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भारत का होगा POK, गरजेगा मोदी क्या थमके

भारत पीओके कब लेगा

कभी अमित शाह ने संसद में कहा था “POK भारत का है और हम उसे लेके रहेंगे”, लोकसभा चुनाव में योगी ने कहा तीसरी बार मोदी सरकार बनने के बाद 6 महीने के अंदर POK भारत का होगा। यद्यपि विपक्ष इस विषय को गंभीरता से ले रहा है लेकिन ऐसा लगता है जैसे मीडिया ने “जुमला” समझ लिया।

भारत का होगा POK, गरजेगा मोदी क्या थमके

मीडिया को POK के विषय में पिछली सरकारों से भी निरंतर प्रश्न करते रहना चाहिये था और POK के संबंध में जनजागरूकता का भी प्रसार करना चाहिये था। ये विषय भारत के पक्ष में है लेकिन POK पर चर्चा न हो, भारत की जनता POK को भुला दे ये पाकिस्तान के पक्ष में है। मीडिया ने दशकों से POK पर कभी किसी सरकार से प्रश्न नहीं पूछा, कभी नहीं कहा कि POK चुनाव का विषय होना चाहिये इससे स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है कि मीडिया किसके पक्ष में काम करती है।

भारत पीओके कब लेगा

अब एग्जिट पोल के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम का चुनाव परिणाम भी लोकसभा चुनाव परिणाम को स्पष्ट छवि बता रहा है और दो दिन बाद नयी सरकार का भी निर्णय हो जायेगा तो उसके बाद POK लेने पर देश व्यापी चर्चा अवश्य होनी चाहिये। जनता और मीडिया को “भारत पीओके कब लेगा” यह प्रश्न प्रतिदिन पूछना चाहिये।

अब जबकि भाजपा जिसकी पूर्ण बहुमत वाली सरकार तीसरी बार बनने वाली है और भाजपा के नेताओं ने ही POK वापस लेने का विषय उठाया है तब तो मीडिया को सरकार बनने के बाद ये प्रश्न हर दिन निश्चित रूप से पूछना चाहिये जिससे यदि एक बार को भाजपा भूलना भी चाहे तो भूल नहीं पाये। जिस प्रकार सीना ठोक के प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह POK वापस लेने की बात कह चुके हैं मीडिया को उसी प्रकार सीना ठोककर पूछना चाहिये कि “भारत पीओके कब लेगा”

क्या विपक्ष को POK पर प्रश्न नहीं करना चाहिये

जिस प्रकार से भाजपा नेता POK वापस लेने की बात करते हैं उसके प्रत्युत्तर में तो विपक्ष को चाहिये था कि सरकार पर भरपूर दबाव बनाती, और यदि अडानी-अम्बानी के बदले विपक्ष ने POK-POK किया होता तो आज विपक्ष के साथ भी एक बड़ा मतदाता वर्ग होता। लेकिन आज का विपक्ष ही उस काल की सत्ता थी और विपक्ष की ही गलती है POK इसलिये विपक्ष POK पर किसी प्रकार का विमर्श नहीं चाहता है और मीडिया विपक्ष का कितना साथ देती है वह भी स्पष्ट हो जाता है।

विपक्ष से POK भारत में वापस लाने के विषय में समर्थन की अपेक्षा भी नहीं की जा सकती है क्योंकि वो विपक्ष की ही देन है अपितु उससे भी आगे बढकर विपक्ष ने तो धारा 370 लाकर बाकि जम्मू-कश्मीर को भी देश से अलग करके छोड़ दिया था। कश्मीरी अन्य राज्यों से कश्मीर आने वाले को भारतीय कहने लगे थे अर्थात स्वयं को भारत से अलग समझने लगे थे।

उस विपक्ष से इस विषय में क्या अपेक्षा की जा सकती है जो सरकार बनने पर पुनः उसी धारा 370 के पुनर्स्थापन की बात करती है। जिसके अधिवक्ता सर्वोच्च न्यायालय में जाकर 370 के निरसन को निरस्त करना चाहते थे उससे किस प्रकार यह अपेक्षा की जाय कि वो POK को भारत में वापस लाना चाहती है।

विपक्ष का तो पाकिस्तान प्रेम उजागर होता ही रहता है। जब बात POK वापस लेने की की जाय तो विपक्षी नेता पाकिस्तान के प्रवक्ता बनकर परमाणु बम की धमकी देने लगते हैं। फारुख अब्दुल्ला और मणिशंकर अय्यर ने लोकसभा चुनाव 2024 के क्रम में ऐसा वक्तव्य दिया है।

भाजपा वाले उचक कर क्यों POK-POK करते हैं

जब पूरा का पूरा विपक्ष, पूरी मीडिया POK एक बार भी बोलना नहीं चाहती, नहीं बोलती तो ये भाजपा वाले स्वयं ही उचक-उचक कर क्यों POK-POK करते रहते हैं, यह एक गंभीर प्रश्न हो सकता है।

ये तो भाजपा के लिये भी मौन रहने का विषय होना चाहिये था कि भले ही विपक्ष और मीडिया उनके ऊपर POK के बारे में कोई प्रश्न नहीं करता है। किन्तु भाजपा नेता ऐसे हैं कि स्वयं आगे आकर कहते हैं “POK भारत का अभिन्न अंग है और भारत उसे लेकर रहेगा”, “यदि तीसरी बार मोदी सरकार बनी तो 6 महीने के भीतर POK भारत में वापस मिलेगा”

वास्तव में ये राष्ट्रवाद है और जो इस विषय को उठाता है वह राष्ट्रवादी है। जो इस विषय से दूर भागता है वह राष्ट्रवादी नहीं है।

संदेश क्या है

अंत में संदेश समझना भी आवश्यक है। सत्ता पक्ष द्वारा POK का विषय स्वयं ही आगे आकर उठाना, विपक्ष द्वारा पाकिस्तान के पास परमाणु बम होने की धमकी देना स्वयं में एक संदेश है कि भीतर-ही-भीतर बहुत कुछ चल रहा है भले ही दुनियां को कुछ पता न चल पा रहा हो।

POK में जनविद्रोह होना संदेश देता है कि ज्वालामुखी फटने-फटने को है।

इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में पाकिस्तान सरकार का ये कहना कि POK विदेशी का हिस्सा है, स्वयं में संदेश दे रहा है कि बहुत कुछ काम हो चुका है और POK भारत में वापस मिलने वाला है जिसकी पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है।

कुल मिलाकर इतने संदेश पर्याप्त हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि भारत POK वापस लेने की दिशा में आगे बढ़ चुका है और पाकिस्तान POK छोड़ने की दिशा में। पिछली बातें भीतर ही भीतर होती रही है जो दुनियां को ज्ञात नहीं है। आगे मुख्य विषय जो POK भारत में मिलने का है वह तो गाजे-बाजे के साथ होना ही चाहिये।

पाकिस्तान POK छोड़ने के लिये क्यों तैयार है

  • पाकिस्तान को समझ में आ गया है कि भारत से शत्रुता करके वह आगे नहीं बढ़ सकता।
  • पाकिस्तान को यह भी समझ में आ चुका है कि यदि शीघ्र भारत से सबंध नहीं सुधारा गया तो POK ही नहीं पूरे पाकिस्तान का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा।
  • पाकिस्तान को ये भी समझ में आ गया है कि POK को छोड़े बिना भारत के साथ संबंध अच्छे नहीं हो सकते क्योंकि भाजपा सरकार ही बारम्बार वापसी कर रही है और आगे भी पाकिस्तान समर्थक सरकार भारत में बनने की कोई संभावना नहीं दिखाई देती।
  • जब पाकिस्तानी भी विदेशों में तिरंगा लेकर जान बचाने लगे तो पाकिस्तान को भारत में शक्तिशाली भारत दिखने लगा।
  • डूबते पाकिस्तान को भारत की छत्रछाया के बिना बचाव का और कोई उपाय अब शेष नहीं बचा है।

निष्कर्ष : कुल मिलाकर निष्कर्ष को कुछ बिंदुओं में स्पष्ट किया जा सकता है :

  • भाजपा की सरकार चाहती है कि POK भारत में वापस मिलाया जाय और इस दिशा में संभवतः बहुत प्रगति भी कर चुकी है।
  • विपक्ष इस विषय में वोट बैंक के भय से अथवा पाकिस्तान प्रेम के कारण समर्थन देने, प्रश्न करने की पक्षधर नहीं है अपितु विपक्ष चाहती है कि इस विषय पर चर्चा भी न की जाय और चर्चा होने पर पाकिस्तान के पास परमाणु बम है इसका भय भी दिखाती है।
  • भारतीय मीडिया वास्तव में धंधेबाजी करती है, उसे राष्ट्र-संस्कृति, सनातन आदि से कोई लेना-देना नहीं है। मीडिया पैसे पर बिकती है और जिसमें पैसा मिले वही चर्चा करती है।
  • सबसे पृथक पाकिस्तान की स्थिति है जो यह समझ चुका है कि भारत को यदि POK सौंपने में विलंब किया गया तो उसकी लुटिया डूब जायेगी। अभी भाजपा सरकार बारम्बार बनती ही रहेगी और अपनी डूबती नैया बचाने के लिये भारत की छत्रछाया अनिवार्य है, भले ही उसकी कोई भी शर्त हो।
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