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क्या मोदी मूर्ख हैं

क्या मोदी मूर्ख हैं – is modi a fool

जब RSS सनातन के संदर्भ में ऐसी धारणा रख सकती है कि “जो RSS कहे वही सही, शास्त्र वचन आई-गई” तो राष्ट्रहित-राष्ट्रवाद में तो निश्चित रूप से ऐसा कर सकती है क्योंकि वहां तो कोई शास्त्र है ही नहीं।

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इंडी गठबंधन जीत गयी NDA हार गयी

सच कोई नहीं बता रहा, इंडी गठबंधन की जीत हुई NDA की हार हुई

इंडी गठबंधन की सरकार नहीं भी बनी हो किन्तु जहां दो अंकों में नहीं जाने की चर्चा की जाती रही वहां दो अंकों से आगे बढ़ते हुये एक सबल विपक्ष बनना पिछले दो चुनावों से तुलना करने पर उत्साहवर्धक है और इसके लिये इंडी गठबंधन को विजयोत्सव मनाना चाहिये।

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काटजू घनघोर सनातन द्रोही निकला

काटजू के कारनामों के क्या संदेश मिलता है

चाहे नेहरू खानदान हो या काटजू खानदान दोनों की एक और विशेषता जगजाहिर है और वो विशेषता है पाकिस्तान प्रेम। कहीं मोदी को अपमानित करने के लिये भी पाकिस्तान से ही तो प्रेरित नहीं है यह जाँच का विषय है। यदि पागलपन सिद्ध हो जाये तो इसका भला ही होगा, क्योंकि यदि पागलपन सिद्ध नहीं होता है तो दण्ड का पात्र है।

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चुनाव परिणाम 2024

सभी दलों ने चुनाव संपन्न होने से पूर्व ही परिणाम की घोषणा क्यों कर दिया – लोकसभा चुनाव 2024

अंतिम क्षणों तक यहाँ तक कि मतगणना के भी अंतिम क्षणों तक हारने वाला यही कहते दिखता है कि अभी प्रतीक्षा कीजिये, मतगणना बाकि है। किन्तु इस लोकसभा चुनाव के बाद सबने लगभग देश को संकेत दे दिया है कि परिणाम क्या आने वाला है जबकि अंतिम चरण का चुनाव भी अभी शेष ही है।

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Extremely selfish Kejriwal

नाम का मुख्यमंत्री मेयर के बराबर लेकिन प्रधानमंत्री के समकक्ष होने का अहंकार जिसे कहते हैं केजरीवाल

एक केंद्रशासित राज्य के नाम का मुख्यमंत्री जो कि एक बड़े मेयर के बराबर या उससे भी कम ही हैं लेकिन दम्भ ऐसा कि मोदी-मोदी करके स्वयं को मोदी का समकक्ष सिद्ध करने का प्रयास करते रहे हैं। वैसे अब देश को केजरीवाल से छुटकारा मिलने की संभावना दिखने लगी है।

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मुझे परमात्मा ने भेजा है

मुझे परमात्मा ने भेजा है – नॉनबॉयोलॉजिकल या कर्मयोगी मोदी

मोदी जिस दिन काशी प्रत्याशी बनने के लिये नामांकन करने वाले थे उस दिन उन्होंने एक साक्षात्कार में वक्तव्य दिया था “मुझे परमात्मा ने भेजा है” और इससे पहले मोदी ने मां की चर्चा करते हुये बॉयोलॉजिकल मां कहा था।

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लव जिहाद

लव जिहाद होता क्यों है, पूछो तो रोता क्यों है ?

लव जिहाद की कोई न कोई घटना लगभग हर दिन होती है लेकिन चट्टे-बट्टे अधिकतर सोये रहते हैं, देश से छुपा लेते हैं। अब तीसरे कार्यकाल से पहले चुनावी सभा प्रधानमंत्री मोदी ने लव का प्रसंग उठाया है मतलब साफ है आगे प्रहार होने वाला है।

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जो बात का पक्का हो वो केजरीवाल नहीं

जो वचन का पक्का हो जाये वो केजरीवाल नहीं

महापुरुष कट्टर ईमानदार अरविन्द केजरीवाल हैं जो राजनेताओं का लक्षण दिखा रहे हैं “जो वचन का पक्का हो जाये वो राजनेता कैसा” और टक्कर उस मोदी से लेते हैं जिसके वचन का महत्व है।

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खड़गे सटासट सटक ले

सबूत दो सबूत दो, मांगे देश सबूत दो

राहुल गांधी ने कुछ ही वर्षों में खटाखट-खटाखट कांग्रेस की खटिया खड़ी करने लगे थे और मटामट-मटामट मटिया-मेट करते उससे पहले सोनियां गांधी ने मोर्चा सम्हाला, फिर लबालब-लबालब लबने वाले खड़गे (मल्लिकार्जुन खड़गे) को 2024 में होने वाली हर की मटकी फटाफट-फटाफट फोड़ने के लिये अध्यक्ष बना दिया।

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स्वस्थ लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त

अच्छा विपक्ष स्वस्थ लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त, अच्छे विपक्ष का न होना कमी

विपक्ष को अभी भी चाहिये कि ज्ञानवापी, मथुरा कृष्ण जन्मभूमि आदि को देश की सांस्कृतिक विरासत स्वीकारे और विवाद का संवाद से शीघ्र समाधान हो ऐसा प्रयास करे। भगवा को, देश के ग्रंथों को सांप्रदायिक कहना बंद करे। कुर्ते पर जनेऊ धारण करने से देश विपक्ष को सनातनी नहीं स्वीकारेगा।

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बुझते दिये की तरह भभकते केजरीवाल

बुझते दिये की तरह भभकते केजरीवाल – लुटिया डूबी

देश ने दिल्ली की राजनीति में एक दशक से जिस प्रकार का परिवर्तन देखा उससे आहत हैं। दिल्ली कोई राज्य नहीं केन्द्र शासित प्रदेश है और देश की राजधानी है। देश की राजधानी में तो अलग से चुनाव होने ही नहीं चाहिये, पूर्णतः केन्द्र के अधीन होना चाहिये क्योंकि देश की राजधानी है।

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आया ऊंट पहाड़ तले – शेर को मिला सवा शेर

 आया ऊंट पहाड़ तले – शेर को मिला सवा शेर एक धूर्त राजा था जो एक विशाल देश की राजधानी का मुख्यमंत्री था । उसके मुख्यमंत्री बनने की कहानी भी धूर्तता से ही आरंभ होती है। एक समय रंगे सियारों की झुंड ने राजधानी में देश के शासन के विरुद्ध एक बड़ा धरना-प्रदर्शन किया ।…

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न्याय में राजनीति और निष्पक्ष न्याय | राजनीतिक न्याय का सरोकार किससे है ?

 न्याय में राजनीति और खटाखट खटाखट निष्पक्ष न्याय | राजनीतिक न्याय का सरोकार किससे है ? हम वर्त्तमान में देख रहे हैं खटाखट खटाखट राजनीतिक न्याय। राजनीतिक न्याय क्या है, राजनीतिक न्याय निष्पक्ष कैसे हो सकता है ? न्याय में राजनीति और राजनीतिक न्याय निष्पक्ष न्याय से कितना अलग है और ये तीनों किस प्रकार…

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ये बेल का खेल है क्या जनता जानना चाहती है : Bail ka khail

 ये बेल का खेल है क्या जनता जानना चाहती है ?  आम जनता एक ऐसे मामले में भी फंस जाये जिससे उसका कोई लेना-देना नहीं होता तो भी उसे बेल के लिये महीनों लग जाते हैं। वहीं वो लोग जिनके कृत्य-विडियो सार्वजनिक हों, फिर भी यदि विशेष विचारधारा से जुड़े हों तो कैसे खटाखट बेल…

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