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झूठइ लेना झूठइ देना, झूठइ भोजन झूठ चबेना : lies and shamelessness

झूठइ लेना झूठइ देना, झूठइ भोजन झूठ चबेना : lies and shamelessness

ये है राजनीतिक झूठ को जनता तक फैलाना, सामान्य जनता नहीं जिस परिवार ने देश के लिये बलि दिया उस परिवार तक को झूठ के दलदल में फंसाना। ये नहीं माना जा सकता कि झूठ और झूठ बलिदानी अग्निवीर अजय सिंह के परिवार की प्रवृत्ति है। यही संभावना है कि उसे राजनीति ने झूठ और झूठ बोलने के लिये प्रेरित किया। यदि देश की राजनीति ऐसे होगी तो इस प्रकार की राजनीति, लोकतंत्र, संविधान, संविधान रक्षिका न्यायपालिका सभी धिक्कार के योग्य सिद्ध होंगे।

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चोर बोले जोड़ से, हिंसक कांग्रेस सिखायेगी अहिंसा का पाठ

चोर बोले जोड़ से, हिंसक कांग्रेस सिखायेगी अहिंसा का पाठ

कांग्रेस कितनी हिंसक है और यह इसके हिंसा का इतिहास ही बताती है किन्तु उसे छुपाने का प्रयास किया गया, लेकिन हिंसक कांग्रेस देश को हिंसा का पाठ पढ़ाती है और हिन्दू को आतंकवादी, हिंसक, नफरती, झूठा कहती ही रहती है। आज फिर से एक हिन्दूद्रोही ने संसद में हिन्दू को हिंसक, नफरती, झूठा बताया।

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झूठ बोलना पाप है नदी किनारे सांप है

झूठ बोलना पाप है नदी किनारे सांप है

झूठ बोलना अपराध भले न बनाया जा सके किन्तु झूठ को उजागर करने, अंकित करने, सार्वजानिक निंदा करने पर तो रोक नहीं है। फेक न्यूज को लेकर चर्चा होती है, समस्या है किन्तु जब राजनीतिक झूठ को उजागर और अंकित किया जायेगा, निंदा की जायेगी तो फेक न्यूज को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

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बेल का खेल हो गया फेल, चढ़ गये केजरी लालू की रेल

बेल का खेल हो गया फेल, चढ़ गये केजरी लालू की रेल

केजरीवाल ने अभी तक दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ा है। सामान्य रूप से देखा यही जाता है कि यदि कोई गंभीर बीमार हो जाये तो सबसे पहले काम छोड़ता है, छुट्टी लेता है, आराम करता है।

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लोकतंत्र और स्वस्थ लोकतंत्र

स्वस्थ लोकतंत्र का तात्पर्य डिप्टी स्पीकर पद विपक्ष को देना है या …

यदि स्वस्थ लोकतंत्र पर गंभीर विचार किया जाय तो राजनीतिक दल होना ही नहीं चाहिये। जनता मात्र एक योग्य प्रतिनिधि का चयन करती, फिर सभी प्रतिनिधि सुयोग्य नेता को प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष आदि चयन करके बनाती। राजनीतिक दल के कारण भी योग्य व्यक्ति का चुनाव नहीं होता है। अर्थात जब तक दलगत राजनीति चलेगी तब तक लोकतंत्र को स्वस्थ कहा ही नहीं जा सकता।

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संविधान की रक्षा कौन करेगा

संविधान की रक्षा कौन करेगा

कांग्रेस आज संविधान की रक्षा करने की बात करती है, हाथों में संविधान लेकर नेता फोटो खिंचवाते हैं, “संविधान की रक्षा कौन करेगा – हम करेंगे, हम करेंगे” का नारा लगाती है उसके नारे, फोटो, वक्तव्यों पर विश्वास करना मूर्खता के अतिरिक्त और कुछ नहीं होगा। एक विवेकी जन को कांग्रेस का इतिहास पता करना चाहिये कि आज विपक्ष में होने पर जो दावा कर रही है जब सत्ता में थी तब ऐसा कुछ किया भी था या नहीं ?

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मुफ्तखोरी का मजा मिलेगा, नाले का पानी पीना पड़ेगा

मुफ्तखोरी का मजा मिलेगा, नाले का पानी पीना पड़ेगा

मुफ्तखोरी में मजा आता है या मुफ्तखोरी की सजा मिलती है यह अंतिम निर्णय पाठकों को स्वयं करना होगा किन्तु उसके लिये इस विषय को गंभीरता से समझना आवश्यक है और पूरा लेख भी पढ़ना चाहिये।

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आते आते आते केजरीवाल ना आये, बेल के खेल में हैं मात वो खाये

आते आते आते केजरीवाल ना आये, बेल के खेल में हैं मात वो खाये

मुख्यमंत्री पद की होड़ में आतिशी बहुत आगे निकलते दिख रही है और इसी होड़ पर आगे बढ़ने के लिये कि दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री आतिशी बन सके पानी सत्याग्रह कर रही हो।

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जनादेश कुछ भी हो, राज हम ही करेंगे नहीं तो ....

जनादेश कुछ भी हो, राज हम ही करेंगे नहीं तो ….

कांग्रेस का कौन सा विशेषाधिकार था जो मार्कण्डेय काटजू, टी.एन. शेषण आदि प्रमुख चेहरों के अतिरिक्त पूरे तंत्र में स्थापित करने का अधिकार देता था, किन्तु भाजपा को यह अधिकार नहीं देता है कि राष्ट्रवादी विचारधारा के लोगों को स्थापित कर सके, RSS (पैरेंट ऑर्नाइजेशन) के लोगों को तंत्र में स्थापित नहीं कर सके।

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दिल्ली हो रही पानी-पानी, क्या कहा था पूछो नानी

दिल्ली हो रही पानी-पानी, क्या कहा था पूछो नानी

मानसून आने तो दीजिये फिर ये लोग छाती ठोककर कहेंगे हमने जलसंकट को हरा दिया जी, अब दिल्ली में पानी ही पानी होगा। कितना पानी चाहिये सड़कों पर पानी होगा, गलियों में पानी होगा, तब भी मन न भरे तो घर-घर में पानी होगा। आप उस पानी को जमा करके रख लेना क्योंकि फिर अगले साल भी यही हाल होगा। दिल्ली के मालिक कुछ नहीं करेंगे जी।

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