पहले भी दस वर्षों तक विपक्ष संसद में कभी विमर्श करते देखी गयी हो ऐसा बहुत कम ही देखा गया होगा, हंगामा करते हमेशा देखा गया। नये लोकसभा में जब राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बने थे और कांग्रेस दो चुनाव के बाद नेता प्रतिपक्ष का पद प्राप्त कर पायी है तब सदन में चर्चा करने को आगे बढ़ना चाहिये था। लेकिन पुनः ट्रेन उसी पटरी पर चलेगी जिस पर दस वर्षों तक चलती रही थी अर्थात विपक्ष हंगामा और बस हंगामा करेगी।
चर्चा कुछ भी नहीं करनी, हंगामे का इरादा है : विपक्ष
कांग्रेस और इंडि गठबंधन की कथनी और करनी में कितना विरोधाभास है। चार दिन पहले की बात है जब प्रोटेम स्पीकर, डिप्टी स्पीकर आदि पर संसदीय परंपरा-परंपरा चिल्ला रही थी और जब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का विषय आया तो परंपरा को मिटाने की बात करने लगी। लोकसभा और राज्यसभा दोनों को जब तक स्थगित नहीं किया गया तब तक हंगामा करती रही।
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का कहना है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बाद में धन्यवाद प्रस्ताव करें पहले NEET परीक्षा की चर्चा करें, साथ ही ये भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी भी चर्चा में भाग लें और शांतिपूर्ण चर्चा का भी वचन दिया। AAP के तरफ से भी ऐसी ही मांग की गयी है। लेकिन कुछ प्रश्न है जिसका उत्तर विपक्ष को भी देना चाहिये :
- क्या निर्धारित प्रक्रिया से हटकर कार्य करना संविधान की रक्षा होगी ?
- यदि NEET प्रकरण महत्वपूर्ण है तो क्या जल में डूबी दिल्ली जो देश की राजधानी है उसकी चर्चा महत्वपूर्ण नहीं है ?
- यदि NEET प्रकरण महत्वपूर्ण है तो क्या जहरीली शराब पीने से 63 लोगों की मृत्यु महत्वपूर्ण विषय नहीं है ?
- क्या आप जानबूझ कर हंगामा करने का बहाना नहीं ढूंढ रहे हैं क्योंकि पूरी संभावना है कि पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव किया जायेगा, क्या आप संसदीय परंपरा को समाप्त करना चाहते हैं ?
- ऐसा नहीं होगा इसलिये हंगामा करने का अवसर निकल जायेगा, एक तरफ राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव होगा और दूसरी तरफ हंगामा, क्या ऐसा ही चाहते हैं ?
- राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में हंगामा करना ही करना है क्या यह निर्धारित नहीं कर लिया गया है ? और इसी कारण पहले NEET को नहीं उठाया जा रहा है ?
लोकसभा अध्यक्ष को लोकसभा स्थगित करने से पहले ऐसा कहना पड़ा कि आप राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करना नहीं चाहते, NEET पर चर्चा करना नहीं चाहते, इसीलिये नियोजित तरीके से हंगामा कर रहे हैं। विपक्ष चर्चा करना ही नहीं चाहता, संसद का कार्य बाधित करना ही उद्देश्य है; लोकसभा अध्यक्ष ने यह स्पष्ट करके 1 जुलाई 2024, पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिये लोकसभा को स्थगित किया।
पहला बिंदु तो यही है कि हंगामा नियोजित था
इस विषय में एक षड्यंत्र ये भी देखा जा रहा है कि लोकसभा अध्यक्ष ने जो 1 जुलाई 2024 11 बजे पूर्वाह्न तक के लिये लोकसभा को स्थगित किया उस समय जो वक्तव्य दिया वो वक्तव्य हर जगह छुपाया जा रहा है। क्योंकि उस वक्तव्य में उन्होंने कुछ ऐसी बातें कही जो विपक्ष ही नहीं पूरी खान मार्केट गैंग को नहीं पचने वाली है। सम्बंधित वक्तव्य का अंश अनुपलब्ध है अथवा सहजोपलब्ध नहीं है इसी कारण ही प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। लेकिन सम्बंधित अंश का अनुपलब्ध होना अथवा सहजोपलब्ध न होना कहीं न कहीं षड्यंत्र का हिस्सा है।
उपरोक्त अंश को मेन स्ट्रीम मीडिया में तो नहीं छुपाया जा रहा है किन्तु सोशल मीडिया पर छुपाया जा रहा है। ये संसद टीवी के आधिकारिक चैनल से लिया गया है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लोकसभा को स्थगित करने से पहले हंगामा को नियोजित कहा था : “सदन के शुरुआती दिनों में नियोजित तरीके से सदन नहीं चलाने देना ये संसदीय लोकतंत्र के लिये उचित नहीं है”। इसके साथ ही यह भी कहा था कि :
- आपको सदन में नारेबाजी करने के लिये नहीं भेजा है।
- सदन के विरोध और सड़क के विरोध में अंतर होना चाहिये।
- आप राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा नहीं करना चाहते।
- आप मुद्दों पर बात नहीं करना चाहते।
- NEET के मुद्दों पर राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा नहीं करना चाहते।
- देश के और मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहते।
सदन का हंगामा नियोजित था अर्थात हंगामा ही करना है चर्चा नहीं करनी है यह विपक्ष ने पहले से निर्धारित कर रखा था।
लेकिन उसके बाद प्रसारित क्या किया जा रहा है ?
आप X (ट्वीटर) पर “लोकसभा स्थगित” सर्च करें आपको एक विशेष पोस्ट ही बार-बार मिलेगा जिसे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा भी रीपोस्ट किया गया है जिसे यहां देख सकते हैं।
चर्चा विपक्ष स्वयं नहीं करना चाहती थी, किन्तु आरोप लोकसभा अध्यक्ष पर लगा दिया कि चर्चा होने नहीं दिया। ऊपर से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा इस भ्रामक तथ्य को साझा करना तो निंदनीय है, किन्तु करें तो क्या करें प्रकृति ही यही है।
Loksabha Speaker Om Birla —
— Dr.Manmohan Singh Satire (@LegendEconomist) June 28, 2024
– कोटा से आता है
– कथित तौर पर कोटा के शक्तिशाली कोचिंग संस्थानों द्वारा समर्थित
– नीट घोटाले पर चर्चा नहीं होने दी
– नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को रोका और उनका माइक म्यूट कर दिया
– NEET पर चर्चा से बचने के लिए लोकसभा स्थगित
अंदाज़ा लगाओ कि यहाँ क्या… pic.twitter.com/VFj0uWQfQm
आज के सदन से विपक्ष का सन्देश
आज के सदन से विपक्ष का ने देश को कुछ विशेष संदेश दिया है। विपक्ष ने हंगामा करके संसद को चलने नहीं दिया फिर सोशल मीडिया पर प्रचारित करने लगे :
- (लोकसभा अध्यक्ष ने) नीट घोटाले पर चर्चा नहीं होने दी
- नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को रोका और उनका माइक म्यूट कर दिया
- NEET पर चर्चा से बचने के लिए लोकसभा स्थगित
- पहली बार संसद में भारी पड़ा विपक्ष
- चौतरफा घिरे बिरला, नीट पर राहुल ने लगा दी क्लास
- स्पीकर ने बंद कराई माईक, मच गया हंगामा
उपरोक्त व्यवहार से विपक्ष यह दिखाना चाहती है कि वह सशक्त है, सदन को चलने नहीं देगी और गुर्गे ऐसे हैं कि यह प्रचारित करेंगे कि राहुल गाँधी ने वाट लगा दी। विपक्ष की सोच उस गंवार प्रतिनिधि के जैसी है जिसे हिन्दी बोलना नहीं आता है किन्तु किसी अधिकारी के पास जाकर एक-दो लाइन टूटी-फूटी हिन्दी में बोल देता है तो अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने लगता है।
विपक्ष का साफ-साफ एक ही संदेश है कि हम जो कहें वो करो, जैसे कहें वैसे करो नहीं तो हंगामा करेंगे और बदनाम भी करेंगे। राहुल गांधी के मन से वो सोच नहीं निकली है कि वो प्रधानमंत्री के पोता, प्रधानमंत्री के बेटा हैं, उन्हें यह स्वीकार नहीं है कि वो विपक्ष के नेता हैं। विपक्ष सत्ता और स्पीकर को यह बताना चाहती है कि हम जो कहेंगे वही परंपरा होगी, वही नियम होगा।
मिला क्या
न तो राष्ट्रपति के अभिभाषण पर कोई चर्चा हुयी न ही NEET पर संसद ही स्थगित हो गयी।
यदि विपक्ष सही में NEET पर चर्चा करना चाहती, यदि सचमुच 24 लाख छात्रों के लिये चिंतित होती तो पूरा अवसर था राष्ट्रपति के अभिभाषण का भी एक बिंदु NEET रहा है उस पर चर्चा हो सकती थी लेकिन उस स्थिति में संसद स्थगित नहीं होता। देश को यह संदेश नहीं दिया जाता कि राहुल ने ये कर दिया, विपक्ष ने वो कर दिया। एक संभावना ये भी बनती है कि राहुल गांधी को स्वयं पर विश्वास नहीं है कि वो सार्थक चर्चा कर सकते हैं इसलिये जान बूझ कर चर्चा से बचने के लिये हंगामा का सहारा ले लिये।
उद्देश्य राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा को रोकने का था। राष्ट्रपति के अभिभाषण में आपातकाल एक ऐसा विषय है जो कांग्रेस की वॉट लगा देगी। लेकिन NEET भी है इसलिये कांग्रेस को NEET पर अलग से चर्चा का बहाना मिल गया और ये दिखावा करने का अवसर की सरकार NEET पर चर्चा करना नहीं चाहती, विपक्ष को दबाया जा रहा है आदि-इत्यादि। जो कांग्रेस दशकों तक देश की सत्ता में रह चुकी है उसे संसद का नियम, परंपरा ज्ञात नहीं है यह नहीं माना जा सकता और इसी कारण लोकसभा अध्यक्ष को नियोजित शब्द बोलना पड़ा।
कांग्रेस दोनों हाथों में लड्डू चाहती है :
- एक तो ये कि यदि संसदीय परंपरा को तोड़कर विपक्ष की बात मान ली जाती तो डंका पीटती “मोदी के दांत खट्टे कर दिये”, “संसदीय इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा से पहले विपक्ष के मुद्दे पर चर्चा की गई”, “विपक्ष के सामने सत्ता नतमस्तक हो गई”, आदि-इत्यादि।
- दूसरी ये कि यदि चर्चा नहीं हुई तो 24 लाख छात्रों का मिलेगा साथ क्योंकि सरकार को छात्र विरोधी सिद्ध करने का अवसर मिल रहा है। एक बड़ा वोटबैंक बनता दिख रहा है।
ऐसा भी नहीं है कि सरकार और लोकसभा अध्यक्ष यह नहीं समझते हैं कि विपक्ष ने परम्परा के विरुद्ध जाने का प्रयास क्यों किया। वो भी जानते थे कि ये चर्चा चाहते ही नहीं हैं, यदि इनकी बात मान भी ली जाय, राष्ट्रपति के अभिभाषण से पहले NEET पर चर्चा करते हुये संसदीय परंपरा को भंग भी कर दिया जाय फिर भी ये राष्ट्रपति के अभिभाषण पर कदापि चर्चा नहीं करेंगे। अबकी संख्या अधिक है इसलिये वॉकआउट भी नहीं करेंगे हंगामा करके चर्चा को बाधित ही करेंगे।
सभी यह भी जानते और समझते हैं कि यदि सचमुच विपक्ष को NEET पर चर्चा करनी होती तो राष्टपति के अभिभाषण में भी उस पर भी चर्चा की जा सकती, लोकसभा अध्यक्ष ने बताया भी की कीजिये लेकिन समस्या तो यही है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करनी नहीं है किन्तु उसमें आपातकाल का विषय भी है।
सोचने की बात उनके लिये है जो ऐसे लोगों को संसद भेजते हैं। सोचने की बात उन 24 लाख छात्रों और परिवारों के लिये है कि ये उनके कंधे पर रखकर बंदूक चलाना मात्र चाहती है उनका हित नहीं। यदि उन 24 लाख छात्रों और परिवारों का हित चाहती तो चर्चा होने देती। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करते हुये ही NEET प्रकरण की भी चर्चा करती। यदि चर्चा की और आवश्यकता होती तो अलग से पुनः NEET पर चर्चा की मांग करती।
देश को जो मिला वो ये कि सदन स्थगित हो गया, कोई चर्चा हुयी ही नहीं। 24 लाख छात्र और उनके परिवार मुंह ताकते रह गये। मिला तो हंगामा और हंगामा। दिखा तो सीट बढ़ने का अहंकार दिखा।
लोकतंत्र और संविधान चिल्लाने वाली विपक्ष ने लोकतंत्र और संविधान पर पुनः प्रहार किया है। स्पीकर को भी बदनाम करने का एक प्रयास किया गया कि माईक बंद कर दिया। देश को ये संदेश दिया जा रहा है कि माईक बंद कर दिया, स्पीकर ने राहुल गाँधी को बोलने नहीं दिया, विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है।
आगे क्या होगा
आगे भी हंगामा को छोड़कर कुछ नहीं होगा। विपक्ष राष्ट्रपति के अभिभाषण पर किसी भी स्थिति में चर्चा नहीं होने देगी। नारेबाजी और नारेबाजी उसके बाद फिर नारेबाजी को छोड़कर कुछ नहीं होगा। यह पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि यदि एक बार संसदीय परंपरा का उल्लंघन करके इनकी बात मान भी ली जाय तो भी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा नहीं होने देंगे।
विपक्ष को 24 लाख छात्रों की 0.001% भी चिंता होती तो नारेबाजी न करके राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करते हुये NEET प्रकरण को उठाती। पुनः आगे भी चर्चा की मांग करती। जिसे भूख लगी हो उसके लिये भोजन करना महत्वपूर्ण होता है या ये कहना कि जब तक आचार नहीं मिलेगा तब तक भोजन ही नहीं करेंगे। ऐसा कोई मूर्ख भी नहीं करेगा कि आचार न मिले तो भोजन ही छोड़ दे।
लेकिन विपक्ष के लिये ये मूर्खता नहीं समझनी चाहिये अपितु चर्चा से बचने की होशियारी है। राष्ट्रपति के अभिभाषण में आपातकाल का बिंदु ऐसा है जिसके कारण राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा नहीं होने देगी।
लेकिन विपक्ष के लिये ये मूर्खता नहीं समझनी चाहिये अपितु चर्चा से बचने की होशियारी है । राष्ट्रपति के अभिभाषण में आपातकाल का बिंदु ऐसा है जिसके कारण राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा नहीं होने देगी। 24 लाख छात्रों और परिवारों का वोटबैंक यदि कोई बता रहा है तो ये विपरीत भी जा सकता है। यदि उसी को ये सच समझ में आ जाये कि ये हमारी चर्चा करना ही नहीं चाहते तो वो विरुद्ध हो जायेंगे।
सदन एक ही स्थिति में आगे चल सकता है और वो है जैसे पिछले सत्र में सैकड़ों सांसदों को निलंबित कर दिया गया था उसी प्रकार फिर से किया जाय। इसके अतिरिक्त अन्य कोई तरीका नहीं है। यद्यपि एक ऐसा तरीका भी होता है जिसमें लीक से हटकर होता है। इस तरीके को नश दबाना कहते हैं लेकिन कितनी नश दबायेगी भाजपा, पहले ही एक नश आपातकाल का दबा चुकी है जिसके लिये हंगामा हो रहा है।
निष्कर्ष : संसद में आज पहली चर्चा में हंगामा को यदि गुनगुनाकर कहा जाय तो इस प्रकार कहा जा सकता है :
चर्चा कुछ भी नहीं करनी, हंगामे का इरादा है
बहाने हैं जरा समझो, हंगामे का इरादा है।
वैसे विपक्ष को समझायेगा कौन, ये बड़ा प्रश्न है। एक प्रश्न यह भी है कि विपक्ष द्वारा देश को इस तरह मूर्ख बनाने से कौन बचायेगा ?