बीते वर्ष विपक्षियों द्वारा कई बार कहा गया था की खून की नदियां बहेंगी, आग लग जायेगा। मुख्य रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा कहा गया था कि देश में किरोसिन छिड़का हुआ है एक चिंगारी लगाने की देरी है। जबसे लोकसभा चुनाव 2024 का आरंभ हुआ और विपक्ष को हार दिखने लगी तबसे आगजनी और बीते वर्ष में कई बार ट्रेन दुर्घटना देखी गई। कहीं ऐसा तो नहीं कि ये दिखती दुर्घटना है लेकिन षड्यंत्र हो।
दुर्घटना या षड्यंत्र – Accident or Conspiracy
आज फतेहगढ़ साहिब के सरहिंद (पंजाब) में अमृतसर दिल्ली रेलमार्ग पर दो मालगाड़ी की आमने-सामने टक्कर हो गयी है। दोनों मालगाड़ियों के चालक घायल बताये गए हैं जिन्हें चिकित्सा के लिये अस्पताल भेज दिया गया है।
कुछ दिनों पूर्व पठानकोट के निकट कठुआ के पास एक अन्य घटना भी हुयी थी जिसमें बिना चालक के ही एक मालगाड़ी चलने लगी थी, यद्यपि दुर्घटना नहीं हुई किन्तु यदि होती तो बड़ी दुर्घटना होती।
बीते वर्ष कई ऐसे विडियो देखे गये जिसमें पटरियों पर लगातार पत्थड़ बिछाया गया था। पटड़ियों के हुक खोले गये थे और चोरी मात्र का नाम देने का प्रयास किया गया था।
#WATCH पंजाब: फतेहगढ़ साहिब के माधोपुर के पास दो मालगाड़ियों के बीच टक्कर में 2 लोको पायलट घायल हो गए। pic.twitter.com/RCIcBs4bdn
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 2, 2024
अभी भी इतना तकनीकी विकास होने के बाद दुर्घटना मात्र कहना कितना सही हो सकता है ? उसमें भी तब जब कुछ लोग धमकी देते हों, पटरियों पर पत्थर बिछाते हों, पटरियों के हुक खोल लेते हों इत्यादि-इत्यादि। क्या ये आवश्यक नहीं है की जांच दुर्घटना की जगह षड्यंत्र मानकर किया जाना चाहिये। कहीं ऐसा तो नहीं की षड्यंत्रकारियों ने सरकार को चुनौती देते हुये मालगाड़ियों में टक्कर करा रहे हैं मानो यह धमकी दे रहे हों कि यात्री ट्रेनों में भी करा सकते हैं।
इसी प्रकार आगजनी की घटनायें अन्य वर्षों की अपेक्षा अत्यधिक बढ़ी हुयी प्रतीत होती है। AC में आग लग जाना, चलती गाड़ी में आग लग जाना, फैक्ट्री में आग लगना आदि तो समझना आसान है किन्तु मालगाड़ी के डिब्बे में धमाके के साथ आग लग जाना ये समझना सरल नहीं है।
गर्मी में अग्निकांड सदैव होते हैं और इस कारण षड्यंत्र मानने का विचार भी उत्पन्न नहीं होता। किन्तु जब कोई देश में आग लग जायेगी की धमकी देता रहा हो और अग्निकांड में अप्रत्याशित वृद्धि हुयी हो तो षड्यंत्र मानकर भी विचार करना अपेक्षित है। ऐसा नहीं कि सभी काण्डों को षड्यंत्र ही कहा जाय किन्तु किसी भी अग्निकांड को षड्यंत्र नहीं माना जा सकता ऐसा भी कोई नियम नहीं है। द्वेषवश शत्रुसंपत्ति में आग लगाना पुरानी बात है ऐसा होता रहा है।
इस वर्ष कुछ फैक्ट्रियों में नहीं बहुत फैक्ट्रियों में भीषण अग्निकांड हुआ है। और बहुत फैक्ट्रियों में अग्निकांड हुआ है यही शंका का कारण है।
जब भी कहीं आग लगने की बात की जाती है तो एक नाम समरणीय है वो नाम है राहुल गांधी का। परोक्ष रूप से धमकी देते हुये राहुल गाँधी ने कई बार देश में आग लगने की बात कही है।
ऊपर जो विडियो है उसमें राहुल गाँधी स्पष्ट रूप से धमकी देते दिख रहे हैं। एक बार लंदन में भी राहुल गाँधी ने कहा था कि पूरे देश में किरोसिन छिड़का हुआ है एक तीली लगाने की देर है, किन्तु उस समय तेल छिड़कने का आरोप BJP पर लगाते हुये वक्तव्य दिया था। लेकिन बाद में जब धमकी वाला वक्तव्य दिया तो स्पष्ट कर दिया कि किरोसिन किसने छिड़का है।
यद्यपि राहुल गाँधी का वक्तव्य राजनीतिक वक्तव्य है और इसका मूल अर्थ देश में अशांति उत्पन्न होने से संदर्भित है किन्तु अग्निकांड से पूर्णतः पृथक है ऐसा भी नहीं कहा जा सकता।
अभी वर्त्तमान में आग लगने की घटना को भीषण गर्मी से जोड़ा जा सकता है किन्तु 6 माह पूर्व जब ठंड थी तब भी New Delhi-Darbhanga Express Train की बोगियों में आग लगने की घटना हुई थी।
एक विशेष महत्वपूर्ण विषय यह भी है कि लोकसभा चुनाव के क्रम में ही कई जगह बम होने की झूठी धमकी भी मिली। कभी स्कूल में तो कभी अस्पताल में, फिर कभी फ्लाइट में। बम की धमकी को भी इसी कड़ी का एक हिस्सा क्या नहीं माना जा सकता ?
निष्कर्ष : कुल मिलाकर निष्कर्ष के रूप में ये कदापि नहीं कहा जा सकता है पूर्णतः षड्यंत्र ही है किन्तु यह कहा जा सकता है कि अग्निकांडों, ट्रेन की टक्करों की सामान्य जांच मात्र ही नहीं होनी चाहिये इसे षड्यंत्र मानकर भी जांच करने की आवश्यकता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि देशव्यापी अशांति उत्पन्न न कर पाये हों तो उपद्रवी तत्व आंशिक रूप से ही अपनी खीज मिटा रहे हों।
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