने के लिये कि दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री आतिशी बन सके पानी सत्याग्रह कर रही हो।

अरविन्द केजरीवाल ऐसा कदापि नहीं चाहते और आतिशी की योजना पर पानी फेरने के लिये बेल पर बाहर निकलने का एक चाकचौबंद इंतजाम किया और आतिशी के सत्याग्रह में जाकर फिर आगे निकल जाते। यदि ऐसा था तो संभवतः शीघ्र ही आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने वाली है, क्योंकि केजरीवाल की योजना पर पानी फिर गया और आतिशी आगे निकल गयी, अब आतिशी को केजरीवाल रोक नहीं पायेंगे क्योंकि बाहर ही नहीं हो पाये।

अब देखना ये है कि आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री कब बनती है क्योंकि केजरीवाल के बेल का खेल यदि दिल्ली उच्च न्यायालय में खत्म हो जाये तो कब तक जेल से मुख्यमंत्री बने रहेंगे। पदत्याग करना ही होगा और यदि केजरीवाल पदत्याग करते हैं तो आतिशी ही क्यों, सुनीता केजरीवाल क्यों नहीं ऐसा कुछ चलता दिख रहा है।

ये हो सकता है कि आतिशी को ये समझ आ गया हो कि केजरीवाल कि कुर्सी खाली होने वाली है और कुर्सी पर जाने के लिये काम करने की आवश्यकता नहीं होती आंदोलन की होती है और जाकर पानी सत्याग्रह करने लग गई।

कट्टर स्वार्थी केजरीवाल
टीविया
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