लव जिहाद होता क्यों है यदि ये उन लोगों से पूछ लिया जाता है जो इसके समर्थक हैं, जो तुष्टिकरण वाले वोटबैंक के आश्रित रहते हैं, जो खान मार्केट गैंग के जमाती हैं वो रोने-धोने लगते हैं। सर पीटने लगते हैं, बिलखने लगते हैं मत छेड़ो मत छेड़ो ऐसा कुछ नहीं है। लव जिहाद की कोई न कोई घटना लगभग हर दिन होती है लेकिन चट्टे-बट्टे अधिकतर सोये रहते हैं, देश से छुपा लेते हैं। अब तीसरे कार्यकाल से पहले चुनावी सभा प्रधानमंत्री मोदी ने लव का प्रसंग उठाया है मतलब साफ है आगे प्रहार होने वाला है।
लव जिहाद होता क्यों है, पूछो तो रोता क्यों है ?
जब से मोदी सरकार बनी थी अर्थात 2014 से राष्ट्रवादियों के दो दल हो गये, नरम दल और गरम दल। नरम दल का नेतृत्व मोदी कर रहे थे तो गरम दल का नेतृत्व करने के लिये योगी, विश्वशर्मा थे। नरम दल में लोगों की संख्या अधिक थी और गरम दल में लोगों की संख्या कम थी। गरम दल आरम्भ से ही मोदी की नीतियों का थोड़ा विरोध कर रहे थे। आग में घी देने के लिये विपक्षियों द्वारा कुछ कट्टर हिन्दू प्रक्षेपित भी किये गये थे जो मौलाना मोदी करके उकसाते रहे।
वास्तव में विपक्षी गरम दल को अपने साथ करने की राजनीति कर रहा था जो मोदी को भी पता था। मोदी का लोकसभा चुनाव 2024 में राष्ट्रवादियों के गरम दल को साथ करना भी एक कारण है कि इस चुनाव में मोदी उन विषयों को भी स्पष्ट रूप से उठाने लगे जिसे दो बार उन्होंने नहीं छुआ था और मौलाना मोदी कहे जाने लगे थे।
मोदी दूरदृष्टि संपन्न नेता
मोदी एक ऐसे नेता हैं जो दूरदृष्टि संपन्न हैं और कोई भी निर्णय दूर की सोच रखकर लेते हैं। जब निर्णय ले लेते हैं तो उसकी पूरी रणनीति बनाकर ही दुनियां के सामने रखते हैं बड़बोलापन दिखाने का दुर्गुण नहीं है कि जो मुँह में आया बोल दिया जैसे वो मशीन जिसमें एक तरफ आलू डालेंगे दूसरी ओर सोना निकलेगा।
मोदी जब कोई विषय उठाते हैं तो उसकी पूरी रणनीति तैयार होती है, जैसे शतरंज के खेल में माहिर खिलाड़ी विपक्षी की अगली कई चालों को समझकर फिर कोई चाल चलता है और अपने मनोनुकूल ही विपक्षी को चाल चलने के लिये बाध्य कर देता है। शतरंज के खेल में एक वो खिलाड़ी होता है जो विरोधी के चाल को भी निर्धारित करके खेलता है। विरोधी को ये लगता भले है कि वो चाल चल रहा है किन्तु वास्तव में वह उस खिलाड़ी के मनोनुकूल चाल ही चलता रहता है और अंततः हार जाता है।
इस बात को भी मोदी स्वयं ही बोल चुके हैं कि हमने 400 पर कहा और 3 चरण के चुनाव तक तो विपक्षी इस 400 पार में ही उलझे रहे 400 पार होगा, 400 पार नहीं होगा। विपक्षियों का ये कहना कि संविधान बदल देंगे कहने का अर्थ यही था कि सचमुच 400 पार कर रहे हैं और उसके अनुसार विपक्षी ने रणनीति बनायी की कुछ भी हो 400 पार नहीं होना चाहिये। विपक्षी जब संविधान बदल देंगे बोल रहा था तो उसके पीछे यही डर था कि 400 पार हो जायेंगे।
चुनावी भाषण में मोदी ने कहा : “50-50 टुकड़े करके बेटियों की हत्या हो रही है, किसी आदिवासी बेटी को जिन्दा जला दिया जाता है, किसी आदिवासी बेटी की जुबान खींच ली जाती है। आदिवासी बेटियों को निशाना बनाने वाले ये कौन लोग हैं ? आखिर क्यों इन्हें JMM सरकार पाल पास रही है और मुझे तो अभी हमारे साथी बता रहे थे बोले लव जिहाद जो शब्द है न वो सबसे पहले झारखंड में आया, झारखंड वालों ने ये शब्द दिया है”
इसके साथ ही एक जिले के स्कूलों में शुक्रवार को छुट्टी वाले प्रकरण की भी चर्चा की।
50-50 टुकड़ों में बेटियों को काटा जा रहा है।
— Panchjanya (@epanchjanya) May 28, 2024
स्कूल में रविवार की छुट्टी खत्म कर शुक्रवार यानी जुम्मे को छुट्टी दी जा रही है।
70% से ज्यादा मुस्लिम छात्र वाले स्कूल को उर्दू स्कूल बनाया जा रहा है।
: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी pic.twitter.com/VHj04xrESY
लव जिहाद विषय को उठाने का उद्देश्य
भ्रष्टाचार, परिवारवाद, तुष्टिकरण आदि तो पहले दिन से विषय था, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में पहले मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की छाप बोलकर जो प्रहार करना आरंभ किया पुरे चुनाव में मुस्लिम आरक्षण पर विपक्ष को घेरते रहे और अब अंत में लव जिहाद का विषय भी उठा दिया। ये लव जिहाद का विषय उठाने का प्रथम उद्देश्य है कि पहले इस पर देश व्यापी चर्चा हो, जन-जागरूकता हो। वोट मिले ये उद्देश्य तो हो ही नहीं सकता क्योंकि यदि वोट की अपेक्षा होती तो पहले दिन से ही बोला जाता अंतिम दिनों में नहीं।
वास्तव में कोई भी समस्या मात्र कानून बना देने भर से समाप्त नहीं हो सकती। किसी भी समस्या के समूल नाश के लिये उसके विषय में जन जरगरूकता की अपेक्षा होती है। ये भी स्पष्ट होता है कि समान नागरिक संहिता तो लाया ही जायेगा साथ ही लव जिहाद, लैंड जिहाद आदि के विषय में भी काम किया जायेगा, जो की बहुसंख्यकों की बड़ी समस्या है।
पहले तो इस पर व्यापक चर्चा हो जिससे जनजागरूकता बढे, कानून बनाने होंगे ये भी आवश्यक है और मोदी को ही बनाने होंगे ये भी मोदी ने स्वीकार का लिया है। देश उसके लिये तैयार हो जाये यह आवश्यक है। वास्तव में मोदी चुनाव में जो-जो विषय उठा रहे हैं उसका मुख्य कारण ये है कि उन-उन विषयों पर मोदी को इस कार्यकाल में काम करना है।
पहले क्यों नहीं किया
ये भी एक गंभीर प्रश्न हो सकता है कि पहले क्यों नहीं किया ? जिस समय मोदी सत्ता में आये थे उस समय देश की स्थिति व वैश्विक परिस्थिति अनुकूल नहीं थी। उस समय का भारत निराशा के घने अंधकार में था। कई देश ऑंखें तरेरते थे और मोदी ने डरे हुये भारत की सत्ता ग्रहण किया था। पहले ये आवश्यक था कि भारत उस स्तर पर पहुंचे जहाँ ऑंखें तरेरने वाले ये सोचने लगें कि भारत रुष्ट न हो जाये। आज मोदी ने भारत को उस स्तर पर ला खड़ा किया है जब वही देश अब ये सोचते हैं कि भारत की भृकुटि न तने।
यदि पहले दो कार्यकालों में बोलते तो खान मार्केट गैंग और पूरी दुनियां मोदी के सिर का बाल नोंच लेती। आज तब बोल रहे हैं जब खान मार्केट गैंग और पूरी दुनियां को ये बता चुके हैं कि भारत बदल चुका है और बदला हुआ भारत ऐसी लाठी मारता है जो न तो दिखता है न आवाज होती है बस चोट करता है जिससे कहीं किसी को शिकायत भी नहीं किया जा सकता। अभी मालदीव प्रकरण इसका जीता-जागता उदहारण है।
2014 का भारत वो भारत था जब चुनाव के मुद्दे खान मार्केट गैंग निर्धारित करती थी, टूलकिट गैंग करती थी। उस कालखंड में चट्टे-बट्टों की सेना बहुत शक्तिशाली थी। यद्यपि अभी भी इन चट्टे-बट्टे के गैंग, टूलकिट गैंग ऐसा प्रयास करते देखे जा रहे हैं किन्तु मोदी ने पहले दो कार्यकालों में इनके विषदंत उखाड़ दिये। अब ये सर्प फुंफकार तो सकते हैं किन्तु विषरहित हो गये हैं इसलिये इनसे डरने की आवश्यकता नहीं है।
कुछ लोग ऐसा भी मानते और कहते हैं कि सबका साथ सबका विकास से मोदी भी ऊब चुके हैं, वो भी मान चुके हैं कि यह नीति भी जिन्हें कपड़ों से पहचाना जा सकता है, जिनके ढेरों बच्चे होते हैं वो कभी भी हमारे नहीं हो सकते। लेकिन यह सत्य नहीं है, मोदी को ये पहले दिन से पता था किन्तु वैश्विक परिस्थिति व भारत की स्थिति ऐसी थी कि पहले दिन से ऐसा नहीं किया जा सकता। सबका साथ सबका विकास तो यथावत ही रहेगा किन्तु विभिन्न प्रकार के जिहाद का सहन नहीं किया जायेगा। विकसित भारत में जिहादियों का स्थान नहीं होगा।
कुल मिलाकर मोदी को पता है कि क्या-क्या करना है, कब करना है और कैसे करना है। बाधाएं क्या हैं, निपटना कैसे है और वैकल्पिक मार्ग क्या है सब कुछ निर्धारित करने के बाद ही मोदी कोई बात बोलते हैं। और गारंटी कहने का अर्थ भी यही है कि रोड़े अटकाने वाले, षड्यंत्र करने वाले क्या-क्या कांड करेंगे वो भी ध्यान में रखकर उससे निपटने की नीति बनाकर तभी बोला गया है।
लव जिहाद का घिनौना सच – कट्टर मुसलमान भी सेकुलर का स्वांग रचते हैं
लव जिहाद है क्या
यद्यपि भारत ही नहीं पूरा विश्व लव जिहाद का शिकार है और इसको समझ रहा है तदपि प्रसंगानुसार हमें यहां भी लव जिहाद को भी संक्षेपतः समझना आवश्यक है।
दुनियां में ढेरों पंथ हैं लेकिन पंथों में भी वर्ग होते हैं, कई पंथ ऐसे हैं जो सनातन के ही अंग हैं और उनमे प्रचार-प्रसार की भावना तो होती है किन्तु फिर भी अंशात्मक रूप से धर्म और नीति रहती है। अनीति और अधर्म से दूर रहने का प्रयास करते हैं। एक वर्ग ऐसा भी है जिसका बहुत पहले सनातन ने त्याग कर दिया था और उनके मन में सनातन के प्रति घृणा भरी हुयी थी जो वर्त्तमान में भी है।
सनातन उनके प्रति कुछ दशक पूर्व तक भी घृणा का भाव रखता था और म्लेच्छ कहा करता था। कुछ वर्षों पूर्व तक भी मुसलमान को अपशब्द के तरह प्रयोग किया जाता था। जब कोई बच्चा क्रूर होने लगता था तो उसे मुसलमान कहा जाता था। लेकिन धीरे-धीरे परिस्थिति को राजनीति ने बदल दिया।
वास्तव में ऐसे वर्ग जो घृणा के पात्र थे व बहुत पहले जिनका त्याग कर दिया गया था और इतिहास में यह नहीं कहा जाता की वो भी पहले सनातनी ही थे उन वर्गों ने जब पंथ का रूप धारण किया तो उन्होंने प्रचार-प्रसार के लिये धर्म नीति का पूर्ण रूप से त्याग कर दिया और येन केन प्रकारेण वृद्धि का लक्ष्य रखा।
उनमें से एक पंथ इस्लाम भी है जो प्रचार-प्रसार के लिये अनेकों ऐसे मार्ग अपनाये जो नीतिविरुद्ध हैं। जिस प्रकार भी हो सके दुनियां में अपनी जनसँख्या बढ़ाना और भूभाग पर अधिकार बढ़ाते रहना इनका उद्देश्य है। इसी उद्देश्य के लिये आतंकवाद का जो दूसरा पहलू है उसे जिहाद कहा जाता है और जिहाद के भी कई प्रकार हैं जिनमें से एक लव जिहाद है।
लव जिहाद का तात्पर्य है जो गैर इस्लामी स्त्रियां, लड़कियां हैं उनको येन केन प्रकारेण इस्लाम में लाना। लव जिहाद दोधारी तलवार है जिसका दुगुना प्रहार होता है, एक तो गैर इस्लामी की संख्या कम होती है और दूसरा इस्लाम की संख्या में वृद्धि होती है।
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