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सच कोई नहीं बता रहा, इंडी गठबंधन की जीत हुई NDA की हार हुई

इंडी गठबंधन जीत गयी NDA हार गयी

यहां हम उस सच को समझेंगे जो कोई नहीं बता रहा है, लोकसभा चुनाव परिणाम को देखते हुये यही स्पष्ट होता है कि इंडी गठबंधन जीत गई और NDA की हार हुई है। ये अलग बात है कि सरकार भाजपा की ही बनेगी क्योंकि बहुमत प्राप्त कर चुकी है । लेकिन इतना निकटतम बहुमत प्राप्त करना जीत मानना सही नहीं लगता है।

सच कोई नहीं बता रहा, इंडी गठबंधन की जीत हुई NDA की हार हुई

मोदी ने जो 400 पार का नारा दिया था वो पूर्णतः निरस्त हो गया और एक तरह है पीछे धकेलने वाला ही सिद्ध हुआ। कारण ढेरों हैं लेकिन वास्तविकता यही है कि NDA सरकार भले ही बनी हो किन्तु वोट जिहाद ने अपनी उपस्थिति सिद्ध करते हुये इंडी गठबंधन को ही विजयी बनाया है। हास्य रस में भी कहा जाय तो कांग्रेस और विपक्षियों के लिये ही विजयोत्सव मनाने वाला चुनाव परिणाम आया है।

इंडी गठबंधन की सरकार नहीं भी बनी हो किन्तु जहां दो अंकों में नहीं जाने की चर्चा की जाती रही वहां दो अंकों से आगे बढ़ते हुये एक सबल विपक्ष बनना पिछले दो चुनावों से तुलना करने पर उत्साहवर्धक है और इसके लिये इंडी गठबंधन को विजयोत्सव मनाना चाहिये।

हमें यह समझना आवश्यक है कि वो कारण क्या-क्या रहे हो भाजपा व गठबंधन के लिये हतोत्साहित करने का कारण बने ? किसी न किसी कारण से ऐसा हुआ है कि भाजपा के मतदाताओं ने कम मतदान किया।

चुनाव का अनुचित काल

ये एक कटु सत्य है कि कोई कारण हो या न हो लेकिन प्रचंड गर्मी में लोकसभा चुनाव 2024 कराया गया। इसके साथ ही प्रथम दो चरण तो विवाह मुहूर्त से लड़ते दिखाई पड़ा और लगभग सभी चरणों का चुनाव 3 दिनों के छुट्टी वाले दिन के आस-पास कराया गया।

ये ठीकरा फोरने वाली कोई बात तो नहीं है किन्तु कटुसत्य है कि चुनाव काल 3 प्रकार से NDA के लिये हानि पहुँचाने वाला था। अब इसका कारण क्या था ये तो जाँच का विषय होना चाहिये और ये स्पष्ट होना चाहिये कि कहीं जानबूझकर तो ऐसा नहीं किया गया ?

मतदान कम क्यों हो रहा है ? क्या मोदी हारने वाले हैं 2024 में ?

400 पार का नारा

चुनाव के आरम्भ में जो 400 पार का नारा दिया गया था वह अतिउत्साह भरा था ऐसा नहीं कहा जा सकता, लेकिन उसने कहीं न कहीं भाजपा मतदाताओं को जो जिताने के लिये निकलने वाले थे उन्होंने प्रचंड जीत को देखते हुये मतदान ही नहीं किया। कहीं न कहीं 400 पार का नारा भाजपा के लिये हानिकारक सिद्ध हुआ।

RSS की निष्क्रियता

लोकसभा चुनाव 2024 में RSS ने वो योगदान नहीं दिया जो 2014 या 2019 में दिया था। भीतरी मतभेद के कारण क्या थे ये तो भाजपा और RSS को सोचना-समझना होगा लेकिन RSS ने इस चुनाव में अपना योगदान नहीं दिया ये सभी मानते हैं। यदि RSS योगदान देती तो निश्चित रूप से बड़ी जीत होती।

वोट जिहाद

दो कार्यकालों में भाजपा सरकार की सभी योजनाओं का अधिकतम लाभ वोट जिहाद करने वालों को ही मिला और अधिकतम लाभ प्राप्त करने के बाद भी वो वोट जिहाद ही करेंगे ये तथ्य समझने में भाजपा को अत्यधिक समय लग गया। सबका साथ सबका विकास अवश्य होनी चाहिये लेकिन राष्ट्रहितैषी व राष्ट्रावरोधक इस प्रकार के वर्गों में निःसंदेह अंतर करना चाहिये। राष्ट्रहितैषी वर्ग को अवश्य प्रोत्साहित करना चाहिये।

वोट जिहाद का नारा खुलकर लगा और ये भी सोचने का विषय है कि क्या भविष्य की सरकार वोट जिहाद से ही बनेगी। यह भारत के लिये चिंताजनक है कि वोट जिहाद से सरकार बनने लगे। वोट जिहाद का नारा जिस राज्य में लगा था वहां उसका प्रभाव भी अधिक देखा जा रहा है। अब जो गठबंधन वाली सरकार बनने जा रही है उसका यह प्रयास होना चाहिये कि वोट जिहाद होने के बाद भी विजय प्राप्त कर सके। पिछले दो कार्यकालों में भाजपा इस भ्रम में रही कि वोट सबका विकास करके सबका विश्वास प्राप्त किया जा सकता है।

टूलकिट गैंग का प्रभाव

टूलकिट गैंग के प्रभाव की बात करें तो इसके पर कतड़ने में मोदी निष्फल रहे। लगभग सभी राष्ट्रवादियों ने मोदी को इस विषय में बारम्बार सचेत करने का प्रयास किया था कि टूलकिट गैंग के जो विदेशी संस्थायें हैं आप उसको नहीं कुछ कर सकते ये अलग बात है लेकिन उनके जो दलाल और मुख्य रूप से सोशल मीडिया को तो रोक सकते थे जो नहीं कर पाये । ओपेन AI ने तो बता दिया कि ऐसा प्रयास किया गया।

निश्चित रूप से सोशल मीडिया और खान मार्केट गैंग ने चुनाव को इस प्रकार से प्रभावित किया कि भाजपा पूर्ण बहुमत भी प्राप्त नहीं कर पाई । वैसे गठबंधन की सरकार में भी खान मार्केट गैंग को कुचलने का पर्याप्त अवसर प्राप्त होगा और देश अपेक्षा करे न करे ये भाजपा की भी आवश्यकता है कि खान मार्केट गैंग को समाप्त करे।

एक अन्य महत्वपूर्ण कारण जो और कोई नहीं बतायेगा

भाजपा सनातन की बात तो अवश्य करती है किन्तु मूल सनातन से पृथक किसी ऐसी सनातन को लेकर चलती है जो मात्र कुछ संस्थाओं द्वारा प्रचारित-प्रसारित किया गया है। यह विषय किसी ने भी नहीं उठाया है कि जब मोदी गंगा पूजन कर रहे थे तो क्या-क्या त्रुटि हुई ? यह चर्चा हमने ही किया है कि मोदी जब गंगा पूजन कर रहे थे तो ब्राह्मणों का आशीर्वाद नहीं ले पाये, इसके विपरीत सभी ब्राह्मण करबद्ध दिखे। जब आपके समक्ष ब्राह्मण नतमस्तक हो तो वह आपके लिये हानिकारक होता है।

दशाश्वमेध घाट पर मोदी का गंगा पूजन और समझने वाली गंभीर तथ्य

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