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संबित पात्रा ने किया भगवान जगन्नाथ का घोर अपमान बताया मोदी का भक्त – Sambit Patra’s mistake

Sambit Patra's mistake

संबित पात्रा ने किया भगवान जगन्नाथ का घोर अपमान

भारत बदल रहा है दर्द यही है। इस दर्द से सनातन द्रोही ऐसे पीड़ित हो रहे हैं कि उन्हें क्या करें क्या न करें यही पता नहीं है। चुनाव प्रचार में वाक्य प्रवाहवश भाजपा नेता संबित पात्रा ने एक बार भगवान जगन्नाथ को मोदी का भक्त बोल दिया। निश्चित रूप से यह अपराध है, पाप है, त्रुटि है किन्तु सनातन द्रोहियों को इस विषय में प्रश्न करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि उन्होंने तो दशकों से सनातन को, देवी-देवताओं को गाली देने का काम किया है।

संबित पात्रा ने किया भगवान जगन्नाथ का घोर अपमान बताया मोदी का भक्त

लोकसभा चुनाव 2024 चल रहा है, भाजपा 400 पार के प्रति आश्वस्त दिख रही है। सभी नेता चुनावी सभा, रोड शो में व्यस्त हैं और भाषणबाजी कर रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव में मोदी को 75 बताने वाले सभी युवाओं के साथ समस्या ये है कि कोई 1 दिन भी मोदी के साथ नहीं चल सकता।

भाजपा नेता संबित पात्रा जो कि पुरी लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी भी हैं अपना चुनाव प्रचार कर रहे हैं और मोदी को भगवान जगन्नाथ का भक्त बताते रहे हैं। लेकिन एक भाषण के क्रम में त्रुटिवश वाक्यप्रवाह में बहते हुये उनसे त्रुटि हो गयी जिसमें उन्होंने मोदी को भगवान जगन्नाथ का भक्त बोलने के बदले भगवान जगन्नाथ को ही मोदी का भक्त बोल दिया और सभी सनातन द्रोहियों ने इसे लेकर हंगामा खड़ा कर दिया है।

इस विडियो में संबित पात्रा को सुना जा सकता है यद्यपि हिन्दी में नहीं बोल रहे हैं लेकिन हिन्दीभाषी को भी समझ आ सकता है।

भगवान जगन्नाथ को बताया मोदी के भक्त

संबित पात्रा के इसी वक्तव्य को लेकर सभी सनातन द्रोही जिन्होंने आजीवन सनातन को गाली दिया है हंगामा करने लगे। ये सत्य है कि संबित पात्रा से त्रुटि हुई किन्तु यह भी सत्य है कि इस विषय को लेकर जो दशकों से सनातन को गाली देने का काम करते रहे हैं उन सनातन द्रोहियों को प्रश्न पूछने का कोई अधिकार ही नहीं है। इस विषय में संबित पात्रा से प्रश्न करना हो अथवा निंदा करनी हो उसे ही अधिकार है जो स्वयं सनातनी है।

सनातन द्रोहियों से जो हंगामा कर रहे हैं कुछ प्रश्न तो अवश्य बनते हैं :

कांग्रेस और इंडी गठबंधन के कई नेताओं ने सनातन को बारम्बार गाली दिया है आपने कब प्रश्न पूछा था ? राहुल गांधी तो वो व्यक्ति है जो जब भी सनातन, मंदिर पर बोलता है सदा अपमान ही करता रहा है, कोट के ऊपर जनेऊ पहनता है क्या कोई सनातनी कोट के ऊपर कभी जनेऊ पहनता है।

  • जनेऊ के अपमान पर किसने प्रश्न किया था, बताये।
  • राहुल गांधी ने कहा था “मंदिर लड़कियों को छेड़ने के लिये जाते हैं”, सनातन द्रोहियों ने यदि राहुल गांधी से इस पर प्रश्न किया हो तो बताये।
  • “लड़कों से गलतियां हो जाती है” इस पर किसी लुटियंस ने प्रश्न किया था तो बताये।
  • “बलात्कार को रोक नहीं सकते तो मस्ती लो” – रमेश कुमार के इस वक्तव्य पर खान मार्केट गैंग ने हंगामा किया था क्या ?
बलात्कार को रोक नहीं सकते तो मस्ती लो

संबित पात्रा की क्षमा याचना और पश्चाताप

एक तरफ ये खान मार्केट गैंग हैं जो सनातन द्रोही है और जब मन सनातन को गाली देते ही रहे हैं, कभी गलती भी माने, गलती को भी सही सिद्ध करने के लिये कुतर्क करते रहे इन्हें इस विषय में कुछ भी बोलने का कोई अधिकार ही नहीं है। ये सनातन का विषय है और सनातन द्रोही इस विषय से दूर ही रहे।

और यदि इतना ही सनातन के हितैषी हो तो मथुरा के मस्जिद की सीढ़ियों में भगवान की प्रतिमायें आज तक क्यों दबी है कुछ हंगामा करो न ! राम लला को अपने देश में न्याय क्यों मांगना पड़ा ? ज्ञानवापी मंदिर को मस्जिद क्यों कहते रहे ? कई ऐसे विडियो आते रहे हैं जिसमें प्रतिमा को विधर्मियों ने भंग किया था, कब प्रश्न पूछा है बताओ ?

निश्चित रूप से संबित पात्रा से गलती हुई और इस पर सनातनी ही पात्रा की आलोचना करनी हो, निंदा करनी हो करेगा सनातन द्रोही नहीं।

संबित पात्रा ने क्षमा याचना किया : आज महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी को लेकर मुझसे जो भूल हुई है, उस विषय को लेकर मेरा अंतर्मन अत्यंत पीड़ित है। मैं महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के चरणों में शीश झुकाकर क्षमा याचना करता हूँ। अपने इस भूल सुधार और पश्चाताप के लिए अगले 3 दिन मैं उपवास पर रहूँगा। जय जगन्नाथ। 🙏

क्षमा याचना करने के साथ ही संबित पात्रा को यह आभास है कि जैसे भी भले ही भूल से हुयी हो किन्तु पाप हुआ है और तीन दिन का उपवास करके उसका प्रायश्चित्त (पश्चाताप) करने की बात भी कही।

बात जब भूल स्वीकार करके पश्चात्ताप करने की हो गयी तो फिर संबित पात्रा और अन्य सनातनी लोगों के मध्य भी यह विचार करने का विषय नहीं बचता। निर्णय करने का अधिकार, क्षमा करना या दंडित करना स्वयं भगवान जगन्नाथ के पास है।

प्रायश्चित्त (पश्चात्ताप) क्या होता है

प्रायश्चित्त (पश्चात्ताप) क्या होता है ये बात सनातन द्रोहियों को समझ भी नहीं आयेगी, और यदि समझ में आ जाये तो इनके इतने पाप हैं कि आजन्म प्रायश्चित्त ही करते रह जायेंगे। उन पापियों को अपने पाप का विचार करना चाहिये संबित पात्रा के पाप का नहीं क्योंकि संबित पात्रा तो पायश्चित्त कर रहा है।

महान उसे ही कहा जाता है जो अपनी भूल को स्वीकार करता है, क्षमायाचना करता है। जो ऐसा नहीं करता वह तो निम्न कोटि का प्राणी होता है और ये सभी सनातन द्रोही अत्यंत निकृष्ट श्रेणी के प्राणी है। पहले तो जान बुझ कर सनातन को गाली देते हैं फिर कुतर्क करते हुये बचाव भी करते हैं कभी भूल नहीं मानते, कभी क्षमायाचना नहीं करते।

प्रायश्चित्त किसी भी त्रुटि के लिये भूल स्वीकार करना और उसके लिये पश्चात्ताप करने का नाम है। त्रुटि होना बड़ी बात नहीं है, प्रत्येक प्राणी से आजीवन कहीं न कहीं ज्ञाताज्ञात त्रुटियां होती ही रहती है। कोई भी यह नहीं सिद्ध कर सकता कि उससे त्रुटि नहीं होती, अपराध नहीं होता, पाप नहीं होता। हां क्षमायाचना नहीं करता हो, पश्चात्ताप नहीं करता हो ये अलग बात है और इसका तात्पर्य है कि वह पापी है। राहुल गांधी ने यदि इस वक्तव्य के लिये कि “लड़कियां छेड़ने के लिये मंदिर जाते है” प्रायश्चित्त नहीं किया है तो वह पापमुक्त नहीं है। शास्त्रों के अनुसार पापियों को देखना भी नहीं चाहिये।

संबित पात्रा यदि पश्चात्ताप कर रहा है तो इसका तात्पर्य यह है कि वह पापमुक्त हो जायेगा। शास्त्रों का यही विधान है। किसी भी पाप के लिये प्रायश्चित्त करने से वह पाप नष्ट हो जाता है। हमें यह तो नहीं ज्ञात है कि संबित पात्रा ने स्वयं प्रायश्चित्त का निर्णय किया या विद्वान ब्राह्मण से आज्ञा लिया, लेकिन यह नियम है कि विद्वान ब्राह्मण से आज्ञा लेकर प्रायश्चित्त करने से पाप नष्ट हो जाता है।

संबित पात्रा असली भक्त है या नकली भक्त

वर्त्तमान समय में वो सभी भी स्वयं को हिन्दू कहने लगे हैं जो सदा सनातन को गाली देते हैं, लेकिन देश उन लोगों को सनातन द्रोही ही मानता है। बात संबित पात्रा की करेंगे लेकिन मोदी की भी नहीं करेंगे। चाहे सज्जन हो या दुर्जन हो अधिक समय तक सच को छुपा नहीं सकता, कई बार बड़े-बड़े महात्मा भी स्वयं को छुपाने का प्रयास करते हैं, दुर्जन तो सदा करता है और कालनेमी का रूप धारण करता है। हमें यह समझना आवश्यक है कि संबित पात्रा कालनेमी है या नहीं।

इसके लिये हमें संबित पात्रा जो पद्मश्री कैलाश शेखर के साथ भगवती की स्तुति कर रहे हैं उस विडियो का गंभीरता से अवलोकन करना होगा और इससे स्पष्ट हो जायेगा कि संबित पात्रा कालनेमी है या नहीं। यह विडियो संबित पात्रा ने अपने X पर साझा किया है।

यदि संबित पात्रा कालनेमी होता तो उस भाव उस तन्मयता से, शुद्धता से स्तुति नहीं कर पाता। बीच में चप्पल खोलकर नहीं हटाता। इसके साथ ही संबित पात्रा ने एक और X भी साझा किया है जिसमें “श्री जगन्नाथाष्टकम” गा रहे हैं और चप्पल नहीं है।

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