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लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने बालकबुद्धि को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा

लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने बालकबुद्धि को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा

लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने जब बोलना आरंभ किया तो विपक्ष का रोना-धोना शुरू हो गया लेकिन उसका विषय NEET जिसका अनुमान था वो नहीं था, मणिपुर था। पहले तो प्रधानमंत्री मोदी ने भूमिका बांधा और चुनाव व परिणाम की व्याख्या किया। उसके बाद संसद में उपस्थित बालकबुद्धि पर आये और इस प्रकार से चौका-छक्का लगाना शुरू किया कि मंदबुद्धि बालक मुंह दिखाने लायक नहीं बचा। ये काल्पनिक बात नहीं है ऐसा देखा गया।

लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने बालकबुद्धि को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा

प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार अखिलेश जी तो बोला था किन्तु एक विशेष प्राणी के लिये कई बार बालक बुद्धि का प्रयोग किया था। बालक बुद्धि पर आते ही मोदी ने पहला तथ्य बताया कि सहानुभूति की आश में ये ड्रामा करने लगे हैं। कहते हैं यहां मारा, वहां मारा, इधर मारा, उधर मारा। यदि आप इस पंक्ति का इशारा नहीं समझ पाये हैं तो समझ लें इसका तात्पर्य वो रोना-धोना हिअ जिसमें कभी कहा जाता था कैमरा मोड़ लेते हैं, माइक बंद कर दिया, नमस्ते नहीं किया, कड़ककर हाथ मिलाया etc …

फिर देश और संसद को बालकबुद्धि का परिचय कराने लगे और परिचय कराते हुये घोटाले में बेल पर बाहर होने की बात बताई। OBC (मोदी उपनाम) के अपमान को लेकर न्यायालय में अपराधी सिद्ध होने की बात बताई। जब इस प्रकार से प्रधानमंत्री बालकबुद्धि का देश और संसद को परिचय दे रहे थे तो कैमरे ने दो बार बालकबुद्धि को दिखाने का प्रयास किया किन्तु बालकबुद्धि ने दोनों बार अपना मुंह छुपाया (घुमा लिया), बेचारा मंदबुद्धि बालक मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहा। मोदी चर्चा करते हुये आंख मारने वाली घटना का उल्लेख करना भी नहीं भूले।

यह दृश्य देखकर ऐसा ही लग रहा था कि बालकबुद्धि जानबूझ कर अपना मुंह घुमा रहा था और ये वास्तव में एक बड़ा विषय है कि जो कभी यह आरोप लगाता था कि हमें कैमरा नहीं मिलता वो संसद में जब कैमरा उसकी ओर घूम रही थी तो मुंह घुमा रहा था। ऐसा एक बार नहीं दो बार लगातार हुआ, और तभी हुआ जब प्रधानमंत्री मोदी बालकबुद्धि का परिचय करा रहे थे। दो बार लगातार वो व्यक्ति जो कैमरे के लिये आरोप लगाता रहा हो और कभी कैमरा दिखाये तो मुंह घुमा ले क्या अर्थ निकलता है ? एक ही अर्थ निकलता है कि उसे यह आभास हो गया कि मुंह दिखाने लायक नहीं है।

इसी बालक बुद्धि में तीन तथ्य और स्पष्ट होता है

  • प्रथम यह कि मोदी ने खुलकर राहुल को दुधमुंहा कहा और राहुल ने स्वीकारा कि हां वो मोदी के समक्ष दुधमुंहा ही है।
  • द्वितीय यह कि मोदी 2 घंटे 14 मिनट तक बोलते रहे किन्तु दुधमुंहे के कंठ से एक बार चूं का स्वर भी नहीं निकला। अधीर रंजन भी जब बैठता था तो कितना भी व्यंग्य का पात्र बनता रहा हो फिर भी दो-चार बार टोकता अवश्य था ।
  • तृतीय यह कि पूरी तरह मौन रहने का निर्देश दिया गया हो कि कितना भी मोदी दुधमुंहा कहें मौसी की याद दिलायें, मुंह नहीं खोलना है। यदि मुंह खोला तो लेने के देने पड़ जायेंगे। साथ ही हाथरस भगदड़ के षड्यंत्र से भी संबद्ध होता लग रहा है कि मोदी तो सदन में पासा पलट ही देंगे लेकिन उस पलटे पासे को हाथरस भगदड़ से बचाव किया जायेगा। और इस कारण हाथरस भगदड़ दुर्घटना न होकर कोई षड्यंत्र है ऐसा संदेह उत्पन्न होता है।

अग्निवीर योजना के बारे में प्रश्न

अग्निवीर योजना के बारे में विपक्ष लगातार हंगामा करता ही रहा है और संसद में भी उठाया गया। अखिलेश यादव ने भी कहा था कि इंडि गठबंधन की सरकार बनने पर इस योजना को समाप्त कर दिया जायेगा। राहुल गांधी पहले से ऐसा कहते रहे हैं और जब लोकसभा में वीरगति प्राप्त करने वालों को लेकर अनुदान नहीं देने की बात कर रहे थे तो उसका रक्षामंत्री ने विरोध भी किया था और असत्य भी बताया था।

सेना के विषय में बोलते हुये मोदी ने विपक्ष के काल की जब वो सत्ता में थी सेना के प्रति सोच और व्यवहार को भी स्पष्ट किया और उनकी सरकार ने क्या-क्या प्रयास किये, सेना को सशक्त करने की दिशा में कितना आगे बढे ये सब बताते हुये एक प्रश्न भी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने जो प्रश्न किया वो ये कि इस तरह से सेना का मनोबल कम करने का प्रयास जो करते है वो किसके इशारे पर करते हैं, किसके कहने पर करते हैं ?

उत्तर सभी जानते हैं और सोशल मीडिया पर कांग्रेस के कुकृत्यों की बहुत चर्चा होती रहती है और चर्चा यह भी होती रहती है कि कुछ विदेशी शक्तियों से कांग्रेस के संबंध हैं और उसकी सोच के अनुसार कांग्रेस की गतिविधि होती रहती है।

राजनीतिक झूठ गंभीर

क्या समाचार है ने राजनीतिक झूठ को गंभीरता से उठाया है और देश के लिये चिंता का विषय बताया है। राजनीतिक झूठ का प्रभाव तंत्र और सामान्य जनों पर भी पड़ता है। क्या होगा जब पूरा देश झूठ-ही-झूठ बोलने लगे। कल्पना करके देखिये जब पूरा देश हर बात में झूठ ही बोलेगा तो क्या होगा ? इस विषय के प्रति हमने सचेत करने का प्रयास किया है।

झूठ बोलना पाप है नदी किनारे सांप है

राजनीतिक झूठ कोई खेल नहीं जनता और देश के साथ छल है गंभीर अपराध घोषित हो

प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव से लेकर संसद तक झूठ और झूठ बोलने को गंभीरता से लिया है और संसद व देश को भी गंभीरता से लेने का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने झूठ बोलकर चुनाव लड़ना और सदन में भी झूठ बोलने को लेकर कहा कि यह लोकतंत्र, महान परंपरा, सदन, 140 करोड़ जनता के मुंह पर तमाचा है, इसे बालक बुद्धि समझकर नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।

ऐसा लग रहा था कि झूठ को लेकर कठोर रणनीति बनाने की दिशा में आगे बढ़ने की बात भी की जायेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हां संसद और देश को सावधान करने का प्रयास अवश्य किया। ऐसा लगा कि गंभीर विषय तो अवश्य है किन्तु सरकार कुछ कर पाने में असमर्थ है। ये तो भविष्य के गर्भ में है कि सरकार कुछ कर पायेगी या नहीं।

झूठ पर बोलते हुये मोदी ने गोस्वामी जी की एक चौपाई भी पढ़ी और कांग्रेस की तुलना आदमखोर से करते हुये कहा कि जैसे आदमखोर के मुंह में खून लग जाता है वैसे ही कांग्रेस के मुंह में झूठ लग गया है। तात्पर्य यही था कि झूठ बोलने वाली कांग्रेस उतनी ही खतरनाक है जितना आदमखोर होता है।

मोदी का तमतमाता चेहरा

लोकसभा में वक्तव्य देते समय एक ऐसा काल भी आया जब मोदी का चेहरा तमतमा रहा था। आंखों से अंगारे बरस रहे थे और मुंह से आक्रोशित शब्द। साफ-साफ देखा जा रहा था की मोदी गुस्से में हैं। ऐसा तब हुआ जब हिन्दू पर दिये गये बालकबुद्धि के वक्तव्य पर बोल रहे थे और संसद में चित्रों के प्रदर्शन का उत्तर दे रहे थे।

राहुल गांधी ने हिन्दू को जो हिंसक कहा था वो क्षम्य नहीं है यह पुनः याद दिलाने की आवश्यकता है। इसके लिये हिन्दूद्रोही को दंडित करना आवश्यक है, इस विषय पर आक्रोश व्यक्त करना पर्याप्त नहीं है।

विपक्ष का इरादा

मोदी ने विपक्ष के इरादे को लेकर भी देश को सतर्क किया और बताया कि इनके इरादे नेक नहीं हैं। ये अराजकतावादी हैं, देश में अशांति फैलाना चाहते हैं। मोदी ने कहा “कांग्रेस पार्टी खुलेआम एक जाति को दूसरी जाति के खिलाफ लड़ाने के लिए रोज नए-नए नैरेटिव गढ़ रही है और नई-नई अफवाहें फैला रही है…मंचों से साफ-साफ घोषणा की गई कि यदि 4 जून को इनके मन का परिणाम नहीं आया तो आग लगा दी जाएगी। अराजकता फैलाना उनका उद्देश्य है…”

विपक्ष का घृणित व्यवहार

संसद में विपक्ष का घृणित व्यवहार मुख्य रूप से दो बार देखा गया यद्यपि और भी देखा गया किन्तु मुख्य रूप से दो बार ही कहा जा सकता है।

  1. NEET प्रकरण : विपक्ष ने पहले दिन की चर्चा को NEET के नाम पर नहीं होने दिया था। लेकिन ये बड़ा आश्चर्यजनक रहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी बोल रहे थे तब विपक्ष NEET नहीं मणिपुर चिल्ला रहा था। उससे भी निंदनीय यह है कि जब प्रधानमंत्री मोदी NEET की चर्चा करने लगे तो भी विपक्ष मणिपुर इत्यादि ही चिल्लाता रहा। NEET प्रकरण पर मोदी ने छात्रों से कहा कि सरकार अनियमितता को गंभीरता से ले रही है और इसे रोकने के लिये युद्ध स्तर पर काम कर रही है।
  2. हाथरस कांड : विपक्ष का घृणित चेहरा तब भी देखा गया जब प्रधानमंत्री मोदी हाथरस की दुःखद घटना पर संवेदना व्यक्त कर रहे थे। विपक्ष तब भी हंगामा ही कर रहा था और ये विपक्ष का घृणित चेहरा है।

निष्कर्ष : मोदी अठारहवीं लोकसभा में बोलते हुये पहले तो यह बताया कि कोई बड़ा पद मिलने से भी गंभीर नहीं हो सकता और नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद भी विशेष प्राणी बालक बुद्धि ही है। अग्निवीर योजना को लेकर जो झूठ बोला जा रहा है, सेना के मनोबल को जो तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है वो कहीं न कहीं देश विरोधी तत्वों से जुड़ा हुआ है साथ ही ये अराजकतावादी भी हैं, यदि 400 सीटें आ जाती तो इन्होंने देश में आग लगाने की धमकी दे दिया था। हिन्दू का अपमान, देवी देवताओं का अपमान, झूठ पर झूठ बोलना बालक बुद्धि समझ कर अनदेखी करने योग्य नहीं है; देश और संसद को इसे गंभीरता से लेना चाहिये।

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