मार्कण्डेय काटजू कभी सर्वोच्च न्यायालय न्यायमूर्ति रह चुके हैं और संभावित लोकसभा चुनाव परिणाम से इतना हतोत्साहित हो गया है कि बौरा गया है और ये स्वयं की मर्यादा का ही हनन नहीं कर रहा है सर्वोच्च न्यायालय की मर्यादा का भी हनन कर रहा है। इसके कुकर्मों से यह भी संदेश मिलने लगा है कि सर्वोच्च न्यायालय में कैसे-कैसे गधे बैठे हुये थे।?
काटजू के कारनामों के क्या संदेश मिलता है
मार्कण्डेय काटजू नामक सेवानिवृत्त सर्वोच्च न्यायालय का न्यायमूर्ति की गर्दभ बुद्धि जागृत्त हो गई है और ऐसा प्रतीत होता है कि पागलपन का दौरा आने लगा है। इसे पागलपन का ऐसा दौरा आ रहा है कि जो विपक्ष में है उससे कई गुना आगे बढ़-चढ़ कर मोदी के विरोध में लिखने लगा है।
“X” पर इसके पोस्टों को देखने के बाद पहले तो लगता था कि मात्र विपक्षियों ने जूठन फेंका था, परन्तु तत्काल में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इसे उन विदेशी गैंगों ने भी जूठन चटाया है।
मार्कण्डेय काटजू को पागलपन का दौरा है या सनातन द्रोह उबल कर बाहर आ गया
इसका एक नया “X” पोस्ट है जिसमें लिखता है : “मोदी को एहसास हो गया है कि नीचे से कुर्सी खींचने वाली है, इसलिए पगला गया है, और ऊट पतंग के बयान दे रहा है, जैसे 7 पीढ़ी के पाप, मटन, मुर्गा, मुजरा, मुझे परमात्मा ने भेजा है, मैं बायोलॉजिकल नहीं हूं, सपा सत्ता में आई तो राम मंदिर बुलडोजर कर देगी।”
इसे इतनी भी समझ नहीं है कि यदि मोदी पगला गया है तो देश भी देख रही है। यदि मोदी जीत जाता है तो क्या इसका यह तात्पर्य है कि देश की जनता भी पगला गयी है ? क्योंकि एक पागल को देश का प्रधानमंत्री कैसे बनाया जा सकता है ?
Modi ko ehsaas ho gaya hai ki neeche se kursi khisakne waali hai, isiliye pagla gaya hai, aur oot pataang ke bayaan de raha hai, jaise 7 peedhi ke paap, mutton, murga, mujra, mujhe parmatma ne bheja hai,main biological nahin hun, SP satta mein aayi to Ram Mandir bulldoze kar degi
— Markandey Katju (@mkatju) May 31, 2024
घनघोर सनातन द्रोही होने का प्रमाण देते हुये इसने एक और पोस्ट किया है जिसमें मोदी का अपमान नहीं कर रहा है सनातन का अपमान कर रहा है। प्रचंड गर्मी में जो पागल होते हैं उनके पागलपन का दौरा तीव्र हो जाता है लगता है इस काटजू को भी दौरा पर रहा है क्योंकि एक तो प्रचंड गर्मी और दूसरा लोकसभा चुनाव में फिर से दिखने वाली कांग्रेस की लज्जाप्रद हार का दृश्य।
यथाशीघ्र इस पागल के पागलपन की चिकित्सा कराई जाय और यदि यह सिद्ध हो कि पागल नहीं है तो सनातन का अपमान करने के लिये दण्डित किया जाय।
इसके इस पोस्ट में मोदी नहीं दिख रहा है, सनातन के भगवे में एक गधा दिख रहा है। ये किसी भी प्रकार से मोदी का अपमान नहीं कहा जा सकता, ये सनातन का अपमान है और इस विषय पर तो सर्वोच्च न्यायालय को भी स्वतः संज्ञान लेना चाहिये किन्तु यह आशा करना भी अनुचित है क्योंकि वह भी काटजू का दुश्चरित्र ही सिद्ध कर रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय में कौन लोग स्थापित किये जाते रहे हैं।
The gadha of Kanyakumari pic.twitter.com/rWaSqndzFy
— Markandey Katju (@mkatju) May 31, 2024
ये मात्र एक दो पोस्ट नहीं है। काटजू नामक पागल निरंतर प्रधानमंत्री के लिये ऐसा ही पोस्ट कर रहा है। बारम्बार गधा कह रहा है। यह तो निश्चित रूप से देश को जानने का अधिकार है कि मार्कण्डेय काटजू को पागलपन का दौरा है या सनातन द्रोह उबल कर बाहर आ गया ?
कुख्यात मार्कण्डेय काटजू : इस घनघोर सनातन द्रोही एक विशेष कांड के लिये भी कुख्यात है और कुख्यात होने का कांड यह है कि ये सर्वोच्च न्यायालय का इकलौता सेवानिवृत्त न्यायाधीश है जिसे सर्वोच्च न्यायालय से क्षमायाचना भी करनी पड़ी थी। इसके ऊपर सर्वोच्च न्यायालय के मानहानि का आरोप भी सिद्ध हुआ था।
इस काटजू ने भारतीयों का अपमान करते हुये साऊथ एशिया मीडिया कमीशन की सेमिनार में कहा था : “90% भारतीय मूर्ख होते हैं”, इसने उड़ीसा के बारे में भी एक निन्दित टिपण्णी किया था। जिसमें पात्रा व महापात्रा को बरतन और बड़ा बरतन कहकर भी अपमानित किया था। लेकिन इसी काटजू को मुसलमानों की भावना की बहुत चिंता थी।
मार्कण्डेय काटजू का संक्षिप्त परिचय
बाबा का नाम कैलाशनाथ काटजू
- मार्कण्डेय काटजू के बाबा का नाम कैलाशनाथ काटजू जिसे कांग्रेस सरकार ने बंगाल, उड़ीसा राज्यपाल बनाया था क्योंकि वह भी नेहरू का चमचा था।
- फिर कांग्रेस सरकार ने देश का गृहमंत्री और रक्षामंत्री बनाया था।
- इन तथ्यों से यह भी समझा जा सकता है कि उसके अधम पुत्र मार्कण्डेय काटजू को भी कांग्रेस सरकार ने ही सर्वोच्च न्यायालय में स्थापित किया था।
पिता का नाम शिवनाथ काटजू
- मार्कण्डेय काटजू के पिता का नाम शिवनाथ काटजू था जो कि कांग्रेसी थे।
- कांग्रेस ने उन्हें भी प्रसाद दिया था।
- प्रसाद पाकर शिवनाथ काटजू इलाहबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश भी बने थे।
- हिंदुत्व जगने के पश्चात विश्व हिन्दू परिषद के सदस्य भी बने थे।
- लेकिन चूंकि खानदानी रूप से कांग्रेस के चारण थे अतः उनका मार्कण्डेय काटजू पुत्र घनघोर सनातन द्रोही निकला।
एक तथ्य यह भी है कि नेहरू व खानदान को भी कश्मीरी पंडित कहा जाता है और मार्कण्डेय काटजू भी कश्मीरी पंडित हैं। लेकिन इनमें से किसी को भी पलायन करने वाले कश्मीरी हिन्दुओं का दर्द नहीं दिखा।
काटजू खानदान और परिवारवाद
काटजू खानदान कहना भी स्वयं में विशेष अर्थ प्रकट करता है क्योंकि सनातन में वंश व कुल कहा जाता है खानदान नहीं। उपरोक्त तीनों पीढ़ियों को जानने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि देश किस प्रकार के परिवारवाद की चपेट में था।
चाहे नेहरू खानदान हो या काटजू खानदान दोनों की एक और विशेषता जगजाहिर है और वो विशेषता है पाकिस्तान प्रेम। कहीं मोदी को अपमानित करने के लिये भी पाकिस्तान से ही तो प्रेरित नहीं है यह जाँच का विषय है। यदि पागलपन सिद्ध हो जाये तो इसका भला ही होगा, क्योंकि यदि पागलपन सिद्ध नहीं होता है तो दण्ड का पात्र है।