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चोर बोले जोड़ से, हिंसक कांग्रेस सिखायेगी अहिंसा का पाठ

चोर बोले जोड़ से, हिंसक कांग्रेस सिखायेगी अहिंसा का पाठ

कांग्रेस कितनी हिंसक है और यह इसके हिंसा का इतिहास ही बताती है किन्तु उसे छुपाने का प्रयास किया गया, लेकिन हिंसक कांग्रेस देश को हिंसा का पाठ पढ़ाती है और हिन्दू को आतंकवादी, हिंसक, नफरती, झूठा कहती ही रहती है। आज फिर से एक हिन्दूद्रोही ने संसद में हिन्दू को हिंसक, नफरती, झूठा बताया।

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झूठ बोलना पाप है नदी किनारे सांप है

झूठ बोलना पाप है नदी किनारे सांप है

झूठ बोलना अपराध भले न बनाया जा सके किन्तु झूठ को उजागर करने, अंकित करने, सार्वजानिक निंदा करने पर तो रोक नहीं है। फेक न्यूज को लेकर चर्चा होती है, समस्या है किन्तु जब राजनीतिक झूठ को उजागर और अंकित किया जायेगा, निंदा की जायेगी तो फेक न्यूज को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

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राष्ट्रपति का अभिभाषण वास्तविकता का चित्रांकन

राष्ट्रपति का अभिभाषण वास्तविकता का चित्रांकन

एक समय ऐसा था जब वास्तविकता जानते हुये भी उसे प्रकट नहीं किया जाता था अर्थात छुपाने का प्रयास न हो तो भी प्रकट करने से बचा जाता था। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में देश की वर्त्तमान स्थिति का वास्तविक चित्रांकन किया गया।

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पहला दिन पहला प्रहार, टूट गया झूठा अहंकार

पहला दिन पहला प्रहार, टूट गया झूठा अहंकार – condemnation of emergency

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आपातकाल लगाया था, देश को जेल बना दिया था, संविधान को ताक पर रख दिया था, मीडिया पर ताला लगा दिया था, तानाशाही किया था इत्यादि तथ्य जैसे ही सामने आते है उनके पोते का मोदी पर तानाशाही का आरोप लगाना, संविधान संविधान चिल्लाना सब दिखाबा सिद्ध हो जाता है।

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लोकतंत्र और स्वस्थ लोकतंत्र

स्वस्थ लोकतंत्र का तात्पर्य डिप्टी स्पीकर पद विपक्ष को देना है या …

यदि स्वस्थ लोकतंत्र पर गंभीर विचार किया जाय तो राजनीतिक दल होना ही नहीं चाहिये। जनता मात्र एक योग्य प्रतिनिधि का चयन करती, फिर सभी प्रतिनिधि सुयोग्य नेता को प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष आदि चयन करके बनाती। राजनीतिक दल के कारण भी योग्य व्यक्ति का चुनाव नहीं होता है। अर्थात जब तक दलगत राजनीति चलेगी तब तक लोकतंत्र को स्वस्थ कहा ही नहीं जा सकता।

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संविधान की रक्षा कौन करेगा

संविधान की रक्षा कौन करेगा

कांग्रेस आज संविधान की रक्षा करने की बात करती है, हाथों में संविधान लेकर नेता फोटो खिंचवाते हैं, “संविधान की रक्षा कौन करेगा – हम करेंगे, हम करेंगे” का नारा लगाती है उसके नारे, फोटो, वक्तव्यों पर विश्वास करना मूर्खता के अतिरिक्त और कुछ नहीं होगा। एक विवेकी जन को कांग्रेस का इतिहास पता करना चाहिये कि आज विपक्ष में होने पर जो दावा कर रही है जब सत्ता में थी तब ऐसा कुछ किया भी था या नहीं ?

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बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होय, खतड़े में है लोकतंत्र कितना कोई रोय

बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होय, खतड़े में है लोकतंत्र कितना कोई रोय

कहते हैं “बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय” और चुनावी राजनीति इसकी अगली पंक्ति बनाते दिख रही है “खतड़े में है लोकतंत्र कितना कोई रोय” क्योंकि देवेश चंद्र ठाकुर के इस वक्तव्य को लोकतंत्र के लिये खतड़ा सिद्ध करने का प्रयास किया जा सकता है और खान मार्केट गैंग इसी काम में माहिर है वो सिद्ध भी कर सकती है।

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राजनीतिक झूठ कोई खेल नहीं जनता और देश के साथ छल है गंभीर अपराध घोषित हो

राजनीतिक झूठ कोई खेल नहीं जनता और देश के साथ छल है गंभीर अपराध घोषित हो

इसमें दो मत हो ही नहीं सकता की राजनीति और झूठ में अनन्य संबंध स्थापित हो चुका है और इसका प्रमाण यह है कि कोई भी पक्ष झूठ से अछूता नहीं है और यदि झूठ का सहारा न ले तो संभवतः सत्ता ही न मिले। राजनीति से झूठ का अंत होगा यह मानना असंभव है किन्तु प्रयास तो करना ही चाहिये।

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बोल कि लव आजाद हैं तेरे, बोला नहीं तो ले डूबेंगे

बोल कि लव आजाद हैं तेरे, बोला नहीं तो ले डूबेंगे

आगे ऐसा बताया जा रहा है कि सरकार जाग गई है और इस संबंध में कानून लाने जा रही है। भ्रामक सूचना के विरुद्ध कानून बनाने वाली है। लेकिन यह प्रश्न तो अभी भी अनुत्तरित ही है कि जो विपक्ष का साथ नहीं देंगे उसके संरक्षण के लिये क्या करेगी ?

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RSS & BJP, उछल रही है क्यों इंडि

RSS & BJP, उछल रही है क्यों इंडि

उपरोक्त मतभेद होने के उपरांत भी ऐसा नहीं है कि परस्पर शत्रुता है परिवार में भी मतभेद होते हैं, पति-पत्नी में भी होता है और पिता-पुत्र में भी होता है इसका तात्पर्य यह नहीं होता कि वो परस्पर शत्रु बन जाते हैं। अर्थात मतभेद के कारण हाथ खींचा जाय और भाजपा को अकेला छोड़ दिया जाय यह दूरदृष्टि संपन्न RSS के अनुकूल प्रतीत नहीं होता।

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