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लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने बालकबुद्धि को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा

लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने बालकबुद्धि को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा

अग्निवीर योजना को लेकर जो झूठ बोला जा रहा है, सेना के मनोबल को जो तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है वो कहीं न कहीं देश विरोधी तत्वों से जुड़ा हुआ है साथ ही ये अराजकतावादी भी हैं, यदि 400 सीटें आ जाती तो इन्होंने देश में आग लगाने की धमकी दे दिया था।

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झूठ बोलना पाप है नदी किनारे सांप है

झूठ बोलना पाप है नदी किनारे सांप है

झूठ बोलना अपराध भले न बनाया जा सके किन्तु झूठ को उजागर करने, अंकित करने, सार्वजानिक निंदा करने पर तो रोक नहीं है। फेक न्यूज को लेकर चर्चा होती है, समस्या है किन्तु जब राजनीतिक झूठ को उजागर और अंकित किया जायेगा, निंदा की जायेगी तो फेक न्यूज को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

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राष्ट्रपति का अभिभाषण वास्तविकता का चित्रांकन

राष्ट्रपति का अभिभाषण वास्तविकता का चित्रांकन

एक समय ऐसा था जब वास्तविकता जानते हुये भी उसे प्रकट नहीं किया जाता था अर्थात छुपाने का प्रयास न हो तो भी प्रकट करने से बचा जाता था। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में देश की वर्त्तमान स्थिति का वास्तविक चित्रांकन किया गया।

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पहला दिन पहला प्रहार, टूट गया झूठा अहंकार

पहला दिन पहला प्रहार, टूट गया झूठा अहंकार – condemnation of emergency

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आपातकाल लगाया था, देश को जेल बना दिया था, संविधान को ताक पर रख दिया था, मीडिया पर ताला लगा दिया था, तानाशाही किया था इत्यादि तथ्य जैसे ही सामने आते है उनके पोते का मोदी पर तानाशाही का आरोप लगाना, संविधान संविधान चिल्लाना सब दिखाबा सिद्ध हो जाता है।

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लोकतंत्र और स्वस्थ लोकतंत्र

स्वस्थ लोकतंत्र का तात्पर्य डिप्टी स्पीकर पद विपक्ष को देना है या …

यदि स्वस्थ लोकतंत्र पर गंभीर विचार किया जाय तो राजनीतिक दल होना ही नहीं चाहिये। जनता मात्र एक योग्य प्रतिनिधि का चयन करती, फिर सभी प्रतिनिधि सुयोग्य नेता को प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष आदि चयन करके बनाती। राजनीतिक दल के कारण भी योग्य व्यक्ति का चुनाव नहीं होता है। अर्थात जब तक दलगत राजनीति चलेगी तब तक लोकतंत्र को स्वस्थ कहा ही नहीं जा सकता।

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जनादेश कुछ भी हो, राज हम ही करेंगे नहीं तो ....

जनादेश कुछ भी हो, राज हम ही करेंगे नहीं तो ….

कांग्रेस का कौन सा विशेषाधिकार था जो मार्कण्डेय काटजू, टी.एन. शेषण आदि प्रमुख चेहरों के अतिरिक्त पूरे तंत्र में स्थापित करने का अधिकार देता था, किन्तु भाजपा को यह अधिकार नहीं देता है कि राष्ट्रवादी विचारधारा के लोगों को स्थापित कर सके, RSS (पैरेंट ऑर्नाइजेशन) के लोगों को तंत्र में स्थापित नहीं कर सके।

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बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होय, खतड़े में है लोकतंत्र कितना कोई रोय

बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होय, खतड़े में है लोकतंत्र कितना कोई रोय

कहते हैं “बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय” और चुनावी राजनीति इसकी अगली पंक्ति बनाते दिख रही है “खतड़े में है लोकतंत्र कितना कोई रोय” क्योंकि देवेश चंद्र ठाकुर के इस वक्तव्य को लोकतंत्र के लिये खतड़ा सिद्ध करने का प्रयास किया जा सकता है और खान मार्केट गैंग इसी काम में माहिर है वो सिद्ध भी कर सकती है।

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राजनीतिक झूठ कोई खेल नहीं जनता और देश के साथ छल है गंभीर अपराध घोषित हो

राजनीतिक झूठ कोई खेल नहीं जनता और देश के साथ छल है गंभीर अपराध घोषित हो

इसमें दो मत हो ही नहीं सकता की राजनीति और झूठ में अनन्य संबंध स्थापित हो चुका है और इसका प्रमाण यह है कि कोई भी पक्ष झूठ से अछूता नहीं है और यदि झूठ का सहारा न ले तो संभवतः सत्ता ही न मिले। राजनीति से झूठ का अंत होगा यह मानना असंभव है किन्तु प्रयास तो करना ही चाहिये।

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बोल कि लव आजाद हैं तेरे, बोला नहीं तो ले डूबेंगे

बोल कि लव आजाद हैं तेरे, बोला नहीं तो ले डूबेंगे

आगे ऐसा बताया जा रहा है कि सरकार जाग गई है और इस संबंध में कानून लाने जा रही है। भ्रामक सूचना के विरुद्ध कानून बनाने वाली है। लेकिन यह प्रश्न तो अभी भी अनुत्तरित ही है कि जो विपक्ष का साथ नहीं देंगे उसके संरक्षण के लिये क्या करेगी ?

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वोट जिहाद और स्वस्थ लोकतंत्र

वोट जिहाद और स्वस्थ लोकतंत्र

लकसभा चुनाव 2024 में वोट जिहाद का नारा लगाया गया था और वो भी किसी मौलाना द्वारा नहीं सपा नेत्री द्वारा जो कि पूर्व केंद्रीय मंत्री की भतीजी भी थी। और अब सामने यह भी आ रहा है कि वोट जिहाद का नारा मात्र नहीं लगा था ऐसा लगता है कि वोट जिहाद किया भी गया।

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