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दिल्ली हो रही पानी-पानी, क्या कहा था पूछो नानी

दिल्ली हो रही पानी-पानी, क्या कहा था पूछो नानी

दिल्ली जल संकट : फ्री पानी के चक्कर में दिल्ली ऐसी फंसी की आज पानी-पानी हो रही है लेकिन पानी है की मिलने का नाम नहीं रही रही है। वैसे कई दिनों तक हंगामा होते रहने के बाद भी बस हरियाणा, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, भाजपा की जो लगन लगी वो लगी की लगी ही रह गई लेकिन करना-धरना कुछ आता नहीं और यदि कुछ करना आता है तो मीडिया को वक्तव्य देना, अपनी गलती औरों पर थोपना और यही सब होता रहा। आइये देखते हैं कब सुलझेगा दिल्ली का जल संकट या दिल्ली होगी पानी-पानी।

विशेष ध्यातव्य : यहां व्यंग्य बाण छोड़े गये हैं कृपया बुड़ा न माने।

दिल्ली हो रही पानी-पानी, क्या कहा था पूछो नानी

केजरीवाल ने एक समय कहा था कि उनकी नानी ने ऐसे राममंदिर नहीं जाने की बात कही थी जो मस्जिद तोड़कर बनायी गयी हो, लेकिन ऐसे मस्जिद के बारे में कुछ नहीं बताया था जो मंदिर तोड़कर बनाया गया हो। अब इसमें गलती केजरीवाल की थी या नानी की पता नहीं क्योंकि केजरीवाल ने मंदिर के बारे में पूछा था, मस्जिद के बारे में तो पूछा ही नहीं था। काम करने के बारे में कुछ पूछे थे या नहीं कभी बताया नहीं। दस वर्षों से अधिक टीविया जो बने रहे हैं वो नानी ने सिखाया था पता नहीं, कुछ काम मत करो बस लम्बी छोड़ो ये किसने बताया था, ज्ञात नहीं।

जेल में जल

वैसे केजरीवाल एक इतने अनैतिक व्यक्ति हैं जो तो गये किन्तु मुख्यमंत्री पद का त्याग नहीं किया, जमे हैं जब तक कॉलर पकड़ कर नहीं उतारा जायेगा तब तक जमे ही रहेंगे और जब उतार दिया जायेगा तो रोने-धोने लगेंगे। ये उपराज्यपाल की कृपा से अभी तक मुख्यमंत्री कहे जा रहे हैं और न्यायपालिका की कृपा तो इनके ऊपर है ही।

वैसे जेल में रहने पर भी इनके बारे में कहा गया था कि दिल्ली की जनता को कोई समस्या नहीं होने देंगे, दिल्ली के लोगों की सेवा होती रहेगी और जल के चिंता का विशेष रूप उल्लेख किया गया था। लगता है केजरीवाल को दिल्ली के जल की इतनी चिंता हो गयी कि जल स्वयं केजरीवाल के पास पहुंच गयी और दिल्ली के लोगों को मिल नहीं रही।

जेल में जल केजरीवाल से पूछ रही है क्या करें जनता से मिलें या नहीं और केजरीवाल कह रहे हैं अरे नानी से तो पूछा ही नहीं था। वैसे जल भी है जो समझती है कि ये लोग कुछ करने वाले नहीं हैं गर्मी कम होगी, मानसून आयेगी और दिल्ली में पानी-ही-पानी होगा। फिर यही लोग पानी-पानी हुयी दिल्ली के लिये फिर से हरियाणा-हरियाणा की रट लगायेंगे, जैसा पिछली बार भी किया था।

ना हरिया ना (हरियाणा)

दस सालों से दिल्ली में जो केजरीवाल सरकार है उसने तो हरियाणा का नाम ही बदल दिया है। जनता को पानी नहीं दे पायें तब भी ना हरिया ना (हरियाणा पानी नहीं दे रहा है) और यदि दिल्ली की सड़को और घरों में पानी भर जाये तो भी ना हरिया ना (हरियाणा अधिक पानी छोड़ रहा है), सदा हरियाणा को ही ना हरिया ना सुनाते रहते हैं।

ना हरिया ना की लगन ऐसी है कि जो किया हरियाणा ने किया, दिल्ली सरकार ने कुछ नहीं किया जो करेगा हरियाणा करेगा, दिल्ली सरकार कुछ नहीं करेगी।

दिल्ली सरकार कुछ क्यों नहीं करेगी ? अजी ये कुछ करने वाले थोड़े न हैं जी, ये तो दिल्ली के मालिक हैं जी। दिल्ली का मालिक क्या पानी पहुंचायेगा ? भाजपा वाले भले गैस सिलेंडर भी पहुंचाते क्योंकि वो मालिक नहीं सेवक होते हैं जी, प्रधानमंत्री स्वयं को प्रधान सेवक कहता है तो उनके मंत्री सेवा करते हुये गैस सिलेंडर भी पंहुचा देते हैं। ये लोग सेवक नहीं मालिक हैं जी, समझा करो।

करने वाले तो आस-पास के वो राज्य हैं जहां सेवकों (भाजपा) की सरकार होती है जैसे हरियाणा, उत्तरप्रदेश। वो दिल्ली के घर-घर पानी नहीं पहुंचा रहे हैं तो ये कह रहे हैं कि हरियाणा पानी नहीं दे रहा है। इसमें गलत क्या कह रहे हैं ? कहने के लिये ही तो मालिक बने हैं ना, यदि करना होता तो सेवक बनते, करना नहीं था तो मालिक बन बैठे।

जलसंकट कब दूर होगा

आप लोग चिंता न करो जी, इन्होंने इंद्र महाराज से बात कर लिया है, मोदी नहीं सुन रहा तो क्या हुआ इंद्र को सुनना ही पड़ेगा जी। यदि इंद्र नहीं सुनेंगे तो उनका भी इस्तीफा मांग लेंगे जी, धरना देंगे, प्रदर्शन करेंगे, सब कुछ करेंगे और इंद्र को भी ले डूबेंगे। इंद्र को भी पता है कि यहीं बगल में भगवान कृष्ण ने इंद्र का दो-दो बार अभिमान भंग किया था, अब इंद्र इस जगह का स्मरण होते ही भयभीत हो जाते होंगे और लोगों को जब चाहिये तब, जितना चाहिये उतना (न कम न अधिक) पानी देते रहेंगे। लेकिन अभी संभवतः भूल गये हैं जी, इंद्र को वो याद दिलायेंगे केजरीवाल जी।

सीधे शब्दों में समझिये : मानसून आयेगा, वर्षा होगी अर्थात पानी बढ़ेगा, और तापमान घटने से पानी की मांग कम हो जायेगी फिर “न रहेगी बांस न बजेगी बांसुरी” जनता को तो बस आम खाना चाहिये ये गुठलियों के पीछे पड़ने से क्या मिलेगा ? वर्षा होने और तापमान घटने के बाद जब जल संकट समाप्त हो जायेगी तब ये लोग तीसमार खां बनने लगेंगे, वो तो इंद्रदेव के कारण जो अभी तक वर्षा नहीं कर पाये हैं ये लोग थोड़ा दौड़-धूप कर रहे हैं।

मानसून आने तो दीजिये फिर ये लोग छाती ठोककर कहेंगे हमने जलसंकट को हरा दिया जी, अब दिल्ली में पानी ही पानी होगा। कितना पानी चाहिये सड़कों पर पानी होगा, गलियों में पानी होगा, तब भी मन न भरे तो घर-घर में पानी होगा। आप उस पानी को जमा करके रख लेना क्योंकि फिर अगले साल भी यही हाल होगा। दिल्ली के मालिक कुछ नहीं करेंगे जी।

जब दिल्ली में पानी ही पानी होगा तब फिर मत चिल्लाना कि पानी-पानी हो गई, अगर चिल्लाओगे भी तो कुछ नहीं होगा जी, ये लोग ना हरिया ना (हरियाणा) फिर से रटने लगेंगे। गलती इनकी नहीं है जी गलती तो आपकी ही है जी आप ही ना हरिया ना को भूल जाते हैं और चिल्लाने लगते हैं, जेल में भी चैन से सोने नहीं देते। यदि दिल्ली की जनता स्वयं ही हरियाणा रटने लगे तो संभवतः हरियाणा समस्या खड़ी ही न करे क्योंकि समस्या तो हरियाणा ही करता है न जी।

ये इकलौती सरकार है :

  • जिसका मुख्यमंत्री जेल में है।
  • जो किसी भी समस्या का समाधान नहीं करती।
  • सभी समस्याओं के लिये पड़ोसी राज्यों को दोषी सिद्ध करती है।
  • राज्य की मालिक है, काम करने वाली सरकार नहीं।

इसके कुकृत्यों से तो देश पानी-पानी हो रहा है किन्तु दिल्ली है जो पानी ढूंढ रही है।

  • नियमानुसार हरियाणा को कितना पानी छोड़ना चाहिये था : 800 क्यूसिक
  • हरियाणा कितना पानी दे रहा है : 1000 क्यूसिक से अधिक
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