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स्वर्णिम भारत का आरम्भ सौ टन सोने के साथ – Entering the Golden Age

स्वर्णिम भारत का आरम्भ सौ टन सोने के साथ

अठारहवीं लोकसभा चुनाव के बाद एक नई लोकसभा (विधायिका) और सरकार (कार्यपालिका) का आरम्भ होने वाला है और उससे पहले एक सूचना 100 टन सोने के आने से हो रही है। यह स्वर्णिम भारत या भारत के स्वर्णिम काल के आरम्भ का संदेश है। इसके साथ ही मोदी कन्याकुमारी ध्यान मंडपं में भगवा धारण कर एक तरफ विश्व को वास्तविक भारत क्या है ये सन्देश दे रहे हैं और देश को भी बता रहे हैं कि जाग जाओ, स्वयं को पहचानों।

स्वर्णिम भारत का आरम्भ सौ टन सोने के साथ – Entering the Golden Age

उपरोक्त तथ्यों की चर्चा तो करेंगे ही उससे जुड़ी हुयी एक अन्य सूचना भी है और वो है जीडीपी का आंकड़ा। मूड बिगाड़ने वाला मूडीज ने 2023-2024 के लिये भारत की GDP 6.1% बताया था लेकिन भारत ने उसको धत्ता बताते हुये 8.2% का GDP दिया। ऐसी और भी कई अंतरराष्ट्रीय दुकानें हैं किसी और ने 6.4% बताया था। कभी किसी ने सुधार भी किया तो 6.9% तक दिखाया। बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों जो 5% होने को भी भाग्यशाली होने पर कह रहे थे, उनके पैरों के नीचे से जमीन हटाकर भारत ने 8.2% का GDP दिया।

ये भी उसी गैंग का सहयोगी है जो भारत की अर्थव्यवस्था, चुनाव को प्रभावित करने की चेष्टा करता है, ऐसा लगता है। एक सूचना तो ये भी है कि चुनाव को प्रभावित करने के लिये रूपये को कमजोर करते हुये 90 रूपया प्रति डॉलर करने का भी प्रयास था। और इस भेद का भी उद्भेदन हो गया है और वो भी उसी मार्केट के एक दूसरे दुकानदार ओपेन AI ने किया है।

विकसित भारत शंखनाद

ये विकसित भारत शंखनाद है, जित देखूं तित लाल की राग बजने लगी है एक ओर मोदी भगवा धारण करके भारत के सनातन जागरण का संदेश दे रहे हैं, वहीं अर्थव्यवस्था ने GDP के सभी अनुमानों यहाँ तक कि RBI के भी अनुमानों को ध्वस्त करते हुये 8.2% के स्तर पर गई और वहीं स्वर्णिम काल के आरम्भ का एक अन्य संकेत सौ टन सोने का आना भी है।

अभी राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के एक वर्ष भी नहीं हुये हैं और और ऐसी कृपा हुयी है कि विकसित भारत के स्वर्णिम काल का आरंभ हो चुका है “भारत सोने की चिड़ियां था भी और फिर से बन रहा है”, अभी तो ज्ञानवापी मंदिर और मथुरा कृष्ण मंदिर बनना और उनकी कृपा मिलना शेष ही है।

भारत आया सौ टन सोना

भारत में सौ टन सोना आने का समाचार हो या 8.2% होने का समाचार भी चुनावी समाचारों के नीचे दब सा गया है। ये समाचार किसी उत्सव से कम नहीं है। पुनः अब एग्जिट पोल के ही समाचार चलते रहेंगे फिर चुनाव का रिजल्ट आएगा और इस उत्सव को मना पाने का अवसर ही हाथ से निकलता दिख रहा है। लेकिन सभी भाजपा नेता मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करके देश और दुनियां को ढोल-नगारे के साथ बता रहे हैं।

ये जो सौ टन सोना भारत लाया गया है इसके बारे में भ्रामक तथ्य भी बताये जा रहे हैं कि यह गिरवी रखा गया सोना है जो वापस लाया गया है। लेकिन यहाँ वास्तविक तथ्य जो बताया जा रहा है वो ये है कि ये भारत का अपना सोना है जो दूसरे देशों में रखा था उसे वापस लाया गया है। भारत अब अपना सोना अपने पास रखेगा और इस लिये अन्य देशों में जो सोने रखे हुये हैं उसे अपने देश लाया जा रहा है।

वर्त्तमान का विश्व तृतीय विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़ा है या विश्वयुद्ध हो रहा है अब यह निर्णय कर पाना कठिन है। एक तरफ रूस यूक्रेन में युद्ध चल रहा था दूसरी तरफ इजराइल और हमास (फिलिस्तीन) में चल रहा है। अमेरिका, यूरोप, अरब देश सभी आग में घी देने का काम कर रहे हैं।

इसके साथ ही मुद्राओं का भी युद्ध चल रहा है और भारत का रूपया धीरे-धीरे दुनियाँ में प्रसारित हो रहा है। इसके साथ ही डॉलर से दुनियां छुटकारा पाना चाहती है। विश्व डॉलर के स्थान पर सोने को व्यापार का साधन बनाने वाले युग में पुनः प्रवेश करने की चेष्टा कर रही है।

  • कई देशों की अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है साथ ही अन्य कई कारणों से सत्तायें असुरक्षित हैं, और जब सत्ता असुरक्षित है तो उन देशों में रखे सोने कितनी सुरक्षित होंगी। इसलिये भारत अपना सोना विदेशों में नहीं अपने घर में रखेगा।
  • भारत ने भविष्य की वैश्विक स्थिति का आकलन करके कि आने वाले काल में सिक्का उसका नहीं चलेगा जिसके पास डॉलर है अपितु सिक्का उसका चलेगा जिसके पास सोना है, इसलिये भारत अपना सोना विदेशों में नहीं अपने घर में रखेगा।
  • विदेशों में रखे सोने के लिये भारत को उसका शुल्क भी देना पड़ता था, अब शुल्क बचाना भी आवश्यक है जिससे अर्थव्यवस्था और सुदृढ़ होगी इसलिये भारत अपना सोना विदेशों में नहीं अपने घर में रखेगा।

एक काल वो भी था जब भारत चोरी-छिपे अपना सोना गिरवी रखने गया था लेकिन वो सूचना भी गुप्त नहीं रही दुनियां जान गयी। अब स्थिति बदल चुकी है, भारत बदल चुका है वो सोना तो पहले ही भारत वापस ले चुका है जो गिरवी रखा गया था।

वर्तमान में 822 मीट्रिक टन भारत के पास है इसमें से लगभग 514 मीट्रिक टन देश से बाहर सुरक्षित रखा हुआ है। ये सोना दुनियां के विभिन्न देशों के बैंकों में रखा हुआ है और सर्वाधिक बैंक ऑफ़ इंग्लैण्ड में रखा हुआ है। ये सूचना मार्च 2024 के अनुसार है। ये वो सोना नहीं है जो भारत की चिड़ियाँ से लूट कर ले जाया गया था। ये वो सोना है जो भारत ने स्वयं विदेशों के बैंक में रखा है। पिछले पांच वर्षों में 203.9 टन सोना भारत ने खरीदा भी है और ये भी विदेशों में रखा हुआ था।

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भारत तो बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिये पहल कर रहा है और इस दिशा में सोना की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। यद्यपि बैंकों के पास अर्थात सरकार के पास जो स्वर्ण भंडार है उसके आधार पर नौवें क्रम पर है तथापि यह अर्द्धसत्य ही है। बताया जाता है कि सरकारी स्वर्ण भंडार का तीन गुना सोना तो मंदिरों में है। प्रमुख दस देशों के पास जितना स्वर्णभंडार है उससे अधिक तो भारत में लोगों के पास आभूषण के रूप में है। अर्थात वर्तमान भारत भी सोने की चिड़ियाँ है।

विदेशों में रखा सोना वापस लाने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में देखा गया कि कई देशों ने जिनके पास रूस का सोना था उसने फ्रीज कर दिया, हड़पने का प्रयास करते देखे गये। ये चिंताजनक स्थिति है ऐसे में देश का सोना देश के पास ही सुरक्षित है देश के बाहर विदेशी बैंकों में रखा सोना अब सुरक्षित नहीं माना जा सकता; पता नहीं कब फ्रीज कर दे।

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