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खान मार्केट गैंग सुन लें तबाही तय है, उलटी गिनती आरंभ हो चुकी है

खान मार्केट गैंग की उलटी गिनती आरंभ हो चुकी है

2023 तक प्रधानमंत्री मोदी ने दो कार्यकालों और मुख्यमंत्री काल में भी मीडिया के मानसिक प्रताड़ना को झेला है और मीडिया के क्रियाकलापों को भलीभांति जानते-समझते हैं। मोदी को अच्छे से पता है कि मंत्रालय निर्धारित करने वाली मीडिया का देश और संस्कृति के विरुद्ध क्या योगदान रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 में लगभग स्पष्ट कर चुके हैं कि आगे आने वाले समय में इन चट्टे-बट्टे, लुटियन गैंग, खान मार्केट गैंग के साथ क्या करने वाले हैं।

खान मार्केट गैंग सुन लें तबाही तय है, उलटी गिनती आरंभ हो चुकी है

लोकसभा चुनाव 2024 आरंभ होते ही पहले तो मोदी ने कांग्रेस के चट्टे-बट्टे कहकर सुधरने का संकेत मात्र किया लेकिन निर्लज्ज मीडिया ने अनसुना कर दिया आखिर क्यों न करे लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ होने का अहंकार है, मोटी कमाई होती है, अंतरराष्ट्रीय गिरोह की छत्रछाया है तो मोदी क्या चीज है?

दुबारा प्रदानमंत्री मोदी ने एक साक्षात्कार में भी स्मरण कराया और पूछा कि कांग्रेस के PFI एजेंडा वाले चुनावी घोषणापत्र पर मौन क्यों रही, उसका विश्लेषण क्यों नहीं किया? और उस समय भी यही संकेत स्पष्ट समझा जा सकता था कि चट्टे-बट्टों के टिड्डी दल को निशाने पर ले लिया गया है और अगले कार्यकाल में इनके प्रति कठोरता बरती जायेगी।

पुनः एक पहले खुले रूप से मीडिया वाले सुन लें, लेकिन इससे पूरी मीडिया का बोध हो रहा था तो स्पष्ट करते हुये लुटियन गैंग और खान मार्केट गैंग कहकर सतर्क करते हुये अंतिम चेतावनी दे दिया कि अब बचने की कोई संभावना नहीं है, सुधरने का अवसर निकल गया है और अब अगले कार्यकाल में कठोरतम कार्रवाही का सामना करना पड़ेगा।

मीडिया (चट्टे-बट्टे/लुटियंस/खान मार्केट गैंग) का अपराध

ये तो अलग बात है कि टका पर इन गिद्ध दृष्टि वालों की टकाटक टकटकी लगाते रहे हैं, लेकिन वास्तविक अपराध कुछ और है और इस भी मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि ये लुटियंस उन विषयों को छिपा लेते हैं जो देशहित में उजागर होना आवश्यक होता है। उदाहरण में राहुल गांधी का मुसलमान को आरक्षण संबंधी पुराने विडियो का उल्लेख किया जिसकी कभी चर्चा नहीं की गई।

2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का एजेंडा तो PFI व कट्टरपंथियों का है किन्तु इसमें कुछ राजनीतिक दल, नेता, मीडिया, कंपनियां, NGO आदि भी प्रोत्साहित करते हैं और उनकी वास्तविकता को छुपाते हुये छद्म स्वरूप दिखाते हुये देश को भ्रमित करने का प्रयास करते हैं। ये कोई सामान्य अपराध नहीं है देश के अस्तित्व से जुड़ा है और गंभीर अपराध है।

खान मार्केट गैंग

बार-बार झूठ बोलने वाले कट्टर भ्रष्टाचारी को राजधानी की सत्ता पर स्थापित करने में इस लुटियंस की बड़ी भूमिका रही है । देश में बड़े-बड़े राज्य और मुख्यमंत्री हैं लेकिन अपराधी मीडिया ने समाचार के नाम पर एक दशक से उसका प्रचार कर रही है। प्रचार ही करना हो तो स्पष्ट रूप से विज्ञापन कहकर चलाने पर अपराध नहीं माना जा सकता किन्तु समाचार कहकर विज्ञापन प्रस्तुत करना निःसंदेह अपराध श्रेणी में रखा जाना चाहिये।

लाल किले पर तिरंगे का अपमान : कथित किसान आंदोलन में जिस दिन टिकैट रोया था, रोने से पहले के समाचार को समझा जाय तो स्पष्ट हो जाता है कि आंदोलन समाप्त हो गया है और टिकैत को पुलिस ले जायेगी, पता नहीं गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होगी या नहीं? टिकैट अपने खतड़े को भांपकर रो रहा था, किन्तु मीडिया ने उसका रोना दिखाकर बुझती हुई आग में पेट्रोल देने का काम किया था जिसके कारण देश ने लाल किले पर तिरंगे का अपमान होते देखा गया।

सनातन के विरुद्ध कार्य : मीडिया का यह वर्ग सनातन का घनघोर विरोधी है। यही मीडिया सनातन के बलिप्रथा का विरोध करती है किन्तु बकरीद पर होने वाली हिंसा में निमंत्रित भी होती है, प्रचारित-प्रसारित करती है। कोई मौलाना-मौलवी भी अपराध करे तो बाबा-तांत्रिक लिखते-पढते हैं । होली पर इसे पानी की चिंता होती है, सावन में गरीब की, दीपावली में प्रदूषण की इससे अधिक और कितने प्रमाण चाहिये इनके सनातन विरोधी होने का, अर्थात इतने तथ्य पर्याप्त हैं जिससे ये सनातन विरोधी सिद्ध हो जाते हैं।

जाति-वर्ग देखकर समाचार बनाना : ये भी अपराध ही माना जाना चाहिये कि मीडिया उस समाचार को प्रमुखता से लेती है जिसमें पीड़ित कोई वर्ग-जाति विशेष हो, अन्य जाति-वर्ग का होने पर उसे छिपाने का ही प्रयास करती है।

भ्रष्टाचार पर मौन रहना : भ्रष्टाचार के विरुद्ध हो रही कार्यवाही में लगातार करोड़ों पकड़े जा रहे हैं, किन्तु उसे मात्र एक सामान्य खबड़ कहकर पीछा छुड़ा लेते हैं ये लुटियंस। भ्रष्टाचार देश के लिये हानिकारक है और यदि ये स्वयं भ्रष्टाचार के हिस्सा बन जायें तो अपराध कैसे नहीं कहा जा सकता।

खान मार्केट गैंग की उलटी गिनती आरंभ हो चुकी है, खटाखट होगी कार्रवाई

खान मार्केट गैंग कोई नया नाम नहीं है वर्षों से सोशल मीडिया और मेन मीडिया में भी इनकी चर्चा की जाती रही है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा चर्चा करने का तात्पर्य ये है कि इनकी पहचान जगजाहिर हो चुकी है देश इनको जान रहा है। किन्तु मोदी ने ये भी बताया कि इनके काले-कारनामों को उजागर करना आवश्यक है। इनको पूरी तरह से नग्न कर देने का उचित काल आ गया है।

लेकिन बात मात्र इतनी ही नहीं है, काले-कारनामों को उजागर करने का काम तो सोशल मीडिया पर सक्रिय राष्ट्रवादी कर ही रहे हैं और जोर-शोर से करेंगे। लेकिन मोदी ने और भी संकेत तो किया है कि अगले कार्यकाल के पांच वर्षों में पिछले दो कार्यकाल से अधिक कठोर प्रहार करेंगे।

वास्तव में संकेत यह है कि राष्ट्रवादियों को भी और अधिक शक्ति से काम करना चाहिये। साथ ही इनके ऊपर अन्य प्रकार की कानूनी कार्रवाई भी अधिक सक्रियता के साथ किया जायेगा – खटाखट किया जायेगा, और ये खान मार्केट गैंग टपाटप टपकेंगे।

कालनेमियों की बाढ़

मीडिया में चट्टे-बट्टे, लुटियंस, खान मार्केट गैंग की बात तो अलग है ही, इसके साथ-साथ अन्य टीवी चैनलों व फिल्म जगत में भी कालनेमियों की बाढ़ सी आ गयी है। पहले यही लोग खुल्लम-खुल्ला सनातन पर प्रहार करते थे किन्तु अब इन्होंने बदले भारत में अपना स्वरूप भी बदल लिया है और कालनेमी बनकर धर्म-संस्कृति का नाम लेते हुये कुतर्क का सहारा लेकर जनमानस को भ्रमित करने का प्रयास करने लगे हैं।

ये अपने फिल्म, धारावाहिक का नाम भी अब ऐसे रखते हैं जैसे धार्मिक हो सांस्कृतिक हो, चर्चा भी करते हैं किन्तु कालनेमी ही हैं अतः त्रुटियां करते ही रहते हैं कुतर्क रचते ही रहते हैं। जो फिल्म, धारावाहिक, चैनल ऐसा कुतर्क करके कर्त्तव्याकर्त्तव्य समझाते हुये जनमानस को भ्रमित करने का प्रहार कर रहे हैं उनको नग्न करना भी आवश्यक है।

कुछ सामान्य उदाहरण : कई बार ऐसा दिखाया जाता है कि विधवा को अन्य लोग यह सिखाते हैं, भगवान भी तुमको खुश देखना चाहते हैं, तुम्हारे पति की आत्मा भी चाहती होगी कि तुम होली खेलो इत्यादि। ये धर्म और संस्कृति के ऊपर कालनेमी बने सनातनद्रोहियों के प्रहार करने का नया तरीका है। भगवान कुछ चाहते ही नहीं, फिर भी मान लिया जाय कि भगवान खुश देखना चाहते तो विधवा ही क्यों बनाते ? कर्त्तव्याकर्त्तव्य का निर्णय शास्त्र प्रमाणों से होता है न कि कुतर्कों से।

इसी प्रकार कई धारावाहिकों में ऐसा दिखाया जाने लगा है कि घरों में बड़ी-बड़ी प्रतिमायें रखी रहती है। यह भी उन कालनेमियों की एक विशेष पहचान है, घर में अधिकतम 12 अंगुल की प्रतिमा ही रखने का शास्त्रोक्त विधान है 12 अंगुल से बड़ी प्रतिमा रखने का निषेध है।

इसी प्रकार और भी कई तथ्य हैं जो गिनाये जा सकते हैं। इसकी भी चर्चा और इस पर भी प्रहार करना आवश्यक है।

मीडिया की भूमिका एवं समस्याएं और ग्रामीण संस्कृति पर घातक प्रभाव – impact of media

तानाशाह मोदी
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लव जिहाद
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