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मोदी अल्पमत वाली भाजपा के प्रधानमंत्री क्यों बनेंगे जानिये 3 बड़े कारण

फिर से मोदी क्यों

विपक्ष एक सुर में मोदी की नैतिक हार बताते हुये यह सिद्ध करना चाह रहा है कि मोदी को अल्पमत प्राप्त करने वाली भाजपा का प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिये । बहुमत NDA को ही मिला है और प्रधानमंत्री भाजपा का ही बनेगा यह मानता है कि मोदी न बनें कोई और बने यह चाहता है। अल्पमत वाली भाजपा के भी प्रधानमंत्री मोदी बनने जा रहे हैं इसके तीन महत्वपूर्ण कारणों की चर्चा करेंगे जो मोदी ही कर सकते हैं और ये मोदी को भी भलीभांति ज्ञात है ।

मोदी अल्पमत वाली भाजपा के प्रधानमंत्री क्यों बनेंगे जानिये 3 बड़े कारण

मोदी के प्रधानमंत्री बनने से विपक्ष को समस्या क्या है यह देश ही नहीं पूरा विश्व जानता है, लेकिन मोदी मात्र उतने काम करने के लिये प्रधानमंत्री नहीं बन रहे हैं। मोदी सरकार भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार करती रही है और इसमें विपक्षी दलों के कई बड़े नेता भी फंसते जा रहे हैं।

यदि किसी दल को पूर्ण बहुमत प्राप्त न हो तो गठबंधन करके सरकार बनायी जाती है। गठबंधन की सरकार में विभिन्न घटक दलों की विचारधाराओं का समावेश करके सरकार के लिये कार्यक्रम बनाया जाता है। अर्थात् जब तीसरी बार मोदी गठबंधन नेता के रूप में प्रधानमंत्री बनेंगे तो वो भाजपा की स्वतंत्र विचारधारा के अनुसार पूर्ववत निर्णय नहीं लेंगे अपितु गठबंधन द्वारा निर्धारित नियमानुसार निर्णय लेंगे। यह स्थिति उस प्रधानमंत्री के स्वाभिमान और आत्मगौरव के लिये ठेस पहुंचाने वाली है जो दो बार पूर्ण बहुमत प्राप्त करके प्रधानमंत्री बना है।

मुझे परमात्मा ने भेजा है
मुझे परमात्मा ने भेजा है

आत्मगौरव व स्वाभिमान को ठेस

दूसरी बात जब आपने बहुत ही अच्छे कार्य किये हों फिर भी यदि आपका वेतन घटा दिया जाय अथवा अधिकार छीन लिये जायें तो भी आत्मगौरव व स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है। एक सामान्य सेवक भी यदि पहले सेवक की तुलना में अच्छा कार्य करता हो और सेवक-स्वामी दोनों इस तथ्य को स्वीकार भी करते हों फिर भी यदि सेवक का पारिश्रमिक बढाने की जगह कम कर दिया जाय तो वह सेवक कार्य छोड़ देगा अथवा कार्य ही कुछ इस प्रकार का करेगा कि स्वयं की हानि से अधिक स्वामी को हानि हो।

यदि उपरोक्त स्थिति में भी यदि सेवक कार्य छोड़ कर नहीं जाता है तो इसके पीछे कहीं न कहीं उसका कोई बड़ा स्वार्थ अवश्य निहित होता है अथवा कुछ न कुछ दाल में काला अवश्य होता है। मोदी ने दोनों कार्यकालों में बहुत ही अच्छे कार्य किये, लेकिन यहां हम कार्यों की चर्चा नहीं करेंगे मात्र इतना उल्लेख करना चाहते हैं कि कार्य के आधार पर ही मोदी ने देश के समक्ष 400 पार करने की मांग रखी और देश ने घटाकर 240 कर दिया।

मोदी का व्यक्तिगत स्वार्थ

फिर भी मोदी यदि काम छोड़कर भागने के स्थान पर आत्मगौरव, आत्मसम्मान सबको ताक पर रखते हुये काम करने के लिये तैयार हैं, क्या ये विचार करना आवश्यक नहीं है कि मोदी का वो बड़ा स्वार्थ क्या है?

मोदी का कोई स्वार्थ है यह नैतिक दृष्टिकोण से सोचना भी अनुचित है। राजनीतिक दृष्टिकोण से ही ऐसा एक बार सोचा जा सकता है। किन्तु यह सिरे से असिद्ध हो जाता है क्योंकि मोदी का व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने वाला कोई इतिहास ही प्राप्त नहीं हो रहा है। यदि व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने की बात होती तो लम्बे काल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहने और दो बार देश का सशक्त प्रधानमंत्री रहे, तो इसमें व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने की भी लंबी सूची होनी चाहिये थी।

भाजपा फिर से मोदी को ही प्रधानमंत्री बनायेगी इसमें भाजपा का स्वार्थ हो सकता है और वो स्वार्थ यह है कि मोदी को छोड़कर कोई अन्य नेता प्रधानमंत्री बने तो सरकार सही दिशा में काम नहीं कर पायेगी और शीघ्र ही भाजपा के हाथ से सत्ता छिटक जायेगी। हो सकता है कि मध्यावधि चुनाव का भी सामना करना पड़े।

मोदी के प्रधानमंत्री बनने के प्रमुख कारण

अब हम उपरोक्त संदर्भों को ध्यान में रखते हुये यह समझने का प्रयास करेंगे कि आखिर वो प्रमुख कारण क्या हैं जिसके लिये सन्यास लेने की जगह मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे। यहां उन्हीं कारणों की चर्चा करेंगे जो मोदी के प्रधानमंत्री नहीं बनने पर संभव नहीं होगा।

1 – विकसित भारत का लक्ष्य : मोदी विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं और इस दिशा में नींव की स्थापना की जा चुकी है। मोदी ही वो व्यक्तित्व है जो वर्त्तमान परिस्थिति में भी राजनीतिक राक्षसों से लड़ते हुये आगे बढ़ सकते हैं। यदि मोदी के अतिरिक्त कोई अन्य नेता प्रधानमंत्री बने तो राजनीतिक राक्षस उसको निगल जायेंगे। घायल शेर से भी पंजा लड़ाने का साहस किसी गीदर को नहीं होता।

मोदी-शाह की जोड़ी के रहते कोई मध्यावधि चुनाव की बात भी कर रहा है तो ये उसकी अदूरदर्शिता है। मोदी-शाह की जोड़ी रहने पर न तो सरकार गिरेगी, न ही संकट का सामना करेगी। ये वो जोड़ी है जो विरोधियों की अगली चालों का पहले सटीक आकलन करके ही अपनी चाल चलते हैं। मात्र यही सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं करेगी अपितु अगली बार पुनः पूर्ण बहुमत भी प्राप्त करेगी, जो कि विकसित भारत के लक्ष्य पर सतत आगे बढ़ने के लिये अनिवार्य है।

2 – POK को भारत में मिलाना : ये भारत ही नहीं दुनियां जानती है कि बात जब POK को भारत में पुनः मिलाने की हो तो वो मोदी ही करेगा। यदि आज मोदी स्वाभिमान, आत्मगौरव के ठेस को किनारे रखते हुये भी प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं तो इसका एक मुख्य कारण POK को भारत में मिलाना भी है।

यदि आज मोदी प्रधानमंत्री न बने तो भाजपा आतंरिक षड्यंत्र में उलझ जायेगी व मध्यावधि चुनाव भी संभावित हो जायेगी जिसमें इंडि गठबंधन भी सत्ता प्राप्त कर सकती है। इंडि गठबंधन का POK लेने के विषय में क्या विचार है ये उनके पाकिस्तान के पास परमाणु बम वाले वक्तव्य से स्पष्ट हो जाता है। इंडि गठबंधन को पाकिस्तान इसी कारण समर्थन देते हुये भी देखा जा रहा है।

3 – भारतीय संस्कृति का संरक्षण : संरक्षण का कार्य सबल ही कर सकता है। मोदी-शाह की जोड़ी एक ऐसी सबल जोड़ी है जो भारतीय संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन कर सकती है। यदि मोदी प्रधानमंत्री न बने तो “येन केन प्रकारेण” देश को उस नीति पर चलना ही पड़ेगा जिसमें वोट जिहाद की प्रवृत्ति वाले का संरक्षण होगा।

वोट जिहाद करने वालों का संरक्षण होने का विपरीतार्थ यह भी है कि मूल भारतीय संस्कृति का ह्रास होगा और कथित मिली-जुली संस्कृति का संवर्द्धन होगा जो अंततः मूल भारतीय संस्कृति को समाप्त करने का प्रयास करती देखी गई है। यदि मोदी प्रधानमंत्री न बने तो वर्त्तमान चुनाव में वोट जिहाद का जो प्रभाव दिखा है वो और तीव्रतम विकास करेगा और PFI सहित कई इस्लामिक संगठनों का जो 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने वाला राज उजागर हुआ है भारत उसी दिशा में द्रुत गति से आगे बढ़ने लगेगा।

आगे यह प्रश्न भी स्वाभाविक है कि भाजपा को पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं है और गठबंधन की सरकार में कुछ भी करना या निर्णय लेना सरल नहीं होता तो क्या मोदी ऐसा कर पायेंगे ?

इस प्रश्न का सही उत्तर समझने के लिये इन तीन तथ्यों को गंभीरता से समझना आवश्यक है :

  • शेर यदि घायल भी हो जाये तो उसकी शक्ति कितनी होती है, क्या गीदड़ घायल शेर का शिकार कर सकता है, इसका एक दूसरा पहलू भी है कि “चोटाहल (चोट खाया) सांप कितना खतरनाक होता है”
  • दूसरी बात यह भी समझने की है की सभी विश्लेषक बारगेनिंग बारगेनिंग बारगेनिंग तो चिल्ला रहे हैं किन्तु अंतरराष्ट्रीय बारगेनर मोदी की बारगेनिंग पॉवर क्या है ?
  • तीसरा तथ्य यह है कि शक्ति एक ऐसी चीज है जो अभ्यास करने से बढ़ती है और अभ्यास छोड़ने से घटती है क्या अभी भी मोदी इस सत्य को स्वीकार नहीं करेंगे या नहीं समझ पाये हैं ?

इन तीनों तथ्यों की चर्चा अन्य आलेख में आगे करेंगे। यहां आगामी आलेख का लिंक दिया गया है जिसमें उक्त विषयों को समझा जा सकता है, पढ़िये : मोदी की गारंटी है

क्या मोदी मूर्ख हैं
मोदी को क्यों प्रधानमंत्री बनना चाहिये
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