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प्रधानमंत्री मोदी राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद देते हुये

प्रधानमंत्री मोदी राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद देते हुये

राष्ट्रपति महोदया के अभिभाषण पर कल लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद और अभिभाषण हुआ था और आज राज्यसभा में हुआ। कल की तरह ही पहले तो चुनाव और तीसरी बार सरकार बनने की पहली चर्चा हुयी। प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वप्रथम इस असामान्य घटना को समझाने का प्रयास किया, कि लगातार तीसरी बार सरकार बनना बड़ी घटना है और इतिहास को दुहराया गया है। इससे पहले एक बार ही ऐसा हुआ था लेकिन तबकी राजनीतिक स्थिति ऐसी नहीं थी।

प्रधानमंत्री मोदी राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद देते हुये

मोदी ने राज्यसभा में बताया कि देश ने भ्रम की राजनीति को ठुकराया है और भरोसे की राजनीति पर मुहर लगाया है। मोदी ने राज्यसभा के पटल पर एक बड़ी बात यह भी रखा कि संविधान ने अब उन लोगों को भी बड़े पद पर स्थापित किया है जो कभी किसी पंचायत के प्रतिनिधि भी नहीं रहे। राज्यसभा में मोदी ने बड़ी भूमिका बांधे बिना संविधान पर चर्चा करते हुये अर्थव्यवस्था की चर्चा पर पहुंचे। राज्यसभा में भी हंगामा होते देखा गया किन्तु राज्यसभा में संभवतः युवा सांसदों की कमी के कारण लोकसभा जैसा हंगामा नहीं का सके।

कुछ काल तक हंगामा करने के बाद जब सभापति महोदय ने विपक्ष को प्रधानमंत्री के अभिभाषण के बीच में बोलने नहीं दिया तो अंत में वो भाग खड़े हुये जिस पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी तंज कसा, कहा कि ये लोग सत्य का सामना नहीं कर सकते। ये गली-मुहल्लों में हो-हल्ला ही करने लायक रहे हैं। सभापति महोदय ने भी निन्दित बताया। सभापति श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि विपक्ष ने आज हमें पीठ नहीं दिखाया है संविधान को पीठ दिखाया है।

लेकिन विपक्ष के राज्यसभा से निकलने के बाद की घटना ही सुखद प्रतीत हुयी। हो-हंगामा के कारण जो प्रधानमंत्री की बातें सुनने में समस्या हो रही थी उससे मुक्ति मिल गयी। विपक्ष के सदन से निकल जाने के बाद देश ने दूरदर्शन के माध्यम से प्रधानमंत्री की बातों को ध्यान से सुना।

महिला सशक्तिकरण पर सरकार द्वारा किये गए प्रयासों की चर्चा करते हुये प्रधानमंत्री मोदी ने बंगाल की घटना का भी उल्लेख किया। विपक्ष और नारी की बात करने वालों के लिये घृणित राजनीति का उल्लेख किया। यह बताया कि इन लोगों के लिये समस्यायें और समाधान का महत्व नहीं है, ये लोग बस चयनात्मक विषयों को उठाते हैं, घटना यदि बंगाल में महिला की पिटाई का हो या संदेशखाली की रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना का उस पर शब्द से भी दुःख प्रकट नहीं कर पाते।

खड़गे जी पर बोलते हुये पहली बात जो कही वो ये थी कि उन्होंने पार्टी की बड़ी सेवा किया है। हार की जो ठीकड़ा फूटने वाली थी उसके बीच में दीवार बनकर आ गये और बचा लिया। कांग्रेस के द्वारा ये काम हमेशा से किया जाता रहा है। जब कभी भी हार सुनिश्चित होती है तब SC/ST आदि को आगे करते रहे हैं चाहे वो मीरा कुमार को खड़ा करना हो या के. सुरेश को।

प्रधानमंत्री मोदी आपातकाल की याद दिलाना नहीं भूले, उन्होंने कहा कि चुनाव को पहली बार संविधान के नाम पर लड़ा गया है वो गलत है पहली बार संविधान और लोकतंत्र के नाम पर 1977 में चुनाव हुआ था और अब दूसरी बार हुयी है और इसमें देश ने हमें चुना, हम पर विश्वास किया। आपातकाल की याद दिलाते हुये पूछा की 7 वर्षों तक किस संविधान से सत्ता में बैठे रहे थे और ये हमें संविधान का पाठ सिखाते हैं।

राहुल गांधी द्वारा मनमोहन कैबिनेट के निर्णय को फाड़ फेंकने पर प्रश्न उठाया कि किस संविधान से ये संविधान के अधिकार से किया गया था। कांग्रेस संविधान की सबसे बड़ी विरोधी है। आपातकाल केवल राजनीतिक संकट नहीं था मानवीय संकट भी था। आपातकाल की बड़ी-बड़ी घटनाओं के साथ यह भी कहा कि कुछ लोग ऐसे भी थे जो घर से निकले तो दुबारा घर नहीं पहुंचे, शरीर का भी पता नहीं चला।

जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कैसे होता था इसके लिये उन्होंने कई वक्तव्यों का उल्लेख करते हुये सर्वोच्च न्यायालय के उस वक्तव्य का भी उल्लेख किया जिसमें CBI को पिंजड़े में बंद तोता कहा गया था। इस विषय के साथ ही उन्होंने यह ही कहा कि हमने एजेंसियों को भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कार्रवाही करने के लिये खुली छूट दे रखी है। NEET परीक्षा प्रकरण पर भी बोले और देश के छात्रों को विश्वास दिलाया कि उनकी सरकार छात्रों के भविष्य को लेकर गंभीर है और सुधार का पूरा प्रयास कर रही है।

लोकतंत्र और संविधान तो जम्मू-कश्मीर के चुनाव में दिख रहा है जहां चार दशकों बाद बड़ी संख्या में मतदाताों ने चुनाव में भाग लिया। आतंकवाद के विरुद्ध अंतिम लड़ाई लड़ी जा रही है, जिसमें जम्मू-कश्मीर के लोग हमारी मदद कर रहे हैं। जो लोग पूर्वोत्तर को लेकर हंगामा कर रहे हैं उन्होंने पूर्वोत्तर को भाग्य के भरोसे छोड़ रखा था, हमने उसे भी देश के साथ जोड़ने का काम किया। पूर्वोत्तर के अपने 5 वर्षों के काम के बारे में बताया कि उन्हें इतना करने में 20 वर्ष निकल जाते, एक पीढ़ी गुजर जाती।

मणिपुर की घटनाओं पर भी मोदी ने विस्तार से जानकारी दिया, बताया कि छोटे से राज्य में 11000 FIR किया गया है 500 लोगों को पकड़ा गया है। साथ ही यह भी बताया कि मंत्री से लेकर अधिकारी तक कैसे मणिपुर जाकर काम करते हैं, समस्या के समाधान का प्रयास करते हैं। समस्यायें हैं और उनकी जड़ें गहरी है इसे नकारा नहीं जा सकता लेकिन जिस तरह से लोग मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं, आत्मसमर्पण कर रहे हैं उससे यह भी समझा जा सकता है कि शांति की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

मणिपुर प्रकरण हल्ला करने वाली कांग्रेस को आईना भी दिखाया और राजनीति का उत्तर दिया कि ये लोग देश को ऐसा समझाने का प्रयास कर रहे हैं अभी-अभी अशांति है पहले शांति थी। उन्होंने याद दिलाया कि जब कांग्रेस की सत्ता थी तो 40 वर्षों में 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। 40 वर्षों में 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया था इसी तथ्य से समझा जा सकता है की क्या स्थिति थी।

मोदी आये खड़गे गये

मोदी ने जब धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलना शुरू किया तो कुछ देर विपक्ष शांत रही, फिर कुछ देर हंगामा करती रही और फिर बाहर निकल गयी जिसकी प्रधानमंत्री मोदी और सभापति जगदीप धनखड़ ने भी भर्त्सना की। लेकिन प्रश्न ये है कि लोकसभा में जो विपक्ष तब तक हंगामा करता रहा जब तक मोदी बोलते रहे लेकिन राज्यसभा में ऐसा क्या था कि बाहर चले गये ?

लोकसभा में LOP हंगामा नहीं कर रहे थे किन्तु राज्यसभा में सदस्यसंख्या कम होना कारण हो अथवा युवा सांसदों की कमी हो LOP खड़गे को भी चिल्लाना पड़ रहा था। बाहर जाने का संभवतः एक ही कारण प्रतीत होता है और वो यह है कि राज्यसभा के सांसद तब तक हंगामा कर नहीं सकते थे और प्रधानमंत्री को सुनना उनके वश की बात नहीं थी। उन्होंने जब यह समझा कि अब हमलोगों पर भी वाग्वाण चलेंगे उससे पहले ही निकल गये। इस विषय में राहुल गांधी की सराहना करनी होगी कि भले ही मुंह छुपाना पड़ा हो फिर भी भागे नहीं।

सभापति श्री जगदीप ने भी प्रधानमंत्री को श्रेय दिया

आज जब राज्यसभा में कई असामान्य तथ्यों को प्रधानमंत्री रख रहे तो बीच में सभापति श्री जगदीप ने भी एक महत्वपूर्ण तथ्य बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को श्रेय देते हुये यह कहा कि आपके कारण मुझे भी एक ऐसा सभापति बनने का अवसर मिला है जो जिसकी सभा में कोई तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाला बोल रहा है।

मीडिया ने खुल्लम-खुल्ला विपक्ष का साथ दिया

चुनाव में यही राहुल गांधी थे जो मीडिया पर बिके होने का झूठा आरोप लगाते रहे, चमचा-चमची तक कहते सुने गये। लेकिन आज उसी मीडिया ने खुल्लम-खुल्ला विपक्ष का साथ दिया। मीडिया किसके हाथों की कठपुतली बन गयी जिसने हाथरस के बहाने मोदी के संसद में दिये गये वक्तव्यों को छुपाने या दबाने का प्रयास किया, एक प्रकार से विपक्ष को बचाने का प्रयास किया।

निष्कर्ष : आज प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा करते हुये राज्यसभा में लगभग सभी प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास किया। चुनाव, लोकतंत्र, संविधान, आपातकाल, NEET प्रकरण, महिला सशक्तिकरण, मणिपुर, आर्थिक विकास आदि सभी महत्वपूर्ण विषयों पर प्रधानमंत्री मोदी बोले।

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