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केजरीवाल स्वार्थी, ढोंगी और सत्ता का भूखा हैं : हाई कोर्ट

केजरीवाल स्वार्थी, ढोंगी और सत्ता का भूखा है
केजरीवाल स्वार्थी, ढोंगी और सत्ता का भूखा है

Kejriwal is selfish, hypocrite and power-hungry: High Court

केजरीवाल स्वार्थी, ढोंगी और सत्ता का भूखा है : हाई कोर्ट

उच्च न्यायलय द्वारा केजरीवाल के ऊपर जो कठोर टिप्पणि की गयी है वह कई प्रकार के प्रश्नों को उत्पन्न करती है एवं जिस प्रकार केजरीवाल को देशव्यापी चर्चा का बिंदु बनाया गया है उसी प्रकार इस विषय में भी केजरीवाल की बखिया उधेड़नी चाहिये। लेकिन ऐसा नहीं होगा। इस आलेख में हम उच्च न्यायालय द्वारा केजरीवाल के विषय में जो टिप्पणि की गयी है उसके आशय को समझने का प्रयास करेंगे, जो महत्वपूर्ण प्रश्न उत्पन्न होते हैं उसे भी समझने का प्रयास करेंगे। 

केजरीवाल स्वार्थी, ढोंगी और सत्ता का भूखा है : हाई कोर्ट

हाई क्वालिटी इंटनेशनल शिखा मॉडल 

केजरीवाल व आम आदमी पार्टी द्वारा जिस स्कुल मॉडल या शिक्षा मॉडल को अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय सिद्ध किया जाता था उसी से जुड़ा हुआ विषय है जिस पर उच्च न्यायालय द्वारा कठोर टिप्पणि की गई है। केजरीवाल के अंतरराष्ट्रीय शिखा मॉडल में लगभग 3 लाख बच्चे अध्ययन की पुस्तकें, स्टेशनरी, यूनिफॉर्म से वंचित हैं। इसी मामले में दिल्ली सरकार की तरफ से यह कहा गया कि चूंकि केजरीवाल जेल में बंद हैं और 5 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होनी है तो बिना उनके हस्ताक्षर किये ऐसा नहीं हो सकता और इसी कारण 3 लाख बच्चे अध्ययन की पुस्तकें, स्टेशनरी, यूनिफॉर्म आदि से वंचित हैं। 

केजरीवाल स्वार्थी, ढोंगी और सत्ता का भूखा है : हाई कोर्ट

दिल्ली सरकार द्वारा यह बहाना बनाना उच्च न्यायालय को अनुचित प्रतीत हुआ कारण कि जिस केजरीवाल ने अपने शीष महल के लिये चूंकि 10 करोड़ से अधिक राशि के लिये कैबिनेट से पारित होना आवश्यक होता है इसलिये 9 करोड़ 99 लाख का बिल बनवाया था क्या 3 लाख बच्चों के लिये जो देश के भविष्य हैं 4 करोड़ 99 लाख के अलग-अलग बिल नहीं बनवाया जा सकता। किया जा सकता है किन्तु जब नीयत में ही खोट हो तो क्या कहना ? इसके साथ ही यह भी प्रश्न है कि यदि केजरीवाल के जेल में रहने से सरकार चलाना संभव नहीं है तो केजरीवाल पदत्याग क्यों नहीं करता। 

झूठा, स्वार्थी, ढोंगी केजरीवाल 

लेकिन ये वही केजरीवाल है जिसने अपने बच्चे की झूठी कसम खाया था। जिस केजरीवाल को अपने बच्चे से भी प्रेम नहीं है, जो इतना धूर्त और स्वार्थी है कि अपने बच्चे के हित-अहित का भी ध्यान नहीं रखता वह दूसरों के बच्चे का कितना ध्यान रखेगा ? यह एक यक्षप्रश्न है जिसपर दिल्ली की जनता को कभी विचार करने का भी अवसर नहीं दिया गया। षड्यंत्र पूर्वक फ्रीबिज का जाल बुनकर जनता को उसमें फंसाकर उसने दिल्ली में एक बार नहीं दो-दो बार सरकार बना लिया। 

केजरीवाल का जीवन असत्य और असत्य मात्र पर आश्रित है। विगत 10 वर्षों से दिल्ली ही नहीं देश ने सुबह से शाम तक उसके झूठ को झेला है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में लिखा है :

उघरहिं अंत न होहिं निवाहू। कालनेमि जिमि रावण राहू।

अंततः झूठ का अनावरण होना ही है भले ही उसे कितना भी छिपाने का प्रयास क्यों न किया जाय। आज केजरीवाल के झूठों से परदा हटने लगा है। 

उच्च न्यायालय ने क्या कहा ?

“I am sorry to say you have placed your interest above the interest of the students, the children that are studying. That is very clear and we are going to give that finding that you have placed your political interest at a higher pedestal…It is very unfortunate that you have done this. It is wrong and that is what has got highlighted in this matter,” 

“I don’t know how much power you want. The problem is because you are trying to appropriate power, which is why you are not getting power,” 

“Choice is yours that the chief minster will continue despite being in jail. We will have to say this. This is your administration’s will. You are asking us to go down that track and we will come with full vigour,” 

“As a court, distribution of books, uniforms etc… this is not our job. We are doing this because someone is failing in their job…. Your client is just interested in power. I don’t know how much power do you want? The problem is because you are trying to appropriate power which is why you are not getting power,”

“Don’t underestimate our guts. You are underestimating our power… You are putting children as a trading point, they are not a trading commodity for us,”

“मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि आपने अपने हित को छात्रों, पढ़ने वाले बच्चों के हित से ऊपर रखा है। यह बहुत स्पष्ट है और हम यह निष्कर्ष देने जा रहे हैं कि आपने अपने राजनीतिक हित को ऊंचे स्थान पर रखा है…यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपने ऐसा किया है। यह गलत है और यही बात इस मामले में उजागर हुई है।”

उच्च न्यायालय के कथनों का सार यही है कि दिल्ली सरकार का ही निर्णय है कि केजरीवाल जेल से ही सरकार चलायेंगे तो कैसे चलायेंगे ये भी उन्हीं को निर्धारित करना होगा इसमें, केजरीवाल के जेल में होने से 3 लाख बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जा सकती है.. इत्यादि। 

मीडिया को करारा तमाचा 

उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणि मात्र आम आदमी पार्टी या केजरीवाल को ही फटकार नहीं है पिछले 10 वर्षों से केजरीवाल का गीत गाने वाली मीडिया के लिये भी करारा तमाचा है। किन्तु जैसे केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के पास शर्म नाम की कोई चीज नहीं है मीडिया भी उसी के समान है इतना करारा तमाचा लगने के बाद भी क्या मजाल कि सुधर जाये ? जो सुधर जाये वो केजरीवाल कैसा ? मीडिया कैसी ? अभी भी मीडिया इसको लीपने-पोतने का जुगाड़ ढूंढेगी, वो तो सोशल मीडिया है जो इनकी पोल खोल के रख देती है। मीडिया ने केजरीवाल के सभी झूठों पर परदा डालने का काम किया है। 

जिस मीडिया को मोदी में कमी-ही-कमी दिखाई पड़ती है उसी मीडिया को धूर्त, स्वार्थी, झूठा, खालिस्तानी समर्थक, आतंकवादियों से चंदा लेने वाला गुणवान दिखता रहा है। मीडिया ने खुल्ल्म-खुल्ला पहले दिन से केजरीवाल को सहयोग किया है और उच्च न्यायालय से “जोड़ का झटका धीरे से लगने पर” भी भले ही गाल सूजे हुये क्यों न हो आगे भी केजरीवाल को बचाने का ही प्रयास करेगी, गुणगान ही करेगी। 

केजरीवाल के तरह ही बेशर्म मीडिया का उदहारण 

जिस दिन झारखण्ड के मुख्यमंत्री गिरफ्तार हुये मात्र उसके कुछ दिन आगे-पीछे ही उनकी खबड़ मीडिया में रही, लेकिन केजरीवाल लगातार है। हेमंत शोरेन पर घोटाले में गिरफ्तार किये गये हैं फिर भी वो केजरीवाल की तरह धूर्त, षड्यंत्रकारी, आतंकवादियों से सांठ-गांठ रखने वाले, सर से पांव तक झूठ, स्वार्थी नहीं हैं। मात्र पिछले तीन महीने के आंकड़ों को देखा जाय कि हेमंत शोरेन का नाम, फोटो, वीडियो कितनी बार दिखाया गया है और केजरीवाल का कितनी बार ? दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जायेगा। मीडिया की बेशर्मी का ये सबसे बड़ा उदहारण है। 

बेचारी दिल्ली की जनता 

दिल्ली की जनता को बेचारी कहना भी सही नहीं होगा क्योंकि दो बार दिल्ली की जनता ने ही तो केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया है, भले ही रेवड़ी के लालच में वोट क्यों न दिया हो। फ्रीबिज हो या किसी भी प्रकार का प्रलोभन हो मतदान के लिये जनता को उसमें कभी नहीं फंसना चाहिये। देश की जनता समझ रही है कि केजरीवाल के पहले और वर्त्तमान कार्यकाल में भी केवल झूठ-ही-झूठ पडोसा गया है। काम कम और नाम अधिक किया गया है। जिस विभाग में देखा जाय, जिस काम को देखा जाय सबमें घोटाले ही सामने आ रहे हैं। लेकिन दिल्ली की जनता को ये बात न पता हो कैसे मान लिया जाय। 

देश की जनता को सन्देश 

 केजरीवाल के कारनामे देश की जनता को भी सन्देश देता है कि केजरीवाल की तरह ही फ्रीबिज का सपना दिखने वाले और भी हैं जो देश की जनता को प्रलोभन देकर भ्रमित करना चाहते हैं। झूठे वादे कर रहे हैं, झूठी घोषणापत्र दिखा रहे हैं (झूठी घोषणापत्र इस कारण कि पिछले कई राज्यों के चुनाव में किये गये हैं) लेकिन देश की जनता को मतदान के लिये किसी भी प्रलोभन, स्वार्थ में फंसे बिना कौन सही है इसका निर्णय लेना चाहिये। 

निष्कर्ष : निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि केजरीवाल और दिल्ली सरकार को उच्च न्यायालय द्वारा जो फटकार लगी है वह पूर्णतः उचित है और मात्र केजरीवाल को चांटा नहीं लगा है बेशर्म मीडिया को भी लगा है साथ ही यह भी सन्देश मिलता है कि मतदान जागरूक होकर करना चाहिये न कि प्रलोभन में फंसकर। 

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