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Fire Incident : NGO, मीडिया, संगठन सभी सोये क्यों रहते हैं ?

Fire Incident : NGO, मीडिया, संगठन सभी सोये क्यों रहते हैं ?

आगजनी की घटनायें प्रतिवर्ष होती ही रहती है। पहले जलावन के चूल्हे होते थे, अब गैस चूल्हे हैं फिर भी आगजनी की घटनायें चिंताजनक हैं। और उससे भी चिंताजनक है सबका सोये रहना चाहे सरकार हो, मीडिया हो, NGO हो या जो कोई भी घोषित समाजिक कार्यकर्त्ता/संगठन हो।


Firefighters Day : 4 मई को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय अग्निशमन दिवस मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से अग्निशामकों के लिए मनाया जाता है। पहली बार 1999 में अंतरराष्ट्रीय अग्निशमन दिवस मनाया गया था। उस समय ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया स्थित लिंटन की झाड़ियों में आग लग गई थी। इस आग को बुझाने के लिए वहां एक टीम आई थी। उस समय टीम के पांच सदस्य आग में झुलस गए थे और इस कारण से उनकी मौत हो गई थी। उनको स्मरण करते हुये प्रत्येक वर्ष 4 मई को अंतरराष्ट्रीय अग्निशमन दिवस मनाया जाता है।  

भारत में राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा दिवस 14 अप्रैल को मनाया जाता है  

भारत में अलग से 14 अप्रैल को राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा दिवस (NFS) मनाया जाता है। इस दिन 14 अप्रैल 1944 को मुंबई डॉकयार्ड में एक दुर्भाग्यपूर्ण और बड़े पैमाने पर विस्फोट के दौरान जान गंवाने वाले 71 अग्निशमन कर्मियों को याद किया जाता है। इस दिन अग्नि सुरक्षा और रोकथाम के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक मंच भी प्रदान करता है। साथ ही भारत सरकार भी इस दिन निडर अग्निशामकों को सम्मानित करती है। 

अग्निशमन सप्ताह या अग्नि सुरक्षा सप्ताह : भारत में आगजनी की घटनाओं के रोकथाम हेतु अग्निशमन सप्ताह भी मनाया जाता है, अग्निशमन 2023 में 14 अप्रैल से लेकर 20 अप्रैल तक अग्निशमन सेवा सप्ताह भी मनाया गया था।

भारत में आगजनी से हजारों लोगों की मौत 

BMJ इंजरी प्रिवेंशन जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष  2017 में भारत में आग लगने की 16 लाख घटनाएं हुईं थी जिनमें 27,027 लोगों की मौत हुई थी; जबकि पूरी दुनिया में आगजनी करीब 90 लाख घटनाओं में 1.2 लाख लोगों ने जाने गंवाई थी। अर्थात विश्व में आगजनी मरने वाले में हर पांचवा नागरिक भारतीय था। इसके साथ ही  रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जागरूकता के कारण अधिकतर देशों में आगजनी की घटनाओं से होने वाली मृत्यु में पर्याप्त कमी आई है। भारत में भी 1990 से 2017 के बीच मौतों की संख्या में करीब 30 प्रतिशत की कमी देखी गई है।

लेकिन 2021 में हुई आगजनी की घटनाएं नवंबर 2019 और जून 2020 के बीच हुई आग की घटनाओं से 2.7 गुना अधिक रही।

जंगलों में आग लगने की घटनायें : आग लगने की घटनायें जंगलों में अधिक देखी जाती है और यह प्राचीन काल से होता आ रहा है। 

राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा दिवस 2024

वर्ष 2024 के राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा दिवस (NFS) का विषय “राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करें” रखा गया। यह राष्ट्र की दीर्घकालिक उन्नति के लिए सुरक्षित और आग प्रतिरोधी वातावरण के महत्व पर बल देने वाला था। 

इस वर्ष की थीम इस विचार को स्वीकार करती है कि अग्नि सुरक्षा केवल हानि-निवारक उपायों तक ही सीमित नहीं है बल्कि राष्ट्र की स्थिरता और आर्थिक विकास में भी सहायक है। एनएफएस 2024 थीम लोगों और सरकारों से अग्नि सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में बढ़ावा देने का आग्रह करती है क्योंकि यह देश के लिए एक समृद्ध और लचीला भविष्य बनाने में मदद कर सकता है।

यह लोगों के समन्वित अग्निशमन प्रयासों के महत्व पर भी प्रकाश डालता है। भविष्य में अग्नि विस्फोटों को रोकने के लिए, कई संगठन ऐसी अग्नि आपात स्थितियों से लड़ने के लिए स्वयं को तैयार करने के लिए प्रशिक्षण, अभ्यास और रिहर्सल का आयोजन करते हैं। 

अग्नि सुरक्षा और रोकथाम युक्तियाँ  

सकारात्मक पहल : ये सकारात्मक पहल है और इसके लाभ भी होते दिख रहे हैं, किन्तु ये कहना भी गलत नहीं होगा कि जितनी अपेक्षा है उसकी तुलना में अत्यल्प प्रयास हो रहे हैं। ये सभी प्रयास कुछ बहुत लोग/संगठन तो मात्र फोटो सत्र के रूप में मनाते हैं। 

नकारात्मक पहलू : इसके लिये कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न हैं जो स्वयं से पूछने की आवश्यकता है :

विपक्ष का कार्य 

विपक्ष का वास्तविक कार्य ऐसे विषयों के प्रति ही सरकार और जनता की ऑंखें खोलना, सजग करना है। हम विपक्ष या विपक्ष के समर्थक नहीं हैं। लेकिन यदि ये कार्य भी अब हमें करना पड़े तो विपक्ष की क्या आवश्यकता है। 

वर्त्तमान काल 

हम वर्त्तमान में प्रतिदिन ढेरों आगजनी की घटनायें देख/सुन रहे हैं। कभी चलती गाड़ी में आग लग जाना, किसी झोपड़ी में आग लग जाना, किसी फैक्ट्री में आग लग जाना, किसी स्कूल-कोचिंग में आग लग जाना। किन्तु कहीं कोई जागरूकता की बातें करता नहीं मिलता। यदि कहीं किसी प्रकार से जागरूक करने का प्रयास ही नहीं किया जायेगा तो जागरूकता बढ़ेगी कैसे ? मात्र कुछ संगठन/संस्थाओं तक ही कार्यक्रम सिमट कर क्यों रहे ? आम जनता का क्या दोष है ?

आम जनता में जागरूकता का जो पारम्परिक स्वरूप था उसे भी छिन्न-भिन्न कर दिया गया है। फिर आम जनता जागरूक हो तो कैसे ?


समाधान 

यहां समाधान में हम मात्र अग्निसुरक्षा मात्र की नहीं सभी आपदाओं के विषय में जागरूकता सम्बन्धी आवश्यकता को बल देने हेतु कुछ बिंदु पर चर्चा करना आवश्यक समझते हैं :

हमें यह विश्वास है कि मोदी सरकार अगले कार्यकाल में इस विषय को गम्भीरतापूर्वक लेगी और सकारात्मक परिणाम के लिये अपेक्षित प्रयास भी अवश्य करेगी। अग्निशमन दिवस मात्र एक कार्यक्रम नहीं रहना चाहिये गली-मुहल्लों में भी दिखाई देना चाहिये। इसी प्रकार अन्य आपदा/दुर्घटना के लिये भी सकारात्मक प्रयास होना चाहिये। 

निष्कर्ष : आगजनी की बढ़ती घटनाओं और रोकथाम के प्रयासों में कमी, विपक्ष, मीडिया, संगठन, संस्थाओं का गंभीर न होना चिंता का विषय है और इस दिशा में सकारात्मक प्रयास करने की आवश्यकता है। मात्र आगजनी ही नहीं सभी प्रकार के आपदाओं/दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिये कुछ विशेष सकारात्मक प्रयास करने की आवश्यकता है जो आलेख में बताया भी गया है। 

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