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काल बनेगा अग्निवीर सटीक निशाने लगा है तीर

काल बनेगा अग्निवीर सटीक निशाने लगा है तीर

अग्निवीर योजना का जो मुख्य उद्देश्य है सरकार भी उसे छुपाकर योजना पर काम कर रही है और विपक्षी भी मुख्य उद्देश्य छुपाने के कारण जानते-समझते हुये भी इसका विरोध कर रही है। आवश्यकता उद्देश्य की चर्चा करने की है जिस पर व्यापक विमर्श किया जाना चाहिये। सरकार को भी स्पष्ट रूप से उद्देश्य बताते हुये आगे और विस्तार करना चाहिये। विपक्ष को भी यदि विरोध करना हो तो स्पष्ट रूप से ये कहते हुये विरोध करे की वो आतंकवाद, जिहाद, नक्सलवाद का समर्थन करती है।

काल बनेगा अग्निवीर सटीक निशाने लगा है तीर

भारत आतंकवाद, जिहाद और नक्सलवाद से पीड़ित रहा है साथ ही वर्तमान राजनीति अलगाववाद का भी नया रूप सामने लेकर आ रही है। इनका कोई ठोस उपचार होना आवश्यक है। ठोस उपचार के लिये यह आवश्यक है कि जहां पर समस्या है वहां प्रतिरोध भी उपस्थित किया जाय। प्रतिरोध सामान्य जनता नहीं कर सकती, प्रतिरोध के लिये जनता के बीच में प्रशिक्षित सदस्य की उपस्थिति आवश्यक है।

अग्निवीर योजना का मुख्य उद्देश्य यही है कि कुछ वर्षों बाद जनता के बीच में प्रतिरोधक अग्निवीर के जवान उपस्थित हो। अब तो 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने का भेद भी दस्तावेजी विषय हो चुका है फिर भी सरकार आँखें मूंदे सोती रहे तो कैसे रोका जा सकता है। कुछ वर्षों बाद अग्निवीर योजना के प्रशिक्षित जवान यत्र-तत्र-सर्वत्र दिखने लगेंगे जो इन सभी का काल बनेंगे। और यही कारण है कि जो इन सबके समर्थक हैं वो अग्निवीर योजना का प्रबल विरोध करते रहे हैं।

अग्निवीर योजना के विरोध से भी उनका विशेष मतदाता वर्ग ही प्रसन्न होता है यह भी एक सत्य है। क्योंकि विशेष मतदाता वर्ग को भी यह ज्ञात है कि भविष्य में जब गली-गली और चौराहों पर भी अग्निवीर के प्रशिक्षित जबान तैनात रहेंगे तो इनकी वो सभी योजनायें असफल होने लगेगी जो इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिये आवश्यक है। जो पूर्व में देश विभाजन के लिये नरसंहार किया गया था दुबारा नहीं कर पायेंगे क्योंकि सामने भूस भड़ने के लिये अग्निवीर के जवान तैनात रहेंगे।

उद्देश्य का स्पष्टीकरण

सरकार भले ही उद्देश्य को गुप्त रखते हुये अग्निवीर योजना लेकर आ गई किन्तु विरोधियों से इसका उद्देश्य गुप्त है नहीं। विरोधी अग्निवीर योजना से अपनी क्षति का अनुमान कर चुके हैं और भविष्य में जिस संकट का आकलन कर रहे हैं उसी कारण अग्निवीर योजना का विरोध कर रहे हैं। ये भी स्पष्ट है कि इन विरोधियों ने कभी भी सेना के साथ नहीं दिया है। जब कभी भी अवसर मिला सेना का मनोबल तोड़ने का ही प्रयास किया है।

आगे इनके उग्र विरोध से पहले यह आवश्यक है कि सरकार उद्देश्य को स्पष्ट कर दे और विरोधियों को ये चुनौती दे कि यदि वह आतंकवाद, जिहाद, नक्सलवाद, इस्लामिक राष्ट्र का समर्थन करती है तो खुलकर करे। उद्देश्य स्पष्ट करने के बाद भी यदि विरोधी विरोध करते हैं तो उसका तात्पर्य यही होगा कि वो देश में आतंकवाद, जिहाद, नक्सलवाद, इस्लामिक राष्ट्र का समर्थन करती है। विरोधी का कालनेमी स्वरूप देश के सामने खुलकर आ जाये तो भी कोई बुराई नहीं है। कम-से-कम देश कालनेमियों को सही से पहचान तो लेगी।

डायरेक्ट एक्शन डे के पुनरावृत्ति की आशंका और भारत की संप्रभुता

सरकार यह खुलकर कहे कि पूर्व में जो “डायरेक्ट एक्शन डे” और देश विभाजन हुआ उसकी पुनरावृत्ति की आशंका का खंडन नहीं किया जा सकता है। और भविष्य में इस आशंका की यदि पुनरावृत्ति यदि हो तो उसको किसी भी स्थिति में सफल होने नहीं दिया जायेगा। यदि देश में दुबारा “डायरेक्ट एक्शन डे” का प्रयास किया गया तो उपद्रवी को नया भूभाग नहीं 72 हूरें मिलेगी। 72 हूरों तक जाने का टिकट अग्निवीर बाँटेंगे।

सरकार स्पष्ट रूप से कहे कि 2047 तक उन उपद्रवी तत्वों का लक्ष्य भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है जो अस्वीकार्य है। अल्पसंख्यकों को देश में शांतिपूर्वक रहने के लिये रहने दिया गया है इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिये नहीं। एक नीति है “भय बिनु होइ न प्रीत” और दूसरी कहावत है “लातों के भूत बातों से नहीं मानते” उस स्थिति में देश को जिसे जिस प्रकार से समझ में आये उस प्रकार से समझाने का अधिकार है। भारत संप्रभु है और अपनी संप्रभुता की रक्षा का अधिकार भी सुरक्षित रखता है।

अग्निवीर योजना का विस्तार

जैसा की सुना जा रहा है सरकार अग्निवीर योजना का पर पुनर्विचार करने जा रही है। यह पुनर्विचार वास्तव में अग्निवीर योजना का विस्तार होना चाहिये। अग्निवीर योजना में संशोधन “डायरेक्ट एक्शन डे” के पुनरावृत्ति की आशंका पर ध्यान केंद्रित करके करना चाहिये, और यदि इस दृष्टिकोण से उद्देश्य को स्पष्ट करके यदि विस्तार किया जाता है तो वो देशहित में होगा।

चार साल की नौकरी

विरोधी इसे चार साल की नौकरी कह रहे हैं तो इसे नौकरी नहीं प्रशिक्षण घोषित करना चाहिये और सुरक्षा से जुड़े किसी भी नौकरी की अनिवार्य शर्त बना देना चाहिये।

चार वर्ष का प्रशिक्षण : कार्यकाल विस्तार की बात जहां तक है वो अलग प्रकरण है और उस पर आगे विमर्श करेंगे। 4 साल के प्रशिक्षण को उससे अलग कर देना चाहिये और सम्मिलित होने वाले जवानों को 4 साल बाद विकल्प देना चाहिये कि वह आगे विस्तार में सम्मिलित होना चाहता है अथवा बाहर होकर अन्य क्षेत्रों में जाना चाहता है। चार वर्ष का कार्यकाल नहीं कहा जाना चाहिये अपितु प्रशिक्षण काल कहा जाना चाहिये।

चार वर्ष का प्रशिक्षण मात्र प्रमाण पत्र के लिये ही होना चाहिये और चार वर्ष का प्रशिक्षण प्रमाणपत्र धारकों के लिये सुरक्षा से जुड़े किसी भी भर्ती में शत-प्रतिशत आरक्षण देना चाहिये अर्थात नौकरी की गारंटी। प्रशिक्षण में सफल रहने वाला चाहे पुलिस भर्ती हो या आतंरिक सुरक्षा का कोई भी विभाग हो उसमें पूर्ण रूप से प्रथम अधिकारी हो।

अग्निवीर योजना की त्रुटि : अग्निवीर योजना में यही त्रुटि हुई जिस कारण इसे चार वर्ष की नौकरी घोषित किया जाने लगा। जहां अन्य प्रशिक्षण और प्रमाणपत्र के लिये व्यय करना पड़ता है तब जाकर प्राप्ति होती है वहीं अग्निवीर योजना में वेतन और सेवानिवृत्ति भी दिया गया। यदि मात्र प्रशिक्षण कहा जाता और वेतन व सेवानिवृत्ति का प्रावधान नहीं किया जाता तो चार वर्ष की नौकरी नहीं कहा जाता। इस चार वर्ष के प्रशिक्षण को नौकरी की गारंटी भी कहा जा सकता है, लेकिन जिनके लिये खतरा है वो इसे चार वर्ष की नौकरी सिद्ध कर विद्रोह के लिये उकसाने का प्रयास कर रहे हैं।

नौकरी की गारंटी

बात जब पुनर्विचार और विस्तार की हो रही है तो इसे चार वर्ष की नौकरी नहीं कहा जाय और न ही इसे समाप्त किया जाय और विरोधी को चित करने के लिये यह आवश्यक है कि इसे नौकरी की गारंटी बनाया जाय। चार वर्ष की योजना में सम्मिलित होने वाले जवान, अर्थात जो चार वर्ष के बाद बाहर आकर आतंरिक सुरक्षा देखना चाहे उसके लिये यह देश की आतंरिक सुरक्षा में सफल प्रशिक्षण प्रमाण पत्र को नौकरी की गारंटी बनाया जाना चाहिये।

आतंरिक सुरक्षा के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी जिसमें उसकी उपयोगिता अधिक सिद्ध हो उसे वरीयता देना चाहिये। ये सत्य है कि तत्काल पुलिस में शत-प्रतिशत भरपाई ही नहीं हो सकती इसलिये यह भविष्य के लिये सुरक्षित रखा जाय किन्तु रेलवे सुरक्षा में तो शत-प्रतिशत व्यवस्था की जा सकती है। सड़क सुरक्षा के लिये तो शत-प्रतिशत व्यवस्था की जा सकती है। गोपनीय रूप से सामाजिक सुरक्षा विभाग बनाकर उसमें तो सम्मिलित किया जा सकता है।

गुप्त दंगा निरोधक विभाग तो बनाया जा सकता है। गुप्त उपद्रव निरोधक विभाग तो बनाया जा सकता है। अग्निवीर के जवानों के लिये गुप्त रूप से सेवा देने की व्यवस्था की जानी चाहिये जो समाज में रहकर काम करे।

जहां एक तरफ नौकरी के लिये परिश्रम करते हुये लाखों व्यय किया जाता है, जमीने बेची जा सकती है, कर्ज लिया जा सकता है, रिश्वत दिया जा सकता है, वहीं बिना व्यय के लिये चार वर्ष का प्रशिक्षण क्यों नहीं लिया जा सकता। अर्थात यदि नौकरी की गारंटी बनाकर प्रशिक्षण दिया जाय तो अवश्य लिया जा सकता है और विरोधी को चुप भी किया जा सकता है।

देश के युवा यदि नौकरी की गारंटी ही चाहते हैं तो उसे तात्कालिक रूप से नौकरी की गारंटी ही देना आवश्यक है। जब तक जनमानस के मन में सफलता का पर्याय नौकरी बना हुआ है तब तक नौकरी की गारंटी भी देनी होगी। पहले सफलता क्या है, आजीविका क्या है, नौकरी क्या है ये सब समझाना होगा और इसमें वर्षों लगेंगे। तब तक अग्निवीर योजना को नौकरी की गारंटी बनाना चाहिये। उद्देश्य स्पष्ट हो कि अग्निवीरों को देश का रक्षक बनाना है। यदि शाब्दिक रूप से उसे नौकरी की गारंटी ही समझ में आये तो नौकरी की गारंटी कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिये।

कार्यकाल विस्तार

एक बात जो चर्चा में आ रही है वो यह है कि अग्निवीर के कार्यकाल विस्तार की बात की जा रही है। यह कार्यकाल विस्तार स्वैच्छिक बनाया जाना चाहिये। यदि अग्निवीर के जवान चार वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त करने में सफल हो जाये तो उसके पास दोनों विकल्प दिया जाना चाहिये कि वह सेना में भी अल्पकालिक सेवा दे सकता है। अथवा यदि आतंरिक सुरक्षा में सम्मिलित होने के लिये बाहर जाना चाहता है तो बाहर भी जा सकता है।

यह विकल्प भी 4 साल के बाद नहीं अपितु तीसरे वर्ष ही दिया जाना चाहिये और बाहर आने के बाद उसे नौकरी ढूंढने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिये अपितु कैंपस सेलेक्शन की व्यवस्था से ही उसका चयन हो जाना चाहिये जो तीसरे वर्ष से ही प्रारंभ किया जा सकता है। यदि इस प्रकार से किया जाता है तो उसे नौकरी की गारंटी कहा जा सकता है।

कार्यकाल विस्तार करके सात वर्ष करने की जो चर्चा है वो विशेष प्रशिक्षण और कार्यकाल होना चाहिये। इसमें वेतन और सेवानिवृत्ति का प्रावधान रहना चाहिये। लेकिन 7 वर्ष की योजना में भाग लेने वाला अग्निवीर विशेष प्रशिक्षित माना जाना चाहिये और किसी भी संगत सेवा के लिये वरीय माना जाना चाहिये। अधिकारी पद के लिये भी योग्य माना जाना चाहिये।

गरीबों के लिये कल्याणकारी

यदि यही योजना घोषित रूप से नौकरी की गारंटी बना दिया जाय तो गरीबों के लिये कल्याणकारी है यह भी सिद्ध हो जायेगा। एक गरीब परिवार का युवा जो लाखों व्यय नहीं कर सकता वह उस नौकरी को भी प्राप्त नहीं कर पाता है जिसमें लाखों व्यय करने की आवश्यकता होती है। अग्निवीर प्रशिक्षण प्राप्त करके वह उस सेवा में भी जा सकता है जिसके लिये लाखों व्यय करने की अपेक्षा होती है और यह सात वर्ष के विस्तार वाली योजना में संशोधन करना चाहिये। साथ ही देश को, देश के युवाओं को इसकी सही जानकारी भी प्रदान करनी चाहिये।

देश और गरीब वर्ग के युवाओं को समझाया जाना चाहिये कि जिस पद को वह इसलिये प्राप्त नहीं कर सकता कि उसमें शिक्षा के नाम पर लाखों व्यय करने की आवश्यकता होती है अग्निवीर का प्रशिक्षित जवान उस पद को बिना व्यय किये प्राप्त कर सकता है।

अग्निवीर योजना वास्तव में गरीबों का उत्थान करने वाली है और देश सेवा का भी अवसर प्रदान करती है ऐसे प्रावधान जोड़कर गरीबों को समझाया जाना चाहिये। गरीबों को यह बताया जाना चाहिये कि उन पदों पर जहां वही लोग एकाधिकार करके जमे रहते हैं जिसमें लाखों व्यय की आवश्यकता होती है उन पदों पर भी अब बिना व्यय किये गरीब के बच्चे प्रतिष्ठित हो सकते हैं।

अग्निवीर योजना की वास्तविकता

अग्निवीर योजना की वास्तविकता यही है कि इसमें देशसेवा का भाव उत्पन्न हो सकता है, अग्निवीर उन लोगों का काल बन सकता है जो आतंकवाद, जिहाद, नक्सलवाद, देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की इच्छा रखते हैं। यह योजना वर्तमान भारत की आवश्यकता नहीं अनिवार्यता है। आवश्यकता तो दशकों पूर्व ही थी। हाँ कुछ और संशोधन भी आवश्यक हैं जिससे उपयोगिता का और विस्तार किया जा सकता है।

लेकिन वास्तविकता, अनिवार्यता को गुप्त रखा जाय यह आवश्यक नहीं है। वास्तविकता को गुप्त रखा गया इसी कारण विरोधी वर्ग खुले मंच से इसका विरोध करने लगे। अग्निवीर योजना समाप्त कर देंगे ऐसा कहने लगे। यदि यह सिद्ध कर दिया जाता कि अग्निवीर योजना आतंकवाद, जिहाद, नक्सलवाद, इस्लामिक राष्ट्र बनाने की इच्छा, डायरेक्ट एक्शन दे की आशंका का उन्मूलन करने के लिये है तो चाहकर भी विरोधी विरोध नहीं कर पाते।

इसी प्रकार अग्निवीर योजना के बारे में और भी बहुत सारे तथ्य हैं जिनको ढूंढा जा सकता है, उजागर किया जा सकता है और देश एवं युवाओं विशेषकर गरीब युवाओं को सही से समझाया जा सकता है।

निष्कर्ष : अग्निवीर योजना को चार वर्ष की नौकरी कहना भ्रमित करना है और इसका कारण सरकार की ही त्रुटि है। अग्निवीर योजना को चार वर्ष की नौकरी का रूप नहीं देकर चार वर्ष का प्रशिक्षण और नौकरी की गारंटी का रूप दिया जाना चाहिये। साथ ही विस्तार के प्रसंग में अग्निवीरों को विकल्प दिया जाना चाहिये और स्वैच्छिक बनाया जाना चाहिये।

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