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Political Conspiracy संदेशखाली की घटना में नया मोड़, कर्नाटक सेक्स स्कैंडल का क्या संबंध है ?

Political Conspiracy संदेशखाली की घटना में नया मोड़, कर्नाटक सेक्स स्कैंडल का क्या संबंध है ?

तीन अलग-अलग घटनायें, दो में मोदी का डायरेक्ट कनेक्शन, तीसरे में सुवेंदु अधिकारी का । ये रिश्ता क्या कहलाता है मोदी जी ! “देश को जबाव दो – काम का हिसाब दो”

एक ओर कर्नाटक सेक्स स्कैंडल प्रज्वल रेवन्ना प्रकरण, दूसरी ओर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर यौन उत्पीडन का आरोप लगना, तीसरी घटना संदेशखाली प्रकरण में कथित भाजपा नेता का स्टिंग ऑपरेशन परस्पर जुड़कर क्या टूलकिट का भाग जैसा नहीं लगता है ? क्या अन्य सभी विषयों से ध्यानभंग करके मीडिया में नयी चर्चा का विषय बनाने का प्रयास नहीं लगता है ? 

ये रिश्ता क्या कहलाता है 

तीनों घटना की मुख्य कड़ी जो टूलकिट की ओर संकेत करता है वो है भाजपा से किसी न किसी तरह संबद्धता। दो घटना के आरोपी के साथ तो प्रधानमंत्री तत्काल ही मिले हैं।

पहली घटना कर्नाटक सेक्स स्कैंडल जो पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना से जुड़ी है।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के ऊपर संविदा के आधार पर कोलकाता राजभवन में कार्यरत एक महिला कर्मचारी ने यौन उत्पीडन का आरोप लगाया है। इस मामले में 2 मई को हरे स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में महिला द्वारा शिकायत भी किया गया है।

वहीं तीसरी घटना के अनुसार एक कथित भाजपा नेता विडियो सामने आया है जिसमें वह कह रहा है कि संदेशखाली की घटना झूठी है। 4 मई को TMC द्वारा सोशल मीडिया पर एक विडियो जारी करते हुए BJP पर यह आरोप लगाया गया कि भाजपा ने चुनाव से पहले राज्य को बदनाम किया। 

प्रज्वल रेवन्ना प्रकरण 

जो फाइल मिली है उस फाइल की जाँच से सब कुछ स्पष्ट हो जायेगा। भाजपा का नेता नहीं है और भाजपा से संबंध भी तात्कालिक है कुछ दिनों पूर्व सितम्बर 2023 की ही घटना है, लेकिन दोष ये है कि मोदी ने रेवन्ना का प्रचार करते हुए 14 अप्रैल को मंच साझा किया था। 

कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा और मोदी को पहले से पता था फिर भी मोदी ने उसका प्रचार किया। इस घटना पर किसी प्रकार की टीका-टिप्पणि करना गलत होगा, यदि आरोप सत्य सिद्ध होंगे तो दण्ड मिलना ही चाहिये। किन्तु कांग्रेस को भी एक प्रश्न का उत्तर तो देना चाहिये कि जब मोदी को पहले से ज्ञात था तो राज्य की कानून-व्यवस्था का भार जिस कांग्रेस के पास है उसे पूर्व से ज्ञात नहीं था क्या ?उसने पहले सक्रियता क्यों नहीं दिखाई, ठीक चुनाव के समय ही क्यों मामला सामने आया ?

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस का विवाद  

इसमें भी प्रधानमंत्री को शामिल देखा गया है। 

प्रधानमंत्री मोदी से प्रश्न है कि ये रिश्ता क्या कहलाता है। क्या सीधे रूप से भारत के प्रधानमंत्री को घसीटने का प्रयास नहीं किया जा रहा है ?


स्टिंग ऑपरेशन 

वहीं तीसरी घटना में 4 मई को संदेशखाली मामले पर TMC ने शोशल मीडिया पर एक विडियो जारी किया, जिसमें सन्देशखाली की घटना को भाजपा नेता द्वारा झूठा बताते हुये दिखाया गया है। इस विडियो में यह भी कहा गया है कि संदेशखाली के एक घर में हथियार भी सुवेंदु अधिकारी द्वारा रखवाया गया था। 

TMC को ये भी कहना चाहिये था कि ED अधिकारियों पर जो हमला किया गया था वो भी भाजपा नेताओं ने कराया था क्योंकि विवाद और आरोप तो झूठे हैं, बंगाल को बदनाम करने का भाजपाई षड्यंत्र है। 

तीनों घटनाओं में विडियो की जांच होने से दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा किन्तु इसमें लम्बा समय लग सकता है। और उससे पहले इसका चुनावी लाभ इंडि गठबंधन को मिल सकता है। यदि बाद में ये सभी घटनायें मात्र एक षड्यंत्र सिद्ध होता है तो षड्यंत्रकारियों पर भी समुचित कार्रवाई होगी। क्या उस समय फिर से इंडि गठबंधन वाले तानाशाह मोदी नहीं चिल्लायेंगे ?

ये रिश्ता क्या कहलाता है ?

तीनों घटनाओं को जोड़कर देखने पर एक स्वाभाविक प्रश्न उत्पन्न होता है चुनाव में उठने वाले इन विवादों के बीच का “ये रिश्ता क्या कहलाता है” 
  • यदि मामले सही हैं तो सभी आरोपियों को कठोर दण्ड निश्चित रूप से मिलना चाहिये। 
  • मामले की सत्यता-असत्यता सिद्ध होने में बहुत समय लग सकता है। 
  • किन्तु इसका चुनावी लाभ तत्काल प्राप्त होने वाला है। 
  • मीडिया का ध्यान इन मामलों पर केंद्रित हो सकता है, अन्य सभी विषय पीछे छूट जायेंगे। 
  • लेकिन तत्काल मोदी ने जो चट्टे-बट्टे बोलना शुरू किया है इसलिये मीडिया फूंक-फूंककर कदम रखते हुये दिख रही है। अन्यथा अब तक सारे विषय पीछे छूट गए होते और यही तीन विषय मीडिया में दिन-रात छाये रहते। 

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