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क्या बदला है साफ दिखता है, जिसे नहीं दिखता वो आंख का इलाज कराये

मोदी है तो मुमकिन है

मोदी है तो मुमकिन है

मोदी के नेतृत्व में भाजपा को दो सरकार बन चुकी है और तीसरी बार भी बनने का दावा किया जा रहा है। लेकिन कुछ लोग हैं, ये विपक्षी दल या नेता से अलग लोगों की बात की जा रही है; जिन्हें देश में क्या बदला है कुछ पता नहीं है, कुछ दिखाई नहीं देता है। या तो जान-बूझकर आंखें मूंद रखे हैं अथवा आँखें ही खराब हो गयी है जिस कारण बदला भारत उन्हें दिखाई ही नहीं देता। यदि आँखें खराब न हो तो खोली जा सकती है किन्तु यदि ऑंखें ही खराब हो तो इलाज ही कराना होगा।

क्या बदला है साफ दिखता है, जिसे नहीं दिखता वो आंख का इलाज कराये

क्या बदला है इसे सही से समझना हो तो प्रधानमंत्री मोदी ने कल रजत शर्मा के साथ चर्चा करते हुये देश को बताया और जिसकी आँखें ठीक थी उनको दिख गया, लेकिन जिनको दिखा ही नहीं निश्चित रूप से उनको आँखों का इलाज कराना चाहिये। कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की चर्चा यहां भी की जायेगी लेकिन एक बहुत बड़ा बदलाव जो कि योगी जी ने बताया है उसकी चर्चा पहले करेंगे।

कुछ लोगों को मोदी की बात समझ ही नहीं आती है उनको योगी की भाषा समझ में आती है और योगी ने बदलाव को जिस प्रकार समझाया है वो उन लोगों के कलेजे पर सांप रख देने जैसा है। भला को योगी ऐसा काम कैसे कर सकता है।

योगी ने कहा : “समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की जब सरकारें थीं, तब सारा पैसा कब्रिस्तान में लगा देते थे। आज पैसा कब्रिस्तान पर नहीं, भारत की विरासत को, देवालयों को सजाने में खर्च होता है”.

योगी के समझाने का तरीका थोड़ा अलग है। मोदी और योगी की जोड़ी से एक फिल्म का डायलॉग याद आता है जिसके अनुसार मोदी का नियम है “पहले मुलाकात, फिर बात और फिर अगर जरूरत परे तब लात” वहीं योगी का नियम है “पहले लात, फिर बात उसके बाद मुलाकात”

दोनों अपनी जगह सही हैं कुछ लोग होते हैं जो बात से ही समझ जाते उनके लिये मोदी सही हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते जिनके बारे में कहा जाता है “लात के बहुत बात से नहीं मानते” वैसे लोगों के लिये योगी ही सही हैं तुरंत समझा देते हैं।

मोदी ने दो कार्यकाल में मुलाकात और बात करके देख लिया लेकिन “लात के भूत” समझ ही नहीं पाये और अब मोदी तीसरे कार्यकाल में लात से समझाने की बात करने लगे हैं। अपने कई चुनावी भाषणों में उन्होंने कई बार संकेत दिया है। लेकिन वो भूत भी हैं कि लात के बिना मानने वाले नहीं हैं, अपनी जिद पर अड़े हुए हैं।

विदेशों से संबंध – मोदी ने क्या कहा

सबसे पहले तो मोदी की विदेशनीति प्रसंशनीय विषय है जिसका तीन उदाहरण उस साक्षात्कार में मिला। जिस मोदी के बारे में लोग यह कहा करते थे कि विदेशनीति का तो मोदी को अनुभव नहीं है कैसे सम्हालेंगे। वास्तव में इस कथन का तात्पर्य था कि बिना कुछ नया किये मोदी पिछली सरकारों की नीति का अनुकरण करें, उन नेताओं और प्रतिष्ठित विद्वानों की पूजा करते रहें, परामर्श लेते रहें।

लेकिन मोदी को समझने में उनसे त्रुटि हुयी थी मोदी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया अपितु उनकी अपेक्षा के विपरीत विदेशनीति के सूत्र को ही परिवर्तित कर दिया। इस सूत्र परिवर्तन के बारे में मोदी बताते हैं कि पहले की सरकारें इक्वल डिस्टेंस के मुलभूत सोच से आगे बढ़ती थी। मोदी ने बताया कि उनकी दूरी बनाये रखने वाले सिद्धांत को हमने निकटता के सिद्धांत में परिवर्तित कर दिया और दुनियां का हर देश अब भारत के निकट आना चाहता है।

भारत के निकट आने की अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा का जन्म हो गया। मोदी ने कहा कि विदेशनीति भारत के उस राजनीति की तरह थी, सेकुलरिज्म का जो अर्थ समझाया गया था; सुबह को यदि हनुमान जी के मंदिर जाओ तो रात को इफ्तार पार्टी भी करनी पड़ेगी। इजराइल जाओ तो फिलिस्तीन भी जाना होगा और फिलिस्तीन जाओ तो बगल के इजराइल भी जाना होगा। मोदी ने बताया कि उन्होंने इस सिद्धांत को ही पूरी तरह से पलट दिया ।

प्रधानमंत्री मोदी के रजत शर्मा से साक्षात्कार का मूल विषय विदेश नीति ही था जिसमें बाहुबली भारत प्रतिबिंबित हो रहा था।

बाहुबली भारत

धारा 370 के बारे में भी उन्होंने बाहुबली भारत का रूप देश को दिखाया, और उन लोगों के कारण तो यह और अधिक सही सिद्ध होता है। विरोधियों की वास्तविक स्थिति यह है कि वो जो भी बॉल फेंकते रहे मोदी ने सबपर छक्के ही जड़े।

विरोधी जैसे अभी POK के विषय में पाकिस्तान के परमाणु बम की धमकी देते देखे गये है उसी तरह धारा 370 हटाने पर भी उन सबने अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत की स्थिति बिगड़ने और देश में भी आग लगने की धमकी देते रहे थे। मोदी ने बताया कि वो सभी जिनके बारे में लोगों को लगता था कि भारत का कड़ा विरोध करेंगे या तो मौन रहे या बोले तो ये बोले कि ये भारत का आतंरिक विषय है।

मोदी ने आश्चर्य भी जताया और यह भी बताया कि देश के अंदर के लोगों को इस विषय में दर्द हुआ था। वास्तव में देश के भीतर कुछ तत्व ऐसे हैं जिनको धारा 370 हटने के बाद असह्य पीड़ा हुयी थी और अभी भी हो रही है। वास्तव में वो भारत को भारत में देखते ही नहीं हैं, किसी ऐसे युग में जीते हैं जिसमें उन्हें भारत का मूल स्वरूप दिखता ही नहीं है।

धारा 370 हटने के बाद की एक अन्य घटना का फिर से उदहारण देते हुये मोदी ने बाहुबली भारत का दर्शन कराने का प्रयास किया और भारत की बदली विदेशनीति का प्रभाव भी समझाया।

धारा 370 हटने के बाद कतर में भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को वहां के न्यायालय ने मृत्युदण्ड की आज्ञा दे दिया था, देश के सभी प्रतिष्ठित, गणमान्य लोग मोदी को उलाहना दे रहे थे, विदेशनीति के विषय में मोदी को असफल सिद्ध कर रहे थे। लेकिन देश ने देखा की वो भी कैसे जीवित वापस आ गये। उन लोगों में भी विरोधियों के मुंह पर कालिख पोता था ये कहकर कि मोदी है तो मुमकिन है।

जो राष्ट्रवादी सोशलमीडिया पर काम करते थे उनको पूर्णविश्वास था कि ऐसा कुछ नहीं होगा और स्पष्ट कह रहे थे कि मोदी पर भरोसा रखो उन्हें कुछ नहीं होगा।

राष्ट्रवादियों का स्पष्ट मानना था कि कैसे होगा हमें ये नहीं पता लेकिन फांसी रूकेगी ही नहीं वो सभी सकुशल वापस भी आयेंगे। इसके संबंध में ढेरों विडियो भरे परे हैं, एक विडियो हम भी यहां दे रहे हैं जिसमें आप समझ सकते हैं।

इस प्रकरण से यह भी सिद्ध होता है कि विरोधी खेमे की सोच से प्रभावित पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक भी जब भी कोई अनुमान लगाते हैं तो गलत ही सिद्ध होते हैं, और बारम्बार गलत सिद्ध होते हैं इसका सीधा अर्थ यह भी समझा जा सकता है कि उनके दृष्टिकोण में ही दोष है। तत्काल उन्हें और पढ़ने-समझने-सीखने की आवश्यकता है और देश को कुछ बताने से पहले स्वयं की कमी के बारे में जान लें।

राष्ट्रवादियों का स्पष्ट मानना

प्रधानमंत्री मोदी ने भी यही इशारा करते हुये विरोधियों के प्रति कहा कि या तो वो ठीक से मुझे समझ नहीं पाये हैं या मीडिया में थोड़ी जगह मिल जायेगी इसलिये ऐसा करते हैं।

इसके साथ ही कुछ और भी महत्वपूर्ण विषय हैं जैसे यूक्रेन से पाकिस्तानियों का भी तिरंगा लेकर बाहर निकलना, रूस और यूक्रेन युद्ध को बीच-बीच में रुकवाना, रूस से कच्चा तेल रुपये में खरीदना रिफाइन करके अमेरिका को बेचना जिसका पाकिस्तान ने भी गुणगान किया था, अभी तत्काल ही में अमेरिका के सेंशन के रहते हुये भी ईरान से चाबहार पोर्ट संबंधी समझौता करना आदि।

इसके लिये एक ऐसा उदाहरण भी बताया जो जब तक मोदी ने स्वयं नहीं बताया तब तक किसी को पता भी नहीं था, या तो मीडिया सही से काम नहीं करती, या जानबूझकर सही सूचना देश को नहीं देती है।ये बहुत ही महत्वपूर्ण घटना है जो मोदी ने ही उजागर किया “जार्डन से फिलिस्तीन जाना और इजराईल के 6 विमानों द्वारा सुरक्षा प्रदान करना। अभी भी संभवतः इन लोगों को ये समझ नहीं आये या आ भी जाये तो भी करें तो क्या करें मोदी के काम की अच्छाई तो दिखती ही नहीं बुड़ायी मात्र दिखती है और वो भी बलात थोपी हुयी बुड़ायी।

बाहुबली भारत

जब बात पाकिस्तान की आयी तो मोदी ने कहा कि पाकिस्तान की दुर्गति उन्हें ज्ञात है और यह भी ज्ञात है कि पाकिस्तान की दुर्गति का कारण वो स्वयं हैं।

निष्कर्ष : कुल मिलकर रजत शर्मा को दिया गया साक्षात्कार वास्तव में चुनावी विजयोत्सव जैसा था। इसका मुख्य विषय भारत की विदेशनीति और वो महत्वपूर्ण घटनाएं थी जिससे भारत बाहुबली प्रतीत होता है, प्रत्येक देशवासियों का कलेजा 56 इंच का हो जाता है, गर्व से सिर ऊँचा हो जाता है किन्तु चट्टे-बट्टे के कलेजे पर सांप लौटने लगता है।

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