सन्देश खाली की घटना देश को विचलित करने वाला है जिस पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने घटना के लिये CBI जांच का आदेश दिया जो प० बंगाल की मुख्यमंत्री को स्वीकार्य नहीं था। सच सामने आने के भय से भयभीत ममता बनर्जी उच्च न्यायालय के CBI जाँच आदेश के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय चली गई क्योंकि सच छुपाने के लिये ये आवश्यक था कि स्थानीय पुलिस ही जाँच करे।
सन्देश खाली का सच आया सामने | ममता को SC में बर्बादी दिखी मैदान छोड़कर भागी
24 परगना के संदेशखाली इलाके की घटना का आरम्भ राशन घोटाले मामले से हुआ था जो वर्त्तमान में आतंकवादी घटना तक का रूप में परिवर्तित होता दिखाई दे रहा है। शाहजहां शेख शिबू हज़रा और उत्तम सरदार. तीनों राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। पहले संक्षेप में घटनाक्रम को समझते हैं :
5 जनवरी 2024 – राशन घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शाहजहां के घर तलाशी अभियान चलाई। लेकिन “सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का” को चरितार्थ करते हुये शाहजहां के गिरोह ने उस दिन ED अधिकारियों पर हमला किया, अधिकारी घायल भी हुये। इस मामले में टीएमसी के ब्लॉक प्रमुख शिबू हाजरा और जिला परिषद सदस्य और तृणमूल के क्षेत्रीय अध्यक्ष उत्तम सरदार का नाम सामने आया था, जिसे निष्काषित भी किया गया। ED को इन्हीं कारणों से बदनाम किया जा रहा है क्योंकि ED भ्रष्टाचारियों को छोड़ने का नाम नहीं ले रही है।
धामाखाली कालिंदी नदी के एक किनारे मौजूद है। यहां से नाव पकड़कर सामने मौजूद नदी के द्वीप पर जाते हैं, तो आप संदेशखाली पहुंचते हैं। ED के अधिकारियों को दौड़ाकर मारा गया। ED के तीन अधिकारी घायल हो गए। इस पूरी घटना का फायदा उठाकर शाहजहां धामाखाली से भाग गया जिसके बाद यह भी प्रचारित किया गया कि शाहजहां शेख बांग्लादेश भाग गया।
24 जनवरी 2024 – को ईडी ने एक बार फिर लाव-लश्कर के साथ राशन घोटाले के आरोपी शाहजहां शेख के आवास पर दस्तक दी। मौके पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के 120 से अधिक जवान और स्थानीय पुलिस की टीमें पहुंचीं थीं। बाद में आयकर विभाग की एक टीम भी तलाशी अभियान में शामिल हुई और दोनों टीमों ने संयुक्त कार्रवाई की थी। ईडी की टीम ने शाहजहां शेख के घरों में लगे ताले तोड़ दिए थे और कई दस्तावेज हाथ लगे थे।
7 फरबरी 2024 – शाहजहां व गिरोह पर अत्याचार और भूमि कब्जा करने के आरोपों के कारण संदेशखाली में दंगे भी हुए। महिलाओं ने बांस, कतरी, खूंटी, लाठी लेकर विरोध प्रदर्शन किया। अगले दिन शिबू के बगीचे और पोल्ट्री फार्म में भी तोड़फोड़ की गई। संदेशखाली की महिलाओं की शिकायत थी कि शिबू हाजरा उन्हें रात में मीटिंग के नाम पर, या धमका कर, दबाव बनाकर बुलाते थे, उन पर अत्याचार (शारीरिक शोषण) करते थे।
औरतों के पास मना करने का कोई विकल्प नहीं होता था क्योंकि उनके पति और ज़मीनों की भेड़ी पर इन लोगों का कब्जा होता। औरतों के पास विकल्प इसलिए भी नहीं था क्योंकि वह मना करतीं तो ये लोग उनके घर चले आते और मारना पीटना कर देते थे। ऐसे भी आरोप सुनने को मिले कि कई बार स्थानीय लोगों को बिठाकर उनके सामने गांववालों को मारा जाता था, ताकि गांव में भय और आतंक का माहौल बना रह सके और इसी क्रम में लड़कियों का यौन शोषण शुरू हुआ। सुंदर लड़कियों की पहचान करके उन्हें पार्टी ऑफिस बुलाकर उनसे “मनोरंजन” करने के लिए कहा जाता और पहले मनोरंजन होता फिर बलात्कार।
लेकिन मामले को दबाने का भरपूर प्रयास किया गया, यदि ये ज्ञात होता कि मामला हाथ से निकल जायेगा तो सम्भवतः दबाने का प्रयास नहीं किया जाता पुलिस को सही से काम करने दिया जाता और यदि पुलिस सही से काम करती तो मामला इतना बड़ा भी नहीं हो पाता। किन्तु दुर्मति सवार होने के कारण और पूर्व की घटनाओं को चूंकि दबाने में सफलता भी मिली थी इस कारण अहंकार में चूर तृणमूल कांग्रेस के छोटे-मोटे नेताओं-प्रवक्ताओं ने ही नहीं ममता बनर्जी ने भी शर्मनाक वक्तव्य दिये।
“दिने दिने वर्द्धमाना शुक्लपक्षे यथा शशि” की भांति मामला तूल पकड़ता गया। 8 फरबरी को महिलाओं ने प्रदर्शन भी किया था। ममता बनर्जी सरकार शाहजहां शेख को बचाने का प्रयास करती रही। चूंकि अपराधी पार्टी से जुड़े लोग या नेता थे इसलिये पीड़ित को ही झूठा सिद्ध करने का भी प्रयास होते रहे, मामले को दबाने के लिये RSS को भी घसीटा गया।
10 फरबरी 2024 – मामला को दबाने का भरपूर प्रयास किया गया लेकिन मामला तूल पकड़ता ही गया और तृणमूल कांग्रेस का सिरदर्द बनता गया। अंततः तृणमूल नेता पार्थ भौमिक ने रेड रोड रैली से उत्तम सरदार को 6 साल के लिए निलंबित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह फैसला पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के निर्देश पर लिया गया है। फिर कुछ ही घंटों बाद उत्तम सरदार को छेड़छाड़ के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।
12 फरबरी – संध्या उत्तम को बशीरहाट डिविजनल कोर्ट ने जमानत दे दी। उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और बशीरहाट पुलिस स्टेशन ले जाया गया। इस बीच, दबाव में आई पुलिस ने महिलाओं की शिकायतों की जांच के लिए 10 सदस्यीय जांच टीम का गठन किया। इसी दिन बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस ने पीड़ित महिलाओं से भेंट भी की। 13 फरबरी को कलकत्ता उच्च न्यायालय के जस्टिस अपूर्व सिन्हा रे ने घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुये एक हप्ते में सरकार को रिपोर्ट देने के लिये कहा।
15 फरबरी – संदेशखाली की महिलाओं की शिकायत को तृणमूल शुरू से ही नकारती रही थी। इस दिन विधानसभा में ममता बनर्जी ने कहा :
मैं चेहरे पर मास्क पहनकर तस्वीरें ले ले रही थी. बाहर से लोगों को लाकर इलाके को अशांत करने की कोशिश की गई। ईडी ने शाहजहां को निशाना बनाते हुए संदेशखाली में प्रवेश किया। तभी मूलनिवासी मां-बहन में झगड़ा हो गया। सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि मामला क्या है? वहां आरएसएस का घर है. 7-8 साल पहले वहां दंगा हुआ था. कई दंगा स्थलों में से यह भी एक स्थान है।
इस प्रकार से ममता बनर्जी ने विधानसभा में मामले पर पर्दा डालते हुये RSS को भी घसीटने का प्रयास किया। भाजपा सक्रीय होती रही, पुलिस पर दबाब बढ़ता गया।
17 फरबरी – पुलिस ने उत्तम और शिबू के खिलाफ दर्ज मामले में सामूहिक बलात्कार और हत्या के प्रयास को जोड़ा। इसके बाद तृणमूल नेता शिबू हाजरा को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस की सक्रियता सरकार को पसंद नहीं आई या सरकार के अनुकूल पुलिस काम नहीं कर रही थी इसलिये राज्य पुलिस के एडीजी (दक्षिण बंगाल) और बारासात के डीआइजी का तबादला कर दिया गया. DIG सुमित कुमार ने भास्कर मुखोपाध्याय को भी हटाया गया।
एक हफ्ते बाद अचानक क्यों सामने आया गैंग रेप का मामला?
इस विषय में राज्य पुलिस के डीजी राजीव कुमार ने बताया की, एक महिला के गुप्त बयान के आधार पर पुलिस ने उत्तम और शिबू के खिलाफ सामूहिक बलात्कार का मामला दर्ज किया है।
फिर यहां की बहुत सारी महिलाओं ने तीन स्थानीय नेताओं के खिलाफ यौन हिंसा की शिकायतें कीं।
संदेशखाली की घटना को लेकर अल्पसंख्यक कार्ड खेलते हुये लीपापोती करने के उद्देश्य से यह भी चर्चा होने लगी कि शाहजहां पर उनके अल्पसंख्यक होने की वजह से कार्रवाई की जा रही है। इसपर राज्य की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री शशि पांजा ने आजतक बांगला से कहा, ”महिलाएं पहले पुलिस में शिकायत नहीं करती थीं. ऐसी शिकायतों के आधार पर मामले दर्ज किये जा रहे हैं और अपराध, अपराध है! इसमें हिंदू और मुसलमानों को मत लाइए। बीजेपी सांप्रदायिक राजनीति करती है। अपराध में हिंदू-मुस्लिम मुद्दे शामिल नहीं हो सकते”
इसी बीच संदेशखाली के मामले में कई याचिका सुप्रीमकोर्ट भी पहुंची थी जिसे 19 फरबरी को निरस्त कर दिया गया। 20 फरबरी तक भी शाहजहां शेख की गिरफ्तारी नहीं होने के कारण उच्च न्यायालय ने बंगाल सरकार को डांट लगायी। 22 फरबरी को NCST की एक टीम संदेशखाली गयी, ED ने शाहजहां को एक नया समन जारी किया। 23 फरबरी को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम मिलने पहुंची। 26 फरबरी को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ममता सरकार को फिर फटकारा और शाहजहां की शीघ्र गिरफ्तारी का आदेश दिया। 27 फरबरी को TMC नेता अजित मैती को गिरफ्तार किया गया जो शाहजहां का करीबी था।
शाहजहां की गिरफ़्तारी : अंततः 29 फरबरी को शाहजहां की शानदार गिरफ्तारी हुई। गिरफ्तार होते हुये भी वह शान में ही था कि अपनी सरकार है दिखाबे की गिरफ्तारी है क्योंकि उच्च न्यायालय का आदेश है।
इसके बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश से मामला सीबीआई को सौंपा गया लेकिन इसके लिये भी नाटकीय घटनाक्रम हुआ। ED की याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा,
पश्चिम बंगाल पुलिस का रवैया पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है। इसे देखते हुए निष्पक्ष और ईमानदार जांच की जरूरत है। हमें यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि राज्य की एजेंसियों से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है।
है न दुर्भाग्यपूर्ण न्यायालय का आदेश होता है कि पुलिस सही से काम नहीं कर रही है या पक्षपात करती है और विपक्षी नेता ED, CBI को बदनाम करते हैं जबकि न्यायालय जब पक्षपात देखती है तो सीबीआई को जांच करने के लिये कहती है। कितने बेशर्म हैं ये विपक्षी नेता सोचकर भी आँखें फटी रह जाती है।
कोर्ट ने कहा : ‘बंगाल पुलिस आरोपी को बचाने के लिए लुका-छिपी का खेल रही है। आरोपी राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति है। वह बंगाल पुलिस की जांच को प्रभावित कर सकता है।’ यद्यपि बाद में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उच्च न्यायालय के टिप्पणी को हटा दिया गया।
ईडी और राज्य सरकार ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर सिंगल बेंच के 17 जनवरी के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें बेंच ने ED अधिकारियों पर भीड़ के हमले की जांच के लिए सीबीआई और राज्य पुलिस की जॉइंट स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित करने का आदेश दिया था।
इस बीच राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने मंगलवार को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से मिलकर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। टीम ने संदेशखाली में पीड़ित महिलाओं के बयानों की रिपोर्ट उन्हें सौंपी। जिसमें पुलिस अधिकारियों, TMC नेता शाहजहां शेख और उसके गिरोह पर महिलाओं के शोषण और जमीनों पर कब्जे के आरोप थे।
29 फरवरी को गिरफ्तारी के तुरंत बाद शेख शाहजहां के वकील जमानत के लिए हाईकोर्ट पहुंचे थे। कोर्ट ने कहा था – उसे गिरफ्तार ही रहने दो। अगले 10 साल तक ये आदमी आपको बहुत व्यस्त रखेगा। आपको इस केस के अलावा कोई और चीज देखने का मौका नहीं मिलेगा। उसके खिलाफ 42 केस दर्ज हैं, वो फरार भी था। जो कुछ भी आपको चाहिए, आप 4 मार्च को आइए। हमारे पास उसके लिए कोई सहानुभूति नहीं है।
जांच आगे बढ़ती गयी 26 अप्रैल को CBI फिर से सन्देश खाली पहुंची जहां भारी मात्रा में हथियार होने से NSG के बड़ी टीम को बुलाया गया। ढेरों खतरनाक विदेशी हथियार बरामद हुये और नए घटनाक्रम में 29 अप्रैल को ममता सरकार डर गयी और सर्वोच्च न्यायालय में जो याचिका लगायी थी उसे वापस ले लिया क्योंकि मामला तो अब उस स्तर तक पहुंच चुकी है जहां अब CBI और ED से मामला वापस ले पाने की कोई संभावना नहीं है।
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