Site icon Kya Samachar hai

पहले भी हारे थे, अभी भी हारे हैं, आगे भी …

न हम हारे हैं ना हारेंगे

पहले भी हारे थे, अभी भी हारे हैं, आगे भी ...

मोदी ने भले ही आँकड़े दिखाकर ये बोल दिया कि “न हम हारे थे न हम हारे हैं”। लेकिन यह NDA के आंकड़ों तक ही सीमित है, सच्चाई कुछ और है और सच्चाई यही है कि “पहले भी हारे थे, अभी भी हारे हैं, आगे भी ….” यहां यही समझने का प्रयास किया जायेगा कि पहले कैसे हारे थे अभी कैसे हारे हैं और नहीं सुधरे तो आगे भी हारेंगे ही हारेंगे।

पहले भी हारे थे, अभी भी हारे हैं, आगे भी …

यदि आप भाजपा से जुड़े हैं तो संभव है कि आपको ये पसंद नहीं आये कि भाजपा पहले भी हारी थी अभी भी हारी है। लेकिन तथ्यों के आधार पर इसे समझेंगे तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। अब चूँकि निराशा के वातावरण से भाजपा और देश बाहर निकल चुकी है इसलिये यह चर्चा आवश्यक है। हमें समझना होगा की मोदी पहले कैसे हारे थे और अभी कैसे हारे हैं।

पहले भी हारे थे

पहले भी हारे थे इसके लिये पहले हम चुनाव से ठीक पहले जो कथित किसान आंदोलन के बहाने दिल्ली को घेरने आ रहे थे उसको समझेंगे। भीड़ को पंजाब से बाहर नहीं निकलने दिया गया, हरियाणा की सीमा पर ही रोक दिया गया। यहां प्रश्न ये है कि पहली बार कैसे दिल्ली को घेर कर महीनों तक बैठे रहे थे, क्या मोदी ने हार मान ली थी।

  • महीनों तक किसान आंदोलन के बहाने खालिस्तानियों ने दिल्ली को घेर रखा था – सीधी बात है मोदी हारे थे।
  • गणतंत्र दिवस पर तिरंगे का अपमान हुआ था – सीधी बात है मोदी हारे थे।
  • दिल्ली पुलिस के सैकड़ो जवान घायल हुये थे – सीधी बात है मोदी हारे थे।
  • किसान बिल अपने बिल में चला गया – सीधी बात है मोदी हारे थे।

अब इससे पहले जो CAA के नाम पर दिल्ली को घेरा गया था, साहीनबाग में आंदोलन किया गया था वो भी सबको याद होगा। उसको भी देखें तो स्पष्ट हो जाता है कि दंगा हुआ था और कौन हारा था ? महीनों तक किसान आंदोलन के बहाने खालिस्तानियों ने दिल्ली को घेर रखा था – सीधी बात है मोदी हारे थे।

कोविड काल की हार : कोविड काल में AAP ने ऑक्सीजन के नाम पर हंगामा कर दिया था और मोदी को बर्बाद करने के लिये अन्य जगहों से बर्बाद करने के लिये भी ऑक्सीजन देने पड़े थे। ये किसकी हार थी – सीधी बात है मोदी हारे थे।

न्यायपालिका से हार : न्यायपालिका से हार का तात्पर्य सरकार के अंगों, अधिकारों आदि से संदर्भित है। मोदी कार्यपालिका और विधायिका के नेता थे और हैं।

खान मार्केट गैंग, चट्टे-बट्टे, मीडिया वाले : मोदी ने स्वयं लोकसभा चुनाव 2024 के चुनावी सभाओं में खान मार्केट गैंग, चट्टे-बट्टे, मीडिया वाले आदि बोला है। संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद भी मीडिया के बारे में खुलकर बोला कि मंत्रालय बांट रहे हैं, सरकार बना रहे हैं आदि-इत्यादि। ये तथ्य आपको पहले से ज्ञात है क्योंकि 2019 में भी सांसदों को मीडिया से बचने का इसी प्रकार संदेश दिया था।

सेंसर बोर्ड : आपका सेंसर बोर्ड कई बार ऐसी फिल्मों को पास करते रहा जो देश की संस्कृति, धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने वाला था। और इसका सबसे बड़ा तमाचा आदिपुरुष है, टीवी चैनलों पर ढेरों ऐसे धारावाहिक चल रहे थे और चल रहे हैं जो धीरे-धीरे भारतीय संस्कृति का ह्रास करते हैं, भ्रामक ज्ञान प्रदान करते हैं। बताईये किसकी हार थी – सीधी बात है मोदी हारे थे।

इसी तरह से और भी अनेकों तथ्य हैं जो सिद्ध करते हैं कि मोदी बारम्बार हारा था।

अभी भी हारे हैं

आप पार्टी को और उससे बड़ी बात है देश को भी निराशा के वातावरण से बाहर निकाला। जब आपने कहा कि “न हारे थे, न हारे हैं” दो एक नयी ऊर्जा का संचार हुआ। लेकिन ये सच्चाई नहीं है और इसे भी सबने स्वीकार किया है कि मोदी हारे हैं।

ये आंकड़े अलग हैं कि कांग्रेस को पिछले तीन चुनावों को मिलाकर भी 240 सीटें नहीं मिली है, भाजपा मात्र कांग्रेस से नहीं पूरी इंडि या भिंडी से आगे है। लेकिन भाजपा हारी है, मोदी हारे हैं भले ही विपक्ष से नहीं हारे लेकिन स्वयं से तो हारे हैं।

हम ये नहीं कह रहे हैं कि आप विपक्ष से हारे हैं हम ये कह रहे हैं कि स्वयं से ही हारे हैं और ये हार सबके मुखमंडल पर दिखी है, सबके अंतरंग में टीस है, सबका मन व्यथित है। ये अलग बात है कि अभी तुरंत फिर से चुनाव हो जाये तो अकेले भाजपा 400 पार कर जायेगी किन्तु हार तो ये है कि NDA 400 पार करना तो दूर 300 भी पार नहीं कर पायी। हार विपक्ष से नहीं है ये हार स्वयं से है कि, मत-प्रतिशत में कोई विशेष अंतर नहीं है किन्तु सीटों में 27-28% कम हुआ है।

आगे भी ….

आगे भी … का तात्पर्य यह नहीं है कि आगे भी हारेंगे अपितु ये प्रश्न है कि जिस तरह से मोदी पहले हारते रहे हैं क्या आगे भी हारेंगे या अब लड़ेंगे। पहले की हार में एक बड़ी बात जो है वो ये है कि वो सभी हार मोदी कि हार नहीं थी, मोदी लड़े ही नहीं, जानबूझ कर विरोधियों को जिताते रहे। लड़े क्यों नहीं ? नहीं लड़ने का कारण ये था कि उनको मोदी अपने समकक्ष अर्थात लड़ने योग्य मानते ही नहीं थे, जब इच्छा होती, जैसे मन करता वैसे कुचल सकते थे।

लड़ाई बराबरी वालों से की जाती है, स्वयं से कमजोरों को दबाया जाता है या कुचला जाता है। मोदी के सामने विरोधी की वो स्थिति रही कि वह लड़ने के लायक ही नहीं था। जिस विपक्ष को नेताप्रतिपक्ष बनने के लिये भी सत्ता के कृपा की आवश्यकता हो क्या वो विपक्ष लड़ने के योग्य था, अर्थात मोदी का विरोधी लड़ने योग्य था ही नहीं। एक तरफ मृगराज था तो दूसरी तरफ भींगी बिल्ली भी नहीं चूहा था, शेर चूहे को मारकर कौन सा यश प्राप्त करता ?

लेकिन प्रश्न ये है की अब आगे तो इनकी स्थिति चूहे वाली नहीं है न। यदि NDA 293 है और इंडि 233 है तो लड़ने की स्थिति है या नहीं। अभी भी ऐसा ही लगता है कि इनको लड़ने योग्य तो मोदी नहीं समझते ये मात्र भ्रम के कारण ही हो गया है। भले ही विरोधी लड़ने योग्य अभी भी नहीं हो मात्र दिखने में 233 लगता हो किन्तु यदि ये आंकड़े थोड़े और (250) ऊपर होते तो यही सत्ता छीन लेते। मात्र 17 सीटें कम हैं कि ये सत्ता की चाबी छीन नहीं पाये।

खान मार्केट गैंग तो दण्ड का पात्र है जो देश को प्रतिदिन भ्रमित करता है। उसके पास ऐसे-ऐसे सूत्र होते हैं जिसका कोई कुत्र (कहाँ से प्राप्त हुआ) होता ही नहीं है। देश को भ्रमित करना क्या अपराध नहीं है, देश को भ्रामक तथ्य बताकर छलना क्या अपराध नहीं है। हो या न हो आपने स्वयं स्वीकार किया है कि ये देशविरोधी हैं, उस टूलकिट के अधीन या अनुसार काम करते हैं जो भारत का शत्रु है। आगे इनको दण्डित करेंगे या आगे भी …..

NDA पहले भी था आज भी है और कल
मोदी की गारंटी
Exit mobile version