मोदी जिस दिन काशी प्रत्याशी बनने के लिये नामांकन करने वाले थे उस दिन उन्होंने एक साक्षात्कार में वक्तव्य दिया था “मुझे परमात्मा ने भेजा है” और इससे पहले मोदी ने मां की चर्चा करते हुये बॉयोलॉजिकल मां कहा था। विपक्षियों ने और विशेष कर गैर-भारतीय राहुल गाँधी ने मोदी को नॉनबॉयोलॉजिकल या ईश्वरीय अवतार कहकर आलोचना करने लगे। इस आलेख में हम मोदी के इस वक्तव्य के तात्पर्य को समझते हुये यह समझेंगे कि राहुल गाँधी किस प्रकार से अभारतीय हैं।
मुझे परमात्मा ने भेजा है – नॉनबॉयोलॉजिकल या कर्मयोगी मोदी
इस विषय को गंभीरता से समझना आवश्यक है और इसके लिये सबसे पहले मोदी के वास्तविक वक्तव्य और भाव को सुनना-देखना आवश्यक है।
मोदी का वक्तव्य
प्रधानमंत्री मोदी ने मात्र एक बार नहीं कई बार इस बात को कई जगह कहा कि “मुझे परमात्मा ने भेजा है”, यहां दो चमची (अभारतीय राहुल गाँधी के अनुसार) के द्वारा लिये गये साक्षात्कार का अंश दिया गया है जिसमें प्रधानमंत्री ने उक्त वक्तव्य दिया था।
दोनों 14 मई का ही है, यद्यपि इसके आगे और चैनलों पर भी मोदी ने उक्त वक्तव्य दिया है।
शायद परमात्मा ने स्वयं मुझे किसी काम के लिए भेजा है। परमात्मा ने भारतभूमि के लिए मुझे चुना और मैं सारे संबंधों से विरक्त होकर हर काम को परमात्मा की पूजा समझकर करता हूं। @narendramodi
— मंगल 🇮🇳 मोदीजी का परीवार (@Mangalkohale11) May 14, 2024
– प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी pic.twitter.com/hpkYe6styT
"मैं जो कहने जा रहा हूं उससे लेफ्ट लिबरल वाले लोग तो बहुत गुस्से में आ जाएंगे, लेकिन मैं अनुभव करता हूं कि एक शरीर या नरेंद्र मोदी नाम का व्यक्ति ये सब नहीं कर सकता.. जिस ईश्वर को आप देख नहीं सकते मुझे लगता है कि शायद परमात्मा ने मुझे किसी उद्देश्य से भेजा है, मेरा देश एक बार फिर… pic.twitter.com/Pgs8EzrOG8
— India TV (@indiatvnews) May 14, 2024
प्रधानमंत्री मोदी ने जो वक्तव्य दिया कि “मुझे परमात्मा ने भेजा है” इसका तात्पर्य सनातन में दैवीय अवतार नहीं है, किन्तु यह ज्ञान की बात है जो प्रत्येक सनातनी को प्राप्त करना चाहिये। गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यही समझाया था। हर दिन कथा करने वाले वक्ता यही तथ्य श्रोताओं को समझाया करते हैं कि स्वयं को पहचानो। ऐसे मोदी अकेले नहीं हैं वर्त्तमान भारत में भी करोड़ों महापुरुष हैं जो इस दिव्यज्ञान को प्राप्त कर चुके हैं।
राहुल गांधी कौन हैं
लेकिन जो सनातन में विश्वास नहीं करता अर्थात अभारतीय हो उसके लिये मोदी के इसी पंक्ति “मुझे परमात्मा ने भेजा है” का दूसरा अर्थ हो जाता है “देवदूत” और राहुल गाँधी ने जो इस वक्तव्य की आलोचना किया है वह सिद्ध करता है कि राहुल गाँधी अभारतीय हैं, उनके पास सनातन का कोई ज्ञान नहीं है, उनकी आस्था किसी अन्य पंथ (संभवतः ईसाई) में है।
राहुल गाँधी भले ही असनातनी हो, अभारतीय हो किन्तु उन्हें भारतीय संस्कृति, धर्म का अपमान करने का अधिकार नहीं हो सकता। राहुल गाँधी ने “मुझे परमात्मा ने भेजा है” का अनुचित अर्थ लगाते हुये “नॉनबॉयोलॉजिकल” कहकर मोदी का अपमान नहीं किया है, सनातन का अपमान किया है, भारतीय संस्कृति का अपमान किया है। उन लाखों महापुरुषों का भी अपमान किया है जो इस दिव्य ज्ञान से युक्त हैं।
वैसे यह बताया जा रहा है की राहुल गाँधी ने चमची का प्रयोग रुबिका लियाकत के लिये किया था। विडियो में समझा जा सकता है कि राहुल गाँधी ने सनातन का किस प्रकार अपमान किया है।
राहुल गांधी जी… ‘चमची-चमचा वातावरण’ से बाहर निकलिए…उस ज़माने को गुज़रे बरसों हो गए हैं…क्या हुआ आपकी मुहब्बत की दुकान का? न भाषा में संयम, न मर्यादा.. इतनी कुंठा क्यूँ?
— Rubika Liyaquat (@RubikaLiyaquat) May 26, 2024
दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपके सलाहकारों ने आपको राजनेता की बजाए troller बना दिया।
पीएम ने अब तक 71… pic.twitter.com/afy3vkHBMU
चमची-चमचा
चमची कहकर जो वक्तव्य दिया है वो राजनीतिक हो सकता है किन्तु “मुझे परमात्मा ने भेजा है” इस दिव्य ज्ञान-भाव का अपमान करना आध्यात्मिक तथ्य है।
चमची-चमचा से राहुल गाँधी घिरे ही रहते हैं इसलिये थोड़ी सी जिह्वा विचलित हो गयी होगी ऐसा माना जा सकता है। लेकिन चिंतनीय वो चमचे हैं जो भारतीय और सनातनी होते हुये भी एक अभारतीय, सनातनद्रोही राहुल गाँधी की चाटुकारिता करते हुये उन्हीं की भाषा बोलने लगे “नॉनबॉयोलॉजिकल” जपने लगे। उन लोगों के प्रति आग्रह अवश्य किया जा सकता है कि भले ही राजनीतिक रूप से राहुल गाँधी आपके स्वामी हों किन्तु आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विषयों पर वो आपके स्वामी नहीं हो सकते, इसके प्रति सचेत रहें।
राहुल गाँधी के समर्थकों को भी समझना होगा कि राहुल गाँधी नॉनबॉयोलॉजिकल बोलकर आपके धर्म, आपकी संस्कृति का अपमान कर रहे हैं। यदि आपने राहुल गाँधी को अपना स्वामी ही नहीं आध्यात्मिक गुरु भी स्वीकार कर लिया है और क्रिश्चियन बन गये हैं तब तो अलग बात है किन्तु यदि तनिक भी सनातनी हैं तो तत्काल राहुल गाँधी की आलोचना करके उससे पृथक हो जायें क्योंकि जब बात धर्म की होती है तो उसके विषय में सबका त्याग किया जाना चाहिये “तजेउ पिता प्रह्लाद विभीषण बंधू भरत महतारी”
राहुल गाँधी का कुकृत्य दण्डनीय है या नहीं
गीता के दिव्यज्ञान की चर्चा आगे करेंगे पहले इस अपराध के बारे में समझेंगे कि यह दण्डनीय है या नहीं ? इसे तीन दृषिकोण से समझना होगा : महापुरुषों के दृष्टिकोण से, सामान्य आस्थावान जनों के दृष्टिकोण से और राजनीतिक दृष्टिकोण से।
1 – महापुरुषों के दृष्टिकोण से : मोदी तो इस अपमान का सहन कर लेंगे, जो ढाई दशक से गाली सुनता रहा हो, उसके लिये तब जब उच्चतम आध्यात्मिक स्थिति में जो ये बातें कदापि असह्य नहीं होती और मानापमान की तो चिंता रहित स्थिति में स्थित होता है। इसके साथ ही उन सभी महापुरुषों के लिये भी वैयक्तिक रूप से किसी प्रतिक्रिया का विषय नहीं है जो मानापमान में समभाव से स्थित रहते हैं।
जब वैयक्तिक रूप से उनके लिये मानापमान का विषय नहीं होता तो वैयक्तिक रूप से अर्थात महापुरुषों के दृष्टिकोण से दण्डनीय भी नहीं है। और यदि हो भी तो महापुरुष क्षमाशील होते हैं, सहनशील होते हैं और उनके बारे में तो यह भी कहा जाता है कि “दुष्ट वचन साधु सहे”
2 – सामान्य आस्थावान जनों के दृष्टिकोण से : सामान्य आस्थावान जनों के लिये भगवान के साथ-साथ दिव्य ज्ञानी, साधु, महात्मा भी पूज्य होते हैं और यदि कोई इनका अपमान करता हो तो सामान्य आस्थावान जनों की दृष्टि में वह दण्डनीय, निन्दनीय होता है। शास्त्रों में भगवान के वचन हैं कि एक बार को स्वयं का अपमान वो क्षमा कर सकते हैं किन्तु दिव्य ज्ञानी, साधु, महात्मा, ब्राह्मण आदि का अपमान स्वयं भगवान भी क्षमा नहीं करते।
3 – राजनीतिक दृष्टिकोण से : राजनीतिक दृष्टिकोण से भारत का कानून कहता है कि किसी के धार्मिक भावना को आहत करना दण्डनीय है। अब यह समझना विशेष प्रसंग है कि राहुल गाँधी का नॉनबॉयोलॉजिकल कहना, “मुझे परमात्मा ने भेजा है” वक्तव्य की निंदा करना, कटाक्ष करना धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाना है या नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी का कर्तव्य
अब जो चर्चा की जायेगी उसका सम्बन्ध एक महात्मा मोदी से है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के पास भारत से सत्ता है और सनातन के अपमान करने वालों को दण्ड मिले यह सुनिश्चित करना प्रधानमंत्री मोदी का कर्तव्य है। दण्ड भले ही न्यायपालिका दे किन्तु दण्डित करने की प्रक्रिया पर सत्ता का ही अधिकार होता है।
एक क्षण के लिये भले ही लगता हो कि यह सनातन द्रोही असनातनि मात्र मोदी का अपमान कर रहा है किन्तु यह मात्र मोदी का अपमान नहीं है यह करोड़ों महात्माओं का अपमान है, यह गीता में जो भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था उसका अपमान है अर्थात गीता का और भगवान श्रीकृष्ण का भी अपमान है जो अक्षम्य है। इसके लिये राहुल गाँधी दण्ड के पात्र हैं और अपराधी दण्डित हों यह सुनिश्चित करना प्रधानमंत्री का दायित्व है।
गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को क्या उपदेश दिया
जब अर्जुन युद्ध से मुंह मोड़ रहा था तो गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यह बताया कि सभी कर्म यथाकाल होकर ही रहता है, यदि तुम युद्ध नहीं भी करोगे तो भी तुम्हारे समक्ष जो विशाल सेना और बन्धु-बांधव हैं ये मरणासन्न हैं और मृत्यु को प्राप्त होंगे। अर्थात तुम कर्म करो या न करो ये होनी है और पूर्वसुनिश्चित है, अटल है।
अर्जुन ने पाप का भागी होना कहा फिर भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग का उपदेश दिया और बताया कि कर्म कर्त्तापन भाव से रहित होकर करो ये समझकर करो की तुम निमित्त मात्र हो, विधि के विधान का पात्र हो अर्थात परमात्मा ने तुमको उक्त कर्म के लिये नियुक्त किया है ये मानकर तुम युद्ध में प्रवृत्त हो जाओ किन्तु ये मत मानो की तुम कर रहे हो ये मानकर लड़ो कि तुम्हारी यही भूमिका है।
न तो कर्म में कर्त्तापन का भाव रखो और न ही फल में अधिकारी बनो, क्योंकि तुम्हें इस कर्म के लिये परमात्मा ने नियुक्त किया है अतः इसी भाव से कर्म में अधिकार है और अधिकार होने से कर्तव्य भी है अतः कर्म करो परन्तु फल में अधिकार का भाव त्यागकर करो – “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥”
अब यहां हमें सम्पूर्ण गीता की व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं है। इसका संदर्भ मात्र इतना है कि राहुल गाँधी ने जो “मुझे परमात्मा ने भेजा है” की निंदा किया है कटाक्ष किया है वह गीता का अपमान है न की मोदी के वक्तव्य का। “मुझे परमात्मा ने भेजा है” ये मोदी का वक्तव्य मात्र नहीं है ये प्रत्येक उस महात्मा की स्थिति है जो दिव्यज्ञान प्राप्ति के बाद होती है।