
मोदी की गारंटी है
सरकार बनी भी नहीं है और जदयू टांगखिंचाई करने में जुट गई है। अग्निवीर योजना, जातीय जनगणना, UCC जैसे विषयों पर जदयू ने मीडिया के माध्यम से विचार प्रकट करना शुरू कर दिया है।
सरकार बनी भी नहीं है और जदयू टांगखिंचाई करने में जुट गई है। अग्निवीर योजना, जातीय जनगणना, UCC जैसे विषयों पर जदयू ने मीडिया के माध्यम से विचार प्रकट करना शुरू कर दिया है।
बहुमत NDA को ही मिला है और प्रधानमंत्री भाजपा का ही बनेगा यह मानता है कि मोदी न बनें कोई और बने यह चाहता है। अल्पमत वाली भाजपा के भी प्रधानमंत्री मोदी बनने जा रहे हैं इसके तीन महत्वपूर्ण कारणों की चर्चा
मोदी 3.0 के गठन में बारगेनिंग की बड़ी चर्चा की जा रही है। लेकिन बारगेनिंग में चंद्र बाबू नायडू और नितीश बाबू का नाम लिया जा रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय बारगेनर है उसकी अनदेखी की जा रही है
जब RSS सनातन के संदर्भ में ऐसी धारणा रख सकती है कि “जो RSS कहे वही सही, शास्त्र वचन आई-गई” तो राष्ट्रहित-राष्ट्रवाद में तो निश्चित रूप से ऐसा कर सकती है क्योंकि वहां तो कोई शास्त्र है ही नहीं।
मोदी वो कच्चा खिलाड़ी नहीं है जो एक गिरने वाली सरकार के प्रधानमंत्री पद की शपथ ले। मोदी यदि प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते हैं तो इसका तात्पर्य ही होगा कि सरकार 5 वर्षों का कार्यकाल पूरा करेगी।
लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आने के बाद मोदी ने भाजपा मुख्यालय से सम्बोधित करते हुये कहा – राष्ट्र प्रथम हमारी नीति है, विकसित भारत हमारा संकल्प है।
इंडी गठबंधन की सरकार नहीं भी बनी हो किन्तु जहां दो अंकों में नहीं जाने की चर्चा की जाती रही वहां दो अंकों से आगे बढ़ते हुये एक सबल विपक्ष बनना पिछले दो चुनावों से तुलना करने पर उत्साहवर्धक है और इसके लिये इंडी गठबंधन को विजयोत्सव मनाना चाहिये।
भारत के विकास की जो गति थी वह गति निःसंदेह प्रभावित होगी और सत्ता की नीति भी परिवर्तित होगी। यदि भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलता तो अन्य सहयोगी दल किसी विशेष नीति के लिये बाध्य नहीं कर पाते किन्तु अब जो भाजपा सरकार बनेगी वह गठबंधन की नीति से काम करने के लिये बनेगी।
देशहित में सत्ता काम करे विपक्ष की ऐसी भूमिका होनी चाहिये या सत्ता पाने के लिये विपक्ष गली का गुंडा बन जायेगा। और यदि विपक्ष इसी प्रकार गुंडागर्दी करती रही तो जनता में आक्रोश उत्पन्न होगा या नहीं ? यदि जनता आक्रोशित हो गयी तो विपक्ष की क्या दुर्गति होगी ?
जो सनातन के विरुद्ध बात करे वह आधुनिक सदी में जीता है, पढ़ा-लिखा होता है और इसे उस स्तर तक पहुंचा दिया गया कि भारत में भारत के ही लोग रामायण-गीता आदि धार्मिक व सांस्कृतिक ग्रंथों का विरोध करने लगे, सांप्रदायिक कहने लगे, फाड़ने लगे, जलाने लगे।
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और मेरे विरुद्ध साथ कर्नाटक सरकार के विरुद्ध कन्नूर के तलिपरम्बा में स्थित श्री राजराजेश्वर मंदिर में “शत्रु भैरवी यज्ञ” (अग्नि यज्ञ) किया गया है।
वास्तव में सनातन द्रोहियों के लिये दोनों ही निशाने पर हैं और यही कारण है कि कसाईखानों में जीवहिंसा नहीं मानते परन्तु यदि शास्त्रोक्त अधिकार का प्रयोग करते हुये यदि कोई सनातनी बलि प्रदान करे तो उसमें जीवहिंसा दिखाई देती है। सड़कों के किनारे टंगे हुये खाल छिले बकड़े इनको नहीं दिखते किन्तु मंदिरों में दी जाने वाली बलि दिखती है और अहिंसा का पाठ पढ़ाने लगते हैं।
अब एग्जिट पोल के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम का चुनाव परिणाम भी लोकसभा चुनाव परिणाम को स्पष्ट छवि बता रहा है और दो दिन बाद नयी सरकार का भी निर्णय हो जायेगा तो उसके बाद POK लेने पर देश व्यापी चर्चा अवश्य होनी चाहिये। जनता और मीडिया को “भारत पीओके कब लेगा” यह प्रश्न प्रतिदिन पूछना चाहिये।
दो प्रमुख एग्जिट पोल जिनकी विश्वसनीयता सर्वाधिक है वो NDA को 400 पार करते हुये भी दिखा रहे हैं। किन्तु अधिकतर एग्जिट पोलों में 400 के नीचे ही बताया जा रहा है। लेकिन कोई भी इंडी गठबंधन की सरकार नहीं बना रहा है।