अब पूरा विपक्ष ये चिल्लाने लगा है कि सनातन संकट में नहीं है झूठ बताया जा रहा है। लेकिन जहां विपक्ष की सरकार है वहां खुलकर सनातन के विरुद्ध काम करती है। प्राप्त समाचार के अनुसार कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और मेरे विरुद्ध साथ ही कर्नाटक सरकार के विरुद्ध कन्नूर के तलिपरम्बा में स्थित श्री राज राजेश्वरी मंदिर में “शत्रु भैरवी यज्ञ” (अग्नि यज्ञ) किया गया है। किया तो किया ! सनातनी शत्रु नाशक प्रयोग क्यों नहीं करेगा ? जो भी सनातन द्रोही हैं उनके विरुद्ध सम्पूर्ण भारत में शत्रु विनाशक प्रयोग किया जायेगा।
घनघोर सनातन द्रोही अब लोगों को पूजा-पाठ-अनुष्ठान-यज्ञ भी नहीं करने देंगे
घनघोर सनातन द्रोही कांग्रेस व विपक्षियों की जहाँ सरकार है अब वहां लोगों को पूजा-पाठ-अनुष्ठान-यज्ञ भी नहीं करने देंगे। कर्नाटक और केरल दोनों ही राज्यों में सनातन द्रोही सरकार है। इन राज्यों में गोवध और गोमांस भक्षण पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यद्यपि कर्नाटक में भाजपा सरकार ने 2021 में प्रतिबंध लगा दिया है किन्तु चुनाव और कांग्रेस सरकार बनने पर गोहत्या रोधी बिल को वापस लेने की चर्चा भी जोर-शोर से हुयी थी।
लेकिन इन्हीं राज्यों में सनातन का बलिप्रथा जो शास्त्रोक्त अधिकार है उसे जीवहिंसा कहा जाता है और उस अधिकार का अपहरण कर चुके हैं। पुनः ये वही लोग हैं जिन्हें बकरीद पर जीवहिंसा नहीं दिखती। इन्हें कसाईखानों में जीवहिंसा नहीं दिखती, क्योंकि उसमें कसाई की आय होती है। किन्तु मंदिर में बलि देने पर कसाई की आय नहीं होती है इसलिये मंदिरों में की जाने वाली बलिप्रथा में हिंसा दिखती है। ये वही लोग हैं जिन्होनें लोकसभा चुनाव 2024 में भी खाने-पीने की स्वतंत्रता अर्थात गोहत्या को उचित सिद्ध करने का प्रयास किया है।
कन्नूर की घटना
ऑप इंडिया में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने आरोप लगाया था कि केरल के “राजराजेश्वरी मंदिर” में ‘अघोरियों’ के परामर्श से ‘तांत्रिकों’ द्वारा किए गए ‘शत्रु भैरव यज्ञ’ के तहत 21 बकरियों, तीन भैंसों, 21 काली भेड़ों और पाँच सूअरों की बलि दी गई।
उन्होंने कहा कि शत्रुओं के विनाश के उद्देश्य से किया गया यह यज्ञ उनके, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार के खिलाफ था। कॉन्ग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें इस अनुष्ठान के बारे में लिखित जानकारी मिली है, जिसमें इसका स्थान और इसमें शामिल व्यक्ति शामिल हैं। उन्होंने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के शामिल होने का संकेत दिया, लेकिन किसी खास व्यक्ति का नाम नहीं लिया।
#24KaChakravarti | कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने दावा किया कि केरल से कर्नाटक सरकार को गिराने की साजिश रची जा रही है. डीके शिवकुमार ने दावा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ केरल के एक मंदिर में ‘शत्रु भैरवी यज्ञ’ का अनुष्ठान… pic.twitter.com/ADLFNbyAJ7
— Bharat 24 – Vision Of New India (@Bharat24Liv) May 31, 2024
वहीं केरल में कर्नाटक सरकार को डिस्टर्ब करने के लिए काला जादू का आरोप लगाने वाले डीके शिवकुमार को केरल सरकार के मंत्रियों ने जमकर घेरा है। केरल सरकार ने आरोप लगाया है कि डीके हिंदुओं को बदनाम करने के लिए इस तरह की बात कर रहे हैं। केरल सरकार के मंत्रियों ने पुलिस जाँच के बाद शिवकुमार के आरोपों को खारिज कर दिया है। इस प्रकरण में केरल के सनातन द्रोही वामपंथी भी कांग्रेस का विरोध करने लगे।
मुख्य विषय क्या है सनातन का यज्ञ या बलि
वास्तव में सनातन द्रोहियों के लिये दोनों ही निशाने पर हैं और यही कारण है कि कसाईखानों में जीवहिंसा नहीं मानते परन्तु यदि शास्त्रोक्त अधिकार का प्रयोग करते हुये यदि कोई सनातनी बलि प्रदान करे तो उसमें जीवहिंसा दिखाई देती है। सड़कों के किनारे टंगे हुये खाल छिले बकड़े इनको नहीं दिखते किन्तु मंदिरों में दी जाने वाली बलि दिखती है और अहिंसा का पाठ पढ़ाने लगते हैं।
इनका सनातन द्रोह तो जगजाहिर है अब ये सनातनी पूजा-पाठ-यज्ञ-अनुष्ठान पर भी प्रहार करने लगे हैं। यदि शत्रु नाश के नाम पर कर्मकांड को अनुचित सिद्ध किया जा सकता है तब तो सभी पूजा, पाठ, हवन, अनुष्ठान, यज्ञ को ही ये प्रतिबंधित कर देंगे। प्रत्येक पूजा-पाठ के संकल्प में शत्रु पर विजयप्राप्ति की कामना जोड़ी जाती है, इस प्रकार तो इनके कुतर्क से सम्पूर्ण कर्मकांड ही प्रतिबंधित हो जाना चाहिये।
प्रत्येक सनातनी को अधिकार है कि वो सनातन द्रोहियों के विनाश के लिये जो भी कर्मकांड कर सकता हो करे। जिसे मन हो बगलामुखी जप करे, जिसे मन हो श्मशानवासी शिव का तेल से रुद्राभिषेक करे और सनातन द्रोहियों के नाश की कामना करे। पूरा भारत प्रत्येक दिन नारा लगाता है – “अधर्म का नाश हो”, इसमें भी सनातन द्रोही सम्मिलित हैं, सनातन द्रोही ही तो मुख्य अधर्मी हैं।
मात्र कर्नाटक सरकार के लिये ही क्यों, पूरे कांग्रेस के समूल नाश के लिये ऐसे प्रयोग जिसे इच्छा हो कर सकता है। जिन राज्यों में बलि प्रथा पर प्रतिबन्ध है तो वो मात्र बलिप्रथा प्रतिबन्ध कानून के संदर्भ में कुछ कहें तो उचित हो सकता है किन्तु यदि बलिप्रथा कानून की ओट लेकर सनातनी कर्मकांड, मंदिरों पर प्रहार करना चाहते हैं तो ये उनका सनातन द्रोह ही कहा जा सकता है।
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