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पता चल गया चौथी पास लंपट राजा कौन है – केजरीवाल की कहानी | HC To SC



दिल्ली उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक चौथी पास लंपट राजा का भेद खुल रहा है। जिस प्रकार से केजरीवाल ने विधानसभा में जाकर “लंपट राजा” की कहानी सुनाया था तो ऐसा लगा था कि मोदी को लंपट राजा कह रहा है, लेकिन आगे की अन्य घटनाओं से ये सिद्ध होता है कि वो मोदी को लंपट राजा नहीं कह रहा था आत्मविश्लेषण कर रहा था। घटनाक्रम को समझते हुये आगे इस कड़ी को जोड़कर समझेंगे।

पता चल गया चौथी पास लंपट राजा कौन है – केजरीवाल की कहानी | HC To SC

केजरीवाल ने विधानसभा में चौथी पास राजा की जो कहानी सुनाया था थोड़ा से उसे देख लेते हैं, जब स्वयं का आत्मविश्लेषण कर रहा था तो उसके वक्तव्य अधिक महत्वपृर्ण माने जाने चाहिये। 


 

कहानी को इस प्रकार से कहा गया कि इसका मुख्य पात्र चौथी पास राजा मोदी लगने लगे और इसकी पुष्टि के लिये कहानी में तीन-चार लक्षण भी जोड़े गये :

ये लक्षण केजरीवाल ने जानबूझ कर जोड़ा ताकि लोगों को ये केजरीवाल की कहानी नहीं नरेंद्र मोदी की कहानी लगे। फिर छोटे से राज्य के कट्टर ईमानदार, कट्टर देशभक्त, पढ़ा लिखा मुख्यमंत्री के पात्र में स्वयं को भी जोड़ा। कहानी केजरीवाल की ही है बस थोड़ा सा अंतर इसलिये किया गया जिससे कि लोगों को ये मोदी की कहानी लगे। इस कहानी का सम्बन्ध उस समय से है जब जाली सर्टिफिकेट चिल्लाने पर यूनिवर्सिटी ने न्यायालय से न्याय की मांग की और न्यायालय ने केजरीवाल को 25000 जुर्माना ठोक दिया। 

गलती से कहानी में उसने अपनी सच्चाई भी बता दिया बस उसने ये नहीं कहा कि ये मेरी ही कहानी है और मोदी की कहानी लगे ऐसा प्रयास किया, जैसे :

“पैसे तो कमाना चाहिये” – ये भी केजरीवाल ने गलती से अपना लक्षण ही बता दिया था और ऊँगली भी अपनी ओर करके अपने आदमियों को समझा रहा था। वैसे भी मोदी ने तो कोई घोटाला किया नहीं है, लेकिन आज दिल्ली की हालत ये है की “जित देखूं तित लाल” कहावत में से बस लाल की जगह घोटाला/भ्रष्टाचार जोड़ना सही लगता है। 

“10 % कमीशन तुमको मिलेगा, सारा पैसा मेरा” – ये भी अपने आदमियों को ही समझा रहा था, संभवतः हिस्सेदारी को लेकर झगड़ा हुआ हो, और इसी कारण एक-एक करके अपने आदमियों को जेल भिजवाने भी लगा। 

“काम तुम्हारा पैसा हमारा” – यह आज सभी जान रहे हैं कि केजरीवाल स्वयं कोई काम नहीं करता था सिसोदिया आदि से करवाता था लेकिन पैसा हमारा का तात्पर्य ये भी रहा हो कि उस समय गुटबंदी करके पैसे देने में मना किया गया हो तो उसके लिए अपने आदमियों को धमकी देते हुये मोदी को कहानी में फिट करके समझा दिया कि पैसा हमारा होगा। 

“प्रधानमंत्री का सपना” – कहानी के अंत में कट्टर ईमानदार को प्रधानमंत्री बनाने वाली पंक्ति इसलिये जोड़ी की प्रधानमंत्री बनने का सपना भी देख रहा था, बाद में कई बार उसने अपने लिये कट्टर ईमानदार शब्द का प्रयोग करके देश और विपक्षी गठबंधन (जो बनने जा रहा था) को ये समझाया कि प्रधानमंत्री मैं बनूंगा। दुर्भाग्य से जेल जाना पड़ गया और बाहर आना मुश्किल लग रहा है। 

अब चूंकि पढ़ा-लिखा होकर भी पद, पैसा, प्रभुत्व का घनघोर लालची है और पिछले दिनों दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा भी इस तरह की बात कही जा चुकी है, तो लम्पटों वाला व्यवहार कर रहा है ऐसा लगता है जैसे चौथी पास राजा जो उसकी कहानी में था वही है अर्थात पढ़े लिखे होने का ऐसा दम्भी है कि सबको मूर्ख ही समझता है। 

चोरी और सीनाजोरी” करने वाले केजरीवाल की कहानी में एक कहावत बिल्कुल सटीक लगती है “ज्यादा होशियार तीन जगह मखता है”:

  1. एक मामला था ED का सम्मन आता रहा और अहंकार में चूर होने के कारण कि मैं जब तक मुख्यमंत्री हूँ मुझे बंदी नहीं बनाया जा सकता बार-बार भारत के संविधान और कानूनों का उल्लंघन करके कभी ED के पास नहीं गया और एक नया मामला ऊपर से बना लिया। 
  2. अंततः बंदी बन गया तो उच्च न्यायालय दिल्ली की फटकार लगने के बाद भी मुख्यमंत्री पद को नहीं छोड़ रहा है, आने वाले समय में जब न्यायालय पद छीन लेगा तो दूसरा मामला भी हो जायेगा। 
  3. अब सर्वोच्च न्यायलय में भी ये सिद्ध करने का प्रयास या तीसरी मूर्खता कर रहा है कि हमने संविधान का उल्लंघन किया या कानून तोड़ा फिर भी बंदी नहीं बनाया जा सकता क्योंकि ये मैं कह रहा हूँ। “न खाता न बही जो केजरीवाल कहे सही” ये तो आम आदमी पार्टी के लोग ही मान सकते हैं देश नहीं। 

उच्च न्यायालय ने क्या कहा है जानने के लिये आप इस आलेख को पढ़ सकते हैं – केजरीवाल स्वार्थी, ढोंगी और सत्ता का भूखा है : हाई कोर्ट

अंधेर नगरी चौपट राजा

अब केजरीवाल ने कहानी में जो “अंधेर नगरी चौपट राजा” कहा था उसे भी चरितार्थ करने का प्रयास कर रहा है, चौपट राजा तो है ही नगरी को अंधेर भी करना चाहता है । इसे दो बिंदुओं में समझा जा सकता है :

1. बंदी नहीं बनाया जा सकता : केजरीवाल सर्वोच्च न्यायालय में यह कह रहा है कि संविधान और कानून का उल्लंघन/अवमानना करने पर भी बंदी नहीं बनाया जा सकता। संविधान या कानून के उल्लंघन का तात्पर्य है किसी सरकारी तंत्र के समन को नहीं मानना, ये जगजाहिर है कि केजरीवाल ने बार-बार ED के समन को ठुकराया। यदि ऐसा ही हो जाये तो अन्य सामान्य लोग क्या निकम्मे होते हैं जो किसी भी समन पर उपस्थित हो जाते हैं, और यदि सभी लोग यही कहने लगें की मुझे बहुत काम करना है मैं नहीं आ सकता फिर जाँच कैसे होगी, कानून कैसे काम करेगा ? अर्थात नगरी ही चौपट हो जाएगी। हमें तो लगता कि इस प्रकार की असंवैधानिक गतिविधि के लिये इसे सामान्य नागरिकों की अपेक्षा दसगुना अधिक दण्ड देना चाहिये। 

2. कारागार में नहीं रख सकते : केजरीवाल का कहना है कि चुनाव लड़ना हमारा अधिकार है और चुनाव हो रहा है इसलिये हमें जेल में नहीं रखा जा सकता है। क्या होगा यदि सभी बंदी चुनाव लड़ने की ही बात करने लगें ? जीते या हारे इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, यदि इस प्रकार अंधेर नगरी हो जाये तो सभी बंदी कारागार से निकलने के लिये चुनाव लड़ने लगेंगे। 

 

इस प्रकार की बातें करके केजरीवाल यही सिद्ध कर रहा है कि कुछ महीनों पहले विधानसभा दिल्ली में जो उसने चौथी पास राजा की कहानी या अंधेर नगरी चौपट राजा वाली जो कहानी सुनाई थी उस कहानी का चौपट राजा वो स्वयं है और दिल्ली को अंधेर नगरी बनाना चाहता है। 


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