सभी देशों से प्रतिवर्ष कुछ लोग देश छोड़ते हैं और कुछ लोग देश में आते हैं। ये निश्चित रूप से है कि देश छोड़ने वाले गरीब नहीं होते, देश छोड़कर दूसरे देश की नागरिकता लेने के लिये वहां भूमि, आवास आदि की आवश्यकता निश्चित रूप से होती है और अमीर लोग ही ऐसा कर सकते हैं। गरीबों के लिये तो विदेश जाना भी एक सपना मात्र ही होता है। अचानक से करोड़पति देश छोड़कर भागने क्यों लगे यह एक गंभीर विषय है और मीडिया व विपक्ष को भी इस पर चिल्लाते देखा जा सकता है। यहां हम कारणों को समझने का प्रयास करेंगे।
करोड़पति देश छोड़कर क्यों भागने लगे
एक सूचना ऐसी भी है जिसमें बताया गया है कि प्रतिदिन औसतन 350 लोग भारतीय नागरिकता छोड़ते हैं। पिछले 7 वर्षों में 8.81 लाख लोगों ने देश छोड़ा है। अप्रैल-मई-जून में प्रतिवर्ष ऐसा बताया जाता है ये कई वर्षों से हो रहा है सरकार की नीतियों को गलत बताया जाता है। देश छोड़ने की यह सूचना अप्रैल – जून 2022 की है न कि 2024 की। आंकड़ों में थोड़ा अंतर भी हो सकता है और ये आंकड़े मोदी सरकार को निशाने पर लेने के लिये प्रदर्शित किये जाते हैं। क्योंकि इससे पूर्व का कोई आंकड़ा प्रस्तुत नहीं किया जाता।
2023 में भी 6500 करोड़पति के देश छोड़ने की चर्चा की गयी थी। इसी प्रकार 2021 में भी किया गया था, 2024 में किया जायेगा तो ये कोई पहली बार नहीं किया जा रहा है और कोई नहीं बात नहीं है। 2018 के लिये ही यह भी बताया जा रहा था कि 5000 करोड़पतियों ने भारत छोड़ा है। इसके साथ कई भ्रामक सोशलमीडिया पोस्टों में 2018 के लिये यह आंकड़ा 20000, 23000 भी बताया जा रहा था।
करोड़पतियों के देश छोड़कर जाने के विषय को 2022 में थोड़ा अधिक बड़ा बनाने का प्रयास किया गया था। अबकी बार 2024 में भी संभवतः बड़ा बनाने का प्रयास किया जा सकता है क्योंकि कांग्रेस ने X करके मीडिया को उठाने का संकेत कर दिया है।
#आज_की_ताज़ा_खबर
— News18 India (@News18India) May 11, 2019
पिछले एक साल में भारत के हज़ारों करोड़पति देश छोड़कर विदेश में जा बसे, रिपोर्ट में सामने आई वजह. pic.twitter.com/l5A93gJk2F
किसी-किसी आंकड़े में रूस को प्रथम, चीन को द्वितीय और भारत को तृतीय स्थान पर बताया जाता है। लेकिन कोई भी आंकड़े सच्चाई बताने वाले नहीं होते सब जनता को भ्रमित करने के लिये प्रसारित किये जाते हैं जैसे महाराष्ट्र के एक समाचार पत्र (मिड डे) ने EVM को लेकर OTP वाली भ्रामक सूचना प्रसारित कर दिया था।
जब से मोदी सरकार बनी है तबसे ही अमीरों को देश में रहने की इच्छा समाप्त हो गयी है और वो देश छोड़ने लगे हैं यह प्रारंभिक वर्षों से ही बताया जा रहा है। हर बार इसे बड़ा विषय बनाने का प्रयास किया जाता है किन्तु सफलता नहीं मिल पाती है। अबकी बार क्या होगा यह तो आगे देखने को मिलेगा ? 4300 करोड़पतियों के भारत छोड़ने की बात जो की जा रही है वो 2024 के बारे में कहा जा रहा है।
‘हेनले प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट 2023‘ के अनुसार इस वर्ष देश के 6500 करोडपति भारत छोडकर विदेश में बसने जायेंगे। यदि 2023 में 6500 करोड़पतियों ने भारत छोड़ा था और 2024 में 4300 करोड़पति भारत छोड़ेंगे तो ये सकारात्मक है या नकारात्मक ? इस वर्ष आंकड़े में कमी आयेगी या वृद्धि होगी ?
देश की नागरिकता छोड़ने वाले देशों में प्रथम स्थान पर चीन आता है और दूसरे स्थान पर भारत। ये स्वाभाविक है क्योंकि तुलना प्रतिशत में होनी चाहिये जो नहीं की जाती है तुलना संख्या में की जाती है और यह तुलना ही गलत है। जहां जनसंख्या ही अधिक है वहां अमीरों की संख्या भी अधिक होगी, गरीबों की संख्या भी अधिक होगी, देश छोड़ने वालों की संख्या भी अधिक होगी। इन सभी विषयों का यदि सम्यक अध्ययन करना हो तो संख्या के आधार पर नहीं प्रतिशत के आधार पर अध्ययन करना चाहिये।
विपक्ष सीधे-सीधे संख्यात्मक आधार पर प्रस्तुत किये गये आकंड़ों को लेकर सरकार की नीति को गलत बता बैठा। सबसे पहले विपक्ष और मुख्य रूप से कांग्रेस की गतिविधि और योगदान को समझने का प्रयास करेंगे।
करोड़पति देश छोड़कर भागने लगे, सरकार की नीति गलत
यह रिपोर्ट सही है कि इस वर्ष 4300 करोड़पति देश छोड़ने वाले हैं, लेकिन उससे कई गुना अधिक लोग करोड़पति बनने ये नहीं बताया जायेगा। हमें इसका कारण ढूंढना चाहिये कि आखिर करोड़पति देश छोड़ क्यों रहे हैं ? विपक्ष इसके लिये सरकार पर आरोप लगा रही है सरकार विपक्ष पर भी लगा सकती है।
अचानक से जो करोड़पति के देश छोड़ने का आंकड़ा बढ़ गया इसमें क्या एक बड़ा कारण ये नहीं है कि सरकार कमजोर बनी, विपक्ष मजबूत बन गया ? करोड़पतियों को सरकार पर तो विश्वास है किन्तु विपक्ष पर नहीं और इसलिये देश छोड़ने की सोचने लगे, ऐसा क्यों नहीं कहा जा सकता है ?
- विपक्ष लगातार दस वर्षों से अमीरों के विरुद्ध वक्तव्य देती रही है।
- कांग्रेस तो सामाजिक न्याय के नाम पर अमीरों के पैसे छीन कर गरीबों में बांटने की बात कर रही थी, क्या करोड़पति को विपक्षियों के इस नीति का डर नहीं लगा ?
- अमीरों से कर लेकर उससे तुष्टिकरण किया जाता रहा है, क्या ये अमीरों की समस्या नहीं है ?
- वक्फबोर्ड संपत्ति हड़पता है क्या ये डर का कारण नहीं है ?
- पत्थरबाजों से डर गये हों ये क्यों नहीं हो सकता ?
- आगजनी की घटनाओं से डर गये हों ये क्यों नहीं हो सकता ?
4,300 करोड़पति इस साल भारत छोड़ देंगे.
— Congress (@INCIndia) June 22, 2024
ये चौकाने वाली रिपोर्ट है.
नरेंद्र मोदी की सरकार में लोग देश की नागरिकता छोड़ रहे हैं.
ये बताता है कि 👇
• लोगों में सरकार के प्रति अविश्वास है.
• सरकार की नीतियां खराब हैं.
• नफरत की राजनीति से लोग दूर भाग रहे.
• उन्हें अपने… pic.twitter.com/eeNhWYmg9P
समाचार की विश्वसनीयता
एक बार हम समाचार की विश्वसनीयता को भी समझने का प्रयास करेंगे। अनुमान करने वाली एजेंसी ने 2023 के 6500 करोड़पतियों के देश छोड़ने की बात कही थी और 2024 में 4300 बता रहे हैं। समाचार में यह भी बताया जा रहा है कि 2023 में 51000 करोड़पति देश छोड़कर चले गये थे। कहां 6500 का अनुमान और कहां 51000 छोड़कर चले गये। पुनः कहां तो पिछले वर्ष 51000 करोड़पति देश छोड़कर चले गये और कहां 2024 में 4300 करोड़पति ही देश छोड़ेंगे। है न भ्रामक ?
अब प्रश्न 51000 करोड़पतियों के देश छोड़ने के आंकड़े की है। क्या यह पूरे विश्व का आंकड़ा है और यदि पूरे विश्व से 51000 करोड़पतियों ने देश छोड़ा है तो ये बताया क्यों नहीं गया ? इस प्रकार क्यों बताया गया जैसे कि 51000 भारतीय करोड़पति ही देश छोड़कर चले गये ?
संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, 22 जून, 2024 तक भारत की जनसंख्या दुनिया की कुल आबादी का 17.76% है। फिर यदि विश्व में करोड़पतियों के देश छोड़ने की संख्या यदि 51000 है और उसमें से 5100 भारतीय हैं तो ये 10% ही है। कहां जनसंख्या लगभग 18% और देश छोड़ने वालों की संख्या 10% मात्र तो 8% का सकारात्मक अंतर है। यह कौन बतायेगा या क्यों छुपाया गया ?
अब दूसरे समचार चैनल की रिपोर्ट जानिये जो बताता है कि 2022 में 7000 करोड़पतियों ने भारत छोड़ा था, 2023 में 5100 ने और 2024 का अनुमान 4300 लगाया गया है। ये तीनों आंकड़े मोदीकाल के ही हैं। आंकड़े क्या बता रहे हैं सकारात्मक लेना चाहिये या नकारात्मक ?
जब ये सकारात्मक बता रहा है फिर भी कांग्रेस इसे नकारात्मक सिद्ध करने का ही प्रयास करने में जुटी हुई है।
भारतीय मूल का डंका
इन्हीं समाचार चैनलों (khan market gang) पर विदेशों में भारतीय मूल के बड़े-बड़े अधिकारी होने का भी डंका बजाया जाता है। यदि विदेशों में भारतीय मूल के अधिकारी होने का डंका बजाना सही है तो देश छोड़कर जाने को आप गलत कैसे कह सकते हैं ? यदि देश छोड़कर जायेंगे नहीं तो विदेशों में बड़े-बड़े अधिकारी और पद प्राप्त कैसे करेंगे ? दोनों समाचार परस्पर विरोधाभास उत्पन्न करता है। यदि विदेशों में बड़े-बड़े पद प्राप्त करना सकारात्मक है तो देश छोड़ना भी सकारात्मक ही लेना होगा क्योंकि इससे विदेशों में और भी बड़े-बड़े पद प्राप्त करेंगे।
यदि देश छोड़कर जाने का विषय नकारात्मक है तो फिर कभी ये डंका मत पीटा करो कि विदेशों में बड़े-बड़े पद पर भारतीय हैं। वो तो देश छोड़कर चले गये थे न फिर डंका क्यों बजाते हो ?
देश छोड़ने का कारण
देश छोड़ने के कारण में सबसे बड़ा कारण UAE जाने वालों का इनकम टैक्स छूट बताते हैं। ये कारण नहीं बताते अपितु और अमीरों को देश छोड़ने के लिये प्रेरित करते हैं। इन्हें वास्तव में दर्द है कि 2024 में 4300 करोड़पति ही भारत क्यों छोड़ेंगे और अधिक होने चाहिये। जो इस प्रकार की सूचना दे रहे हैं उनकी जांच होनी चाहिये कि उनका उद्देश्य क्या था ? क्या विदेशी फंडिग के कारण ऐसा कर रहे थे ?
यदि टैक्स ही देश छोड़ने का कारण है तो सभी करदाताओं को देश छोड़ देना चाहिये। 1.4 अरब की जनसंख्या में करोड़ों करोड़पति होंगे। 4300 जो भाग रहे हैं वो भ्रष्टाचारी नहीं थे इसका क्या प्रमाण है। टैक्स से बचने के लिये ही भाग रहे हैं इसका क्या प्रमाण है ? भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा रहा है इस कारण से भ्रष्टाचारी देश छोड़कर जा रहे हैं ऐसा क्यों नहीं हो सकता ?
समाचार का उद्देश्य
सबसे गंभीर विषय समाचार का उद्देश्य समझना है। आंकड़े सकारात्मक हैं फिर भी नकारात्मक रूप से प्रस्तुत किया जा रहा है। मात्र भारतीय ही देश नहीं छोड़ते पूरी दुनियां में लोग अपना देश छोड़ते हैं। देश छोड़ने वाले को ही NRI कहा जाता है न। भारत के लिये तो NRI भी गर्वान्वित करने वाले सिद्ध हो रहे हैं। फिर रोना क्यों रोया जा रहा है ?
भ्रष्टाचार पर प्रहार : मोदी सरकार लगातार भ्रष्टाचार पर प्रहार कर रही है और ऐसा हो सकता है कि यह सरकार को डराने के लिये कि भ्रष्टाचार पर प्रहार मत करो किया जा रहा है। उसमें भी जब कांग्रेस कूद गयी हो तो इसकी और अधिक संभावना बनती है। ऐसा प्रतीत होता है कि इनका उद्देश्य भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार की नीति को प्रभावित करना है।
UAE जाना : UAE जाने का आंकड़ा सर्वाधिक बताया जा रहा है। यदि UAE सर्वाधिक लोग जा रहे हैं तो यह समझा जा सकता है कि उनमें किसकी संख्या अधिक होगी। यहां भी सरकार को नीति बदलने के लिये प्रेरित किया जा रहा है, संभवतः तीन तलाक, बुर्का, हिजाब, एक देश एक कानून आदि विषय पर सरकार को पीछे होने के लिये कहा जा रहा है। लेकिन यदि इन विषयों के कारण लोग भारत छोड़ रहे हैं तो अच्छा ही है न।
डर का माहौल : यद्यपि कम होते आंकड़ों से ये असिद्ध हो जाता है कि करोड़पतियों में डर का माहौल है। तथापि कांग्रेस ने तो दस वर्षों में इसके लिये अथक प्रयास किया है कि अमीरों में डर का माहौल बने। लोकसभा चुनाव तक में ऐसा किया गया। जब संपत्ति स्कैन करके अमीरों से छीनने की और गरीबों में बांटने की बात करोगे तो अमीरों को डर लगेगा ही। यदि ऐसी संभावना बनती है तो 4300 ही क्या 4300000 करोड़पति देश छोड़कर चले जायें तो भी आश्चर्य की बात नहीं होगी।
वो तो अच्छा हुआ कि भाजपा की सरकार बन गयी अन्यथा जिस प्रकार से कांग्रेस ने संपत्ति विभाजन और विरासत टैक्स आदि का विषय उठाकर अपनी सोच बताई थी ये आंकड़े कई गुना अधिक होते। कांग्रेस और इंडि गठबंधन की सरकार नहीं बनी इसलिये आंकड़े में कमी देखी जा रही है। आप अमीरों की संपत्ति छीनने की बात भी करो और अमीर देश भी न छोड़ें दोनों नहीं हो सकता और दोनों विषय आप उठा भी नहीं सकते।
टैक्स की समस्या : जहां तक टैक्स संबंधी समस्या की बात है तो ये पूर्ण सत्य नहीं है। देश छोड़ने वालों को भी अच्छी तरह से पता है कि जब विदेशों में जहां उन्हें आज टैक्स नहीं लगेगा आगे जाकर सरिया भी लग सकता है। अतः टैक्स के कारण देश छोड़ रहे हैं यह असत्य है। समस्या ये अवश्य हो सकती है कि सरकार टैक्स के पैसे का उपयोग कहां करती है और जब यह ज्ञात होता है कि उपयोग तुष्टिकरण के लिये किया जाता है, आरक्षण के लिये किया जाता है तो इसपर चिंता अवश्य हो सकती है।
हम तो चले परदेश
हम तो चले परदेश कोई नया गाना नहीं है और ये प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। सभी देशों के लोग परदेश जाते रहे हैं और भारत में आने का ही विशेष रुख रहा है। अभी भी आ ही रहे हैं भले ही घुसपैठिया बनकर क्यों न आ रहे हैं। बात अमीरों के जाने की जितनी गंभीर है उससे अधिक घुसपैठियों के आने की है क्योंकि घुसपैठियों का भार भी अंततः अमीरों के कंधे पर ही जाता है। वो घुसपैठियों का भार क्यों ढोयें ?
कारणों की खोज यदि करते रहें तो अंततः सभी कारण कांग्रेस और विपक्षियों को ही अधिक दोषी बताते हैं। हां एक दो कारण जिसकी चर्चा ऊपर की जा चुकी है वो सरकार को भी दोषी बताते हैं किन्तु यदि वही कारण है तो और लोगों को देश छोड़ना चाहिये ये आंकड़ा कम है और कम आंकड़ा चिंता का विषय होना चाहिये। जितने अधिक भ्रष्टाचारी, संस्कृति द्रोही देश छोड़ेंगे उतना ही अच्छा होगा।
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