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संविधान की रक्षा कौन करेगा

संविधान की रक्षा कौन करेगा

देश की नई संसद में कल पहले सत्र का पहला दिन था जिसमें पहली बार शपथ ग्रहण समारोह हो रहा था। विपक्षी संविधान की प्रति लेकर विरोध प्रदर्शन करते देखे गये। कांग्रेस + 10 वर्षों से संविधान संविधान संविधान चिल्लाते रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भी संविधान संविधान रटा गया था और अब संसद में भी वही करना चाहते हैं। इस प्रकार से हों या न हों संविधान पर सार्वजनिक विमर्श प्रतिदिन होते रहना चाहिये, उस स्थिति में तो और अधिक आवश्यकता है जब संविधान को खतरे में बताया जा रहा हो।

संविधान की रक्षा कौन करेगा

जब कोई व्यक्ति या समूह ये कहे कि वो संविधान की रक्षा करेंगे तो उस व्यक्ति/समूह के इतिहास का गंभीरता से अवलोकन करना चाहिये। उस व्यक्ति/समूह के नारों पर नहीं उसने पीछे क्या-क्या किया था उस पर विश्वास करना चाहिये। आपने ऐसी कहानी पढ़ी होगी जिसमें एक चलने-फिरने में असमर्थ शेर शाकाहारी होने का झूठा दावा करके अपने शिकार को भ्रमित करता है और जैसे ही भ्रमित होकर उसका शिकार निकट आता है शिकार बना लेता है।

किसकी गलती कहेंगे चलने-फिरने में असमर्थ वृद्ध शेर की या शिकार बने जीव की ? वृद्ध शेर की कोई गलती नहीं कहेगा क्योंकि ये जगजाहिर है कि शेर मांसाहारी पशु है और गंगा में प्रवेश करके शाकाहारी हो जाने की शपथ भी ले तो भी वो शाकाहारी नहीं हो सकता। लेकिन जो भ्रमित होकर शेर की बातों में फंस जाने वाला शिकार विश्वास करके निकट चला जाता है गलती उसकी ही है। सभी उसकी गलती ही कहेंगे।

जिस कांग्रेस ने कभी भी संविधान की मर्यादाओं का पालन नहीं किया वो कांग्रेस यदि आज सत्ता से दूर है तो संविधान की रक्षिका होने का दावा कर रही है तो ये गलती उसकी नहीं है उसे तो सत्ता चाहिये। गलती उसकी होगी जो कांग्रेस के संविधान की रक्षा करने वाली बात का विश्वास कर लेगा।

कांग्रेस आज संविधान की रक्षा करने की बात करती है, हाथों में संविधान लेकर नेता फोटो खिंचवाते हैं, “संविधान की रक्षा कौन करेगा – हम करेंगे, हम करेंगे” का नारा लगाती है उसके नारे, फोटो, वक्तव्यों पर विश्वास करना मूर्खता के अतिरिक्त और कुछ नहीं होगा। एक विवेकी जन को कांग्रेस का इतिहास पता करना चाहिये कि आज विपक्ष में होने पर जो दावा कर रही है जब सत्ता में थी तब ऐसा कुछ किया भी था या नहीं ?

संविधान को 125 बार बदला गया, 5 बार सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय पलटा गया लेकिन तुष्टिकरण के चक्कर में मूल संविधान 100% लागू नहीं किया गया, और इसके लिये यदि कोई उत्तरदायी है तो वो …..

नेहरू ने 16 बार संविधान बदला ! इंदिरा ने 31 बार संविधान बदला ! राजीव ने 11 बार संविधान बदला ! सोनिया ने (परोक्षतः) 6 बार संविधान बदला ! जितने वर्षों तक कांग्रेस सत्ता में रही उससे अधिक बार संविधान को बदल चुकी है। राजीव गांधी का एक वक्तव्य अभी भी सोशल मीडिया पर मिल जाता है जिसमें वो सार्वजनिक रूप से संविधान बदलने की बात करते हैं।

लोकतंत्र की हत्या

कांग्रेस (और परिवार विशेष) कहीं देश को यह तो नहीं समझा रही है कि देश उसकी बपौती है और संविधान बदलने का अधिकार मात्र उसे है, भाजपा सरकार को नहीं है। क्योंकि राजीव गांधी ने कहा है, बार-बार कांग्रेस सरकार ने संविधान बदला है किन्तु भाजपा को संविधान बदलने नहीं देंगे भले ही उसकी सरकार क्यों न हो ये भी कहा जा रहा है। क्या यही लोकतंत्र है ? क्या इसी लोकतंत्र की दुहाई देते रहते हैं। सरकार यदि कांग्रेस की हो तो वो संविधान बदल सकती है किन्तु सरकार यदि भाजपा की हो तो नहीं ये लोकतंत्र की हत्या नहीं तो क्या है ?

लोकतंत्र की हत्या करने का प्रयास तो 50 वर्ष पहले आज के दिन इंदिरा गाँधी ने किया था जिसे आयरन लेडी भी कहते हैं। 25 जून 1975 की घटना लोकतंत्र और संविधान की हत्या नहीं थी तो क्या था ? तानाशाही नहीं तो और क्या थी ?

लगभग 2 वर्षों तक इंदिरा गांधी ने देश में तानाशाही चलाई थी। लेकिन आज उनके पोता मोदी को तानाशाह कहते रहते हैं।

  • भारत में सबसे पहले चुनाव फिक्सिंग नेहरू ने की थी ! सरदार वल्लभ भाई पटेल को 14 वोट और नेहरू को 0 ( शून्य ) वोट !
  • विजई : नेहरू
  • क्या ये संविधान और लोकतंत्र की रक्षा थी ?
  • जब सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पलट दिये जाते थे वो संविधान की रक्षा होती थी ?
  • जब राजीव गांधी संविधान बदलने का सार्वजनिक वक्तव्य देते थे तब संविधान खतड़े में कैसे नहीं होता था ?

तब की कांग्रेस और आज की कांग्रेस

  • तब की कांग्रेस सत्ता में रहती थी तो संविधान खतड़े में नहीं होता था, आज की कांग्रेस विपक्ष में है तो संविधान खतड़े में है।
  • तब की कांग्रेस ने सत्ता का दुरुपयोग करके आपातकाल लगाया था किन्तु तब संविधान खतड़े में नहीं था, आज की कांग्रेस सत्ता में नहीं है और आपातकाल नहीं लगा सकती तो संविधान खतड़े में है।
  • तब की कांग्रेस सत्ता में थी और जम्मू-कश्मीर में संविधान प्रभावी नहीं होता था तो संविधान खतड़े में नहीं था, आज की कांग्रेस सत्ता में नहीं है और जम्मू-कश्मीर में संविधान प्रभावी है तो संविधान खतड़े में है।
  • जब तक सत्ता कांग्रेस की बपौती रही तब तक संविधान और लोकतंत्र खतड़े में नहीं था, जब कांग्रेस सत्ता से बाहर निकाल दी गयी तो संविधान और लोकतंत्र खतड़े में है।

पता नहीं जी कौन सा नशा करते हैं : यदि लोकतंत्र और संविधान का अस्तित्व कांग्रेस के सत्ता में होने से है तो वो लोकतंत्र कहा ही कैसे जा सकता है, संविधान को प्रभावी कैसे माना जा सकता है। लोकतंत्र और संविधान तो तभी खतड़े में नहीं माना जा सकता जब जनादेश का सम्मान हो। कांग्रेस जनादेश का अपमान भी करे तो लोकतंत्र सुरक्षित है और मोदी जनादेश से प्रधानमंत्री बने तो संविधान खतड़े में है इस कुतर्क का आधार क्या है जी ? सम्पूर्ण तथ्य को यदि एक पंक्ति में कहा जाय तो एक गाने की पंक्ति में कहा जा सकता है : “पता नहीं जी कौन सा नशा करते हैं”

निष्कर्ष : कांग्रेस किस संविधान की बात करती है और किस प्रकार रक्षा करती है ये समझना आवश्यक है। यदि इसे इतिहास के आधार पर नहीं समझा जाय तो मात्र संविधान की रक्षा हम करेंगे का नारे लगाने से समझा जाता है तो वो निराधार होगा। यदि किसी के कहने मात्र से संविधान और लोकतंत्र खतड़े में है तो तब क्या था जब आपातकाल लगाया गया था ? देश न तो कांग्रेस की बपौती है और न ही कांग्रेस सत्ता में रहे तभी तक लोकतंत्र और संविधान सुरक्षित रहता है, अपितु इतिहास बताता है कि इनके शासनकाल में अधिक खतड़ा रहा है, लोकतंत्र और संविधान पर प्रहार किये गये थे।

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