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Election Topic : पांच बड़े चुनावी मुद्दे, लोकसभा चुनाव 2024

Election Topic : पांच बड़े चुनावी मुद्दे लोकसभा चुनाव 2024

ऐसा देखा जा रहा है कि धर्म चुनाव का मुद्दा नहीं होना चाहिये चुनाव का मुद्दा विकास होना चाहिये, लेकिन विकास के बारे में न तो भूत की याद न वर्तमान की चर्चा न भविष्य की कोई रूपरेखा बताएंगे, लेकिन पाकिस्तान को चुनाव में नहीं लाना चाहिए ये फिर कहेंगे।

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Election Topic : पांच बड़े चुनावी मुद्दे

विकास मोदी के लिये उस चुनाव में चुनाव का मुद्दा था जब सड़कें टूटी हुई थी, बिजली हर गांव नहीं पहुंच पाई थी, गरीबों के झोंपड़ी हर जगह नजर आते थे, सामान्य लोगों के घर में शौचालय नहीं थे, सामान्य फीचर फोन रखना भी गरीबों के बस की बात नहीं थी, बहुत कम लोगों के घरों में गैस कनेक्शन था उनको भी सिलेंडर रीफिल कराने के लिये घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ता था, यदि 2-4 कुछ ट्रेन को छोड़ दिया जाय तो ट्रेन का मतलब ही लेट समझा जाता था, गरीब लोग बैंक देखने में भी नहीं जाते थे इत्यादि बहुत सारी बातें हैं जो सामान्य जनों के लिये विकास के मुद्दे का तात्पर्य होता है। 

वर्त्तमान भारत की स्थिति 

आज स्थिति बिल्कुल विपरीत है सड़कों का काया पलट हो गया है, और पिछली सरकार के कार्य इससे तुलना करने लायक भी नहीं है और जनता सड़कों पर चल रही है, इसी तरह सुदूर के गांवों में भी बिजली पहुंच गई है, हर घर शौचालय बन गया है, सामान्य फीचर फोन नहीं गरीबों के हाथ में भी एंड्रॉयड फोन है जो कभी सपने में सोचने की हिम्मत नहीं थी, सबके घरों में गैस कनेक्शन है और कहीं गये बिना घर पर सिलेंडर पहुंचता है, कुछ ट्रेनों को छोड़ दें तो लगभग सभी ट्रेनें तय समय से चलने लगी है, ट्रेन में गरीब भी गद्देदार सीट पर बैठ पा रहा है, गरीब से गरीब का बैंक खाता खुल गया और पैसे का लेनदेन भी किया जाता है इत्यादि-इत्यादि।

इससे आगे बढ़ें तो विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, प्रशिक्षण संसंस्थान आदि की संख्या, आधुनिकता, चिकित्सालय, चिकित्सा सुविधाओं की सामान्य जनों के लिये उपलब्धता, तकनीक का विकास, अनुसंधान इत्यादि अनेकों विषय हैं जिनको विकास का मुद्दा कहा जा सकता है। 

यदि आज दिया जलाकर ढूंढने पर भी लालटेन का मिलना मुश्किल है तो ये क्या है ? पहले घर-घर में हाथ सेझलने वाले ढेरों पंखे होते थे वो भी पुराने, कपड़े की पट्टी देकर सिले हुये आज घर-घर में बिजली के पंखे हैं और चल भी रहे हैं तो ये क्या है विकास नहीं है क्या ? यदि ये विकास है तो जनता इस विकास को जान रही है, समझ रही है और विकास का मुद्दा चिल्लाने वालों के “भेड़ के खाल में छिपा भेड़िया” वाल वास्तविक रूप भी देख रही है। मोदी ने इशारे-इशारे में जनता को बता दिया यही लोग चट्टे-बट्टे हैं। 

विकास के मुद्दे पर चुनाव होना चाहिये 

जिसे भी ऐसा लगता है वो गलत तो नहीं किन्तु पूर्ण सत्य भी नहीं है अर्द्ध सत्य है। उसके बाद विकास का क्या मुद्दा हो कैसे आकलन हो इसके बारे में दो शब्द भी नहीं बोल पाता। निश्चित रूप से ये कटु शब्द उन मीडिया के चट्टे-बट्टों के लिये भी है जो कहते हैं कि चुनाव में हिन्दू-मुसलमान क्यों, चुनाव में पाकिस्तान क्यों ?

जिसे लगता है विकास के मुद्दे पर चुनाव होना चाहिये था वो स्वयं का आकलन करे कि पिछले चुनाव के बाद और वर्त्तमान चुनाव से पहले तक उसने विकास के कितने नए मुद्दे उठाये थे, कितने सुझाव दिये थे और पिछली शताब्दी में न जाये तो न जाये किन्तु 2000 से लेकर 2024 तक के सभी सरकारों के विकास कार्यों का पूरा आंकड़ा पहले प्रस्तुत करे। 

जिस मीडिया ने कभी कोई आंकड़ा ही नहीं जनता को प्रदान किया है, उसे ये कहने का भी अधिकार नहीं है कि मुद्दा क्या होना चाहिये ? पहली बात कि यदि मीडिया जानबूझ कर (बिना किसी कानूनी अड़चन के) जनता से कुछ छिपाती है तो मीडिया स्वयं अपराधी है अथवा स्वयं को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ घोषित करना बंद कर दे। यदि लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ बनना है तो जनता और देश के साथ षड्यंत्र करना बंद करे। 

कहने को सभी सबसे तेज न्यूज देते हैं, सही समाचार देने का दावा करते हैं किन्तु कितना झूठ फैलाते हैं इसका भेद सोशल मीडिया खोल देता है और निर्लज्जता ऐसी कि जब निर्वस्त्र हो जाते हैं तो सोशल मीडिया को ही गाली देने लगते हैं आत्मनिरीक्षण नहीं करते, आत्ममंथन नहीं करते, आत्मसुधार नहीं करते। आये दिन अधिकतर मीडिया के समाचार झूठे सिद्ध होते रहते हैं या समाचार छुपाने का भेद खुल जाता है। 

विकास के मुद्दे पर खुली बहस के लिये स्मृति ईरानी ने चुनौती दे रखा है, मीडिया को यदि विकास के मुद्दे पर बहस कराना है तो तो विपक्ष से कौन बहस में भाग लेगा उसे पकड़कर बैठाये और आमने-सामने बहस करा दे, जनता को सच्चाई पता चल जाएगी। 

पांच बड़े चुनावी मुद्दे

चुनाव के मुद्दों की बात करें तो सबसे बड़े पांच मुद्दे क्या होने चाहिये और क्यों होने चाहिये, कभी इस विषय में मीडिया ने कोई बहस कराया है ? यहाँ हम कारण सहित स्पष्ट करेंगे कि चुनाव के पांच प्रमुख मुद्दे क्या होने चाहिये ?

जीवन : सबसे पहली आवश्यकता होती है जीवन। सभी का जीवन जीने का अधिकार होता है।  जीवन के लिये आहार, जल, वायु की आवश्यकता होती है। जीवन की ये आवश्यकतायें चुनाव का प्रथम विषय होना चाहिये ताकि सबको प्रदूषण रहित आहार, जल और वायु उपलब्ध हो। हम देख रहे हैं कि सभी आवश्यक वस्तुयें प्रदूषित हो गयी है। क्या आज तक किसी ने कहा है कि जीवन चुनाव का मुद्दा होना चाहिये ?  

सुरक्षा : जीवन के बाद जीवन की सुरक्षा दूसरा चुनावी विषय होना चाहिये। 

  • सुरक्षा का प्रथम तात्पर्य है कि किसी का जीवन संसाधनों की कमी के कारण नष्ट न हो। 
  • सुरक्षा का द्वितीय तात्पर्य है कि किसी का जीवन जागरूकता की कमी के कारण नष्ट न हो। 
  • सुरक्षा का तृतीय तात्पर्य है कि किसी का जीवन अपने धार्मिक कृत्यों, परम्पराओं को निभाने के कारण संकट में न पड़े। बार-बार विभिन्न शोभायात्राओं पर पथराव होने की घटना और इससे सम्बंधित घटना, चुनावी हिंसा आदि इसका उदाहरण है जिस दिशा में बहुत कार्य करने की आवश्यकता है। 

शिक्षा : शिक्षा का तात्पर्य है समुचित शिक्षा प्रदान करना। मनुस्मृति फाड़ने वाले, रामायण पर प्रश्नचिह्न खड़ा करना, देश के टुकड़े करने के नारे लगाना इत्यादि कई उदहारण हैं जो ये सिद्ध करते हैं कि शिक्षा व्यवस्था में त्रुटि है। शिक्षा व्यवस्था की त्रुटियों का निवारण करके सबको समुचित शिक्षा उपलब्ध करना जीवन और सुरक्षा के बाद चुनाव का तीसरा महत्वपूर्ण विषय होना चाहिये। मनुस्मृति को जलाना, रामायण पर प्रश्नचिह्न खड़ा करना, देश के टुकड़े करने की बात करना अपनी मां के प्रति दुर्व्यवहार करने के समान है और जो ऐसा करते हैं उसने कितनी भी बड़ी डिग्री प्राप्त किया हो वो मुर्ख है क्योंकि उसे समुचित शिक्षा प्राप्त ही नहीं हुई। 

संस्कृति रक्षा : संस्कृति की रक्षा चुनाव का चतुर्थ महत्वपूर्ण विषय होना चाहिये। जब संस्कृति के सुरक्षा की बात करते हैं तो इसका तात्पर्य यह है कि संस्कृति के बारे में देश की प्राचीन ग्रंथों के आधार पर पहले संस्कृति का मूल स्वरूप स्पष्ट करना चाहिये तत्पश्चात उसके संरक्षण की दिशा में सकारात्मक प्रयास करना चाहिये। इजराइल आज इसलिये है कि यहूदियों ने अपनी संस्कृति को पहचाना था और उसकी सुरक्षा किया था। यदि ऐसा नहीं करते है तो आज न ही यहूदी होते न ही इजराइल होता। पारस कहां है, यदि भारत में कुछ पारसी बचे भी तो वो भारत से संरक्षित होने के कारण। यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि देश की सुरक्षा से ऊपर संस्कृति रक्षा है इसकी विशेष चर्चा आगे भी करेंगे। 

देश की सुरक्षा : चुनाव का पांचवां महत्वपूर्ण विषय देश की सुरक्षा होनी चाहिये कारण की जीवन, सुरक्षा, शिक्षा, संस्कृति के बाद मातृभूमि की भी सुरक्षा आवश्यक है। एक सुरक्षित देश की जनता ही निर्भय होकर अपने अधिकार और कर्तव्यों का पालन कर सकती है, विकास का लाभ प्राप्त कर सकती है, सुविधाओं का उपभोग कर सकती है। यदि देश सुरक्षित न रहे तो अन्य सभी अधिकार-कर्तव्य, सुविधा, जीवन स्तर, विकास का कोई महत्व नहीं रह जाता। 

अन्य चुनावी मुद्दे : इसके बाद अन्य चुनावी मुद्दों में विकास, सुविधा, निर्माण, अनुसंधान, भ्रष्टाचार निवारण आदि कहे जा सकते हैं। वर्त्तमान में देखा जा रहा है कि प्रमुख पांच विषय चुनाव से विलुप्त रहते हैं और प्रमुखता अन्य विषयों को दी जाती है। 

विकास, सुविधा, निर्माण, अनुसंधान आदि को ही चुनाव का विषय समझा जाता है। लेकिन प्रमुख पांच विषयों के प्रति चाहे सत्तापक्ष हो, विपक्ष हो, मीडिया हो किसी का भी ध्यान आकृष्ट नहीं होता। संभवतः इस आलेख से ध्यान आकृष्ट हो। 

संस्कृति रक्षा का महत्व देश की सुरक्षा से अधिक क्यों ?

यह एक गंभीर प्रश्न है कि संस्कृति की रक्षा देश की सुरक्षा से अधिक महत्वपूर्ण क्यों है ? इसे समझने के लिये हमारे पास दो ऐतिहासिक प्रमाण हैं जिससे सिद्ध होता है कि संस्कृति की रक्षा देश की सुरक्षा से अधिक महत्वपूर्ण है। 

प्रथमतया यहूदियों का इतिहास जानने से ज्ञात होता है कि यहूदियों ने अपने संस्कृति को संरक्षित रखा तो उसके पास आज एक देश है जिसका नाम इजराइल है। यदि संस्कृति को संरक्षित नहीं रखते तो आज इजराइल नाम का देश विश्व के मानचित्र में नहीं होता। 

द्वितीयतः पारसियों का इतिहास है जिसकी संस्कृति संरक्षित नहीं रही तो उनका विश्व के मानचित्र पर कोई देश नहीं है। जो पारस इतिहास में अंकित हो गया उसका कारण यही है कि पारसियों ने अपनी संस्कृति को संरक्षित नहीं किया। यदि ये कहा जाय की पारसियों की संस्कृति सुरक्षित है और भारत में हैं तो उसका भी यही कारण है कि भारत में होने के कारण आज भी वो सुरक्षित हैं किन्तु अपने मूल देश में समाप्त हैं। 

राममंदिर का विषय : राममंदिर का विषय संस्कृति रक्षा का विषय है अतः यह चुनाव का महत्वपूर्ण विषय है। इसके साथ ही अन्य मंदिरों को भी चुनाव का विषय बनाया जाना चाहिये। 

पाकिस्तान का मुद्दा : भारत के चुनाव में पकिस्तान का मुद्दा वास्तव में देश की सुरक्षा का पांचवां विषय है और महत्वपूर्ण विषय है। भारत का विभाजन होने से जो देश बना उसका नाम पाकिस्तान है। पाकिस्तान भारत का शत्रुराष्ट्र है ये जगजाहिर है और शत्रुराष्ट्र से ही सुरक्षा का विषय अर्थात सीमा की सुरक्षा अर्थात देश की रक्षा का विषय है।  

उपरोक्त महत्वपूर्ण विषयों को भाजपा तो चुनावी विषय बनाती है तो विपक्ष ही नहीं मीडिया भी एक राग अलापने लगती ही है विकास, मंहगाई मुद्दा होना चाहिये मंदिर नहीं, पाकिस्तान नहीं। उस मीडिया को भी जगाने के लिये मोदी बार-बार संकेत कर रहे हैं, चट्टे-बट्टे तक कह रहे हैं। तो उस मीडिया को यह बताना भी अपेक्षित है कि विकास, मंहगाई सभी मुद्दों पर जो तुमको अधिक महत्वपूर्ण लगता है निष्पक्षता पूर्वक 10 वर्षों के कांग्रेस शासन और 10 वर्षों के भाजपा शासन काल का तुलनात्मक विवेचन तुम्हीं कर दो। तुम ही लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ कहलाते हो तो अपना दायित्व निभा लो न। 

मीडिया के प्रति विशेष : ऊपर चुनाव के पांच प्रमुख विषय कारण सहित बताये गये हैं। उपरोक्त पांच महत्वपूर्ण विषयों पर दोनों पक्षों के बड़े नेताओं को बुलाकर बहस कराओ। दोनों पक्षों में विस्तृत बहस कराकर जनता को उन पांच विषयों के बारे में समझाओ, जागरूक करो जिससे निष्पक्ष मतदान हो सके और जनता भ्रमित न हो। 

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