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West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee became unbalanced while boarding the helicopter – चोट पर वोट

चोट पर वोट


हेलीकॉप्टर में असंतुलित होकर कैसे और क्यों गिरी ममता बनर्जी, क्या है सच्चाई ? “चोट पर वोट”

ताजा घटना के अनुसार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दुर्गापुर में हेलीकॉप्टर पर चढ़ते समय असंतुलित होकर गिर गयी है। आगे की पल-पल की लाइव रिपोर्ट मीडिया को करनी चाहिये थी जो नहीं कर रही है और ये मीडिया से शिकायत भी है, केजरीवाल के गीत तो रात-दिन गाते हुये कभी नहीं थकती लेकिन वहीं कोई दूसरे मुख्यमंत्री गिरफ्तार हो जायें या गिर जायें, घायल हो जायें फिर भी उसके बारे में थोड़ी सी चर्चा करके खानापूरी कर लेते हैं। ये दुःख की घड़ी होती है कम से कम ऐसे समय तो मीडिया और मुख्यमंत्री को भी पल-पल दिखाया करे। 

ममता बनर्जी के हेलीकॉप्टर में गिरने की वीडियो आपने भी देखा होगा, अगर नहीं भी देखा है तो कोई बात नहीं नीचे दिया गया है देख सकते हैं। आगे इस पर संवेदना भी व्यक्त करेंगे परन्तु पहले घटना को देखना आवश्यक है कि कैसे घटित हुई !


कैसे गिरी ममता बनर्जी ?

ऊपर दिये वीडियो को एक बार नहीं दो तीन बार ध्यान से देखें कि कैसे गिरी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी। सबसे पहले तो उनके लिये संवेदना व्यक्त करता हूँ और शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ। 

अब समझने का भी प्रयास आवश्यक है कि आखिर कैसे गिरी ? किसी भी चुनाव में ममता बनर्जी का गिरना चोट लगना एक सामान्य घटना है और अब यह “भेड़िया आया” कहानी वाली घटना लगती है क्योंकि इससे पहले भी कई बार चुनावों में कभी पैर में चोट लगी तो कभी सिर में, कभी खून भी बहा तो कभी प्लास्टर भी कराने पड़े। 

लेकिन हर बार की चोट ममता बनर्जी के लिये शकुन की तरह होती है। अब तो ऐसा लगता है कि यदि अगले चुनावों में कभी ममता बनर्जी न गिरे तो वो अपशकुन माना जायेगा। 

कैसे गिरी, वीडियो को सही से देखें साफ-साफ लगता है कि किसी तरह से फिसली नहीं है और जान-बूझ कर गिरी है। यदि इस पर आपने ध्यान नहीं दिया है तो विडियो को पुनः ध्यान से देखें और आप भी समझ जायेंगे की कैसे जानबूझ कर चुनावों में ममता बनर्जी गिरती रहती है, चोटें लगती रहती है जिसका परिणाम होता है सहानुभूति के वोट बढ़-चढ़कर मिलते हैं। अन्य सभी बड़े-से-बड़े मुद्दे गौण हो जाते हैं, वोट पड़ता है चोट पर। 

चुनावों में क्यों गिरती है ममता बनर्जी
चुनावों में क्यों गिरती है ममता बनर्जी


चुनावों में क्यों गिरती है ममता बनर्जी ?

आखिर ऐसा क्यों कह रहा हूँ ? इसका उत्तर तो आपको ही देना होगा क्या बिना चुनाव के कभी ममता बनर्जी के गिरने, चोटिल होने की कोई घटना आपको ज्ञात है ? यदि ज्ञात है तो हमें भी अवश्य बतायें ताकि हमें भी जानकारी मिल सके। 

गिरना और चोट लगना चुनाव में ममता बनर्जी के तूणीर का राम बाण है जो आज तक निरर्थक नहीं हुआ है। इस बार क्या होगा ये तो आगे पता चलेगा। 

आशा है आप सभी समझ गए होंगे कि चुनावों में क्यों गिरती है ममता बनर्जी। 

कब तक ममता बनर्जी गिरती रहेगी ?

“भेड़िया आया” कहानी का क्या सन्देश है ? भेड़िया आया कहानी का यही सन्देश है कि झूठ बोलकर लोगों को ठगो मत, नहीं तो कभी वास्तविक संकट होने पर भी लोग तुम्हारा विश्वास नहीं करेंगे और “सौ सुनार की एक लुहार की” वाली कहावत चरितार्थ हो जायेगी। 

ऐसा नहीं है कि मात्र मुझे “चोट पर वोट” दिखाई देने लगा है अब बहुत सारे लोगों को “चोट पर वोट” दिखने लगा है और इसे चुनावी स्टंट समझने लगे हैं। मात्र इस भय से निंदा का पात्र बन जायेंगे कोई “चोट पर वोट” बोलता नहीं है। लेकिन मतदाता समझने लगा है और हर बार नहीं फंसेगा। 


चोट पर वोट
चोट पर वोट

अब “चोट पर वोट” शोध का विषय बन गया है और यदि इस बार भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुये तो इसे राजनीति के पाठ्यक्रम में जोड़ना चाहिये, बाकि नेताओं को भी चुनावी चोट के लिये प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिये, 500 करोड़ की फिल्म बननी चाहिये और इतना प्रचार-प्रसार करना चाहिये कि आगे विदेशी नेता “चोट पर वोट” के लिये भारत में PHD करने आयें। 

अस्तु, ये तो व्यंग्य था लेकिन गंभीर चर्चा भी अपेक्षित है। थोड़ा सोचिये क्या होगा जब हर दिन 5 – 10 नेताओं के गिरने और चोट लगने की खबर आने लगे ? 

अरे लोग अनदेखी करने लगेंगे और क्या होगा ?

भाई साहब ये बताईये कि उसके बाद क्या होगा ?

अरे होगा क्या “चोट पर वोट” बंद हो जायेगा। 

लेकिन मैं इससे अलग सोच रहा हूँ, यदि एक बार “चोट पर वोट” सिद्ध फार्मूला बन जाये तो नेताओं में होड़ ये भी लगेगी कि किसे कितनी चोट लगी ! जब “चोट पर ही वोट” होगा तो जिसे अधिक चोट लगेगी उसे अधिक वोट भी मिलेगा। फिर इस होड़ में तो कभी विधायक, कभी सांसद, कभी मंत्री गंभीर रूप से भी घायल होने लगेंगे और स्थिति तो तब बिगड़ने लगेगी कि प्राण भी संकट में पड़ने लगेंगे और फिर टपकने भी लगेंगे। 

इसलिये ममता बनर्जी को लगने वाले चोट के लिये भी चुनाव आयोग से लेकर सर्वोच्च न्यायालय को संज्ञान ही नहीं लेना चाहिये अपितु दूध-का-दूध और पानी का पानी कर देना चाहिये नहीं तो भविष्य में समस्यायें बढ़ सकती है। इससे आगे WHO को और संयुक्त राष्ट्र को भी तत्काल सतर्क हो जाना चाहिये, नहीं तो चोट बहुत दूर तक जाने वाली है। 

अंत में एक बार फिर से ममता बनर्जी के प्रति सहानुभूति प्रकट करता हूँ और उचित निर्णय आपके ऊपर छोड़ता हूँ कि चोट और वोट का ये रिश्ता क्या कहलाता है ?

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