Headlines

वोट जिहाद और स्वस्थ लोकतंत्र

वोट जिहाद और स्वस्थ लोकतंत्र

हम लोकतंत्र लोकतंत्र चिल्ला रहे हैं और वोट जिहाद भी सामने आ गया है। प्रश्न ये है कि यदि वोट जिहाद से सत्ता परिवर्तन होती है या दुर्बल सरकार बनती है जैसा कि हुआ भी है तो क्या इसे स्वस्थ लोकतंत्र कहा जा सकता है ? यदि सरकार की योजनायें भी सम्प्रदाय के अनुसार बने तो एक बार इसे उचित ठहराया भी जा सकता है किन्तु जब सरकार “सबका साथ सबका विकास” के साथ काम करती हो तब भी वोट जिहाद किया जाय तो इसका क्या अर्थ होता है ?

वोट जिहाद और स्वस्थ लोकतंत्र

लकसभा चुनाव 2024 में वोट जिहाद का नारा लगाया गया था और वो भी किसी मौलाना द्वारा नहीं सपा नेत्री द्वारा जो कि पूर्व केंद्रीय मंत्री की भतीजी भी थी। और अब सामने यह भी आ रहा है कि वोट जिहाद का नारा मात्र नहीं लगा था ऐसा लगता है कि वोट जिहाद किया भी गया। चुनाव आयोग के पास वोट जिहाद रोकने के लिये क्या उपाय है कुछ पता नहीं। पहले हम वोट जिहाद समझने के लिये सोशल मीडिया पर उपलब्ध कुछ आंकड़े देखेंगे। आकड़ों की पुष्टि हमने नहीं किया है।

पहला आंकड़ा मुंबई लोकसभा के उन बूथों की है जहां वोट जिहादि मतदाताओं की संख्या अधिक है। आंकड़े में देखा और समझा जा सकता है कि उन बूथों पर शिवसेना (NDA) को कितने वोट मिले और उद्धव गुट सेना (INDI गठबंधन) को कितने वोट मिले ?

इस आंकड़े में कुल बारह बूथों में मतदान में दोनों पक्षों को प्राप्त होने वाली मतसंख्या बताया गया है। बारह बूथों पर शिवसेना (NDA) को मात्र 44 वोट मिले और उद्धव गुट वाली सेना (INDI गठबंधन) को 5866 मत प्राप्त हुये।

सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करने वाले ने दो और महत्वपूर्ण जानकारी दिया है :

  • यामिनी जाधव को भिंडी बाजार, मोहम्मद अली रोड, चोर बाजार के 38 बूथों पर 1 सिंगल डिजिट वोट मिले हैं।
  • बूथ 191 पर यामिनी जाधव को 1 वोट और उबाथा सेना के अरविंद सावंत को 311 वोट मिले.

वोट जिहाद के लिये एक अन्य आंकड़ा भी सोशल मीडिया पर देखा जा रहा है। इसमें Dhule लोकसभा के मालेगांव सिटी का आंकड़ा जानने वाला है। इस जगह के वोट जिहाद ने परिणाम को ही बदल दिया जो आंकड़े से समझा जा सकता है। मालेगांव सिटी में भाजपा को मात्र 4542 वोट मिले और कांग्रेस को 198869 वोट। 3831 वोट से कांग्रेस जीती है यह भी बताया गया है।

क्या कहता है यह आंकड़ा, वोट जिहाद परिणाम को पलट देते हैं या नहीं ?

  • यदि वोट जिहाद वाले मत को हटा दिया जाय तो कांग्रेस हार रही है और
  • वोट जिहाद वाले मत से ही कांग्रेस जीतती दिख रही है।

क्या इसे स्वस्थ लोकतंत्र माना जा सकता है कि कोई एक विशेष समुदाय ध्रुवीकृत होकर मतदान करे।

खुल्लम-खुल्ला वोट जिहाद किया गया है और मौलानाओं ने भी उकसाया है

देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही महाराष्ट्र में ऐसा आरोप लगाया था। कई जगहों से मस्जिदों में वोट जिहाद करने के लिये प्रेरित किया गया था। पुणे के एक जलसे में क्या हुआ यह दिये गये विडियो से समझा जा सकता है। पुणे में कुल जमाती संगठन के जलसे में AIMPLB के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी को साफ-साफ यह कहते सुना जा सकता है कि प्रत्याशी को नहीं देखना है जो दिल्ली की सरकार (मोदी सरकार) को हरा सके उसे वोट दो।

बनारस के मदरसा रहिमिया सरैया बूथ का आंकड़ा जहां से स्वयं मोदी प्रत्याशी थे वोट जिहाद की प्रबल पुष्टि करता है।

पाञ्चजन्य ने भी बनारस के मदरसा रहिमिया सरैया बूथ का आंकड़ा बताते हुये वोट जिहाद को उजागर करने का प्रयास किया है। इस बूथ पर 99% मुस्लिम आबादी है और कुल वोट 517 हैं। इस बूथ पर भाजपा के 38 मुस्लिम कार्यकर्ता भी हैं। लेकिन मोदी को मात्र 8 वोट मिला मतलब भाजपा के मुस्लिम कार्यकर्ताओं ने भी वोट जिहाद में ही योगदान दिया :

  • कांग्रेस को मिले : 507 वोट
  • नरेंद्र मोदी को मिले : 08 वोट
  • बसपा को मिले : 02 वोट

वोट जिहाद के उपरोक्त आंकड़े स्पष्ट रूप से संकेत करते हैं कि भाजपा भले ही मुस्लिम हित के लिये कितना भी प्रयास कर ले, कितना भी लाभ दे दे लेकिन मुसलमान भाजपा को वोट नहीं देंगे। सरकारी योजनाओं के अनुपातिक लाभ को देखेंगे तो ज्ञात होगा कि हिन्दुओं से अधिक लाभ मुसलमानों को मिला है और मुसलमानों ने उसी सरकार के विरुद्ध वोट जिहाद किया और वो इसलिये कि भाजपा हिन्दुओं को भी समान अधिकार देना चाहती है, सांप्रदायिक भेदभाव मिटाना चाहती है।

इन आंकड़ों से कुछ तथ्य पूर्णतः स्पष्ट हो जाते हैं जो इस प्रकार हैं :

  • मुसलमान ध्रुवीकृत होकर मतदान करते हैं।
  • भाजपा सरकार मुसलमान को बिना भेदभाव के ही नहीं आनुपातिक रूप से अधिक लाभ भी क्यों न देती रहे वो भाजपा को हराने के लिये मतदान का प्रयोग करते हैं।
  • वोट जिहाद के लिये राजनीतिक दल भी उकसाते हैं, प्रलोभन देते हैं।
  • वोट जिहाद के लिये मौलाना भी उकसाते हैं और कहते हैं वोट प्रत्याशी को देखकर नहीं भाजपा को जो हरा सके उसे दो।
  • इतना ही नहीं पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने भी इंडि गठबंधन को वोट देने का कई बार X पोस्ट करके आग्रह किया था।

कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

उपरोक्त तथ्यों से वोट जिहाद और मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण होना सत्यापित होते देखा जा रहा है। इस कारण कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न भी उत्पन्न होते हैं जो इस प्रकार हैं :

  • क्या यही स्वस्थ लोकतंत्र है ?
  • प्रतिक्रिया में यदि हिन्दुओं का ध्रुवीकरण हो तो वो कैसे गलत होगा ?
  • यदि भाजपा हिन्दुओं का ध्रुवीकरण करे तो वो भी सही होगा, क्योंकि भाजपा पर हिन्दुओं के ध्रुवीकरण का आरोप लगाया जाता है।
  • चुनाव आयोग को क्या मुसलमानों का ध्रुवीकरण दिखाई नहीं देता ?
  • ये तो सोशल मीडिया के कारण वर्त्तमान में उजागर होने लगा है, देश जानता है कि ऐसा पहले भी होता रहा है, चुनाव आयोग ने वोट जिहाद के विरुद्ध क्या किया था ?
  • यदि 20% होने पर सत्ता पर अधिकार करने का दुस्साहस कर सकते हैं तो 30% होने पर क्या करेंगे ?

उद्देश्य

ये किसी से छुपा नहीं है कि 1947 में मुसलमानों के कारण ही भारत के टुकड़े हुये थे। ये भी किसी से छुपा नहीं है कि भारत में भी कई ऐसे संगठन इस्लामिक राष्ट्र बनाने की सोच से सक्रिय रहे हैं और अभी भी हैं। इस दिशा में कार्य करते हुये योजनाबद्ध रूप से कई प्रकार के कार्य कर भी रहे हैं जिसे इन नामों से उजागर किया जा रहा है :

  • जनसंख्या जिहाद
  • लव जिहाद
  • लैंड जिहाद
  • IAS जिहाद (सुदर्शन न्यूज ने उजागर किया था)
  • मतांतरण

ये सभी वोट जिहाद का पूर्वांग है। इन सभी कुकर्मों का एक ही उद्देश्य है मुसलमानों की जनसंख्या और जमीन बढाकर इतना कर लिया जाय कि वोट जिहाद करके सत्ता पर अधिकार कर सकें। तत्पश्चात भारत को इस्लामिक राष्ट्र बना सकें और इस संबंध में तो 2047 तक की एक योजना भी उजागर हुयी है।

समाधान

इसके समाधान की तत्काल आवश्यकता प्रतीत होती है और इस दिशा में सरकार और तंत्र को युद्धस्तर पर सक्रिय होने की आवश्यकता है। इसे रोकने के लिये कुछ महत्वपूर्ण कार्य इस प्रकार हो सकते हैं :

  • सबसे पहले तो मतांतरण पर अंकुश लगाना चाहिये।
  • जनसांख्यिकीय परिवर्तन को रोकने की ही आवश्यकता नहीं है पुनः पूर्व की स्थिति जो 1947 में पाकिस्तान विभाजन के समय की थी उस ओर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिये।
  • विभिन्न जिहादों को नियंत्रित करना चाहिये चाहे वो लव जिहाद हो या लैंड जिहाद।
  • वोट जिहाद को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना चाहिये और जहां कहीं वोट जिहाद सिद्ध हो उस बूथ के मतदान को ही अमान्य कर देने के संबंध में विधान बनाया जाना चाहिये।

उपरोक्त कार्य कदापि सरल नहीं है इसके लिये निश्चित रूप से सरकार को कठोर नीति का अनुसरण करने की आवश्यकता होगी। एक तथ्य यह भी है की कुछ विश्लेषक शिक्षा का अभाव बताते देखे जाते हैं और किसी भी प्रकार की कठोर नीति से बचते हुये शिक्षित करने के प्रयास पर बल देते हैं।

लेकिन यह भी देखा गया है कि ये वो मानसिकता है जो कितना भी शिक्षित हो जायें, बड़े-से-बड़े पद क्यों न प्राप्त कर लें बदलती नहीं है। कई उदहारण भी हैं कोई-कोई तो केंद्रीय मंत्री और उपराष्ट्रपति तक भी बनाये गये थे। यदि एकाध उदहारण इसके विपरीत है जैसे राष्ट्रपति बने अब्दुल कलाम तो वो अपवाद मात्र होते हैं और उनको ये समुदाय अपना मानता भी नहीं, राष्ट्रपति पद से जुड़े होने के कारण भले ही निंदा न करता हो।

इच्छा+स्थिरता = संकल्प, संकल्प+अथक परिश्रम = सिद्धि : मोदी
इच्छा+स्थिरता = संकल्प, संकल्प+अथक परिश्रम = सिद्धि : मोदी
छद्म प्रतिक्रिया है और मात्र एक ढोंग
कांग्रेस और इंडि गठबंधन का आतंकवाद विरोध
क्या 5 लाख देने की बात करे तो मुस्लिम लीग को भी वोट दे देंगे
क्या 5 लाख देने की बात करे तो मुस्लिम लीग को भी वोट दे देंगे

Discover more from Kya Samachar hai

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from Kya Samachar hai

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading