Headlines

घर के रहे न घाट के, केजरीवाल “आप” के – Kejriwal Interim Bail

घर के रहे न घाट के, केजरीवाल “आप” के – Kejriwal Interim Bail

सुप्रीम कोर्ट में अरविंद केजरीवाल के अंतरिम जमानत का विषय जटिल ही नहीं हो गया है अपितु जेल में स्थित दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल का सम्पूर्ण प्रकरण ही गहन विचार का विषय बन गया है।

यद्यपि विचार का विषय मात्र अंतरिम बंधन सुरक्षा (जमानत) ही था तथापि इससे केजरीवाल का पूरा दाव ही उल्टा प्रभाव करने वाला होता दिख रहा है और इस स्थिति में कहा जा सकता है कि “घर के रहे न घाट के, केजरीवाल आप के”

आपराधिक प्रवृत्ति

केजरीवाल के वकील का कथन था कि केजरीवाल आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति नहीं हैं। लेकिन वो भूल गये कि कई बार केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में ही क्षमायाचना किया है, क्षमायाचना की बारम्बारता यही सिद्ध करता है कि वो आपराधिक प्रवृत्ति के ही व्यक्ति हैं। यद्यपि ED के वकील ने यह नहीं कहा उन्होंने बस इतना कहा कि 9 बार सम्मन देने पर कभी उपस्थित नहीं हुये ।

इसके साथ ही भले ही विधानसभा के वक्तव्यों को न्यायिक प्रक्रिया से बाहर रखा गया हो किन्तु विधानसभा की गतिविधि, व्यवहार, वक्तव्यों से प्रवृत्ति को तो समझने का प्रयास किया ही जा सकता है। देश ने देखा है किस तरह से केजरीवाल ने विधानसभा में चौथी पास राजा  कहानी सुनाकर देश के प्रधानमंत्री का अपमान किया था। 

देश ने ये भी देखा था कि उपराज्यपाल के विषय में किस तरह केजरीवाल ने कहा था कौन होता है वो, दिल्ली के मालिक हम हैं। ये वक्तव्य केजरीवाल की प्रवृत्ति को समझने के लिये तो ग्रहण किये ही जाने चाहिये। 

चुनाव के लिये असाधारण परिस्थिति

यदि केजरीवाल को नेता होने के कारण बंधन सुरक्षा दी जाय तो और भी बहुत सारे नेता होते हैं। अभी हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री ने बंदी बनने से पहले पदत्याग कर दिया था, उन्हें क्यों नहीं बंधन सुरक्षा दी जा सकती है। यदि उन्हें भी दी जाती है तो और भी बहुत सारे नेता होंगे तो औरों को क्यों नहीं और यदि सबको नेता होने के कारण बंधन सुरक्षा प्रदान की जा सकती है तो नेताओं के लिये अलग से कानून ही क्यों न बना दिया जाय कि सभी नेता चुनाव पर्यंत कारागार से मुक्त रहेंगे।

यदि नेता के लिये ऐसा किया जा सकता है तो फिर प्रत्याशी के लिये क्यों नहीं किया जा सकता है? जब कभी किसी प्रकार का चुनाव हो यदि चुनाव लड़ेने में विधिक अड़चन न हो तो बंधनमुक्ति मात्र उद्देश्य से ही सही सभी बंदी चुनाव क्यों नहीं लड़ सकते और यदि चुनाव लड़ें सकते हैं तो सभी अपराधी को भी कारा सुरक्षा का अधिकार होना चाहिये। 

यदि सभी बंदी को चुनाव के निमित्त ये बंधन सुरक्षा का अधिकार प्राप्त हो सकता है तो जो चुनाव न लड़े उसके प्रति विधिक भेद का व्यवहार कैसे किया जा सकता है, कम से कम मतदान का अधिकार तो आम जनता को भी होता ही है, अर्थात् चुनाव काल में सबको कारागार से मुक्त ही क्यों न कर दिया जाय।

मुख्यमंत्री पद

केजरीवाल भारतीय राजनीति के ऐसे नीतिविरोधी नेता हैं जो उच्च न्यायालय दिल्ली की दो बार फटकार लगने के बाद भी निर्लज्जतापूर्वक मुख्यमंत्री के पद से चिपके हुये हैं और दिल्ली के उपराज्यपाल चुनाव के कारण पदमुक्त नहीं कर रहे हैं। केजरीवाल यदि चुनाव तक स्वयं ही पदत्याग नहीं करते तो चुनाव के बाद निःसंदेह यही सम्भावित है कि उपराज्यपाल उन्हें पदमुक्त कर दें ।

सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम बंधन सुरक्षा के विषय पर भी जब यह बिंदू सामने आया कि यदि केजरीवाल को बंधन सुरक्षा प्रदान भी कर दिया जाय तो भी वो मुख्यमंत्री संबंधी कोई गतिविधि नहीं करेंगे और इस संबंध में केजरीवाल के अधिवक्ता शपथपत्र देने के लिये भी तत्पर हैं। 

यहां यह स्पष्ट होता है कि केजरीवाल को यदि बंधन सुरक्षा प्राप्त भी हो जाये तो वह मुख्यमंत्री संबंधी कोई गतिविधि नहीं कर सकते। जब बाहर होने पर वो मुख्यमंत्री संबंधी कोई गतिविधि नहीं कर सकते तो कारागार में रहकर कैसे कर सकते हैं, अर्थात् कदापि नहीं कर सकते और इससे केजरीवाल का मुख्यमंत्री पद से चिपके रहना लिखित रूप से भी अवैधानिक सिद्ध हो जायेगा। ध्यातव्य ये भी है कि बंदी बनाये जाने से पूर्व ही केजरीवाल को ज्ञात था कि उन्हें बंदी बनना होगा और इसी कारण एक अनोखा नाटक और किया गया था कारागार से से सरकार चलाने के सर्वे का ।


निष्कर्ष : अंतरिम बंधन सुरक्षा के विषय में केजरीवाल की बड़ी विषम स्थिति हो गई है अब न पीछे जाने का विकल्प रहा न आगे बढने का और “भई गति सांप छुछुंदर केरी” का अत्युत्तम उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। अंतरिम बंधन सुरक्षा लें या न लें और कहीं “दुविधा में दोनों गये” वाली स्थिति न हो जाय अर्थात् अंतरिम बंधन सुरक्षा भी न मिले और मुख्यमंत्री पद भी चला जाये।


अन्य प्रमुख आलेख 

चट्टे – बट्टे कौन हैं ? मोदी का इशारा किधर था ? – Modi’s signal

बांटो लड्डू उड़ाओ गुलाल, आ रहा है केजरीवाल – Kejriwal’s drama 
All about Democracy : लोकतंत्र क्या है, लोकतंत्र के स्तम्भ, लोकतंत्र की विस्तृत जानकारी ..


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *