क्या कांग्रेसी नेताओं को पता चल गया है कि पप्पू कौन है ? Race to leave congress
कई महीनों से लगातार कांग्रेसी नेता, प्रवक्ताओं में पार्टी छोड़ने की होड़ लगी है। इसका कारण किसी ने नहीं बताया है, आइये जानते हैं।
कई महीनों से लगातार कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की होड़ रुकने का नाम नहीं ले रही है, आज भी कुछ कांग्रेसी नेताओं ने कांग्रेस छोड़ा है। आखिर क्या कारण है ? ऐसी कौन सी बात है कि नेताओं में कांग्रेस छोड़ने की होड़ मची हुई है। और दूसरी तरफ कांग्रेस है कि जीत का दावा कर रही है जो अपने नेताओं को पार्टी में न रख पा रही है वो मतदाता को अपने पक्ष में कैसे देख रही है ?
आखिर कमी कहां है ?
विचारधारा : एक बार को विचारधारा में कमी होना कारण मानना उचित नहीं लगता क्योंकि यदि विचारधारा में कमी होती तो वर्षों तक को नेता कैसे रहते। ऐसा नहीं है कि नये-नये नेता कांग्रेस का साथ छोड़ रहे हैं। कई पुराने नेताओं ने भी कांग्रेस छोड़ा है कुछ तो दूसरी पीढ़ी के नेता भी हैं। हाँ विचारधारा में परिवर्तन होता दिख रहा है ये कारण माना जा सकता है।
परिवार का अधिपत्य : कांग्रेस पर एक ही परिवार का अधिपत्य होना भी नेताओं के कांग्रेस छोड़ने का उचित कारण नहीं माना जा सकता। क्योंकि अब तो जैसे भी पार्टी अध्यक्ष तक परिवार विशेष से बाहर के बनाये गये हैं। यदि परिवार विशेष का भी आधिपत्य छोड़ने का कारण माना जाय तो पहले ही छोड़ देते अब जबकि पार्टी के अध्यक्ष बदल चुके हैं तब पार्टी छोड़ने का कारण ये कैसे माना जा सकता है।
अध्यक्ष का परिवर्तन : अध्यक्ष का परिवर्तन होना एक छोटा सा कारण माना जा सकता है, क्योंकि अध्यक्ष तो बाहर से बनाये गये लेकिन धागा अपने पास रखना कैसे सही हो सकता है ? हो सकता है इससे थोड़ी नाराजगी हो।
हिन्दू विरोध की वृद्धि : ये कारण पार्टी छोड़ने वाले कई नेताओं ने बताया है इसलिये इसे एक कारण माना जा सकता है। नेताओं को ये विश्वास हो गया है कि भारत में हिन्दू विरोध की राजनीति समाप्त हो चुकी है और पार्टी है कि हिन्दू विरोध में अंधी हो चुकी है।
मुख्य कारण : नेताओं के पार्टी छोड़ने का मुख्य कारण है राहुल गांधी का बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देना। इससे नेताओं को राहुल गांधी के वक्तव्य का समर्थन करना बहुत कठिन कार्य हो गया था। राहुल गांधी का स्वभाव हो गया है बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देना। आज उनका एक वक्तव्य पुनः चर्चा में है, राष्ट्रपति को आदिवासी होने के कारण राम लला की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं बुलाया गया।
यह वक्तव्य ऊपर के वीडियो में देखा जा सकता है। इससे पहले भी राहुल गांधी के कई ऐसे वक्तव्य आते रहे हैं जो सत्य से परे होते हैं। ये सरलता से समझा जा सकता है कि कांग्रेसी नेताओं की क्या स्थिति होगी जब उन्हें राहुल गांधी की उस वक्तव्य पर प्रतिक्रिया देनी पड़े जिसका सत्य से कोई लेना-देना ही न हो।
राहुल गांधी अब युवा नहीं रहे लेकिन परिपक्वता का अभाव अभी भी स्पष्ट देखा जा सकता है। आज तक के राजनीतिक जीवन में संभवतः राहुल गाँधी का एक भी गंभीर वक्तव्य नहीं आया है जिससे उन्हें देश नेता माने।
पार्टी नेताओं की तो बाध्यता होती है राहुल गांधी ने जो भी बोला उसको सही सिद्ध करे, समर्थन करे। यदि समर्थन न करे तो पार्टी में बेइज्जती का भी सामना करना होगा और यदि समर्थन करे तो देश के सामने निर्लज्ज सिद्ध हो। विरोधी नेताओं के लिये स्वयं भी हास्य का पात्र बने।
जब राहुल गांधी के वक्तव्य का सबंधित पक्ष ही खण्डन कर दे तब तो और भी संकट की घड़ी होती है नेताओं के लिये। जैसे उपरोक्त विषय में हुआ है। राहुल गाँधी के राष्ट्रपति को निमंत्रण न देने वाले वक्तव्य का खण्डन चंपत राय ने कर दिया जिसका विडिया नीचे दिया गया है।
अब जबकि चंपत राय ने राहुल गांधी के वक्तव्य को असत्य सिद्ध कर दिया पार्टी के नेता और प्रवक्ता इस प्रश्न पर क्या उत्तर देंगे ? और यदि ये कैसे कहें कि राहुल गाँधी का कथन असत्य है “भई गति सांप छुछुंदर केरी” वाली स्थिति में कब तक उलझे रहें ?
इसी तरह चुनावी भाषण में कुछ दिन पूर्व भी राजा-महाराजा को अपमानित करने वाला वक्तव्य दे दिया। अब राजपूत बाहुल्य क्षेत्र के नेताओं की स्थिति का अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता है कि उनकी क्या स्थिति होगी ? राजा महाराजा का सच सामने लाकर राहुल गांधी ने दिया “मोहब्बत का पैगाम”
अंत में स्पष्ट यही होता है जैसा कि बहुत लोग राहुल गांधी को पप्पू कहते हैं लगता है कांग्रेसी नेताओं को भी ये बात समझ आने लगी है, जिन्हें ये बात समझ आ जाती है वो पार्टी छोड़ने के लिये बाध्य हो जाते हैं और कोई विकल्प ही नहीं होता उनके पास।
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