विपक्ष का सनातन द्रोह और आसुरी छाया हुआ उजागर
चुनाव के उपरांत नयी विधायिका (लोकसभा) और कार्यपालिका (सरकार) के जीवन का आरम्भ होने जा रहा है जिसके लिये मात्र मोदी को ही नहीं सभी प्रतिभागी राजनीतिक दलों व नेताओं को मंगलाचरण करना चाहिये।
चुनाव के उपरांत नयी विधायिका (लोकसभा) और कार्यपालिका (सरकार) के जीवन का आरम्भ होने जा रहा है जिसके लिये मात्र मोदी को ही नहीं सभी प्रतिभागी राजनीतिक दलों व नेताओं को मंगलाचरण करना चाहिये।
मोदी जिस दिन काशी प्रत्याशी बनने के लिये नामांकन करने वाले थे उस दिन उन्होंने एक साक्षात्कार में वक्तव्य दिया था “मुझे परमात्मा ने भेजा है” और इससे पहले मोदी ने मां की चर्चा करते हुये बॉयोलॉजिकल मां कहा था।
राहुल गांधी के आज का भाषण पूरी तरह से भाजपा का प्रचार करने जैसा था मानो ऐसा लग रहा है जैसे राहुल गांधी भी कांग्रेस छोड़कर भाजपाई बन गए हों। आगे हम उन तथ्यों को भी समझेंगे जो भाजपा का प्रचार था और उसे भी समझेंगे जो बोलने में भूल कर रहे थे।
यद्यपि पहले से विपक्ष को भी पता है कि यही होने वाला है और एक परीक्षित कारण EVM का राग अलापना रहा है। दुर्भाग्य ये है कि इसके अतिरिक्त कोई और राग विपक्ष को मिल भी नहीं रहा है
राहुल गांधी ने कुछ ही वर्षों में खटाखट-खटाखट कांग्रेस की खटिया खड़ी करने लगे थे और मटामट-मटामट मटिया-मेट करते उससे पहले सोनियां गांधी ने मोर्चा सम्हाला, फिर लबालब-लबालब लबने वाले खड़गे (मल्लिकार्जुन खड़गे) को 2024 में होने वाली हर की मटकी फटाफट-फटाफट फोड़ने के लिये अध्यक्ष बना दिया।
विपक्ष को अभी भी चाहिये कि ज्ञानवापी, मथुरा कृष्ण जन्मभूमि आदि को देश की सांस्कृतिक विरासत स्वीकारे और विवाद का संवाद से शीघ्र समाधान हो ऐसा प्रयास करे। भगवा को, देश के ग्रंथों को सांप्रदायिक कहना बंद करे। कुर्ते पर जनेऊ धारण करने से देश विपक्ष को सनातनी नहीं स्वीकारेगा।
जब बात पाकिस्तान की आयी तो मोदी ने कहा कि पाकिस्तान की दुर्गति उन्हें ज्ञात है और यह भी ज्ञात है कि पाकिस्तान की दुर्गति का कारण वो स्वयं हैं।
हमें संबित पात्रा जो पद्मश्री कैलाश शेखर के साथ भगवती की स्तुति कर रहे हैं उस विडियो का गंभीरता से अवलोकन करना होगा और इससे स्पष्ट हो जायेगा कि संबित पात्रा कालनेमी है या नहीं। यह विडियो संबित पात्रा ने अपने X पर साझा किया है।
देश ने दिल्ली की राजनीति में एक दशक से जिस प्रकार का परिवर्तन देखा उससे आहत हैं। दिल्ली कोई राज्य नहीं केन्द्र शासित प्रदेश है और देश की राजधानी है। देश की राजधानी में तो अलग से चुनाव होने ही नहीं चाहिये, पूर्णतः केन्द्र के अधीन होना चाहिये क्योंकि देश की राजधानी है।
अपराधी राजा हो या रंक, पुरुष हो अथवा महिला, उच्च वर्ग हो अथवा निम्न वर्ग, अधिकारी हो अथवा सामान्य नागरिक अपराध सिद्धि में किसी को न तो अड़चन करने का अधिकार हो, न ही दण्ड में असमानता हो और बचाव करने का भी सबको समान अधिकार हो।