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चोर बोले जोड़ से, हिंसक कांग्रेस सिखायेगी अहिंसा का पाठ

चोर बोले जोड़ से, हिंसक कांग्रेस सिखायेगी अहिंसा का पाठ

कांग्रेस का हिन्दूद्रोह छुपा नहीं है किन्तु छुपाया जाता रहा है, कांग्रेस का झूठ छुपा नहीं है किन्तु बार-बार झूठ हर जगह झूठ इस प्रकार बोला जा रहा है कि झूठ ही सच लगने लगे, भले ही कुछ काल के लिये ही क्यों न लगे, कुछ काल का ही लाभ लिया जा सकता है। कांग्रेस कितनी हिंसक है और यह इसके हिंसा का इतिहास ही बताती है किन्तु उसे छुपाने का प्रयास किया गया, लेकिन हिंसक कांग्रेस देश को हिंसा का पाठ पढ़ाती है और हिन्दू को आतंकवादी, हिंसक, नफरती, झूठा कहती ही रहती है। आज फिर से एक राहुल गांधी (हिन्दूद्रोही) ने संसद में हिन्दू को हिंसक, नफरती, झूठा बताया।

चोर बोले जोड़ से, हिंसक कांग्रेस सिखायेगी अहिंसा का पाठ

कांग्रेस के हिंसा, नफरत, असत्य का इतिहास यदि बनाया जाय तो वो उसके पन्ने कम नहीं पड़ेंगे लेकिन देश ढंक जायेगा। एक व्यक्ति यदि कांग्रेस के इतिहास को लिखना भी चाहे तो न लिख पायेगा। एक पोस्ट में तो समझा पाना संभव ही नहीं है, जिसका पूरा इतिहास ही काले पन्नो से भरा हो उसमें तो सफेद ही दाग जैसा दिखेगा। संसद में बोला असत्य तो संसद में ही सिद्ध हो गया।

यदि हिन्दू की जगह गलती से यदि दूसरे समुदाय का नाम ले लिया होता तो संसद में ही जूते पड़ने लगते और गठबंधन के लोग भी जूते से पीटते, देश की सड़कें रक्तरंजित हो जाती और वो सिद्ध भी हो जाती।। ये असत्य और हिन्दू की सहिष्णुता ही थी जो हिन्दुओं से भरी संसद में हिन्दुओं को अपमानित किया गया, कलंकित किया गया लेकिन किसी हिन्दू ने चप्पल भी नहीं मारा, हिन्दू खुलकर गाली भी नहीं दे रहा है।

पहला कलंक – हिंसा हिंसा हिंसा

हिन्दू हिंसक होता है यह तो संसद में भी असत्य सिद्ध हो गया क्योंकि यदि हिन्दू हिंसक होता तो संसद में हो गया होता और राहुल गांधी कभी बोलने का साहस नहीं करते और यदि कर दिया तो सांस की जांच करनी पड़ती चल रही है या नहीं। संसद में भले ही जूते न पड़ते और किसी प्रकार संसद से बाहर आ भी जाते तो भी सारी सुरक्षा व्यवस्था धड़ी की धड़ी रह जाती और हिन्दू को संसद में कलंकित करने वाला, अपमानित करने वाला कहां है कुछ अता-पता नहीं होता।

यदि हिन्दूद्रोही के साथ कोई हिंसक घटना नहीं हुयी है तो इससे ही सिद्ध हो जाता है कि हिन्दू अहिंसक होता है हिंसक नहीं। हिन्दू हिंसा हिंसा हिंसा नहीं करता है, हिन्दू अहिंसा अहिंसा अहिंसा करता है। हिन्दूद्रोही कुकर्मी इटालियन मां का बेटा और खान का खून जो बोला था, बोला नहीं संसद में बोला था “जो लोग अपने आप को हिन्दू कहते हैं वो 24 घंटा हिंसा हिंसा हिंसा” पहला कलंक हिंसा का लगाया था। यदि हिन्दू हिंसक होता तो तुम नेता प्रतिपक्ष नहीं होते हिन्दूद्रोही।

दूसरा कलंक – नफरती नफरती नफरती

इस कुकर्मी हिन्दूद्रोही ने दूसरा कलंक नफरती होने का लगाया। अरे कुकर्मी तुम्हारी पार्टी के भी कई नेता कह रहे हैं मैं भी हिन्दू हूँ, यदि नफरती होते तो वही तुम्हें नेता प्रतिपक्ष कैसे बना देते ? तुमने पहली बार तो हिन्दू को अपमानित और कलंकित नहीं किया है न। यदि हिन्दू नफरती होते तो तुम्हारी पार्टी के ही हिन्दू कान पकड़कर बाहर निकाल फेंकते, और हिन्दुओं की तो बात ही क्या है।

हिन्दू तो इतना सहिष्णु और क्षमावान है कि अब भी बस माफी मांगने की बात कर रहा है, कि माफी मांग लो इससे अधिक हम कुछ कर ही नहीं सकते। यदि हिन्दू नफरती होता तो संसद में गृहमंत्री को ये नहीं कहना पड़ता कि तुम्हें माफी मांगनी चाहिये संसद में ही नफरत दिखा देते। अरे इस तरह खुलेआम देश की संसद में हिन्दुओं को अपमानित करो, कलंकित करो और हिन्दू वास्तव सब सह ले ऐसा कैसे हो गया ?

मतलब हिन्दू इतना भी नफरती नहीं होता कि अपमानित होने के बाद भी कुछ प्रतिक्रिया दे। हिन्दुओं की कोई नफरती प्रतिक्रिया नहीं देखी गयी मतलब दूसरा कलंक भी बस नीचा दिखाने के उद्देश्य से, घृणा के कारण, अपमानित किया गया है। दूसरा कलंक भी तुम्हारा असत्य सिद्ध हो गया है। यदि हिन्दू नफरती होता तो तुम बोल ही नहीं पाते क्योंकि डरते। हिन्दू क्षमावान होता है इसलिये तुमने बोल दिया कि यदि प्रतिक्रिया आयी भी तो अधिकतम क्षमायाचना करनी होगी और विवाद समाप्त।

तीसरा कलंक – असत्य असत्य असत्य

अरे मूर्खाधिराज, सनातनद्रोही, पहले के दो कलंक तो जो तुमने लगाया वो तो असत्य सिद्ध हो गया फिर सत्य और असत्य बोलने का तो अधिकार ही तुम्हारे पास शेष नहीं रहता, क्योंकि वो दोनों कलंक जो तुमने लगाया वही असत्य है। जिसका जीवन ही असत्य से पटा हुआ है वो दुनियां को सत्य के लिये शिक्षा देगा।

  • खान का खून हिन्दू कैसे : तुम्हारे दादा का नाम फिरोज खान था ये सत्य है या नहीं ? तुम फिरोज खान के खून हो तो हिन्दू कैसे हो गये ? जनेऊधारी हिन्दू जो बना था वो असत्य था या नहीं ?
  • इटालियन मां का बेटा : तुम्हारी मां इटालियन है या नहीं ? क्या इटली के लोग हिन्दू होते हैं ? तुम जो स्वयं को हिन्दू कहते हो इससे बड़ा असत्य क्या हो सकता है ?

एक्सीडेंटल हिन्दू जवाहर लाल नेहरू के परनाती, फिरोज खान का पोता राहुल गांधी क्या हिन्दू है

असत्य जिसके रग-रग में है वो दुनियां को सत्य सिखायेगा ? अरे कुकर्मी सत्य तो सनातन के साथ जुड़ा है। सत्य सीखने और समझने के लिये भी तुम्हें सनातन में आना होगा, हिन्दू बनना पड़ेगा।

इसने स्वयं ही कहा था “मैं किसी भी तरह के हिंदुत्व पर विश्वास नहीं करता” और कभी हिन्दू बनने लगा, त्रिपुण्ड्र लगाने लगाने लगा, मंदिर दौड़ने लगा, फिर संसद में गया तो फिर से हिन्दूद्रोही बन गया। क्या झूठ था या क्या झूठ है ?

पूरी की पूरी कांग्रेस ही असत्य से पटी हुयी है

इसने स्वयं ही अपने पूर्वजों के असत्य को भी प्रकट किया है, कांग्रेस ने देश को पढ़ाया था “गाँधी जी ने कहा कोई एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल आगे बढ़ा दो” इसने उसकी पोल-पट्टी भी खोल दी।

कांग्रेस के उन लोगों ने ऐसा पाठ पढ़ाया था जो लोग बाइबल नहीं पढ़ते थे। ये बाइबल पढ़ने वाला है और इसने बाइबल में ये बात पढ़ी और गलती से एक सच बोल गया जिससे पूरी कांग्रेस की पोल-पट्टी खुल गयी।

वही पंक्ति जो कांग्रेस देश को बताती थी, किताबों तक में लिख दिया कि गांधी ने कहा था, आज कुलकलंकी बनते हुये उसे झूठा सिद्ध कर दिया और बताया कि बाइबल में लिखा है “कोई एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल आगे बढ़ा दो”

दूसरी बात यदि तुम सत्य बोलने का थोड़ा भी साहस रखते हो तो बताओ कि :

  • सर्वाधिक धमाका किस विशेष नारे के साथ होता है ? (सैन्य युद्ध को छोड़कर)
  • सर्वाधिक खून किस नारे के साथ बहाया जाता है ?
  • आज भी दुनियां में लोगों के गले काटे जाते हैं, बोलो किस नारे के साथ गर्दन काटे जाते हैं ?
  • दूसरे संप्रदाय के धार्मिक स्थलों पर अशांति और उपद्रव कौन करता है ?

जिस तरह से हिन्दू को अपमानित किया, कलंक मढ़ा, एक बार इन प्रश्नों का सही उत्तर दे दो पता चल जायेगा हिंसा क्या होती है, नफरत किसे कहा जाता है और असत्य क्या था ?

क्या समाचार है द्वारा पहले ही कहा गया है झूठ को सिद्ध करो

नीच ने चुनाव में भी झूठ ही झूठ बोला था, जैसे आजीवन सड़क पर झूठ बोलता रहा वैसे ही संसद में भी झूठ बोलता रहा। क्या समाचार है द्वारा पहले ही कहा गया है कि इसके झूठ को तो कम से कम सिद्ध करो।

झूठ बोलना पाप है नदी किनारे सांप है

संसद में असत्य बोलना सदस्यता समाप्त करने के लिये पर्याप्त होता है। इसने कई असत्य संसद में बोला चाहे वो हिन्दू को हिंसक बताना हो, नफरती बताना हो, झूठा बताना हो अथवा अभय मुद्रा की बात हो। क्रिश्चियन, मुसलमान, सिख आदि सबमें अभय मुद्रा होने की बात हो; सबकी सब झूठी है। संभवतः सरकार इस दिशा में आगे बढ़ने प्रयास कर रही है लेकिन कर पायेगी या नहीं इस पर संशय है। राजनीति में समझौता भी होता रहता है, समझौता नहीं करेगी इसकी कोई गारंटी नहीं है।

99 वाली कांग्रेस यदि आक्रामक हो सकती है तो 240 वाली भाजपा आक्रमण का प्रतिकार क्यों नहीं कर सकती ? यदि आप प्रतिकार नहीं कर सकते हार स्वीकार कर रहे हैं तो सीधे-सीधे हार मान लीजिये, जीतने का दंभ मत रखिये और प्रचार मत कीजिये। ये नीच क्षमा करने योग्य नहीं है इसे दंडित कीजिये।

हार भी हो तो भी लड़ने वाला वीरगति को प्राप्त करता है, लेकिन जो लड़े ही नहीं वो तो बिना लड़े ही हार जाता है। भाजपा को यदि लड़ना ही नहीं है तो बिना लड़े हार गयी यही सिद्ध होगा। यदि लड़ना है तो संसद से सड़क तक लड़िये, लड़ना होगा अब आपके पास विकल्प नहीं है। यदि वो आपको बता रहा है कि एक थप्पड़ मारने पर दूसरा गाल आगे बढ़ाना चाहिये तो आप उसे मान लोगे या ईंट का जबाव पत्थर से दोगे ?

ये मूर्ख तो साफ-साफ नमस्ते और हाथ मिलाने तक को लेकर तमाचा मारता दिखा। यदि कोई बच्चा कुसंस्कारी बदमाशी करता है तो उसी समय तमाचा जड़ना चाहिये। इस अहंकारी को इतना भी नहीं पता है कि कौन बड़ा है और बड़े से कैसे मिलना चाहिये। इसके मन में है कि कुछ भी हो देश का राजा यही है और मोदी हों या लोकसभा अध्यक्ष सभी उसको प्रणाम करे। ऐसे बच्चे उपदेश देने से नहीं सीखते, जब तमाचे लगते हैं तभी अक्ल खुलती है।

यदि उसके पीछे इको सिस्टम है तो आप अपना इको सिस्टम क्यों नहीं बना पाये ? आप समर्थक तो दूर पार्टी के कार्यकर्त्ता का भी साथ नहीं देते हैं। एक तरफ वो है जिसने आपातकाल लगाया था लेकिन आप दाग से बचने का प्रयास कर रहे फिर भी आपको अघोषित आपातकाल का दाग लगाया जा रहा है। यदि लड़ोगे नहीं तो ये सिद्ध भी कर देंगे, दस वर्षों तक शक्तिप्रयोग नहीं किया उसका परिणाम है अभी भी प्रयास करो।

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एक्सीडेंटल हिन्दू जवाहर लाल नेहरू के परनाती, फिरोज गांधी का पोता राहुल गांधी क्या हिन्दू है
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जनादेश कुछ भी हो, राज हम ही करेंगे नहीं तो ....
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