चट्टे – बट्टे कौन हैं ? मोदी का इशारा किधर था ? – Modi’s signal
मोदी ने लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस के चट्टे – बट्टे, इंडि अलायंस के चट्टे – बट्टे कहना शुरू किया है लेकिन किसके लिये ? क्या आप जानते हैं मोदी का इशारा किधर है ?
लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी कुछ विशेष इशारा कर रहे हैं जिसमें से एक है कांग्रेस के चट्टे – बट्टे या इंडि अलायंस के चट्टे – बट्टे। आखिर कौन हैं चट्टे – बट्टे ? मोदी किसे कह रहे हैं चट्टे – बट्टे ? इस पोस्ट में हम चट्टे – बट्टे को समझने का प्रयास करेंगे।
कौन हैं चट्टे – बट्टे
नेता : क्या कांग्रेसी या विपक्षी नेताओं को मोदी चट्टे – बट्टे कहते हैं ? इसका स्पष्ट उत्तर है नहीं, कांग्रेसी या विपक्षी नेताओं की और कोई इशारा नहीं है। क्योंकि वही नेता लगातार कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होते देखे जा रहे हैं।
मतदाता : क्या मोदी के चट्टे – बट्टे कहने का इशारा कांग्रेसी या विपक्षी मतदाताओं की और होता है ? इसका भी स्पष्ट उत्तर नहीं कदापि नहीं। ढेरों कांग्रेसी मतदाता आज भाजपा के मतदाता बन चुके हैं। यदि मतदाताओं को कहें तो भाजपा के अपने मतदाता भी आक्रोशित हो जायें।
मीडिया : फिर क्या मीडिया को चट्टे – बट्टे कह रहे हैं ? इस सम्बन्ध में हाँ और ना दोनों कहा जा सकता है। पूरी मीडिया को नहीं कह रहे हैं इसलिये उत्तर नहीं है किन्तु लोकसभा चुनाव 2024 में कई बार मीडिया पर प्रश्नचिह्न लगा चुके हैं अर्थात उत्तर हाँ भी है। हाँ वाले पक्ष पर आगे विशेष चर्चा करेंगे।
अर्बन नक्सल : क्या अर्बन नक्सल को चट्टे – बट्टे कहा गया है ? इसका उत्तर है हाँ अर्बन नक्सल को भी चट्टे – बट्टे कहा गया है।
टूलकिट एजेंट : किसान आंदोलन के समय वर्ष 2020-21 में जब दिल्ली को अघोषित रूप से बंधक बना लिया गया था तो 3 फरबरी 2021 को एक टूलकिट सामने आया था जो अगले दिन दिल्ली पुलिस की दृष्टि में आया था। टूलकिट के एजेंट को चट्टे – बट्टे में शामिल समझना चाहिये चाहे वो मिडिया में हो, अर्बन नक्सली हो। वास्तविक चट्टे – बट्टे वही हैं जो कहीं भी किसी भी तरह का काम करते हों किन्तु टूलकिट के एजेंट हों उन्हें ही चट्टे – बट्टे कहा गया है।
असली चट्टे – बट्टे कहां-कहां हैं ?
असली चट्टे – बट्टे किसी एक क्षेत्र में ही नहीं है कई क्षेत्रों में हैं और जो जहां हैं वहीं अपनी योग्यता के अनुसार काम करते हैं। एक वकील भी चट्टे – बट्टे के रूप में कानूनी संरक्षण प्रदान करने का काम करते हैं तो एक पत्रकार के रूप में भ्रामक समाचारों को भी प्रसारित करते हुये जनमानस को भ्रमित करने, विद्रोह करने के लिये उकसाते हैं। एक नेता के रूप में भी होते हैं जो राजनीतिक पोषण करते हैं तो एक सामाजिक कार्यकर्त्ता-राजनीतिक विश्लेषक-इंजीनियर आदि भी हो सकते हैं।
असल में टूलकिट एजेंट या चट्टे – बट्टे वो हैं जो कहीं भी काम करते हों, किसी प्रलोभन अथवा स्वार्थ अथवा दुराग्रह के वशीभूत होकर देशविरोधी कार्यों में संलिप्त रहते हैं अथवा जमीन पर काम करने वालों को संरक्षित, सम्पोषित करते हैं। एक समय टुकड़े-टुकड़े गैंग भी चर्चित हुआ था उस समय उन्हें संरक्षित और सम्पोषित करने वाले भी सभी जगहों पर स्पष्टतः देखे जा रहे थे।
चट्टे – बट्टों की जड़ें कहां तक फैली है
चट्टे – बट्टे या टूलकिट एजेंट की जड़ें बहुत गहरी हैं और दूर-दूर तक फैले हुये हैं। इसी की गहराई और फैलाव को आंकते हुये प्रधानमंत्री में देशहित की बात कहते हुये किसान बिल को वापस लिया था। कुछ कट्टर राष्ट्रवादी भी थे जो मोदी पर भी अनेकों प्रकार के आरोप लगाते रहे जैसे “मौलाना मोदी” वास्तव में वो भी चट्टे – बट्टे ही हैं जो राष्ट्रवादियों में “रंगे सियार की तरह घुल-मिल” जाते हैं।
मोदी ने चट्टे – बट्टे कहना क्यों शुरू किया : मोदी ने चट्टे – बट्टों की पहचान तो बहुत पहले कर लिया था किन्तु उनकी जड़ों के फैलाव और गहराई को ढूंढ रहे थे। तीसरे कार्यकाल में मोदी इन चट्टे – बट्टों के ऊपर कहर बनकर टूटने वाले हैं इसीलिये उकसाते हुये सबको बिल से निकालने के लिये चट्टे – बट्टे कह रहे हैं।
इस बात का आभास उन चट्टे – बट्टों को भी है इसलिये लिये चुनाव के पहले से ही उन्होंने संविधान-संविधान जपना शुरू कर दिया कि यदि अब मोदी सरकार बनी तो संविधान बदल देंगे, तानाशाह की तरह काम करेंगे, 2024 के बाद चुनाव नहीं होगा, लोकतंत्र समाप्त हो जायेगा इत्यादि। वास्तव में उन सबको ज्ञात है कि मोदी ने जड़ खोदकर उसमें मट्ठा पहले ही दे रखा है। 2024 के बाद तो बस एक तेज हवा के झोंके से भी उखड़कर दूर जाकर गिर जायेंगे।
कैसे पहचानें चट्टे – बट्टों को
सामान्य जनता चट्टे – बट्टों में से मात्र उतने को ही पहचान सकते हैं जो सार्वजनिक रूप से अपने वक्तव्य देते हैं। इसके अतिरिक्त जो प्रच्छन्न चट्टे – बट्टे हैं उनके बारे में तो सामान्य जनता को कोई जानकारी भी नहीं है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी लगभग सबकी पहचान कर चुके हैं। चट्टे – बट्टों को जो सार्वजनिक रूप से वक्तव्य देते हैं उनकी पहचान करने के कुछ लक्षण हैं जिसके आधार पर आसानी से पहचान की जा सकती है।
लेकिन तत्काल यहां विपक्षी नेताओं कार्यकर्ताओं को छोड़कर ग्रहण करना चाहिये, विपक्ष का तो कार्य ही विरोध करना है, किन्तु मीडिया/पत्रकारों का, राजनीतिक विश्लेषकों का, इतिहासकारों का, वकीलों का, राज सम्मान पाने वालों का, अर्थशास्त्रियों का कार्य विरोध मात्र करना नहीं होता, हां कमियां अवश्य उजाकर करने का अधिकार होता है :
- नोटबंदी और GST को जो लोग देश की अर्थव्यवस्था के लिये विनाशकारी बता रहे थे।
- जिस आंदोलन में 26 जनवरी 2021 को लाल किले पर तिरंगे का अपमान हुआ था उसके पक्ष में जो लोग माहौल बना रहे थे, प्रसिद्धि दिला रहे थे, व्यवस्था कर रहे थे, गुणगान कर रहे थे। इसमें उन पत्रकारों को अवश्य ही लेना चाहिये जो गीत गा रहे थे।
- वो लोग जो आतंकवादियों को पढ़ा-लिखा बताते हैं, सताया हुआ कहते हैं।
- वो लोग जो 2019 में भी चिल्ला रहे थे मोदी गया, मोदी गया और 2024 में भी चिल्ला रहे हैं।
- वो लोग जो मणिपुर पर तो बहुत चिल्लाये थे किन्तु उससे पहले बंगाल चुनाव की हिंसा पर मौन रहे व संदेशखाली का मामला भी जब तक पूरा देश नहीं जान गया तब तक मौन लीपापोती कर रहे थे या साध रखे थे।
चट्टे – बट्टों को सन्देश
अभी-अभी दिये गये इंटरव्यू में मोदी जी ने अगले कार्यकाल का एक भेद खोलते हुये कहा कि प्रथम वर्ष संविधान वर्ष मनाने का राज खोला और ये भी बताया कि संविधान से मिले अधिकारों को ही देश नहीं जानेगा कर्तव्यों को भी समझेगा। संभव है की चट्टे – बट्टों को इसका अर्थ समझ न आया हो लेकिन हम यहां भेद खोल रहे हैं न : इसमें उन भयाक्रांत चट्टे – बट्टों को भी मोदी ने संदेश दिया हम तुम्हें सुधरने का एक अवसर और प्रदान करेंगे।
वो चट्टे – बट्टे ही हैं जो दिन-रात संविधान हमें ये अधिकार देता है, संविधान हमें वो अधिकार देता है का जप करते रहते हैं। एक हाथ में संविधान रखकर दूसरे हाथ में आग लगाने के लिये चिंगारी रखते हैं।
चट्टे – बट्टों को आगे क्या करना चाहिये : वास्तव में चट्टे – बट्टों को इस बात के लिये हर्षित होना चाहिये कि यदि 2024 में मोदी 400 पार भी करेंगे तो भी सुधरने के लिये एक अवसर देने का वचन दे चुके हैं। ऐसा अवसर दुबारा नहीं मिलेगा इसलिये उन चट्टे – बट्टों को चाहिये कि जो एक वर्ष का अवसर प्राप्त होगा उसका लाभ उठायें और आत्मसुधार करें। यदि अवसर प्राप्त होने पर भी आत्मसुधार नहीं करते हैं तो यह आत्मघाती निर्णय होगा।
निष्कर्ष : प्रधानमंत्री जिस चट्टे – बट्टे की बात कर रहे हैं उसका संबंध 2021 में सामने आये टूलकिट एजेंटों से है। मोदी सबको पहचान चुके हैं, जड़ों को समाप्त कर चुके हैं, फिर भी एक सुधरने का एक अवसर और प्रदान करने वाले हैं। आगे देखने की बात ये होगी कि ये चट्टे – बट्टे उस अवसर का लाभ ले पायेंगे या नहीं, उदारता दिखाना मोदी का दायित्व था किन्तु उसका लाभ लेना या न लेना तो उन चट्टे – बट्टों को के स्वयं का ही दायित्व है।
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