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अग्निवीर योजना को फाड़कर कूड़ेदान में फेंक देंगे, क्योंकि अग्निवीर भविष्य के भारत का निर्माण करेंगे

अग्निवीर योजना से दर्द क्या है

कांग्रेस और सभी विपक्षी दलों का आरंभ के दिनों से ही अग्निवीरों से विरोध रहा है। वो नहीं चाहते की देश सुरक्षित हो, देश में हर-जगह अग्निवीर रक्षक के रूप में दिखें। इसीलिये पूरे विपक्ष का कहना है कि INDI गठबंधन की सरकार बनते ही हम सबसे पहले अग्निवीर योजना को खत्म करेंगे। बहाना जो बनाते हैं वो भी सफेद झूठ है और बात जब झुठ-सच की आये तो सीधा नियम है “न खाता न बही, इंडी गैंग जो कहे वही सही”, इस आलेख में इंडी गैंग के अग्निवीर विरोधी विचारों का खंडन किया गया है।

अग्निवीर योजना को फाड़कर कूड़ेदान में फेंक देंगे, क्योंकि अग्निवीर भविष्य के भारत का निर्माण करेंगे

बारम्बार सेना का अपमान करने वाली कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन यदि किसी विषय पर रोना-रोये तो उसी से समझा जा सकता है कि देशहित की बड़ी बात है इसलिये इन लोगों के पेट में दर्द हो रहा है।

अग्निवीर को लेकर राहुल गांधी के पेट में जो दर्द आरंभ हुआ था वह छूटने वाला नहीं है। एक ही दवा है कि इंडी गठबंधन की सरकार बने और अग्निवीर योजना को समाप्त कर दें और “न नौ मन घी होगा न राधा नाचेगी” वाली कहावत चरितार्थ होते दिख रही है।

राहुल गांधी के लिये बिल फाड़ना, कूड़ेदान में फेंकना कोई नई बात नहीं है। राहुल गांधी ने फिर एक चुनावी सभा में कहा : “INDIA (इंडी गठबंधन) की सरकार आयेगी और हमारा पहला काम होगा कि (खटाखट.. खटाखट.. खटाखट) अग्निवीर योजना को फाड़कर कूड़ेदान में फेंक देंगे”

सवाल ये है कि दर्द क्या है

राहुल गाँधी बताते हैं कि हमारा दर्द है शहीद का सम्मान न देना। राहुल जी के दर्द को देश समझता है और इसके लिये तैयार है कि हाँ शहीद दो तरह का नहीं होना चाहिये, अग्निवीरों को भी शहीद सम्मान मिलना चाहिये।

लेकिन अगले ही पल उनका असली दर्द बाहर निकल जाता है वो शहीद सम्मान देने की बात नहीं करते वो अग्निवीर योजना को ही फाड़कर कूड़ेदान में फेंकने की बात करते हैं, मतलब यह कि शहीद सम्मान का दर्द बस एक धोखा है असली दर्द अग्निवीर ही है, क्योंकि शहीद का सम्मान न मिलना दर्द होता तो शहीद सम्मान देने की बात करते।

कांग्रेस और विपक्षियों के लिये शहीद कौन होते हैं वह खड़गे बताते हैं, इनके लिये पुलिस शहीद नहीं होती खालिस्तानी (कथित किसान) शहीद होते हैं। दिये गये विडियो में सुना जा सकता है कि ये किसे शहीद मानते हैं। पुलिस की बात इन्होंने एक बार भी नहीं किया है।

वास्तविकता यही है कि कोई मूर्ख भी कभी यह नहीं मानता कि वह मूर्ख है। गलती करने वाले भी दो प्रकार के होते हैं एक वो होता है जिसे कोई समझा दे तो अपनी गलती मानकर सुधार करता है और दूसरा वो होता है जो जानबूझ कर गलत करता है और यदि कोई इसे समझाये तो अपनी गलती नहीं मानता उसी को गलत कहता है।

ये लोग कुछ भी करें गलत ही करेंगे, जब दिखाने के लिये जनेऊ पहनना हो तो कुर्ते पर भी पहन लेंगे। यहां दिया गया विडियो भी इसका एक दूसरा प्रमाण है। इस विडियो में कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका वाड्रा और सपा सांसद श्रीमती जी वाराणसी में श्री काल भैरव जी की आरती कर रही हैं।

आरती करने में साफ-साफ देखा और समझा जा सकता है कि ये बस एक छलावा है वास्तव में प्रियंका वाड्रा को सनातन का कोई नियम पता ही नहीं है, भीतर से सनातनी नहीं है सनातनी होने का चुनावी लाभ लेने के लिये आरती करने लगी।

सनातन का बच्चा-बच्चा जानता है कि जब हर कोई आरती कर ले फिर जल गिराकर (नीराजन) करने के बाद आरती ली जाती है। प्रियंका वाड्रा को ये छोटी बातें भी पता नहीं है और आरती करके डिम्पल यादव को आरती करने के लिये देती है लेकिन डिम्पल आरती करे उससे पहले ही आरती ले भी लेती है।

अरे कम से कम पुजारी से तो पूछ लेती ! किसी भी मंदिर में पुजारी की अनुमति के बिना कुछ भी स्वयं नहीं लेना चाहिये। घर में भी यदि ब्राह्मण से कोई विशेष पूजा कराता है तो ब्राह्मण की अनुमति के बिना आरती नहीं लेता। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री कोई भी पूजा के समय ब्राह्मण की अनुमति के बिना कुछ नहीं करता ये कैसा अहंकार है ? ऐसे लोगो के हाथ में सत्ता सनातन का भारत कैसे सौंप सकती है जिसे सनातन का “स” भी पता न हो।

यदि वास्तव में इन्हें तनिक भी सनातन का ज्ञान है तो ये लोग बतायें कि जो सनातनी देश के प्रधानमंत्री रहे उन इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी का श्राद्ध कब-कब किया है और करते हैं और सबूत में कोई विडियो भी दें। विडियो आगे का नहीं आज से पहले का दें। आज प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती मना रहे थे, श्राद्ध नहीं किया। आज 27 मई 2024 सोमवार है।

फटाफट फटाफट फटाफट कह देंगे कि हम भीतर से हिन्दू हैं, तो दिखावा क्यों करते हो ? कौन कहता है कि मंदिर-मंदिर जाकर फोटो खिंचवाओ। दूसरी बात ये भी है कि आप सेना से भी सबूत मांग सकते हो तो देश अपने पूर्व प्रधानमंत्रियों के श्राद्ध का सबूत क्यों नहीं मांग सकता ? देश ने कभी भी राहुल गांधी को क्षौर किये, शिखा युक्त नहीं देखा है।

अग्निवीर विरोधियों का दर्द क्यों

अब मूल विषय पर वापस आते हैं, भले ही दर्द शहीद सम्मान का हो जिसपर हम सहमति भी देते हैं, अग्निवीरों को भी शहीद का सम्मान यदि वास्तव में नहीं दिया जा रहा है तो मिलना चाहिये। देश की रक्षा के लिये सेना, अग्निवीर, पुलिस ही नहीं सामान्य नागरिक भी बलि दे तो देश उसका ऋणी होता है और उसे सम्मान मिलना चाहिये, ये उसका अधिकार होता है।

तो कहो न कि अग्निवीर को हमारी सरकार बनने पर शहीद का सम्मान देंगे। ये क्यों कह रहे हो कि अग्निवीर योजना को फाड़कर कूड़ेदान में फेंक देंगे। मतलब शहीद सम्मान नहीं मिलने का कोई दर्द ही नहीं है, दर्द अग्निवीर योजना ही है।

जानिये रहस्य ! अग्निवीर योजना से दर्द क्या है ?

ऊपर जो सनातन ज्ञान संबंधी तथ्य रखे गये हैं वो भी इस विषय से सम्बंधित ही है, जो आगे समझ में आ जायेगा। अग्निवीर योजना का वास्तविक उद्देश्य जो है उस पर चर्चा भले ही नहीं हुई हो, सरकार ने भी भले ही न बताई हो, लेकिन जानते सब है और जानते हैं इसलिये भयाक्रांत हैं।

जब गली-गली और हर टोले-मुहल्ले में अग्निवीर होंगे तो उपद्रवी तत्वों की नकेल कस देंगे, चाहे वह आतंकवादी हो नक्सलवादी हो, स्लीपर सेल हो या किसी भी तरह का अराजक तत्व हो। अग्निवीर योजना से दर्द का वास्तविक कारण यही है। और दर्द है इस कारण यह सिद्ध भी होता है कि अग्निवीर योजना का विरोध करने वाले राष्ट्रद्रोही हैं।

राष्ट्रद्रोहियों का दर्द यही है कि अग्निवीर योजना से उनको अपार क्षति होने वाली है, गली-गली और टोले-मुहल्ले में कुटाई होने वाली है। अग्निवीर भविष्य के ऐसे भारत का निर्माता होंगे जिसमें आतंकवादियों, नक्सलवादियों, अर्वन नक्सलों, अराजक तत्वों का कोई स्थान नहीं होगा।

इसी राष्ट्रद्रोही सोच के कारण कांग्रेस में बड़े-बड़े नेता और प्रवक्ताओं के पार्टी छोड़ने की भी होड़ लगी है। जहां तक सनातन से सम्बन्ध की बात है तो सपष्ट रूप से समझा जा सकता है कि आतंकवादी कौन होते हैं।

जो बात का पक्का हो वो केजरीवाल नहीं
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नेताओं में कांग्रेस छोड़ने की होड़
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खड़गे सटासट सटक ले
सबूत दो सबूत दो मांगे देश सबूत दो

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