Headlines

अगले पांच वर्षों तक संसद में बहस होती या मनोरंजन

अगले पांच वर्षों तक संसद में बहस होती या मनोरंजन

आज कांग्रेस ने अपने संसदीय दल की बैठक में राहुल गांधी को अपना नेता नहीं चुना और अब संसद में सोनियां गांधी नेता प्रतिपक्ष बनेंगे। यदि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बनेंगे तो एक प्रश्न स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होता है और वो है कि अगले पांच वर्षों तक संसद में स्वस्थ लोकतांत्रिक बहस देखने को मिलता या मनोरंजन होता ? इसके कुछ कारण हैं जो राहुल गांधी के भूतकाल से जुड़े हुये हैं जिसके आधार पर इसका विचार करेंगे।

अगले पांच वर्षों तक संसद में बहस होती या मनोरंजन

राहुल गांधी पर विश्वास नहीं संसदीय दल नेत्री सोनिया गांधी

कांग्रेस की कार्यसमिति ने राहुल गांधी को कांग्रेस संसदीय दल का नेता बनाने का प्रयास किया था, लेकिन अंततः यह पद सोनियां गांधी ने स्वीकारा राहुल गांधी को पद के योग्य नहीं समझा गया। हमें यह समझना आवश्यक है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ, राहुल गांधी को कांग्रेस ने भी नेता प्रतिपक्ष के योग्य क्यों नहीं माना। यदि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बनते तो क्या होता ?

सबसे पहली बात यह है कि न्यायपालिका ने भी एक प्रकरण में यह टिप्पणि की थी कि पर्याप्त बहस (विचार-विमर्श) के बिना बिल पास हो जाते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार काल में भी यह विषय उठा था और कुछ लोगों ने राहुल गांधी के साथ मोदी का बहस कराने का उठा था और उससे भी पहले स्मृति ईरानी ने भी राहुल गांधी को खुली बहस की चुनौती दिया था।

तत्पश्चात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब NDA संसदीय दल का नेता चुने जाने पर सम्बोधित कर रहे थे तब उन्होंने भी डिबेट कहकर यह संकेत दिया था कि अगले लोकसभा में पर्याप्त विचार-विमर्श (बहस) हो पाता। ऐसा उन्होंने विपक्ष को हंगामे से हटकर बहस के लिये प्रेरित करते हुये कहा था। पिछली लोकसभा में बहस कम और हंगामा अधिक देखा गया था।

राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष बनते तो इन सभी प्रश्नों का उत्तर ढूंढना अपेक्षित होता कि क्या राहुल गांधी अगली लोकसभा में स्वस्थ लोकतंत्र की मर्यादा का पालन करते हुये सार्थक बहस करते ? नेता प्रतिपक्ष बनने से :

  • क्या न्यायपालिका द्वारा की गई टिप्पणि कि बिल बहस करके पास होने चाहिये के संदर्भ में सार्थक बहस देखने को मिलती ?
  • क्या लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी के बहस की चुनौती को स्वीकार नहीं करने वाले और मोदी को बहस की चुनौति देने वाले राहुल गांधी सार्थक बहस करते देखे जाते ?
  • क्या मोदी द्वारा बहस का किया गया संकेत विपक्ष सही अर्थों में स्वीकार करते और सार्थक बहस देखने को मिलता ?

संदेह का कारण

लोकसभा में राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष बनने से स्वस्थ बहस हो पायेगा इसको लेकर संदेह उत्पन्न होने के दो बड़े कारण हैं : प्रथम हंगामा करने की आदत और द्वितीय मनोरंजक वक्तव्य का इतिहास।

हंगामा करने की आदत : चाहे कुछ भी कहें या मानें राहुल गांधी यदि पिछले लोकसभा में भी स्वस्थ बहस करना चाहते तो वो अपने पार्टी का समय लेकर कर सकते थे। लेकिन राहुल गांधी को देश ने कभी बहस करते नहीं देखा जब भी देखा हंगामा करते देखा चाहे नोटबंदी का हो या GST का, राफेल-राफेल हो, पेगासस का हो या अडानी-अंबानी का। राहुल गांधी का इतिहास बहस करने का नहीं हंगामा मात्र करने का रहा है और यह संदेह उत्पन्न होने का एक बड़ा कारण है कि क्या राहुल गांधी लोकसभा में स्वस्थ बहस कर पायेंगे ?

मनोरंजक वक्तव्य : कई वर्षों से राहुल गांधी के वक्तव्यों में ऊट-पटांग बातें निकलने की एक नियमित परम्परा देखी गयी है और लोगों ने उसे मनोरंजन का विषय बना लिया। इन ऊट-पटांग वक्तव्यों की बहुत विस्तृत सूची है जिसमें से कुछ मनोरंजक वक्तव्य नीचे के विडियो में देखे-सुने जा सकते हैं।

राहुल गांधी का आलू से सोना बनाने वाला वक्तव्य तो वास्तव में हंसी लगने वाला है, किन्तु कुछ शुभचिंतकों ने निर्लज्जतापूर्वक राहुल गांधी के उस हास्यास्पद वक्तव्य को भी मोदी का वक्तव्य सिद्ध कर दिया, लेकिन मोदी ने कब आलू से सोना बनाने वाली मशीन की बात कही थी ये नहीं सिद्ध कर पाये। यद्यपि ऊपर दिये गये विडियो को हर बार गलत सिद्ध करने का प्रयास किया जाता रहा है, वास्तव में उपरोक्त विडियो हंसी के उद्देश्य से बनाये जाते हैं, किन्तु कई बातें शत-प्रतिशत सही भी होती है।

समस्यायें

इस संबंध में बड़ी बात तो ये है कि राहुल गांधी की जो प्रवृत्ति रही है जैसे कुछ देर बस अपनी बात कहने के लिये संसद जाना और हो गया। कब देश में हैं कब विदेश यात्रा पर जायेंगे ज्ञात नहीं रहता। ये सभी राहुल गांधी के लिये नेता-प्रतिपक्ष पद को सम्हालने में तो आयेगी ही साथ ही जब बोलने लगते हैं तो क्या बोल देते हैं, स्वयं भी दुबारा अपना वक्तव्य सुनते होंगे तो लगता होगा कि मैंने क्या बोल दिया, इसका क्या अर्थ होता है, इसमें पर्याप्त सुधार करना ही होगा।

नेता प्रतिपक्ष मात्र चुनावी भाषण देने वाला पद नहीं होता है राहुल गांधी ये भी समझ पायेंगे या नहीं कहना कठिन है। अंततः सोनियां गांधी को कांग्रेस के संसदीय दल का नेता चुना गया।

भारत की दिशा
भारत की दिशा
काटजू घनघोर सनातन द्रोही निकला
काटजू घनघोर सनातन द्रोही निकला
राहुल गांधी हुये भाजपा में शामिल
राहुल गांधी करने लगे भाजपा का प्रचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *