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भाजपा का अरुणोदय बताता देश की होगी कैसी सत्ता

भाजपा का अरुणोदय बताता देश की होगी कैसी सत्ता

भाजपा का अरुणोदय से तात्पर्य अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम से है। यद्यपि विपक्षियों ने किसी तरह इतना साहस जुटा लिया की एग्जिट पोल को नकार सकें और सरकारी सर्वे या भाजपा का सर्वे बता सकें, किन्तु अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम विधानसभा का चुनाव परिणाम ऐसे आये हैं कि चक्कर खा रहे होंगे। दोनों राज्यों में कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पायी, जबकि भाजपा ने अरुणाचल प्रदेश में विजय श्री प्राप्त कर लिया।

भाजपा का अरुणोदय बताता देश की होगी कैसी सत्ता

आज पूर्वी भारत के दो राज्यों के विधानसभा चुनाव की मतगणना हुई और उसका परिणाम पूरे देश के चुनाव परिणाम का भी संकेत दे रहा है। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस व सहयोगी का सफाया हो गया। यद्यपि सिक्किम में भाजपा को भी कुछ नहीं मिला और एकतरफा SKM की जीत हुयी, किन्तु ये SKM भी भाजपा की ही पूर्व सहयोगी थी वर्त्तमान चुनाव भले ही अलग-अलग लड़े हों, और पूरी संभावना है कि भविष्य में पुनः भाजपा का ही साथ देगी।

वहीं अरुणाचल प्रदेश में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला (ये संभव है कि अंतिम परिणाम में एकाध सीट कांग्रेस को मिल भी जाये।)। दोनों राज्य के चुनाव परिणाम में एक समान तथ्य जो है वो यही है कि कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला जो आगे लोकसभा चुनाव में भी कई राज्यों में देखने को मिलेगा।

ध्यान देने वाली बात यह है कि ऐसा क्यों होगा ? अभी पूर्वा हवा चल रही है और पूर्वा हवा में पूर्व से आने वाली हवा पश्चिम की ओर जाती है। इस पूर्वा हवा में पूर्व का परिणाम पश्चिम तक जाती दिखे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिये। जैसे चावल के एक पके दाने से पूरी भात के पकने का निश्चय किया जाता है उसी प्रकार अरुणाचल में चुनावी परिणाम के अरुणोदय वाले एक परिणाम से सम्पूर्ण लोकसभा चुनाव का परिणाम जाना और समझा जा सकता है।

कांग्रेस और विपक्षी नेताओं को क्या करना चाहिये

चूँकि कोरोना काल के पश्चात् हृदयाघात की संभावनाएं बहुत बढ़ गयी है इसलिये सतर्कता अपेक्षित है। ये अलग बात है कि इंडी गठबंधन वाले सभी एग्जिट पोलों को भी धत्ता बताते हुये 295 सीटें जीतने का दावा कर रही है किन्तु इसके साथ ही यदि मात्र 95 सीटें ही मिले तो उसके लिये भी तैयार रहे यह आवश्यक है। यदि 95 मानकर चलते तो भयाभाव होता किन्तु चूंकि एग्जिट पोलों को भी धत्ता बताते हुये 295 सीट मिलने वाली बात का गांठ बांध चुके हैं इसलिये स्थिति चिंताजनक है।

चिंताजनक स्थिति में पहले से ही यदि सतर्क रहें तो लाभकारी होता है। सावधान होना और भयाक्रांत होना दो अलग-अलग बातें हैं। हमारा उद्देश्य सावधान करना है न कि भयाक्रांत करना।

  • सभी नेताओं को विशेष रूप से अपनी चिकित्कीय जांच करा लेना चाहिये और यदि चिकित्सक यह आश्वस्त करे कि किसी भी अनपेक्षित घटनाओं में हृदयाघात की संभावना नहीं बनती तो ही चुनाव परिणाम को देखे।
  • जो चिकित्सकीय जांच न करायें और तनिक भी अनहोनी की संभावना हो तो चुनाव परिणाम संबंधी समाचारों को न देखें-सुने।
  • योग-प्राणायाम आदि करना आरंभ कर दें, जो ईसाई-मुसलमान न हो वो मंदिरों में जाकर पूजा-हवन भी कर सकते हैं।
  • कुल मिलाकर इंडी गठबंधन के नेताओं को चाहिये कि कुछ दिनों के लिये अपना ध्यान चुनाव परिणाम से हटाकर अन्य किसी कार्य में लगायें।

भाजपा को क्या करना चाहिये

भाजपा सरकार के दो कार्यकालों में जो देखा गया कि सभी दलालों की पहचान करके उसकी आगामी योजनाओं को जानते हुये तदनुसार उसे असफल करने का प्रयास करती रही और एक इसमें दो असफलता भी देखी गयी; प्रथम तो दिल्ली दंगा और दूसरी लाल किले पर तिरंगे का अपमान। ये दोनों साक्ष्य यह समझने के लिये पर्याप्त है कि तनिक असावधानी का भी भयावह परिणाम संभव है।

भाजपा को विजयोत्सव मनाने का पूर्ण अधिकार है किन्तु धमकियों का एक ऐसा युग आरंभ हो चुका है जहां कभी स्कूल में तो कभी अस्पताल में तो कभी फ्लाइट में बम की धमकी मिलना भी किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हो सकता है और उसका संबंध विजयोत्सव से भी हो तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।

भाजपा व NDA को एक महत्वपूर्ण यह भी ध्यान रखना चाहिये कि जरासंध बारम्बार पराजित होने पर भी दुबारा आक्रमण करता ही रहा था। जो साढ़े आठ हजार करोड़ खर्च करने वाली विदेशी गैंग है वो फिर से साढ़े अठारह हजार करोड़ खर्च करने में भी पीछे नहीं हटेगी। गोरी और जयचंद भी सांकेतिक रूप से सदैव रहेंगे ही रहेंगे इस स्थिति में आवश्यकता उस चूक को समझने की है जो पिछली बार हुयी थी।

अगला कार्यकाल वास्तव में अग्निपरीक्षा की तरह होने वाला है क्योंकि रणभेरी बज चुकी है और शंखनाद करने वाले स्वयं मोदी ही हैं। स्वयं मोदी ने ही चट्टे-बट्टे, खान मार्केट गैंग, विदेशी गैंग, मुजरा आदि शब्दों का प्रयोग करके शंखनाद करते हुये युद्ध की घोषणा किया है। इसलिये विजयोत्सव से अधिक सजगता रणनीति बनाने पर, त्रुटियों को ढूंढने पर होनी चाहिये।

भाजपा को और अधिक सजग रहने की आवश्यकता क्यों है

ये बात भाजपा भी समझती है और देश भी समझ रहा है कि विपक्षी दलों का लक्ष्य राष्ट्रहित है ही नहीं, सब-के-सब घनघोर सनातनद्रोही हैं, सत्तालोलुप, घनघोर भ्रष्टाचारी हैं। आगे के लिये भाजपा भी यह समझती है कि चुनाव में इनको विजय श्री नहीं मिलने वाली है और इस सत्य को सभी सनातन द्रोही भी स्वीकार कर चुके हैं। और जब चुनाव से जीतने की, सत्ता हथियाने की आश खो चुके हैं तो चुनाव के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार के षड्यंत्र करके ही सत्ता हथियाने का प्रयास करेंगे और पहले से अधिक प्रहार करेंगे।

निष्कर्ष : यद्यपि अंतिम परिणाम में सम्भव है कांग्रेस को भी एकाध सीटें मिल जाये किंतु आलेख लिखने तक कांग्रेस दोनों ही राज्यों में 0 पर आउट होते दिखाई दे रही है। यह मात्र दो राज्यों का चुनाव परिणाम नहीं है यह लोकसभा चुनाव के परिणाम का भी संकेत कर रहा है और यह बता रहा है कि एग्जिट पोल में जो बताया जा रहा है उससे भी आगे का परिणाम हो सकता है। किन्तु उस परिणाम के लिये सत्ता और विपक्ष को सतर्क रहने की भी अपेक्षा है।

accident or conspiracy
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