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बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होय, खतड़े में है लोकतंत्र कितना कोई रोय

बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होय, खतड़े में है लोकतंत्र कितना कोई रोय

कहते हैं “बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय” और चुनावी राजनीति इसकी अगली पंक्ति बनाते दिख रही है “खतड़े में है लोकतंत्र कितना कोई रोय” क्योंकि देवेश चंद्र ठाकुर के इस वक्तव्य को लोकतंत्र के लिये खतड़ा सिद्ध करने का प्रयास किया जा सकता है और खान मार्केट गैंग इसी काम में माहिर है वो सिद्ध भी कर सकती है।

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बोल कि लव आजाद हैं तेरे, बोला नहीं तो ले डूबेंगे

बोल कि लव आजाद हैं तेरे, बोला नहीं तो ले डूबेंगे

आगे ऐसा बताया जा रहा है कि सरकार जाग गई है और इस संबंध में कानून लाने जा रही है। भ्रामक सूचना के विरुद्ध कानून बनाने वाली है। लेकिन यह प्रश्न तो अभी भी अनुत्तरित ही है कि जो विपक्ष का साथ नहीं देंगे उसके संरक्षण के लिये क्या करेगी ?

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ऐसा क्या हो गया है कि मीडिया केजरीवाल और AAP के विरुद्ध हो गई

ऐसा क्या हो गया है कि मीडिया केजरीवाल और AAP के विरुद्ध हो गई

यह सही कारण प्रतीत नहीं होता कि विज्ञापन बंद होने के कारण ही मीडिया जल संकट को लेकर बरसने लगी है। और न ही ऐसा कुछ है कि मीडिया को पापबोध हो गया है और प्रायश्चित्त कर रही है। वास्तव में मीडिया कुछ न कुछ बड़े तथ्य को छुपा रही है और लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है।

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कब तक मौन रहेगी, चुप्पी, छिपायेगी ! दिल कहता है इक दिन मीडिया मान जायेगी

कब तक मौन रहेगी, चुप्पी, छिपायेगी ! दिल कहता है इक दिन मीडिया मान जायेगी

जो सनातन के विरुद्ध बात करे वह आधुनिक सदी में जीता है, पढ़ा-लिखा होता है और इसे उस स्तर तक पहुंचा दिया गया कि भारत में भारत के ही लोग रामायण-गीता आदि धार्मिक व सांस्कृतिक ग्रंथों का विरोध करने लगे, सांप्रदायिक कहने लगे, फाड़ने लगे, जलाने लगे।

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चुनाव परिणाम 2024

सभी दलों ने चुनाव संपन्न होने से पूर्व ही परिणाम की घोषणा क्यों कर दिया – लोकसभा चुनाव 2024

अंतिम क्षणों तक यहाँ तक कि मतगणना के भी अंतिम क्षणों तक हारने वाला यही कहते दिखता है कि अभी प्रतीक्षा कीजिये, मतगणना बाकि है। किन्तु इस लोकसभा चुनाव के बाद सबने लगभग देश को संकेत दे दिया है कि परिणाम क्या आने वाला है जबकि अंतिम चरण का चुनाव भी अभी शेष ही है।

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विपक्ष का सनातन द्रोह

विपक्ष का सनातन द्रोह और आसुरी छाया हुआ उजागर

चुनाव के उपरांत नयी विधायिका (लोकसभा) और कार्यपालिका (सरकार) के जीवन का आरम्भ होने जा रहा है जिसके लिये मात्र मोदी को ही नहीं सभी प्रतिभागी राजनीतिक दलों व नेताओं को मंगलाचरण करना चाहिये।

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घृणित मीडिया

मीडिया में कोई काला धब्बा नहीं है, पूरा चेहरा ही कालिख पुता है

मीडिया पर प्रश्नचिह्न नया नहीं है, लगभग सभी राष्ट्रवादी “दलाल मीडिया”, “खैराती”, “खान मार्केट गैंग” इत्यादि सम्मान बहुत काल से देते रहे हैं। यद्यपि मीडिया ने कुछ सुधार करने का प्रयास अवश्य किया है और यह इस तथ्य से सिद्ध होता है कि राहुल गांधी ने भी मीडिया पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया है

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खड़गे सटासट सटक ले

सबूत दो सबूत दो, मांगे देश सबूत दो

राहुल गांधी ने कुछ ही वर्षों में खटाखट-खटाखट कांग्रेस की खटिया खड़ी करने लगे थे और मटामट-मटामट मटिया-मेट करते उससे पहले सोनियां गांधी ने मोर्चा सम्हाला, फिर लबालब-लबालब लबने वाले खड़गे (मल्लिकार्जुन खड़गे) को 2024 में होने वाली हर की मटकी फटाफट-फटाफट फोड़ने के लिये अध्यक्ष बना दिया।

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स्वस्थ लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त

अच्छा विपक्ष स्वस्थ लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त, अच्छे विपक्ष का न होना कमी

विपक्ष को अभी भी चाहिये कि ज्ञानवापी, मथुरा कृष्ण जन्मभूमि आदि को देश की सांस्कृतिक विरासत स्वीकारे और विवाद का संवाद से शीघ्र समाधान हो ऐसा प्रयास करे। भगवा को, देश के ग्रंथों को सांप्रदायिक कहना बंद करे। कुर्ते पर जनेऊ धारण करने से देश विपक्ष को सनातनी नहीं स्वीकारेगा।

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खान मार्केट गैंग की उलटी गिनती आरंभ हो चुकी है

खान मार्केट गैंग सुन लें तबाही तय है, उलटी गिनती आरंभ हो चुकी है

लोकसभा चुनाव 2024 आरंभ होते ही पहले तो मोदी ने कांग्रेस के चट्टे-बट्टे कहकर सुधरने का संकेत मात्र किया लेकिन निर्लज्ज मीडिया ने अनसुना कर दिया आखिर क्यों न करे लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ होने का अहंकार है, मोटी कमाई होती है, अंतरराष्ट्रीय गिरोह की छत्रछाया है तो मोदी क्या चीज है?

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