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पुनर्मूषको भव : CO बने सिपाही, गहरी बड़ी है खाई

पुनर्मूषको भव : CO बने सिपाही, गहरी बड़ी है खाई

योगी सरकार का एक ऐतहासिक निर्णय हुआ है जिसमें दुराचरण के कारण एक CO की पदावनति करके उसे सिपाही बना दिया गया है। CO (डिप्टी एसपी) को एक सिपाही के साथ होटल में आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ा गया था। CO के घर नहीं आने पर उसकी पत्नी ने ही पुलिस को सूचित किया था और ढूंढने पर दोनों होटल के कमरे में बंद मिले थे। वैसे महिला सिपाही का क्या हुआ ? क्या मात्र CO ही दुराचारी था, साथ में जो महिला सिपाही थी वो सदाचारी थी क्या ?

पुनर्मूषको भव : CO बने सिपाही, गहरी बड़ी है खाई

कृपा शंकर कनोजिया उन्नाव के बीघापुर में क्षेत्राधिकारी के पद पर पहले तैनात थे, और पदोन्नति करते हुये CO (डिप्टी एसपी) बने थे। दुराचरण कोई एक करता है इतनी बात नहीं है, दुर्भाग्य किसी एक का आरंभ होता है और “पुनर्मूषको भव” को सिद्ध कर देता है। इस प्रकरण में कथानक का एक ही तथ्य सटीक नहीं है कि सिपाही को पदोन्नति देकर बाबा ने ही CO बनाया, ये पहले ही हो चुका था बाबा ने CO से सिपाही बनाया।

पुनर्मूषको भव संस्कृत की कथानक है और संभवतः आप सभी जानते होंगे, कृपाशंकर कनौजिया आज उसी कथानक का पात्र मूषक पर सटीक स्थापित हो रहे हैं। जैसे मूषक को बिल्ली से भय लगा तो बाबा ने बिल्ली बना दिया, फिर कुत्ता अंत में बाघ। बाघ ने बाबा का ही शिकार करना चाहा तो बाबा ने कहा “पुनर्मूषको भव” और वह बाघ से फिर मूषक (चूहा) बन गया।

प्रकरण में कई तथ्य हैं जो ध्यातव्य हैं और कई तथ्य हैं जो कुछ और अपेक्षा भी रखते हैं :

घटना नई नहीं बहुत पुरानी है : कृपाशंकर पर दुराचरण के जिस आरोप में यह कार्रवाई की गयी है वह कोई तात्कालिक घटना नहीं है। यह घटना जुलाई 2021 की है और जूं 2024 में जाकर उसका निष्पादन हुआ। 3 साल कैसे लगे इनका विडियो तो साफ-साफ दुराचरण सिद्ध कर रहा था, वो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ था। इतना समय विभागीय जांच में कैसे लगा?

पत्नी के कारण फंसे या दुराचरण के कारण : घटना के संबंध में यह निर्णय कर पाना कठिन है कि पत्नी के कारण फंसे या दुराचरण के कारण ? यदि दुराचरण के कारण फंसना होता तो पहले ही फंसे होते, कोई महिला पहली बार ही किसी के साथ होटल जाकर दुराचरण में लिप्त नहीं होती। दूसरी बात पत्नी के कारण कैसे फंसे तो दुराचरण में ही हैं। ये सही है कि घर नहीं आने पर पत्नी ने खोजबीन की पता नहीं लगने पर पुलिस को बताया और पुलिस में मोबाइल के आखिरी स्थान का आधार लेकर होटल में एक सिपाही महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा।

कार्रवाई ऐतिहासिक है : एक CO की पदावनति करके सिपाही बना देना एक ऐतिहासिक घटना है। यह कार्रवाई होने से पहले एक और समाचार सुनी गयी थी उत्तरप्रदेश में की IPS अधिकारियों के स्थानांतरण की। जिसके बाद यह भी प्रश्न उठता है कि क्या विभाग ही बचा रहा था ?

कार्रवाई बहुत ही कठोर है : यदि कृपाशंकर को पदमुक्त करके जेल भी भेजा जाता तो इतना कठोर नहीं सिद्ध होता। सिपाही बना दिया गया तो अब वो पहले जिन्हें आदेश दिया करते थे उनका आदेश मानना होगा। यह कार्रवाई निःसंदेह कठोर है।

क्या सिपाही बनने के बाद भी महिला की इज्जत सुरक्षित नहीं है : यदि दबाव आदि का प्रयोग करके ऐसा किया गया है तो क्या एक सिपाही बनने के बाद भी महिला अपना इज्जत नहीं बचा सकती यह गंभीर प्रश्न है।

शेष अपेक्षायें

उपरोक्त CO से सिपाही तक की यात्रा में और भी कुछ अपेक्षायें हैं जो सबंधित-असंबंधित हैं लेकिन उसपर कार्रवाई की अपेक्षा शेष है :

महिला सिपाही पर कार्रवाई : इस प्रकरण में महिला सिपाही पर भी कोई कार्रवाई हुयी है या नहीं यह स्पष्ट नहीं हुआ। दुराचारी यदि CO था तो महिला सिपाही क्या सदाचरण कर रही थी या महिला होने के कारण उसे छूट मिली थी ? क्या किसी महिला को दुराचरण करने की छूट मिली होती है ? क्या महिला दुराचार नहीं करती है ? क्या महिला ने ही CO को किसी काम के लिये जाल में फंसाया था ऐसा नहीं हो सकता ? दुराचार हुआ था और दुराचार में दोनों समान दोषी दिख रहे हैं। और यदि CO ने पद का दुरुपयोग करके महिला को बाध्य किया था पुनः वही प्रश्न खड़ा है कि क्या एक सिपाही महिला भी अपना इज्जत नहीं बचा सकती है?

विभाग के उच्च अधिकारी 3 वर्षों तक सोते क्यों रहे : जो उच्च अधिकारी थे, अर्थात जिनको उक्त प्रकरण में कार्रवाई करनी थी वो 3 वर्षों से क्या कर रहे थे ? सोये क्यों रहे ? क्या CO पुलिस था और सिपाही महिला पुलिस नहीं थी ? यदि महिला पुलिस न होती तो यह समझा जा सकता था कि विभाग अपने CO को संरक्षण दे रही थी लेकिन जब महिला भी पुलिस में ही थी तब तो दूसरा प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या सरकारी विभागों में भी पुरुष-महिला का भेदभाव किया जाता है ?

अथवा क्या पुलिस में सिपाही का कोई सम्मान नहीं होता अधिकारी-अधिकारी मिले रहते हैं ? जो सबंधित जांच अधिकारी थे जिन्हें कार्रवाई करनी चाहिये थी और वो सोते रहे तो उनकी जांच नहीं होनी चाहिये क्या ?

असंबंधित अपेक्षा : इसी प्रकार की एक अन्य घटना भी जिसका विडियो भी देश भर में वायरल हुआ था उसके ऊपर क्या कार्रवाई हुयी। कानपुर देहात में बुलडोजर की एक कार्रवाई के समय एक घर में आग लगने से मां और बेटी जलकर मर गयी थी। इस घटना पर पूरा देश चिंतित हुआ था। उसी घटना के दिन एक विडियो में DM को नाचते देखा गया था। उस DM पर क्या कार्रवाई हुई अथवा विभाग सो रही है देश को कुछ भी ज्ञात नहीं है।

DM नेहा जैन की वो डांस वाली विडियो तो हम साझा नहीं कर रहे हैं किन्तु एक दूसरी घटना जो थी उसके बारे में भी ध्यानाकर्षण करना चाहते हैं। इन्होंने बाबा बागेश्वर का कार्यक्रम भी रोकने का प्रयास किया था। पवन तनय आश्रम रंजीतपुर मैथा में होने वाला पांच दिवसीय कार्यक्रम को नहीं मिली अनुमति। यह पंचदिवसीय कार्यक्रम उस घटना के दो महीने बाद होने वाला था। यदि पूर्व घटना में कार्रवाई हुयी थी तो दो महीने बाद ये बाबा बागेश्वर का कार्यक्रम कैसे रोक रही थी ?

वैसे कुछ दिनों बाद नेहा जैन के स्थानांतरण की सूचना सुनी गयी थी। यह भी बताया गया था कि नेहा जैन को विशेष सचिव IT एवं इलेक्ट्रॉनिक बनाया गया था। अब ये कार्रवाई थी या …. …. ….

नौकरशाहों के मन में भाजपा के प्रति जो दुर्भावना भरी हुई है ये पिछले दिन भी एक घटना में देखने को मिला। भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी अपने परिवार के साथ जांच के लिये रोके गये। जांच की बात तो सही है किन्तु जांच के नाम पर अपमानित करना कितना सही कहा जा सकता है ?

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