कांग्रेस ने इक गड्ढा खोदा, निकल के आया सैम पित्रोदा – Sam Pitroda’s thoughts
लोकसभा चुनाव 2024 के क्रम में सैम पित्रोदा ने दूसरी बार अपने बिगड़े बोल से देशवासियों को आहत करने का प्रयास किया है। सैम पित्रोदा वो व्यक्तित्व है जिसका नाम तक भारतीय नहीं है और भारतीयों के बारे में ज्ञान बांटने लगा है।
कौन है सैम पित्रोदा
सैम पित्रोदा का संक्षिप्त परिचय इतना है कि ये इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। इनकी गिनती गांधी परिवार के निकटतम लोगों में की जाती है। इन्हें राहुल गांधी का राजनीतिक गुरु भी कहा जा सकता है।
सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा से सैम पित्रोदा बने व्यक्ति के लालच की कहानी इस प्रकार है कि देश से बाहर जाकर भारतीयता के त्याग कर दिया, राजनीतिक पैठ ऐसी की इंदिरा गांधी ने फिर से बुलाया, आज दलित, गरीब चिल्लाने वाले राहुल गांधी को इस प्रश्न का भी उत्तर देना चाहिये कि जो लालची देश का त्याग कर चुका था उसे क्यों बुलाया और देश के किसी गरीब, दलित को क्यों नहीं आगे बढ़ाया ?
लालच कम नहीं था दुबारा भारत छोड़कर विदेश गया और कांग्रेस ने फिर से वापस बुलाया। लेकिन इसके इस लालच को कभी कांग्रेस नहीं बतायेगी ? किसी गरीब, दलित पर मेहरबानी न करके इस लालची पर कांग्रेस बार-बार मेहरबानी क्यों करती रही यह प्रश्न पूछने का उचित समय अब आ गया है।
यदि कोई इसे भारतीय कहता हो तो पहले ये बताये की ये किस तरह से भारतीय लगता है ?
- क्या देखने से भारतीय लगता है ?
- क्या नाम से भारतीय लगता है ?
- क्या जुबान खोलने पर भारतीय लगता है ?
बिगड़े बोल बजाता ढोल – Bad words playing Drums
जिसको भारतीय नाम रुचिकर न हो और सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा से सैम पित्रोदा बन गया हो, जिसे भारत से इतना प्रेम हो कि लालच में बार-बार मातृभूमि का परित्याग करता रहा हो, देखने में विदेशी लगता हो अर्थात कहीं से भारतीय नहीं लगता हो वह यदि भारत के चुनाव में, भारत के विधि-व्यवस्था, भारत की संस्कृति, भारतीयता आदि पर कुछ बोले तो क्या वो भारतीय बोल हो सकता है ?
बोल तो बिगड़े हुये हैं ही लेकिन कांग्रेस ने इसे ढोल भी दे रखा है कि बोल चाहे कितने भी बिगड़े हुए क्यों न हो लेकिन ढोल बजाकर सबको सुनाते रहो। प्राचीन काल में जब कोई विशेष राजकीय सूचना होती थी तो ढोल बजाकर ढिंढोरा पिटवाया जाता था।
आज कांग्रेस की तरफ से सैम पित्रोदा वही कर रहे हैं। अभी भी इन सबको यही लगता है कि वो लोग राजा हैं और वो जो कहें वही देश माने। देश में वही सब हो जो कांग्रेस करना चाहे। पित्रोदा को लगता है कि प्रधानमंत्री कोई भी हो राजा गाँधी परिवार ही है और उसके राजनीतिक गुरु हम ही हैं, इसलिये ढोल लेकर बार-बार पीट रहा है, कांग्रेस क्या सोचती है क्या करेगी ये देशवासियों को चिल्ला-चिल्ला कर बता रहा है।
सैम पित्रोदा के विवादित बोल
लोकसभा चुनाव 2024 में सैम पित्रोदा ने पहला राग विरासत टैक्स का अलापा था जिसकी चारों और निंदा हुयी। इसने इस विषय पर कभी कोई वक्तव्य नहीं दिया था कि भारत में मंदिरों से धन की उगाही की जाती है और हज के नाम पर, वक्फबोर्ड के नाम पर किसी विशेष वर्ग को धन लुटाया जाता है। इसने कभी ये नहीं कहा कि सरकार को सबके साथ समान व्यवहार करना चाहिये।
लेकिन देश में एक अशांत वातावरण का निर्माण करने के उद्देश्य से विरासत टैक्स की उद्घोषणा किया। पित्रोदा के ढिंढोरा पीटने का यही अर्थ था कि कांग्रेस यही करेगी। जैसे मंदिरों का धन लेकर हज और वक्फबोर्ड के नाम पर वर्ग विशेष पर लुटाती रही थी अब उससे आगे बढ़कर आम जनता का धन भी हड़पकर वर्ग विशेष पर लुटाया जायेगा और इस भेद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं खोला था। कीड़िकिरी होने के बाद कांग्रेस ने पित्रोदा के बिगड़े बोल से अपना पल्ला झाड़ लिया था।
फिर से बिगड़े बोल
सैम पित्रोदा ने फिर से एक ढिंढोरा पीटा है और कहा है कि पूर्वी भारत के लोग चीन जैसे दिखते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे हैं और उत्तर वाले गोरों (अंग्रेजों) की तरह और दक्षिण भारतीय तो अफ्रीकी जैसे लगते हैं।
वैसे सैम पित्रोदा को इस बात के लिये तो धन्यवाद ही देना चाहिये कि वो कांग्रेस के विचार की पोल खोल रहे हैं। हाँ एक प्रश्न ये अवश्य है कि इन्होंने स्वयं के बारे में नहीं बताया कि वो कैसे दिखते हैं। यदि आपको ज्ञात हो तो आप अवश्य बतायें कि आपको पित्रोदा कैसे दिखते हैं ?
सैम पित्रोदा के वक्तव्य का मूल तात्पर्य क्या है ?
- सैम पित्रोदा के बिगड़े बोल का मूल तात्पर्य ये है कि भारत में भारत जैसे कोई नहीं है।
- भारत में भारतीयता नामक कुछ भी नहीं है।
- भले ही वर्ग विशेष के लिये देश के टुकड़े हो गये हों लेकिन हिन्दू और हिंदुत्व नाम का भारत में कुछ भी नहीं है।
- भले ही देश के और टुकड़े हो जायें लेकिन हिन्दू, हिंदुत्व, भारतीय संस्कृति, राम आदि के बारे में कुछ भी गतिविधि नहीं होनी चाहिये, क्योंकि हिन्दू, हिंदुत्व, भारतीय संस्कृति, राम के नाम पर ही भारत एक है।
- ये एक प्रकार से भारतीयों के लिये अपमानजनक या गाली के समान भी है कि भारत के किसी भी भाग में कोई भारतीय जैसे लोग नहीं रहते हैं।
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