बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होय, खतड़े में है लोकतंत्र कितना कोई रोय
कहते हैं “बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय” और चुनावी राजनीति इसकी अगली पंक्ति बनाते दिख रही है “खतड़े में है लोकतंत्र कितना कोई रोय” क्योंकि देवेश चंद्र ठाकुर के इस वक्तव्य को लोकतंत्र के लिये खतड़ा सिद्ध करने का प्रयास किया जा सकता है और खान मार्केट गैंग इसी काम में माहिर है वो सिद्ध भी कर सकती है।